५५
जीवन मतलब
कल्पना और वास्तविकता का मिलाफ
इन दोनों राहों पर
अकेले ही चलना पडता है जनाब
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जीवन एक लोहे के जैसा है
उसे मेहनत का परिसस्पर्श मिल गया तो
उसका सोना बन जाता है ,नही तो
आलस्य की शृंखला पाँव में जंजीर बन जाती है
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५६
जीवन मतलब
एक रंगीन गुब्बारा है
कितना भी उपर चला जाए
फिर भी चेतना जागरूक रखनी होगी
की, यह जीवन का गुब्बारा कभी भी
फट सकता है
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पीले जर्द केतकी के फूल
जब हरे पत्तों में, लिपटे हुए
छुपके से देखता है, तब
उसके संमोहन जादूसे सर्प भी झुलने लगता है
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सफेद शुभ्रसी तलम सावरी
हवाओं पर झुलते लहराती जाए
उसका उपर जाना ,नीचे आना
कभी पत्तों पर हलके से बैठना
फिरसे उडना ,कभी काँटों पर अटके
अपने पेरों को छुडाना ,मस्तमौला जैसे
जी भर उडान भरने के बाद, वह फिरसे
नीचे आना ,मिट्टी में मिलकर नया
वृक्ष बनने के लिए
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५७
भजन की नाद में
ज़ांजु मग्न होती है
मृदुंग के खडे बोल
भक्तिरस में डूब जाते है
पैर पकड लेते है ताल को
हाँथ तालियाँ बजाते है
मुख से लेकर नाम हरी का
भक्तराज विभोर हो जाते है
एकतारे का चैतन्य स्पर्श
आत्मा को छु लेता है
क्रिया बहिर्मन होकर
अंतरंग विलीन होता है
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५८
ए, खिले हुए फुलों, आज लहराना बंद मत करना
हवाँओं के साथ कही मत निकल ना जाना
सूरज की किरण स्पर्श से मत मुरझाना
मेरा प्रियतम आया तो शरमाकर कही छिप न जाना
तब तुम अपने झुमते डालियों के साथ तराना गाना
ऐसे में वो भूल जायेगा की उसे वापस भी है जाना
तुम्हारी महकती गंध से, उसके हृदय में प्यार उमडेगा
और मैं देखती रह जाऊंगी उस प्यार का झोंका,
लगेगा ऐसा की कभी खत्म ना हो जाए ये लम्हें
जीवन में अगर प्यार है, ए फूलों तभी है मोहोब्बत दिल में
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५९
प्यार के पैरों का
साथ कब शुरू हुआ
आसमाँ का इंद्रधनु
धरती पर फैल गया
रात की रानी की महक
पूरे मन में समा गई
चाँदसा सपन सलोना देख
चाँदनी शरमा गई
तनमन पर जादू कर गया
प्यार का गुलाबी रंग
हवाओं का स्पर्श भी लगे
मयुरपंख के संग
रात बीते बिरहा में
सुबह आशा लेकर आए
जीवन का यह सपना
बार बार मन में चलाए
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६०
जीवन तभी आसान होता है
जब पहेले ,की हुई भूलों को
मन दोहराना बंद करता है
उन यादों की वेदनाओं को फिरसे
जीना बंद करता है ,और
वर्तमान का क्षण पकडकर
अभी में जीना सीख लेता है
उस सुनहरे क्षण में
दुसरा काल आ नही सकता
उस निर्विचारता का जो परिस स्पर्श
होता है तब वह क्षण जीवन जीने का
गुढ रहस्य बताकर जाता है
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६१
अमलताश का पीला झुमर
तेज से खिल जाता है तब
पेड की हरियाली लुप्त हो जाती है
पीले जर्द पंखुडीओं का
फुसफूसाकर बात करना ,हँसना
वह पेड अंदर से सुनता रहता है
उनका खिलना, मुरझाकर धरती पर गिरना
सब देखता रहता है
उसने साल भर में एक महिने के
लिए फूलों का निर्माण किया
वही अब बिछडने का गम दूर करते
हुए, फिर से निर्माण में लग जाता है
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