लाडली मीना Rakesh Rakesh द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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लाडली मीना

चार भाइयों में अकेली बहन होने की वजह से मीना चारों भाइयों माता-पिता की लाडली बेटी थी।

मीना के माता-पिता चारों भाई मीना को जीवन की सारी खुशियां देना चाहते थे।

मीना के माता-पिता चारों भाई मीना की शादी अपने से गरीब लेकिन पढ़े-लिखे लड़के अभिजीत के साथ करवाते हैं, क्योंकि खुद मीना और मीना के चारों भाई कम पढ़े-लिखे थे।

वह मीना की शादी इतनी धूमधाम शान शौकत से करते हैं कि अपने गांव और आसपास के गांव में अब तक इतनी बड़ी शादी किसी ने नहीं देखी थी।

शादी के बाद ससुराल में मन लगवाने में मीना की छोटी ननंद और छोटा देवर उसकी बहुत मदद करते हैं, उनकी वजह से मीना को अपने मायके की कम याद आती थी।

धीरे-धीरे मीना को पता भी नहीं चलता है कि उसे अपने पति अभिजीत से इतना लगाव हो गया है कि अब वह अपने पति अभिजीत के बिना एक पल भी जीने की नहीं सोच सकती थी।

और जब मीना कि सास मीना को पूरे घर की जिम्मेदारी सौंप देती हैं, तो उस दिन के बाद मीना को अपनी ससुराल मायके जैसी प्यारी लगने लगती है।

अभिजीत पढ़ा लिखा होने की वजह से नौकरी के साथ-साथ बच्चों को ट्यूशन पढ़कर भी अच्छा खासा पैसा कमा लेता था।

अभिजीत जो भी पैसे कम कर मीना के हाथ में रखता था, मीना उन पैसों से महंगे ऐशो आराम के सामान खरीद लेती थी, क्योंकि मीना ने बचपन से सुख सुविधाओं में अपना जीवन जिया था।

मीना की एक और सबसे बड़ी कमी थी कि वह रोज अपनी पसंद का खाना पकाती थी, चाहे वह खाना घर के किसी भी सदस्य को पसंद आए या ना आए।

इसलिए जब मीना अभिजीत की मेहनत की कमाई को अपने ऐश आराम और शौक के समान को खरीदने में उड़ाने लगती है, तब अभिजीत की मां मीना से तो नहीं अभिजीत से मीना को समझने के लिए कहती है।

और एक रात जब अभिजीत मां के कहने से मीना को फिजूल खर्ची रोकने के लिए कहता है तो मीना उससे इसलिए बहुत नाराज हो जाती है कि उसने अपनी मां के बहकावे में आकर मेरा अपमान किया है।

और यह बात धीरे-धीरे बढ़ाते बढ़ाते इतनी बढ़ जाती है कि मीना अपनी ससुराल छोड़कर अपने मायके चली जाती है।

मायके पहुंचने के बाद उसे ऐसा लगता है कि मायके में जो सुख आराम आजादी है, वह ससुराल में नहीं है, इसलिए जब उसके मां-बाप चारों भाई भाभियां उसे वापस ससुराल जाने के लिए कहते हैं तो मीना रो रो कर उनसे कहती है "मुझे मेरे घर से मत निकालो, उस आदमी से मुझे तलाक दिलवा कर आजाद करवा दो।"

मीना के मां-बाप चारों भाई मीना की इस दुर्दशा के लिए अपने को दोषी मानकर मीना और अभिजीत का तलाक करवा देते हैं।

और एक दिन जब मीना को कहीं से खबर मिलती है कि उसे तलाक देने के बाद अभिजीत ने दूसरी शादी कर ली है, तो उस दिन मीना को बहुत दुख होता है अब तक मीना यह सोचती थी कि अभिजीत पर सिर्फ उसी का अधिकार है, और जिसके बिना जीने की सोचने से भी उसे डर लगता था उसे छोड़ ही क्यों।

और माता-पिता बड़े दो भाइयों की मृत्यु के बाद 55 वर्ष की उम्र में मीना को अभिजीत को तलाक देने की गलती का और ज्यादा अफसोस होता है, और वह दुखी होकर सोचती है उसने खुद ही अपना जीवन बेरंग कर लिया है और सोचती है ज्यादा लाड प्यार बच्चों को जिद्दी बना देता है, और एक गलत ज़िद बच्चों का जीवन बर्बाद कर सकती है।