तू जाने ना... - 6 Priyanca N द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तू जाने ना... - 6

6. शॉपिंग


क्रियांश और अद्वैत को अपनी कोचिंग सेंटर का ब्लू प्रिंट रेडी करना था और दोनों को समझ नहीं आ रहा था कहां से शुरू करें। दोनों परेशान थे कि तभी अहाना ने दोनों से कहा कि ब्लू प्रिंट रेडी करने में वो और रिधिका हेल्प करेंगे बदले में उन्हें इन दोनों को शॉपिंग करवानी होगी। जहां रिधिका क्रियांश से दूरी बनाने का सोच रही वहीं दूसरी तरफ अहाना ने पहले ही आगे आकर अपने दोनों भाइयों को हेल्प करने के लिए हां कर दी।


अद्वैत और अहाना तो खुश थे लेकिन जब क्रियांश कि नज़र रिधिका पर गई तो उसने देखा वो कुछ परेशान है और ये परेशानी उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी। क्रियांश को ये समझने में ज़रा भी देर नहीं लगी कि रिधिका उन दोनों कि हेल्प करना चाहती है क्योंकि अब तक रिधिका ने एक बार भी एग्री नहीं किया था।


क्रियांश को लगा जैसे रिधिका बस अहाना की खुशी कि वजह से चुप है इसीलिए उसने रिधिका से ख़ुद पूछना सही समझा। क्रियांश जब रिधिका के पास आया तो उसने देखा रिधिका ने अपनी कलाई को पकड़ा हुआ है और वो अपने हाथ पर बने उन छालों को देख रही है क्रियांश समझ गया कि रिधिका तकलीफ में है वो झट से आगे आया और उसका हाथ थामते हुए बोला... आपने अब तक इस पर कुछ लगाया क्यों नहीं ?


वो बस अभी हम रूम में ही जा रहे थे... रिधिका ने धीरे से कहा और उठ कर रूम में जाने के लिए जैसे ही खड़ी हुई कि वो लड़खड़ा गई और गिरने के डर से उसकी थोड़ी सी चीख निकल गई। इससे पहले कि वो गिरती क्रियांश ने उसे थाम लिया। क्रियांश के दोनों हाथ उसकी कमर पर थे और रिधिका को तो जैसे कुछ समझ ही नहीं आया। क्रियांश तो बस रिधिका कि खूबसूरती में कहीं खो गया था। गोल गोल चेहरा पतली सी नाक उसकी डार्क ब्राउन गहरी झील सी आंखें सुंदर मुलायम होंठ और उसके बदन से आती एक भीनी भीनी सी खुश्बू जो क्रियांश या किसी को भी पागल करने के लिए काफी थी। रिधिका के चेहरे की मासूमियत क्रियांश को अपने करीब खींच रही थी। वहीं रिधिका भी क्रियांश को बस देखे जा रही थी उसकी सुंदर आंखें जिसमें रिधिका को अपने लिए एक फिक्र दिख रही थी उसके चेहरे की परफेक्टली ट्रिम्ड बियर्ड माथे पर आते बाल। रिधिका के लिए क्रियांश कि आंखों से नज़रे दूर करना बहुत मुश्किल था। दोनों के लिए तो वक्त जैसे कुछ थम सा गया था। ना क्रियांश ने रिधिका को छोड़ा और ना ही रिधिका ने उसे खुद को छोड़ने के लिए कहा दोनों एक दूसरे से अलग नहीं होना चाहते थे।


रिधिका कि चीख सुन वहां अहाना और अद्वैत आ गए और अहाना ने थोड़ा परेशान होते हुए रिधिका से कहा... रिधू तू ठीक है ? लगी तो नहीं ?


अहाना कि बात सुन क्रियांश और रिधिका होश में आए। और रिधिका ने क्रियांश से दूर होते हुए कहा... हम ठीक हैं... वो पैर में चोट कि वजह से शायद हमारा बैलेंस बिगड़ गया।



मुझे तो समझ नहीं आ रहा तुम्हें पिछले कुछ दिनों से क्या हो गया है जब देखो खुद को harm कर रही हो तुम्हारा ध्यान कहां है रिधिका ? ... अहाना ने नाराज़ होते हुए कहा


अहाना के मुंह से अपना पूरा नाम सुन रिधिका समझ गई कि वो उससे बहुत नाराज़ है क्योंकि अहाना रिधिका का पूरा नाम सिर्फ़ तब लेती जब कोई सीरियस बात होती या जब वो रिधिका से बहुत नाराज़ होती। रिधिका भी अहाना की बात समझ गई थी और वो जल्दी से उसके गले लगते हुए बोली... सॉरी ना अनू... नाराज़ मत हो तुम्हें पता है ना हमें तुम्हारी नाराज़गी नहीं अच्छी लगती।


तो ऐसे काम ही क्यों करती हो पता नहीं कब अपनी फिक्र करना सीखोगी... अहाना ने नाराज़गी भरे लहज़े में कहा


हमारी फिक्र करने के लिए तुम हो ना हमारी क्यूट सी बहना... बोलते हुए रिधिका ने अहाना के गाल खींच लिए


ठीक है माफ किया लेकिन अगर अब तुमने ख़ुद को harm किया तो फिर देखना तुम रिधू की बच्ची... बोलते हुए अहाना ने भी रिधिका के गाल खींच लिए और उसके गले लग गई।


अहाना और रिधिका दोनों 11th क्लास से फ्रेंड्स थी। दोनों ने साथ में लॉ कॉलेज में एडमिशन लिया और वक्त के साथ दोनों की दोस्ती गहरी हो रही थी। अहाना की कोई बहन नहीं थी और वहीं रिधिका भी बचपन से अकेली थी इसीलिए जब दोनों की दोस्ती हुई तो कुछ ही दिनों में बहनों जैसा प्यार हो गया।


क्रियांश और अद्वैत ने अपनी बहन को आज से पहले फैमिली मेंबर्स के अलावा कभी किसी के लिए इतनी फिक्र करते नहीं देखा था। वो दोनों ये तो जानते थे कि उनकी बहन घर के सभी सदस्यों को अपना ध्यान ना रखने पर डांटती है लेकिन ख़ुद भी लापरवाह है लेकिन रिधिका की ऐसे फिक्र करते देख दोनों भाई बहुत खुश हो रहे थे।


अगर अब तुम दोनों का बहन मिलाप पूरा हो गया हो तो हमारे बारे में भी सोच लो वर्ना शाम में मामा जी के सामने हमारी पेशी लग जाएगी... अद्वैत ने अहाना और रिधिका को प्लीडिंग नज़रों से मुंह लटकाते हुए कहा। जिसे देख सब को हसी आ गई।


जी अद्वैत जी चलिए हम आपकी हेल्प कर देते हैं... कहते हुए रिधिका बाकी सब के साथ अद्वैत के रूम में आ गई। चारों ने मिलकर एक दूसरे कि हेल्प से कोचिंग सेंटर का ब्लू प्रिंट रेडी किया। अद्वैत और क्रियांश ने सिलेब्स डिसाइड किया जिसमें बाद में रिधिका और अहाना ने लॉ सब्जेक्ट्स भी add कर दिए। वहीं रिधिका और अहाना ने क्लास शेड्यूल बनाया। किस दिन कौन सी क्लासेज होनी चाहिए किस सब्जेक्ट को कितना टाईम देना चाहिए और क्लास टैस्ट कैसा और कब होना चाहिए ये सब रिधिका और अहाना ने डिसाइड किया।


रिधिका ने अहाना क्रियांश और अद्वैत को बिना बताए कोचिंग में एडमिशन लेने के लिए एक एंट्रेंस टेस्ट भी डिज़ाइन किया था जिससे स्टूडेंट्स कि नॉलेज का पता चल सके लेकिन वो इस टेस्ट को उन सबको दिखा नहीं पाई। रिधिका और अहाना ने मिलकर एक app भी डिज़ाइन कि जिसमें ऑनलाइन क्लासेज दी जाए।


लगभग 5 घंटे बाद जब सब फाइनल हुआ तो सबने मिलकर चैन की सांस ली। अद्वैत तो अहाना और रिधिका की तारीफ़ किए बिना नहीं रह सका। भला इतने कम समय में उन दोनों भाइयों के लिए इतना सब अकेले मैनेज करना किसी जंग जीतने के बराबर ही होता। सब फ़्री हुए ही थे कि तभी अमृता जी उन सबको लंच के लिए बुलाने लगी।


इतना काम करने के बाद अब सभी को भूख लगी हुई थी। सब लंच के लिए नीचे जाने लगे कि अहाना गुस्से में बोली... this is not fare आदी भाई... how could you do this and how could you forget...


अद्वैत को तो समझ ही नहीं आया की आख़िर अब उसकी बहन क्यों नाराज़ हो गई। उसने अहाना से नाराज़ होने की वजह पूछी तो अहाना ने जल्दी से शॉपिंग वाली प्रोमिस याद दिलाई और प्रोमिस भूलने के लिए पेनल्टी के तौर पर बाहर से लंच करवाने के लिए भी कह दिया। अद्वैत को भी पता था उन दोनों ने बहुत हेल्प कि है और वो अपनी प्यारी बहन को नाराज़ भी नहीं कर सकता था इसीलिए अमृता जी को बता कर चारों शॉपिंग के लिए पास के ही मॉल में आ गए। पहले तो रिधिका ने मना किया लेकिन अहाना उसे अपने साथ ये बोलते हुए ले आई कि तुम कुछ लेना मत बस सिलेक्ट करने में मेरी हेल्प कर देना। रिधिका भी जानती थी अहाना ने एक बार कह दिया तो वो उसे अपने साथ लेकर ही जाएगी अब चारों मॉल में आ गए।


शॉपिंग से पहले सबने मिलकर लंच किया उसके बाद अहाना रिधिका के साथ गर्ल्स सेक्शन में जाकर अपने लिए कुछ कॉलेज वियर देखने लगी और उसे सेलेक्ट करने में रिधिका उसकी हेल्प कर रही थी। वहीं दूसरी तरफ अद्वैत क्रियांश को अपने साथ मेन्स सेक्शन में ले जाता है और अद्वैत अपने लिए शॉपिंग करने लगते हैं।


क्रियांश को एक कॉल आया जिसे रिसीव करने के लिए वो अद्वैत को बोल बाहर आ गया। कॉल पर बात करने के बाद क्रियांश अद्वैत के पास जा रहा था तभी क्रियांश की नज़र एक वॉच शॉप पर जाती है जहां एक बहुत सुंदर वूमेंस वॉच शोकेस में लगी थी और उस वॉच को देखते ही क्रियांश को रिधिका का ख्याल आता है और वो उसके लिए उस वॉच को पैक करवा लेता है। लगभग 7 बजे तक सब लोग घर आ जाते हैं।


डिनर के बाद सब लोग हॉल में बैठे थे क्योंकि अब जज साहब अद्वैत और क्रियांश का कोचिंग सेंटर का ब्लू प्रिंट देखना चाहते थे।


अब आप दोनों हमें ब्लू प्रिंट दिखाएंगे या सुबह बस डांट से बचने के लिए आप दोनों ने झूठ बोल दिया... जज साहब ने अपने चश्मे को साफ़ करते हुए क्रियांश और अद्वैत को घूरते हुए कहा।


अरे नहीं नहीं मामा जी ऐसा नहीं है हमारा ब्लू प्रिंट तो बिलकुल रेडी है... अद्वैत ने कॉन्फिडेंटली कहा।


अच्छा तो दिखाते क्यों नहीं ? क्या सोच रहे हो दोनों ?.... क्मिशनर साहब ने अद्वैत से कहा


इसके बाद क्रियांश अपना लैपटॉप लेके आया और सब लोगों को अपनी कोचिंग सेंटर का ब्लू प्रिंट दिखाया और अपनी प्लानिंग सबको आराम से समझाई। जिसे सुन सब खुश हुए लेकिन तभी संकेत ने कहा... ये सब तो ठीक है लेकिन तुम लोगों को नहीं लगता तुम्हें एक एंट्रेंस टेस्ट रखना चाहिए था एडमिशन के लिए जिससे तुम स्टूडेंट्स का नॉलेज लेवल पता कर सको।


ये सुन तो क्रियांश और अद्वैत एक दूसरे का मुंह देखने लगे। इतने में कमिश्नर साहब बोले... हम्म संकेत आप बिल्कुल सही कह रहे हैं आप दोनों को भी ये सोचना चाहिए था। ताकि आप ये जान सको कि किस स्टूडेंट को कितना टाइम देना है या वो कॉन्स सब्जेक्ट में वीक है।


अब जज साहब फिर से बोले... आप दोनों भूलिए मत स्टूडेंट्स आप दोनों पर भरोसा कर आपकी कोचिंग में एडमिशन लेंगे और उनका फ़्यूचर आप दोनों पर भी डिपेंड है। मैंने पहले ही कहा था कोचिंग चलाना कोई मज़ाक नहीं है


इससे आगे कोई कुछ कहता इससे पहले ही रिधिका ने कहा... क्रियांश जी अद्वैत जी आप दोनों शायद ये दिखाना भूल गए। जल्दी जल्दी में शायद आपसे ये पेपर गिर गया।


क्रियांश और अद्वैत दोनों के साथ अब अहाना भी रिधिका को ध्यान से देख रही थी तीनों यही सोच रहे थे कि आख़िर कौन सा पेपर था जो वो लोग भूल गए। क्रियांश ने रिधिका के हाथ से पेपर लिया और उसे देखते ही उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई। अद्वैत भी जल्दी से उन दोनों के पास आया और उसने वो पेपर देखा ये वही एंट्रेंस टेस्ट था जो रिधिका ने बनाया था। अद्वैत ने जल्दी से क्रियांश के हाथ से वो पेपर लिया और संकेत को दिखाते हुए बोला... ये देखो बड़े भैया हमने पहले ही टेस्ट पेपर बना लिया था वो तो बस हमसे गिर गया था।


अद्वैत की ये बात सुन अहाना ने रिधिका को देखा तो उसने अपना हाथ अहाना के हाथ पर रखते हुए अपनी पलकें झपका दी अहाना भी खुशी से उसे देखने लगी।


जज साहब ने वो पेपर देखा और अपनी खुशी को छुपाते हुए बोले... हम्म्म... चलिए ठीक है कम से कम किसी काम को करने के लिए तो आप दोनों ने पूरी मेहनत की।


अमृता जी बोली... अब आप दोनों जल्दी से अपना कोचिंग सेंटर ओपन करिए। अमृता जी की बात पर सबने हामी भरी और कुछ देर बाद सब अपने रूम में चले गए। जैसे ही रिधिका रूम में जाने के लिए उठी कि तभी अद्वैत उसके पास आया और बड़े प्यार से बड़ी सी मुस्कान के साथ कहा... थैंक्यू सो मच रिधिका अगर आज तुम नहीं होती तो सच में हम दोनों को फिर से डांट पड़ती। क्रियांश ने भी रिधिका को थैंक्यू कहा जिसपर रिधिका ने जवाब दिया... हमने कुछ नहीं किया और ये सब हम सबने मिलकर किया है तो आप हमें थैंक्यू ना बोलें। उसने अहाना की तरफ मुड़ते हुए कहा हम थक गए हैं रूम में जा रहे हैं। अहाना भी उसके साथ आ गई थी और अद्वैत भी अपने रूम में आ गया था।


रिधिका भी बहुत खुश थी कि उसकी एक छोटी सी कोशिश की वजह से आज क्रियांश और अद्वैत को अपने घर वालों के सामने परेशान नहीं होना पड़ा। वहीं दूसरी तरफ क्रियांश अब ये सोच रहा था कि वो रिधिका को कैसे वो वॉच दे जो उसने रिधिका के लिए ली है। उसने कुछ सोचा और वॉच लेकर रिधिका के रूम का गेट नॉक किया। इस वक्त अहाना अद्वैत के रूम में थी और रिधिका अपना बैग पैक कर रही थी अब उसका पैर ठीक हो गया था और कल उसे अपने हॉस्टल वापस जाना था। उसके हाथ में छाले थे जिसकी वजह से उसे बैग पैकिंग करने में दिक्कत हो रही थी।


गेट नॉक की आवाज़ सुन उसे लगा अहाना है और उस ने गेट बिना देखे खोला और अंदर आते हुए बोली अच्छा हुआ अनू तुम आ गई देखो ना ये हाथ के वजह से मैं ये बाग पैकिंग नहीं कर पा रही प्लीज़ हमारी हेल्प करो इसे बंद करने में... बोलते हुए जैसे ही वो मुड़ी सामने क्रियांश को देख घबरा गई। क्रियांश अभी हल्की मुस्कान लिए बस उसे ही देख रहा था। क्रियांश ने बिना कुछ कहे बैग पैक करने के लिए आगे बढ़ने लगा जिसे देख रिधिका उसे रोकते हुए बोली.. अरे नहीं आप रहने दीजिए हम कर लेंगे। इस पर क्रियांश ने कहा... आपके हाथ में छाले हैं अगर गलती से हाथ कहीं लग गया तो आपके छाले फूट सकते हैं और फिर दर्द होगा आपको मैं कर देता हूं।


अब भी रिधिका क्रियांश को रोकते हुए बोली .. नहीं हम बिल्कुल ठीक हैं हम कर लेंगे।


असल में रिधिका अब क्रियांश से कोई हेल्प नहीं लेना चाहती थी क्रियांश की नजदीकियां उसकी दिल धड़कनें बढ़ा देने के लिए काफ़ी थी और अब वो इस एहसास को अपने सपने की रुकावट नहीं बनने देना चाहती थी। वहीं क्रियांश को लगा कि शायद रिधिका अनकंफर्टेबल फील कर रही है इसीलिए उसने सोचा वो उसे वॉच देके जल्दी से यहां से चला जायेगा।


क्रियांश ने अपना हाथ बढ़ाया और रिधिका की तरफ वॉच को करते हुए कहा... उम्म रिधिका इसे भी रख लीजिए ये आपके लिए गिफ्ट है।


रिधिका ने कन्फ्यूज नज़रों से एक बार वॉच बॉक्स को देखा फिर क्रियांश को सवाल भरी नज़रो से देखा जिसे देख क्रियांश ने जल्दी से कहा.. वो आप जब से यहां आई हैं हमारी इतनी हेल्प की है आपने और आज भी हमें हमारे परिवार के सामने शर्मिंदा होने से बचाया तो बस इसीलिए एक छोटा सा गिफ्ट है।


रिधिका ने क्रियांश को देखा और कहा... माफ कीजिए क्रियांश जी लेकिन ये वॉच बहुत महंगी है और हम इतनी महंगी वॉच अफोर्ड नहीं कर सकते बेहतर होगा आप इसे किसी और को दे दे


लेकिन ये मैं आपके लिए लाया था और ये गिफ्ट है... क्रियांश ने फिर कहा


क्रियांश जी हम इतना महंगा गिफ्ट एक्सेप्ट नहीं कर सकते... रिधिका ने कहा


लेकिन क्यों ? ये इतना भी महंगा नहीं है जितना आप सोच रही हैं


क्रियांश जी आप समझ क्यों नहीं रहे हम नहीं ले सकते ये वॉच क्योंकि... इतना बोलते हुए रिधिका रुक गई



आख़िर क्या वजह थी रिधिका के क्रियांश का लाया हुआ फर्स्ट गिफ्ट रिजेक्ट करने की। वो क्यों एक्सेप्ट नहीं कर रही थी उस वॉच को... जानने के लिए पढ़िए नेक्स्ट चैप्टर ऑफ माई फर्स्ट नॉवेल.... तू जाने ना....