तू जाने ना... - 3 Priyanca N द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तू जाने ना... - 3

3. ये फीलिंग नहीं चाहिए


ये पहली बार था जब क्रियांश ने अहाना पर गुस्सा किया। अपनी बहन को जान से भी ज़्यादा प्यार करने वाला क्रियांश आज अपनी बहन को डांट रहा है।

अहाना ध्यान कहां है तुम्हारा और तुम ऐसे दौड़ क्यों रही थी ? तुम्हें इस बात का ख़्याल रखना चाहिए था की तुम घर में नहीं हो। रिधिका के साथ अगर तुम भी गिर जाती या रिधिका को ज़्यादा चोट आ जाती तो ? क्रियांश ने अहाना को डांटते हुए कहा

आई एम सॉरी भईया मुझसे गलती से हुआ... आई एम सॉरी रिधु... अहाना ने आंखें नम करते हुए कहा

अनु...! हम ठीक हैं। हम जानते हैं तुमसे गलती से हुआ तुम उदास ना हो... रिधिका ने अहाना से कहा

चलिए हम आपको मेडिकल रूम ले जाते हैं... अद्वैत ने कहते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाया

जी थैंक्यू... हम कर लेंगे... रिधिका ने अहाना की मदद से उठते हुए कहा। रिधिका जैसे तैसे उठी और उसने मेडिकल रूम जाने के लिए एक कदम बढ़ाया ही था कि उसका मोच वाला पांव वज़न बर्दाश्त नहीं कर पाया और रिधिका फिर से गिरने लगी तभी क्रियांश ने उसका हाथ पकड़ा और अपनी तरफ़ खींच लिया।

आप ठीक हैं ?... क्रियांश

हम्म्म... रिधिका ने हां में सर हिलाया

चलिए मैं आपको ले चलता हूं... क्रियांश ने रिधिका का हाथ थामे हुए कहा।

दोनों अद्वैत और अहाना के साथ मेडिकल रूम जाने लगे। मेडिकल रूम सेमिनार हॉल से थोड़ी दूर था और चलने की वजह से और पांव पर ज़ोर देने के वजह से रिधिका के पांव में अब स्वैलिंग (सूजन) आने लगी थी और दर्द भी बढ़ने लगा था। अभी ये सब सेमिनार हॉल से बाहर निकले ही थे कि रिधिका फिर से लड़खड़ा गई। क्रियांश ने अब उसे अपना गोद में उठा लिया।

क्रियांश के यूं अचानक खुद को गोद में उठाने पर रिधिका कुछ समझ ही नहीं पाई वो घबरा गई और डरी हुई आवाज़ में बोली... ये... ये... आप क्या कर रहें हैं ?

क्रियांश ने कहा... घबराईए मत मैं बस आपकी मदद कर रहा हूं।

रिधिका अब कुछ कहती उससे पहले ही अहाना ने कहा... यार रिधु तू डर मत भईया ने ठीक ही किया तेरे पांव में मोच है और ज़्यादा चलने से पांव में स्वेलिंग बढ़ जाएगी। तू कुछ मत सोच।

रिधिका चुप रही उसकी आंखें अब क्रियांश के चेहरे पर थी... जो बिना किसी एक्सप्रेशन के बस चुप चाप मेडिकल रूम की ओर बढ़ रहा था। रिधिका पहली बार किसी लड़के के इतना क़रीब थी। उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था। उसके चेहरे के भाव बार बार बदल रहे थे। कुछ तो था जो रिधिका की समझ से परे था।

चारों मेडिकल रूम में पहुंच गए और क्रियांश ने रिधिका को बेड पर लिटाया। एक स्टाफ ने आकर रिधिका के पैर की जांच की और एक ट्रे में कुछ पैन रिलीफ ऑइंटमेंट और गरम पट्टी लेके आई। वो स्टाफ अभी कुछ दिन पहले ही अप्वाइंट हुई थी और उसे इतना एक्सपीरियंस नहीं था जैसे ही उस स्टाफ ने रिधिका के पैर को छुआ वो दर्द से कराह उठी।

रिधिका को इतने दर्द में देख अहाना ने स्टाफ से कहा... तुम्हें नहीं आता तो किसी और को बुला लो। वो पहले ही इतने दर्द में है उसका दर्द और मत बढ़ाओ।

अहाना को गुस्से में देख स्टाफ ने कहा... मैं अभी डॉक्टर और सीनियर स्टाफ को बुलाती हूं। और वहां से चली गई। अब दर्द से रिधिका के आंखों में आंसू आने लगे थे। अहाना ने बड़बड़ाते हुए कहा... पता नहीं कैसा स्टाफ है दर्द कम करने की जगह बढ़ा दिया इससे तो अच्छा मैं ही ऑइंटमेंट लगा देती। कहते हुए उसने ऑइंटमेंट उठाया और रिधिका की तरफ़ बढ़ने लगी। तभी अद्वैत के फोन पर सुनंदा जी का कॉल आया और वो रूम से बाहर चला गया। अहाना ने कह तो दिया की वो रिधिका को दवाई लगा देगी लेकिन अपनी वजह से रिधिका को इतने दर्द में देख वो रुआंसी होने लगी। उसने दवाई लगाने के लिए जैसे ही हाथ बढ़ाया तो उसके हाथ कांपने लगे।

क्रियांश ने अहाना की हालत देखी और उससे कहा... ये मैं कर देता हूं तुम रिधिका के लिए पानी ले आओ। अहाना ने हां में सर हिलाया और रिधिका के कुछ बोलने से पहले ही वहां से चली गई। रिधिका को थोड़ा अजीब लगा उसे थोड़ी घबराहट होने लगी।

क्रियांश ने उसके पांव पर दवा लगाने के लिए जैसे ही हाथ बढ़ाया वो घबरा गई और बोली... आप रहने दीजिए.. अभी स्टाफ आ जायेगा वो कर देगा.. आप परेशान मत होइए...

क्रियांश अपना चेहरा नीचे किए हुए थे उसने अपनी नज़रें नीचे रखते हुए ही कहा... आपको दर्द हो रहा है, दवाई नहीं लगाई तो दर्द और स्वैलिंग बढ़ जाएगी। चिंता मत करिए मैं लगा दूंगा।

इतना कह कर उसने रिधिका के पांव पर अपना हाथ रखा। उसके हाथ का स्पर्श पाते ही रिधिका को एक राहत मिली। जहां अभी दर्द से उसकी आंखों में आसूं थे और पांव का दर्द उसके चेहरे पर साफ़ साफ़ दिख रहा था वहीं अब उसके चेहरे पर क्रियांश के स्पर्श से एक राहत मिल रही थी। इतना कोमल मुलायम और फिक्र से भरा स्पर्श।

एक पल के लिए अपने पांव के दर्द को भूल कर रिधिका क्रियांश के मासूम चेहरे को देखने लगी। जो निगाहें नीचे किए आहिस्ता से उसके पांव पर मूव लगा रहा था। रिधिका को लगा जैसे वो सिर्फ मूव नहीं लगा रहा बल्कि उसके दर्द को अपनी उंगलियों से लेने की कोशिश कर रहा है। रिधिका ने एक अजीब सा आराम महसूस किया।

क्रियांश ने बैंडेज ली और धीरे से बांधते हुए बोला.. बस अब थोड़ी देर में दर्द कम हो जायेगा।

रिधिका ने एक गहरी सांस लेकर अपनी आंखें मूंद लीं। तभी उसके दिल ने धीरे से कहा... इस अजनबी के बारे में ज़्यादा मत सोचो। खुद को रोको रिधिका... क्यों बेकार का दर्द मोल लेना चाहती हो... ये रास्ता तुम्हारे लिए नहीं है। अपने सपने पर फोकस करो। और जैसे रिधिका ने खुद को ही समझाते हुए कहा... हमें याद है हमारी मां सा का सपना और हमें ये फीलिंग नहीं चाहिए... क्रियांश बैंडेज बांध कर साइड खड़ा हो गया था। तभी अद्वैत और अहाना अंदर आए।

अहाना ने रिधिका को पानी दिया और पीछे मुड़ कर अद्वैत से कहा... भईया आप जल्दी से कार लेके आइए मैं रिधिका का बैग लेकर आती हूं।

रिधिका ने कंफ्यूज होते हुए पूछा... तुम क्या करने वाली हो ??

अहाना... मैं नहीं, हम... हम अभी डॉक्टर के पास जायेंगे और मुझे कोई एक्सक्यूज नहीं सुनना। मेरी वजह से तुम्हें चोट लगी है और मैं तुम्हें डॉक्टर के पास लेके जाऊंगी।

रिधिका... नहीं अनू... हम ठीक हैं तुम हमें बस हॉस्टल तक छोड़ दो

अहाना... तुम ठीक नहीं हो तुम्हें चोट आई है वो भी मेरी वजह से... मुझे नहीं पता तुम डॉक्टर के पास चल रही हो बस

रिधिका... यार प्लीज़ अभी हमारे पास हमारा पर्स नहीं है और अभी एकदम से हम डॉक्टर के पास नहीं जा सकते प्लीज़ ट्राई टू अंडरस्टैंड

ये सुनते ही अहाना ने उसे डांटा... हमें पता है तुम्हारा मैथ्स अच्छा है अभी हम दे देंगे तुम मुझे बाद में दे देना।

अहाना रिधिका को बहुत अच्छे से जानती है वो कभी किसी से पैसों की मदद नहीं लेती। उसके लिए उसकी सेल्फ रिस्पेक्ट बहुत ज़्यादा है। अहाना के पैसे वापस देने की बात सुन कर रिधिका डॉक्टर के पास जाने के लिए मान गई। अद्वैत भी कार ले आया था की तभी अहाना ने क्रियांश से कहा... भईया क्या आप एक बार फिर से रिधिका को उठा लेंगे ? प्लीज़ ...

रिधिका ने कहा... नहीं नहीं हम अब ठीक हैं और चल भी सकते हैं। हम चल लेंगे... अहाना का हाथ थामे रिधिका धीरे धीरे कार की तरफ़ बढ़ने लगी। क्रियांश उन दोनों के पीछे चल रहा था तभी रिधिका के दिल ने फिर से कहा... क्या ये हमारे पीछे इसीलिए चल रहें हैं कि कहीं अगर हम फिर से लड़खड़ाए तो ये हमें थाम लेंगे... हमें संभाल लेंगे..। एक बार फिर रिधिका ने अपने दिल की आवाज़ को इग्नोर किया।

तीनों अब कार तक पहुंच गए क्रियांश ने कार कि पिछली सीट का गेट खोला और रिधिका वहां बैठ गई अहाना उसके साथ पीछे ही बैठी थी और क्रियांश आगे बैठा था।

कार में बैठते ही रिधिका ने कहा... थैंक्यू अद्वैत भ...

उसके बोलने से पहले ही अद्वैत ने कहा... मैं सिर्फ अहाना का भाई हूं और मैं घर से बाहर किसी को बहन नहीं बनाता। उसने ये बात जिस अंदाज़ में कही उससे क्रियांश और अहाना के साथ रिधिका भी हस पड़ी।

रिधिका ने कहा... हमारा वैसे भी कोई भाई नहीं है और ना हमें किसी को भाई बनाना।

अद्वैत... हमें ? हमें किसे राधिका जी ? आपको छोड़ कर हम तीनों तो पहले से ही भाई बहन हैं। क्या आप खुद को एक से ज़्यादा में काउंट करती हैं ?

रिधिका ने हंसते हुए कहा... राधिका नहीं... रिधिका... हमारा नाम ... रिधिका राजपूत है

अद्वैत ने हंसते हुए कहा... फिर से हम ? हम सबका नाम रिधिका कैसे हो सकता है ?

रिधिका ने मुस्कुराते हुए कहा... आप चाहे कुछ भी बोलें हम ऐसे ही बोलते हैं राजपूत हैं ना हमारी शान होता है खुद को हम कहना

अद्वैत ने मज़ाकिया लहज़े में कहा... भई मुझे तो आज पता चला खुद को मैं कहने वालो की तो कोई शान ही नहीं है। अब से मैं भी खुद को हम बोलूंगा... हम अद्वैत मेहरा हैं।

रिधिका ने मुस्कुराते हुए कहा.. आपसे मिलके अच्छा लगा अद्वैत जी।

क्रियांश ने देखा कि अद्वैत रिधिका को कुछ ज़्यादा ही परेशान कर रहा है तो उसने अद्वैत को आंखे दिखाई इस पर अद्वैत ने क्रियांश से कहा... अरे अरे बड़े भइया अब तो कुछ मुंह से भी बोल लीजिए अब तो आपका मौन व्रत नहीं है ना

मौन व्रत ?? आप मौन व्रत भी रखते हैं ? रिधिका ने हैरान होते हुए पूछा

अहाना ने कहा... हां कभी कभी रखते हैं और जब दिल करे तो तोड़ भी देते हैं, हैं ना आदी भईया ... अहाना की बात से अद्वैत और अहाना दोनों हस पडे।

रिधिका कार के शीशे से क्रियांश को देख रही थी और सोच रही थी ये दोनों अहाना के भाई हैं और दोनों ही एक दूसरे से कितना अलग हैं। एक इतना बातूनी और दूसरा गहरे सागर के जैसा शांत... कितना फ़र्क है इन दोनों में। तभी क्रियांश ने रिधिका से पूछा... आपको अब दर्द तो नहीं ? रिधिका ने मन में सोचा इनकी आवाज़ भी ठीक इनकी आंखों के जैसी ही है गहरी.... शांत... और रिधिका ने ना में सर हिला दिया।

सब लोग डॉक्टर के पास पहुंचे रिधिका के पांव को चैक करने के बाद डॉक्टर ने उसे कुछ दवाइयां दी और 2-3 दिन का बेड रेस्ट करने के लिए बोला। इतना सुनते ही अहाना ने कहा... चिंता मत करिए डॉक्टर इनका रेस्ट तो हम करवाते हैं दोस्त आख़िर होते किसलिए हैं।

बाहर निकल कर अहाना रिधिका से बोली.. तुम अब हॉस्टल नहीं जाओगी तुम 2 दिन हमारे घर रहोगी ।

रिधिका ने परेशान होते हुए कहा... हम तुम्हारे घर कैसे जा सकते हैं और हॉस्टल में क्या बोलेंगे ?

अहाना... वो सब मैं देख लूंगी तुम हमारे साथ घर चल रही हो एंड इट्स फाइनल। उसका यही तरीका था आख़िर जज की बेटी थी फैसला सुनाना अच्छे से आता था। क्रियांश और अद्वैत एक दूसरे को देख मुस्कुराए रिधिका भी समझ गई कि अब अहाना किसी की नहीं सुनेगी।

रिधिका ने अद्वैत से कहा... अद्वैत जी आप कार कॉलेज हॉस्टल की तरफ़ ले लीजिए हम कुछ किताबें और कुछ सामान ले लेंगे।

कुछ देर बाद उनकी कार हॉस्टल के सामने आके रुकी। अहाना अद्वैत के साथ रिधिका की किताबें और समान लेने चली गई। अब कार में सिर्फ़ क्रियांश और रिधिका थे। क्रियांश ने रियर व्यू मिरर से देखा रिधिका बस उसे ही देख रही थी क्रियांश से नज़रे मिलते ही उसने अपनी नजरें झुका ली। क्रियांश ने भी कार से बाहर देखते हुए लापरवाह दिखने की कोशिश कि।

कुछ देर बाद क्रियांश ने दोनों के बीच कि खामोशी को तोड़ते हुए फिर से पूछा... अब दर्द कुछ कम हुआ ??

उम्म्म.. ठीक है अभी...

मेडिसिन के इफेक्ट्स से स्वैलिंग काम होगी तो दर्द भी कम हो जायेगा। क्रियांश ने तसल्ली देते हुए कहा और फिर एक बार दोनों ख़ामोश हो गए। दोनों को समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर वो एक दूसरे से बात क्यों नहीं कर पा रहे थे।

इस बार फिर से क्रियांश ने पूछा... अ आप शुरू से ही इतना अच्छा गाती हैं ?

उम्म मां सा के साथ आरती के वक्त गाते थे फिर स्कूल एनुअल फंक्शन में एक दो बार गाया फिर कॉलेज में आकर सब छूट गया था। उसके बाद इतने सालों बाद आज गाया और अब फिर से छूट जाएगा क्योंकि पढ़ाई का प्रेशर है।

दोनों के बीच बातें जैसे बार बार खत्म हो रही थी। दोनों के बीच कि ख़ामोशी किसी चुंबक की तरह दोनों को एक दूसरे कि तरफ खींच रही थी। तभी रिधिका ने अपनी पॉजिशन चेंज करने की कोशिश की और इसी कोशिश में उसके चोट लगे पांव की उंगलियां आगे वाली सीट से टकराई और एक दर्द भरी आह रिधिका के मुंह से निकली।

क्रियांश ने पीछे मुड़कर देखा रिधिका नीचे झुकने की कोशिश करते हुए अपने पांव की उंगलियों को सहलाना चाहती थी इससे पहले कि रिद्धिका झुकती क्रियांश ने झट से रिधिका के पांव को थाम लिया और कहा... अरे अरे संभल कर और रिधिका की उंगलियों को सहलाना शुरू किया।

उसकी आवाज़ में रिधिका को एक फिक्र महसूस हुई। क्रियांश के इस तरह छूने से रिधिका सिहर उठी। उसके होंठ कुछ कहना चाहते थे लेकिन क्रियांश की नज़रों से नजरें मिलते ही उसे क्या कहना था वो भूल गई। दोनों एक दूसरे की आंखों में खोए थे।

तभी कार का गेट खोलते हुए अहाना और अद्वैत आए और क्रियांश और रिधिका बुरी तरह चौंक गए।

क्रियांश ने सीधा होते हुए बोला.. उम्म बहुत जल्दी आ गए तुम दोनों।

अद्वैत ने कहा... जल्दी कहां भाई पूरे 20 मिनट में आए हैं हम क्यों अहाना।

हां भईया अब रिधिका मैडम कि लाइब्रेरी से किताबें निकालना आसान थोड़े ही है... अहाना ने कहा।

लाइब्रेरी ?? रिधिका ने हैरानी से पूछा

हां अब तुम्हारा कमरा किसी छोटी मोटी लाइब्रेरी से कम थोड़े ही है... अहाना ने चिढ़ाते हुए कहा।

रिधिका भी मुस्कुरा दी और सब सिंघानिया मेंशन की ओर चल दिए। रास्ते में क्रियांश उस अधूरी बात के बारे में सोच रहा था जो रिधिका के लफ्ज़ों तक आते आते रुक गई थी। थोड़ी ही देर में कार सिंघानिया मेंशन के सामने आके रुकी। चारों जैसे ही घर के अंदर जाने लगे और घर के अंदर जाने से पहले ही किसी ने उन्हें रोक लिया।