में और मेरे अहसास - 87 Darshita Babubhai Shah द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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में और मेरे अहसास - 87

मैं और मेरे कृष्णा 

कृष्ण की दिवानी बांसुरी आज दिवाना बना रहीं हैं l

कृष्णा की आश में वन उपवन सुरों से सजा रहीं हैं ll

 

कुछ ज़ख्म सयाने हो गये हैं कि दर्द भी नहीं देते l

सोए हुए बैचेन और बैखोफ अरमान फ़िर जगा रहीं हैं ll

 

बेपन्हा बेइंतिहा प्यार में पागल और दिवानी होकर l

प्रिये को रिझाने वो होठों से लग के दिल लगा रहीं हैं ll

 

अनगिनत छेद ही छेद अंदर और बाहर होते हुए l

फासला कम करने खुद को खुद के भीतर समा रहीं हैं ll

 

फ़िज़ाओं में मदमस्त बहलाने वाली सुरावली छेड़ कर l

सखी को मुहब्बत की राग और रागिनी सुना रहीं हैं ll

३१-८-२०२३ 

 

 

अनुशासन का उल्लंघन करना आम बात हो गई है l

उसका भंग करके दंड भरना आम बात हो गई है ll

 

दुनिया में लोग अपनी मनमानी करके जीने लगे है l

कायदे कानून से नहीं डरना आम बात हो गई है l

 

कहते कुछ और करते कुछ है ये मतलबी जहां वाले l

अपनी ज़बां से खिसके सरना आम बात हो गई है ll

 

खुद तो बिना लगाम के घोड़े बन गये हैं दूसरों का l

अब चैन और सुकून को हरना आम बात हो गई है ll

 

बिना मतलब की दौड़ में शामिल हो गये है और l

जो भी मिल जाये वो चरना आम बात हो गई है ll

१६-९-२०२३ 

 

जिंदगी को यूँ खोना नहीं l

फ़िर बाद में तू रोना नहीं ll

 

अरमान ग़र पूरे करने हो l 

सुबह देर तक सोना नहीं ll

 

समझना हो किसी को तो l

खामोशी को बोना नहीं ll

 

दौनों के दिल में दोनों है l

एक दूजे बिना कोना नहीं ll

 

सखी बड़ा नाम दुनिया में l

मेहनत के बगैर होना नहीं ll

१६-९-२०२३ 

 

कहाँ कह रहे हैं प्यार करो l

नहीं है तो स्वीकार करो ll

 

इश्क़ जिंदा लोग नहीं करते l

सोच समझकर इक़रार करो ll

 

दिल की बस्ती में आग लगी l

तुम भी चुपचाप वार करो ll

 

रूह सिसकियाँ ले रहीं हैं l

रुलाया न बार बार करो ll

 

तकदीर ने मिलाया है तो l

बंधन से ना इनकार करो ll

१७-९-२०२३ 

 

 

पतझड़ में मुरझाए फूल बहारों से खिलते नहीं l

बसंत में बिछड़े नादान दिल फ़िर मिलते नहीं ll

 

यादों के उजाले में गुजार देगे बाकी उम्र को l

एक पल में भूला देगे पर दिल से हिलते नहीं ll

 

दिल में दर्द छुपाके होंठों पे मुस्कान रखते हैं l

जान दे देते हैं अपनी जुबान से फिरते नहीं ll

 

बारहा आँखें भी इंतज़ार करते शुष्क हो गई है l

ताकती रहती रास्ता पर अश्क भी गिरते नहीं ll

 

निगाहों से दिन रात पीते रहते थे हुश्न के जाम l

जिंदगी मय बन गई है इस वजह पिलते नहीं ll

१८-९-२०२३ 

 

 

बैच दो सारी परेशानियों जिंदगी ने करवट बदली हैं l

पीछे छोड़ जायेंगे निशानियाँ जिंदगी ने करवट बदली हैं ll

 

सखी वो इश्क़ ही क्या जो सांसे टूटने तलक साथ न दे l

रह जाएगी बस कहानियाँ जिंदगी ने करवट बदली हैं ll

 

मानो कहना हद से ज्यादा गूजर जाने ने दो मुहब्बत में l

थोड़ा हो जाओ रूमानीयाँ जिंदगी ने करवट बदली हैं ll

 

अजीब सिरा देखा खुद को खुद की नज़रों में सही होना l 

किसे दे रहे हों सफाइयाँ जिंदगी ने करवट बदली हैं ll

 

सिर्फ़ एक बार इज़हार ए इश्क़ कर दो जाने जाना l

रख दो हथेली पे हथेलियाँ जिंदगी ने करवट बदली हैं ll

१९-९-२०२३ 

 

सुकून की वजह बनने की कोशिश करो l

नफरतों के बदले दिलों में प्यार भरो ll

 

जब तक जिओ तब तक महकते रहो l

फूलों की तरह मुरझाने से ना डरो ll

 

जियो और लोगों को शांति से जीने दो l

खुद का और दुसरों का चैन ना हरो ll

 

ना दवा मिलेगी ना ही दुआ मिलेगी l

"मैं" की हवा लेकर जहां में ना फिरो ll 

 

कुछ ना कुछ फर्क़ तो होना ही चाहिए l

ऊँचा मक़ाम पाकर सबसे अलग तरो ll

२०-९-२०२३ 

 

ख्वाहिशों के झूमर से जीस्त आजाद कर दो l

सुनो जिंदगी जीने के रास्ते आसान कर दो ll

 

आज पूरे एतमाम के साथ कहते हैं एतबार है l

बड़ी मुद्दतों के बाद हसी का आगाज कर दो ll

 

उम्रभर बिना रूके सफ़र करते देखा है जिसने l

उसीने बहुत मुहब्बत से कहा आराम कर दो ll

 

बड़ी सिद्दत से महसूस किए हैं एक एक पल l

उलझे उलझे हुए लम्हों को आयाम कर दो ll

 

रोने रुलाने का कारोबार छोड़कर चाहते हैं l

खुशियो से दिल की दुनिया आबाद कर दो ll

२१-९-२०२३ 

 

बेज़ुबानों के भी जज्बात होते हैं l

उनके सीने भी दिल धड़कते हैं ll

 

नज़रंदाज न करना नादां जानके l

हमदर्द मिलते ही वो बहकते है ll

 

फ़ितरत अलग थलग सी होती l

थोड़ा मिलते बहुत छलकते है ll

 

लब्जो के इस्तेमाल करना नहीं l

ख़ामोशियों से ज्यादा बहलते है ll

 

लिहाज़ करते हैं शव्दों का सखी l

तबाह होने के लिये मचलते हैं ll

२२-९-२०२३ 

 

 

 

आखिरी उम्मीद भी छूट गई है l

ख्वाइशों की मटकी फूट गई है ll

 

बेइंतिहा नजदीकीयां थी उनकी l

बेहिसाब दूरी से डोर टूट गई है ll

 

आख़िरी छटा छोड़कर चल दी l

हसीन जिंदगी के रंग लूट गई है ll

 

आदत समझो या ज़रूरीयात हो l 

भरोसे भरे दिलों में खूट गई है ll

 

अब धुंधली सी हुई जाती है नज़रें l

यादों से रोशनी फिर कूट गई है ll

२३-९-२०२३ 

 

साथ अहम है l

याद अहम है ll

 

कहने को बाकी l

बात अहम है ll

 

दिल मिलने की l

रात अहम है ll

 

प्यासी सुराही l

जाम अहम है ll

 

महफ़िलों में l

राग अहम है ll

 

महसूस हुआ l

नाम अहम है ll

 

सभलने के लिए l

शाम अहम है ll

 

ख्वाईहिशों की l

जान अहम है ll

 

बृन्दाबन मे तो l

रास अहम है ll

 

आगाज करो l

तान अहम है ll

 

परिंदों से कहो l

पान अहम है ll

 

बेहोशी को बोल l

भान अहम है ll

 

लिहाज रखना l

दान अहम है ll

 

पिंजरे के भीतर l

हाम अहम है ll

 

खामोश ही रहो l

कान अहम है ll

 

किसीके हो लो l

लाभ अहम है ll

२४-९-२०२३ 

 

दिल की बात लब्जों के साथ कहनी चाहिए l

जबरदस्त असरदार तरीके से रखनी चाहिए ll

 

पेट में न रखना छुपाकर वर्ना बड़ा हो जाएगा l

आँखों से ज्यादा जुबान से करनी चाहिए ll

 

एक दूसरे को समझकर हाथों में हाथ लेकर l

मुलाकात के दौरान हाँ में हामी भरनी चाहिए ll

 

खुद ही लिखनी चाहिए अपनी प्रेम कहानी को l

बहुत देर तक प्यार की दास्ताँ चलनी चाहिए ll

 

जहां में बार बार कहाँ आना जाना होता है तो l

जीवन के साथ साथ जिंदगी पलनी चाहिए ll   

२५-९-२०२३ 

 

सुहानी मुलाकात का बहाना चाहिये l

मनभावन लम्हों को चुराना चाहिये ll

 

जुल्फ खुल के बिखर जाने दो जानेजा l 

और मौसम का लुत्फ उठाना चाहिये ll

 

तेरे साथ कटी थी वैसे ही काटने को l

रसीला नशीला जाम पुराना चाहिये ll

 

जिंदगी की परेशानीओ से वक्त मिले तो l

दिल बहलाने गाना सुनाना चाहिये ll

 

रात की तक़दीर सँवर ने के लिए l

चाँद सा चहरा भी दिखाना चाहिये ll

२६-९-२०२३ 

 

दिल तेरे नाम कर दिया l

जान में नशा भर दिया ll

 

हाथ आगे बढ़ाकर तूने l

होशों हवास हर दिया ll

 

याद ताउम्र के लिए रहोगे l

हाथों में हाथ गर दिया ll

 

अक्लमंद माहिर लोगों ने l

मना किया दिल मगर दिया ll

 

कहीके भी ना रहेगे हम l

मुहब्बत ने असर दिया ll

२७-९-२०२३ 

 

ज़माने भर की खुशियाँ तेरे नाम कर दूँ l

जिस राह से तू गुज़रे सितारों से भर दूँ ll

 

बहतरीन नशीली रसीली मुहब्बत के l

स्वागत में सारे घर को गुलाबों से भर दूँ ll

 

पल दो पल के सुकून से भरे मिलन को l

मनमोहक आह्लादायक नजारों से भर दूँ ll

 

सखी ज़माना भी रश्क करेगा आशिकी का l

आचलो में खुशीयों को निगाहों से भर दूँ ll

 

बेगानगी कहो या दिवानगी कहो आज l

जहां की फ़िज़ाओं को बहारों से भर दूँ ll

२८-९-२०२३ 

 

 

जरा सा पड़ोसन को देख लिया l

घर में बीबी ने उद्धम मचा दिया ll

 

ज़माने से छिपते छिपाते दौनों ने l

आंखों आंखों में इशारा किया ll

 

झटपट छलकती अदाओ को लुटा l

उस लम्हे में ज़िन्दगी को जिया ll

 

बहुत महंगी पड़ी ताकझाँक मगर l

दिल को चैन औ सुकून से सिया ll

 

सुनो फ़िर न देखेंगे उधर कभी भी l 

आज बीबी से झूठा वादा है किया ll

२८-९-२०२३ 

 

कहते हैं दुआओं में याद रखना l

सुबह की शुआओं में याद रखना ll

 

वक्त लगेगा काबिलियत पाने में पर l

जो भी हो सदाओं में याद रखना ll

 

खुद के साथ खुद सफ़र कर रहे हैं l

जीने की अदाओं में याद रखना ll

 

खामोश अह्सास बाकी रह गया l

प्यार की पनाहों में याद रखना ll

 

जिंदा दिखते क्यूंकि दिखाते हैं l

दिल की पुकारों में याद रखना ll

शुआओं-किरणों 

२९-९-२०२३ 

 

उम्मीदों की खिड़की खुली रखना l

फिरदौस का भरम बनाये रखना ll

 

प्यार से दिल के गुलशन को सखी l

सभलकर नाजुकी से सजाये रखना ll

 

लब्ज आँखों से छलकते है देखो आज l

कोशिस करके मन को मनाये रखना ll

 

चाहता हूँ बिन बुलाए आ जाए जल्दी से l

आधी रात महफिल को जमाये रखना ll

 

प्रेम को तरसते रुदय इंतजार करते हैं l

बहाने से ही ख्वाबों में बुलाये रखना ll

३०-९-२०३३