मेरा वचन Rakesh Rakesh द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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मेरा वचन

दस बरस का दीपू जिद पर अड़ जाता है, मुझे अपने दोस्त पिंकू के जैसी साइकिल अभी चाहिए मकान का किराया देने के बाद राजकुमार का बजट इतना नहीं था कि वह अपने बेटे दीपू को नई साइकिल दिलावा सके, इसलिए वह पहले दीपू को प्यार से समझता है, जब दीपू प्यार से नहीं मानता है, तो दीपू के दो थप्पड़ मार कर अपने पड़ोस के दोस्त के घर भारत-पाकिस्तान का क्रिकेट मैच देखने चला जाता है।

इस मैच को देखने के लिए उसे अपनी रविवार की छुट्टी का बहुत दिनों से इंतजार था।

भारत-पाकिस्तान का क्रिकेट मैच देखने में राजकुमार को वह आनंद नहीं आ रहा था, जिसकी उसे उम्मीद थी, क्योंकि घर पर वह अपने बेटे दीपू की पिटाई करके आया था।

इस बेचैनी की वजह से वह अपने बेटे दीपू को प्यार करने वापस अपने घर जाता है, तो दीपू उसे अपने दोस्त पिंकू की साइकिल को पीछे से धक्का मारता हुआ रास्ते में खेलता हुआ मिल जाता है।

राजकुमार अपने मन में सोचता है, इतनी मेहनत से पैसा कमाने से क्या फायदा जब मैं अपने मासूम बच्चे की छोटी सी ख्वाहिश भी पूरी नहीं कर पा रहा हूं, इससे तो अच्छा मैं अपने मां-बाप बड़े भाई के पास अपने गांव में रहकर खेती करूं और खेती के साथ कोई दूसरा व्यापार कर लूं। इसलिए राजकुमार अपनी कंपनी से दो-तीन दिन की छुट्टी लेकर अपनी पत्नी बेटे दीपू को घर पर छोड़कर अकेले अपने गांव जाता है और जब दीपू साथ गांव चलने की जिद करता है, तो दीपू को गांव से नई बच्चों की साइकिल लाने का झूठा वचन देकर अपने गांव चला जाता है।

गांव में बहुत कम खेती की जमीन और कोई दूसरा अच्छा रोजगार ना मिलने की वजह से राजकुमार निराश होकर शहर में अपने बीवी बच्चे के पास आ जाता है।

उसके घर आने पर दीपू अपनी नई साइकिल ना लाने की वजह से ज्यादा इस बात से नाराज होता है, कि उसके पिता ने उससे झूठ बोला कि मैं अपने गांव से उसकी नई बच्चों की साइकिल लाऊंगा।

और समय बीतने के साथ-साथ दीपू उर्फ हिमांशु भी 22 वर्ष का हो जाता है, लेकिन अब तक वह नहीं भूला था कि उसके पिता ने उसे नई साइकिल लाने का झूठा वचन दिया था।

एक शाम दीपू खुशी-खुशी अपने माता-पिता को घर आकर बताता है कि "मैं और मेरा दोस्त मिलकर एक व्यापार शुरू करने जा रहे हैं, मुझे नए व्यापार के लिए बहुत से रूपयो की जरूरत है, इसलिए मैं मोटी ब्याज पर कर्जा लूंगा।"

"मोटी ब्याज पर कर्जा लेने की कोई जरूरत नहीं है, गांव में हमारी थोड़ी सी खेती की जमीन है, मैं उसे बेचकर तुम्हें रुपए लाकर दे दूंगा।" राजकुमार कहता है

सुबह जब राजकुमार अपने गांव जाने की तैयारी करता है, तो राजकुमार की पत्नी यानि कि दीपू की मां दीपू के सामने राजकुमार से पूछती है "पक्का गांव से रुपए लेकर आओगे ना।"

"मैं वचन दे रहा हूं, गांव से पक्का रुपए लेकर आऊंगा।" राजकुमार कहता है

लेकिन अपने पिता राजकुमार का इंतजार किए बिना दीपू अपने नए व्यापार के लिए मोटी ब्याज पर कर्जा ले लेता है।

और जब राजकुमार गांव से रुपए लेकर आता है, तो वह दीपू से बहुत नाराज होता है कि मेरा इंतजार किए बिना मोटी ब्याज पर कर्जा क्यों लिया।

तब दीपू कहता है "मुझे आपके वचन पर विश्वास नहीं था, क्योंकि एक बार अपने बचपन में मुझे नई साइकिल लाने का झूठा वचन दिया था।"

उस समय राजकुमार को समझ आता है कि जो आपके वचन पर पूरा विश्वास करके अपने जीवन में नए-नए सपने बुन लेते हैं, उसके सपने और विश्वास टूटने के बाद उसके दिल पर क्या गुजरती होगी और आप कितने भी अच्छे सच्चे इंसान क्यों ना हो लेकिन उसकी नजरों में झूठे धोखेबाज ही रहोगे और अपने को भी कभी झूठ वचन नहीं देना चाहिए जैसे मैं अपने दिल में नशा छोड़ने का वचन देता हूं। अपना ही वचन तोड़ने पर आप अपने को संपूर्ण मनुष्य नहीं सोचोगे, और दूसरे मनुष्यों के आगे घटिया और छोटा महसूस करोगे।"