जेल की सलाखें Rakesh Rakesh द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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जेल की सलाखें

अपने गांव से हजार किलोमीटर दूर भगाने के बाद भी मोहर सिंह के दिल से पुलिस का डर खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था, उस दिन रात बस एक ही ख्याल आता रहता था कि पुलिस ने उसे गिरफ्तार करके जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है।

मोहर सिंह शरीर से जितना हष्ट-पुष्ट मजबूत था दिल से उतना ही कमजोर सांप चूहा छिपकली अगर उसके शरीर के किसी भी अंग के आसपास गुजर जाते थे, तो उनके डर से उसकी हालत खराब हो जाती थी।

इसलिए पूरा गांव समझ नहीं पा रहा था कि मोहर सिंह किसी की जान कैसे ले सकता है और जो युवक रात होने के बाद घर से बाहर नहीं निकलता था आज वह मोहर सिंह अकेला घर छोड़कर गांव-गांव शहर शहर में भटक रहा है, उसमें इतनी हिम्मत कैसे और कहां से आई।

जब मोहर सिंह का डर की पुलिस उसे गिरफ्तार करके जेल की सलाखों के पीछे डालकर फांसी पर लटका देगी हद से ज्यादा बढ़ने लगता है, तो मोहर सिंह पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने खुद अपने गांव आ जाता है।

और जब पुलिस वाले उसे गिरफ्तार करके गांव से ले जाने लगते हैं, तो गांव की प्रेमा नाम की लड़की पुलिस वालों का रास्ता रोककर खड़ी हो जाती है और तमसबिन पूरे गांव के सामने चिल्ला चिल्ला कर रो-रो कर कहती है "अब मैं अपने मां-बाप के कहने से चुप नहीं रहूंगी मोहर सिंह ने मेरी इज्जत बचाने के लिए उस वहशी दरिंदे आसपास के पांच गांव के गुंडे अमर सिंह का कत्ल किया था, अगर उस रात मोहर सिंह वहां नहीं पहुंचता तो मेरा परिवार और पूरा गांव मेरी इज्जत लूटने का तमाशा देखने के अलावा कुछ नहीं कर सकता था, हजारों की संख्या वाला गांव उस गुंडे की गुंडागर्दी पर पहले ही अंकुश लगा देता तो आज मोहर सिंह जैसे शरीफ सच्चे युवक को जेल की सलाखों के पीछे नहीं जाना पड़ता और दूर तक कोई गुंडागर्दी करने की हिम्मत नहीं करता और अगर पुलिस कानून गुंडो के दिलों में जेल की सलाखों का डर दहशत बिठा दे तो किसी की भी हिम्मत नहीं होगी गुंडागर्दी करने की।"

प्रेमा की इस बात से पुलिस वाले गांव वाले सब सहमत हो जाते हैं फिर सब प्रेमा की बात पर चर्चा करके अपने- अपने कामों व्यस्त हो जाते हैं।

मोहर सिंह उमर कैद की सजा काटकर जिस दिन अपने गांव वापस आता है, तो पूरा गांव उसके स्वागत में बहुत बड़ी दावत रखता है और दावत के बाद गांव के प्रमुख पंच परमेश्वर पूरे गांव के सामने ऐलान करते हैं कि "गांव के लोग मिलकर मोहर सिंह के लिए एक बड़ा आलीशान मकान बनवाएंगे और जब तक मोहर सिंह जीवित रहेगा तब तक पूरा गांव उसका खर्च उठाएगा।"

मोहर सिंह अपनी विधवा मां से कहता है "मैंने गांव की मुंह बोली बहन प्रेमा की इज्जत बचाने के लिए एक नामी गुंडे अमर सिंह की हत्या की थी, इसलिए पूरा गांव मुझे इतना अधिक सम्मान दे रहा है।"

"यह तुझे अपने लालच के लिए सम्मान दे रहे हैं, क्योंकि अमर सिंह के बाद एक नया खूंखार गुंडा पैदा हो गया है उस गुंडे को न जनता की शक्ति का डर ना उसे जेल की सलाखों का डर उसे डर है तो तेरे से क्योंकि अमर सिंह गुंडे की हत्या करके तू उससे बड़ा गुंडा बन गया है।" मोहर सिंह की मां कहती है