कैदी - 5 Singh Pams द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • नज़रिया

    “माँ किधर जा रही हो” 38 साल के युवा ने अपनी 60 वर्षीय वृद्ध...

  • मनस्वी - भाग 1

    पुरोवाक्'मनस्वी' एक शोकगाथा है एक करुण उपन्यासिका (E...

  • गोमती, तुम बहती रहना - 6

                     ज़िंदगी क्या है ? पानी का बुलबुला ?लेखक द्वा...

  • खुशी का सिर्फ अहसास

    1. लालची कुत्ताएक गाँव में एक कुत्ता था । वह बहुत लालची था ।...

  • सनातन - 1

    (1)हम लोग एक व्हाट्सएप समूह के मार्फत आभासी मित्र थे। वह लगभ...

श्रेणी
शेयर करे

कैदी - 5

0 चंदन ने कहा अगर मेरे साथ किसी ने भी चालबाजी करने की कोशिश की तो मैं सबको जान से मार दूंगा और साथ में तेरे भाई को भी तो सानवी ने कहा क्या राजेश को भी तो चंदन सानव के पीपा से दूर छिटक कर खडा़ तो सानवी ने कहा क्या हुआ प्यार का भूत उतर गया तो चंदन ने कहा हा तुम अपने भाई की बात मान ले लेकिन तु ऐसा कर राजेश की होने से पहले तुम एक रात के लिए मेरी बन जा तो सानवी ने हैरानी से कहा क्या तुम तु पागल तो नही हो गया है तो चंदन ने कहा अगर मैं तेरे साथ एक रात गुजार ली तो राजेश तुम्ह जज्यादा दिन अपने पास नही रख पायेगा लेकिन तेरी सुंदरता पर मिटा तो हो सकता है दो साल रख भी लेकिन उसक बाद तुतुम्हे मैं खरीद कर अपनी बना ही लूंगा और राजेश को सिर्फ कुआरी लडकी पंसद आती है तो तु उसे मिलेगी तो जररू लेकिन मेरे साथ एक रात बिताने के बाद क्योंकि की मैली लडकी से उसे सख्त नफरत है तो सानव हैहैरानी से चंद्र को देखने लगी और सोचने लगी की हर पुरूष खुद पता नहीं कहां कहां मुंह काला करते फिरते हैं लेकिन लडकी इन्हे कुआरी ही चाहिए होती है और ये लडके फिर खुद को पाक साफ क्यों कहते रहते हैं लेकिन सानवी चंदन से कुछ जरूरी बाते करना चाहती थी की अगर मेरे कोई बच्च हो गया तो तो चंदन ने ने कहा नही तुम राजेश से बच्चा मत होने देना क्योंकि मैं किसी का पापा अपने मत्थे नही मढ़ना चाहता तो सानव येये सुन कर सोचने की मैं ही मुर्ख हूं कि चंदन की वासना को प्यार समझने की भूल बैठी और फिर सानवी ने चंदन को एक जोरदार थप्पड़ लगा दिया नीच कमीने तुम लोगों को औतर एक खिलोना लगती है बस रात भर अपनी हवस पूरी की और दूसरे दिन तुम्हे दूसरी औरत चाहिए होती और सानव ने चंचंद के मुंह पर थूक दिया लेकिन अब और चंदन से सारे रिश्तसा तोडकर आ गयी थी नवी अकेली रह गयी थी अपने दरिन्दे परिवार का सामनन करने के लिए क्योंकि सानवी के परिवार में ही तो देरिंदे भरे हुए थे मां पिता भाई और सगा मामा सभी तो सगे थे लेकिन सभी के सीने में दिल नाम की कोई चीज नहीं थी क्योंकि माता-पिता चाहे भाई कितने भी खराब क्यों न हो लेकिन वे अपने घर की लडकियों की इज्जत का सौदा कोई नहीं करता लेकिन अब सानवी को अपने परिवार के चक्रव्यूह को तोडना था लेकिन सानवी के परिवार वालों ने सानवी को राजेश के साथ जबरदस्ती भेज दिया और सानवी चुपचाप राजेश के साथ उसके गांव भरतपुर चली गई दूर से सानवी की सुंदरता को देख कर आदमी यां औरत एक बार वही खडे़ का खड़ा रह जाता लेकिन आज सानवी सुख कर कांटा बनी हुई थी क्योंकि सानव काका केवल शरीर ही नही सानवी का बजूद भी छलनी हो गया था क्योंकि राजेश के घर पिछले दस सालों बीते वो दस अमानुषिक यातनाओं से भरे हुए
क्रमशः ✍️