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कैदी - 2

और सारे कैदी बाहर निकलने लगे सानवी और सीमा बाहर आ गयी थी आज जिस अपराध की दोषी सानव जेल में सजा काट रही थी उस अपराध की नींव बर्षों पहले रख दी गई थी उसके बंदींगरह का सफर तो उसी दिन शूरू हो गया था जब ओडिसा में सब परिवार के साथ शिवपूरी में आई थी
और शिवपूरी मध्य प्रदेश का एक शहर है यह एक हिल स्टेशन है यहां का सौदर्य अनुपम है यही एक छोटे से गांव में सानव सूस परिवार के साथ आई थी
और ओडिसा के एक छोटे से गांव मलकुपूर से एक गरीब परिवार से थी सानवी और सानवी अपने मामा मामी का परिवार यहा रहने के लिए आया था तो सानवी के मामा ने सानवी के पिता जी को यही मलकूपूर में बूला लिया था और चार भाई बहनों में राज सबसे बड़ा और विवाहित था और छोटा भाई बहुत ज्यादा चलाक किस्म का लडका था और अभी वो अविवाहित और उन दोनों से छोटी सानवी और चांदनी और सानवी इस सभ भाई बहनों से छोटी थी चुलबुली भी कुछ ज्याद ही थी और शूरू शूरू में दोनों बहनो को यहां पर आ कर रहना अच्छ ननह ललगा था लेकिन माम के घर की स्थिति बहुत ज्याद अच्छी थी सानव के माता-पिता गरीब थे इसलिए दोनों बहनों मामा के घर की स्थिति अच्छी होने के कारण सानवी और चांदनी के मन में एक आशा की लौ सी जाग उठी और उन दोनों बहनों ये मालूम नही था कि यही आशा की किरण उनके सपनों को जला कर भस्म कर देगी और
गांव से आने के बाद चांदनी के विवाह की झूठी खबर इसके मामा और पि ने फैला दी और चांदनी की मां का विरोध चांदी के सिक्कों की खनक के नीचे दब कर रह गई और चांदनी तो ये खबर सुन कर सुनहरे सपने देखने लगी थी और दोनों बहने सचाई तो पता ही नहीं थी और जब दोनों को सचाई पता चली तब तक बहुत देर हो चुकी थी पथा के नाम पर स्त्रीयों के साथ अत्याचारों की लबी सुची तैयार की जा सकती है और इस गांव में एक बिशेैली प्रथा ने अपनी जडे़ मजबूत कर ली थी और स्थानिय भाषा में इस प्रथा का नाम था (अदला-बदली) मतलब की एक पूरूष एक औरत यां लडकी को एक यां ज्याद ससमय के लिए अपने पास रख सकता है फिर उस औरत यां लडकी को कोई दूसरा आदमी अपने घर में ले जा सकता है और जितने साल के लिए लडकी यां औरत को रखन होता है
उतने साल के लिए सौदा तय पहले ही कर लिया जाता है और इस के लिए लडकी के माता-पिता पहले ही कागजी कार्रवाई करके रखते हैं ताकी लडकी यां औरत को लेकर जाने वाले को गडबडी ना कर सके और इस के लिए एक खास किस्म का स्टप
पेपर पर हस्ताक्षर करवा लिया जाते हैं और एक ये सब होने के बाद फिर कोई दूसरा ग्राहक भी ले सके और येही प्रथा इस गांव की जिससे सानवी और चांदनी दोनों अनजान है
क्रमश ✍️

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