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कैदी - 3

और इस गांव की लडकीयां और औरते को जो लोग एस यां दो साल के लिए खरीद कर ले जाते जब उन लडकीयां यां औरतों को जब कोई बच्च होहोता को उस बच्च को कोई गांव का मर्दो उस बच्चे को अपनाने को तैयार नही होते क्योंकि उनका मानना है कि ये बच्चा किसका हमें कैसे पता होगा
लडकी को कोई दूसरा मर्द खरीदने के लिए आता तो लडकी को अपने नवजात शिशु को अपने माता-पिता के साथ छोड़ कर जाना पड़ता और और कोई एक आध मर्द जो दरियादिली का होता तो वो अगर लडका हैं तो ही अपनाने के लिए तैयार होता अगर लडकी किसी के घर में गलती से कन्या ने जन्म ले ही लिया तो उसे मार दिया जाया और यां पहल से ही जजब औरत पेट से होती तो ये आदमी लोग पहले किसी डाक्टर के पास पता लगा लेते की इस के पेट में लडकी की हैं यां लडका या लडकी हैं तो बच्चा जन्म लेने से पहले ही गिरा दिया जाता और इस बजह से इस गांव में लडकीयां
का अनुपात गिरता गया और लडकी जात वहां पर कम होत गगय मगर ये छिछोरे मर्द लोगों अपनी हवस को मिटाने के लिए दूसरे गांव की औरतो यां लडकी को ले कर आते क्योंकि गरीबी के चलते कोई भी गरीब घर या फिर अनपढ़ को ही खरीद कर लाते और इस गांव मर्द लोगों सिर्फ अपनी हवस के लिए एक यां दो साल के लडकोयों खरीदते फिर कोई दूसरा खरीद कर ले जाता यही क्रम चलता रहता बैसे अब हमारे भारत में नारीवाद और नारी सशक्तिकरण का झंडा बुलदं है परंतु महानगरों में बैठ लोगों को इस बात का अंदाजा भी नहीं कि अभ भी किकिसी किसी गांव में महिलाओं की हालातों वाकिफ़ नही उन्हे बहल फुसला कर ककह प्यार का झासा दे कर आज भी शोषण जारी है चांदनी को स्टप पेपर पर हस्ताक्षर करा कर चंद रूपयों के लिए एक सत्तर साल के बूढ़भी को बेच डाल हलाकि उस बूढे़ की पत्न अभ जिंदा थी और उसी पत्नी बूढ़ होहो गयी थी लेकिन मर्द अपने आप को कब बूढ़ा कहलवाता है और चांदनी के लिए दूसरे खरीदारा का पहले ही कर करे ऱखा था वो भी उसी बूढे़ का भाई का लडका था वो लेकिन उसी की पत्नी लगभग साल पहले स्वर्ग सिधार चुकी थी और चांदनी के जाने के बाद सानव कके लिए खरीदार लाने का प्रोग्राम बनने लगा और सानवी अपनी बहन चांदनी से सुंदरता में दो कदम आगे थी और सानवी के लिए खरीददार ढूंढने की कोई ज्यादा मेहनत नही
करनी पडी़ क्योंकि शिकार करने वाला खुद चल कर सानवी के घर पहुंच गया था और उस लडक काका नमस्ते चंदन था और चंदन तो सानवी को देखते ही उस पर फिदा हो गया चंदन किसी मनोहर व्यपारी के घर में काम करता था
मनोहर ने चंदन और उसके एक दोस्त को काम पर रखा हुआ था और वो दोनों दोस्त अक्सर इस गांव में आते रहते थे और इस गांव की एक और बात बहुत अनोखी थी की इस गांव में सुबह से बज में
मंडी लगाई जाती

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