परिवार से दुखी Rakesh Rakesh द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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परिवार से दुखी

परिवार के सदस्यों में आपस में अच्छा मेलजोल प्रेम ना हो तो वह परिवार अपने परिवार के लिए ही नहीं पूरी दुनिया के लिए घातक है यह बात डॉक्टर सिद्धार्थ को तब समझ आती है जब मां की तरफ से अपनी पत्नी को गुस्से में डांटने के बाद उसकी पत्नी उसका घर छोड़कर मायके चली जाती है और मायके में एक महीना रहने के बाद उसके पास तलाक का नोटिस भिजवाती है।

तलाक के नोटिस को लेने के बाद डॉक्टर सिद्धार्थ की मानसिक स्थिति इतनी ज्यादा खराब हो जाती है कि वह एक 14 वर्ष के लड़के के मामूली से ऑपरेशन में इतनी बड़ी लापरवाही कर देता है कि एक विधवा मां के इकलौते बेटे की मौत हो जाती है।

और पुलिस डॉक्टर सिद्धार्थ पर लापरवाही से ईलाज का केस दर्ज कर ले देती है।

और डॉक्टर सिद्धार्थ पर जुर्म साबित होने के बाद उसे सजा हो जाती है और इकलौते बेटे की विधवा मां को जुर्माना भी देना पड़ता है।

सजा पूरी होने के बाद डॉक्टर सिद्धार्थ मां-बाप छोटे भाई बहन पत्नी को हमेशा के लिए छोड़ कर एक ऐसे शहर में जा कर रहने लगता है, जहां उसे कोई पहचानता नहीं था।
एक दिन सर्दियों के मौसम में डॉक्टर सिद्धार्थ सुबह-सुबह मंदिर से पूजा करके जैसे ही मंदिर की सीढ़ियों पर पहुंचता है, तो मंदिर की सीढ़ियों पर मंदिर के आगे भीख मांग कर अपना पेट भरने वाली बुजुर्ग महिला ज्यादा ठंड की वजह से मर चुकी थी। और लोग आपस में बात कर रहे थे कि "एक गैर जिम्मेदार डॉक्टर कि ईलाज में लापरवाही की वजह से इस के इकलौते बेटे की मौत हो गई थी, इसलिए इकलौते बेटे के मौत के गम में इसकी मानसिक स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि यह हमेशा लोगों से कहती फिरती थी कि जब मेरा दीपू डॉक्टर बन जाएगा तो मुझे यहां से ले जाएगा अभी वह बहुत दूर गया हुआ है डॉक्टर की पढ़ाई पूरी करने।"

डॉक्टर सिद्धार्थ पुजारी से पूछता है? "सुना है उस डॉक्टर ने इस बुजुर्ग महिला को मुआवजा भी दिया था।"

"हां डॉक्टर ने मुआवजा दिया था, लेकिन वह सारा पैसा इस बुजुर्ग महिला ने अनाथ आश्रम को दान में दे दिया है यह कह कर कि मैं अपने बेटे के हत्यारे के पैसों से कैसे सुकून शांति से जी सकती हूं और यह वह शहर छोड़कर इस प्राचीन राधा कृष्ण के मंदिर में आकर रहने लगी थी और फिर धीरे-धीरे इसकी मानसिक स्थिति या रहते-रहते पूरी तरह खराब हो गई।" पुजारी कहता है

उस विधवा मां की मौत के बाद डॉक्टर सिद्धार्थ अपना पेट भरने के साथ-साथ शहर शहर गांव गांव में लोगों को यह समझाने लगता है कि "अगर देश दुनिया को बचाना है, तो परिवार के सदस्यों को आपस में प्यार से मिलजुल कर रहना चाहिए क्योंकि घर से दुखी जिम्मेदार स्त्री पुरुष ऐसा काम कर सकता है, जिससे कि वह स्वयं का अपने परिवार का और समाज का बहुत बड़ा नुकसान कर सकते है और यहां तक कि अगर ऐसे स्त्री पुरुष के हाथ में देश की बागडोर आ जाए,तो वह विश्व युद्ध करवा कर पूरी दुनिया का विनाश कर सकते है।"