में और मेरे अहसास - 84 Darshita Babubhai Shah द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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में और मेरे अहसास - 84

जन्म मरण का खेल है जिंदगी
सुन बन्दे ख़ुदा की करले बंदगी

हथेलियाँ खाली होती है जाते वक्त
जीवन में हो सके तो रख सादगी

बहुत कुछ पीछे छूट रह जाता है
हर पल हर लम्हे में भरले ताजगी

सुबह शाम चलते ही रहते हैं सब
दिन गिरते रहे हैं जैसे कि पातगी 

जितना हो सके प्यार करेगे सखी
अब रोक नहीं पायेगे दिल की लगी
१-८-२०२३


नीव राम मंदिर की स्थापना का संकेत है
लोगों की ईश्वर के प्रति भावना का संकेत है

सारे फ़रिश्ते बन गये हैं एक दूसरे के साथ
दिल से की हुईं पूजा ओ अर्चना का संकेत है

दुनिया को शांति और सुकून मिलने वाला है
खुशियाँ आएँगी प्रफुल्लित हवा का संकेत है
२-८-२०२३

लगता है कि मैं इतना अजीज नहीं
वो जो मेरे रूबरू है मेरे क़रीब नहीं

सुख मे अकेले थे दुःख अकेले जिएंगे
में तेरे साथ रहूँ वो मेरा नसीब नहीं

मेरी वो कमी हो जो कोई पूरी न करेगा
जान से प्यारा नदीम है तू रकीब नहीं

सीने में दिल की जगह धड़कते हो सखी
दिलरुबा हो जानेमन तुम हबीब नहीं

जो मिला उसे दिल से चाहने लगते हैं
सब से हटके अंदाज़ है अज़ीब नहीं
३-८-२०२३

नैना छलने लगे हैं
बुत बरसने लगे हैं

पाँव कमज़ोर है तो
हाथ चलने लगे हैं

दिल की लगी देख
बात कतरने लगे हैं

आसमाँ के प्यार में
बादल हँसने लगे हैं

शहरों की हवा से
गांव बदलने लगे हैं
४ -८-२०२३ 


भूल जाना चाहते हैं वो पुरानी यादों को
अब क्या करेगे याद करके जूठे वादों को

आज सुर दिल मचलाने वाले बजा रहे हैं
हमेशा के लिए ख़ामोश कर दो साज़ों को

रसीलीं मधमीठी ग़ज़ल जान लेलेगी सखी
नहीं सुननी कोई भी आवाज़ कानों को

सुनो छाता लेकर निकला करो जानेमन
आसानी से नहीं मिटा सकते दागों को

गोरे हसीन खूबसूरत मुलायम दिखते हैं
जीभर के देखने दो महेंदी वाले हाथों को
५-८-२०२३

सब से न्यारा रिसता है दोस्ती का
अनूठा प्यारा रिसता है दोस्ती का

सुख दुःख में सदा साथ रहेता है
सखी अनेरा रिसता है दोस्ती का

यार के वज़ूद से ही सुकून मिलता 
खट्टा मीठा रिसता है दोस्ती का
६-८-२०२३

प्रेम प्यासी राधा कृष्ण भक्ति में लीन हो गई है
दिवानी होकर हो घूमे जैसे सुधबुध खो गई है

कुंज बिहारी को ढूंढे वृंदाबन की गलियों में
कृष्ण के प्रेम तल्लीन है जैसे कि सो गई है

न दिन को चैन न रात को करार मिलता है
कई बार तो याद में बनवारी की रो गई है

वो साथ कृष्ण के दिलों जान लुटाकर गई
कभी मुड़ के वापिस नहीं आई जो गई है

न जाने कब आ जाए प्रीतम प्यारे कृष्णा
वो बारहा रास्तों को अश्कों से धो गई है
६-८-२०२३

एक लम्हे के दीदार की उम्मीद पर जी गई
जुदाई के आंसूं को जाम समझकर पी गई

कह दिया जाने क्या फिझाओ ने कान में
खिड़कियों की हल्की सी आहट से बी गई

देर से मिलने वाले जबाव लाजवाब होते हैं
सखी नज़रे मुड़ के खूबसूरती पर ही गई

बातों से तो हर शख्स वफादार लगता है
मसला ये फिक्रमंदो की यादी में से भी गई

आवाज़ों के बाजार में खामोशी ही अच्छी
आज चहरे को को देख होठों को सी गई
७-८-२०२३

वृंदावन की कुंज गली आज भी पुकारे राधा नाम
सखी वन उपवन की गली आज भी पुकारे राधा नाम

आज भी चाह उसकी है जो क़िस्मत मे ही नहीं था
बाग की कोमल कली आज भी पुकारे राधा नाम

फिझाओ की रूह में समा गया है धड़कन बनकर
सदियाँ बीती पर वली आज भी पुकारे राधा नाम
वली - संत
८-८-2023

मन उड़ चला है पारियों के देश में
वो वहां भला है पारियों के देश में

दिलकश तो बेहद है साथ ही रंगी
सौंदर्य की झड़ी है पारियों के देश में

कर देगा रोशन वो स्याह शब को
खुशी की फुलवारी है पारियों के देश में

ख्वाबों में भी नसीब नहीं होता है वो
हसीन सा शरारा है पारियों के देश में

ख्याल आते ही इश्क़ में पड़ जाते हैं
खूबसूरत नजारा है पारियों के देश में
९-८-२०२३


दुनिया खूबसूरत मायाजाल है
भूलभुलैया मकड़ी का जाल है

बड़ी चालाकी से वास्ता रखते है
सब रुपये पैसों की कमाल है

कोई रास्ता बदले तो कोई लहजा
वो इंसानो से भरा हुआ माल है

जिंदा तो है पर रूह मरी हुई है
सब का एक जैसा ही हाल है

कतरा देके समंदर लूट लेते हैं
हर लम्हा दिमाग में नई चाल है
१०-८-२०२३

जिंदगी छोटी बहन की तरह रंग दिखाती है
कहीं खुशी तो कभी गम के आँसू पिलाती है

कुछ वक्त शांत होकर भी गुज़ारना चाहिये
वो जीवन से मुलाकात का वादा निभाती है

खों ना जाये कहीं दुनिया के बेरहम रास्तो में
दिल औ दिमाग से मजबूत होना सिखाती है

रातों और दिन की चक्की में पिसती रहती है
अपनी शर्तों पे हर लम्हा साँसों को मिटाती है

रेस के घोड़े के मेदान सी लगती है सखी
कभी हराती है तो कभी ख़ुद ही जिताती है
११-८-२०२३

ए भागते हुए लम्हो जरा ठहरो
वक़्त की नजाकत जरा समझो

सब का एक सा कटता जीवन
बस अपना नजरिया जरा बदलो

हार के बाद जितना तो निश्चित
दिल ओ दिमाग को जरा कहदो

सुना है सच्चे प्यार नज़र लगे हैं
भागने न दो क़सकर जरा पकड़ो

हर व्यक्ति के साथ कहानी जुड़ी
प्यारे पल बाहों में ज़रा जकड़ो
१२-८-2023

उठी थी एक आरज़ू इस जहां से
एक आरज़ू लेकर उस जहां तक

लौटने का वादा देकर गया है वो
सखी रास्ता देखा करेगे वहां तक

जितना हो सके साथ चलता रहा
वैसे कोई साथ देता रहे कहां तक

मुकम्मल मंजिल पाकर दम लेगे
साँस चलती रहेगी तब रहां तक

ना समझना बीच राह छोड़ देगे
अलग ही पहचान बने बहां तक
१३-८-२०२३

मुहब्बत की महक आज भी ताज़ी है
याद बनके रहे गया सुहाना माज़ी है

जिसके भी साथ हो जहां भी रहो
तुझे खुश देखकर यहाँ हम राजी है

प्यार को दूसरे के हाथों में देते वक्त
हमारी मुस्कराहट से हेरा काज़ी है

सबसे नायाब तोहफ़ा देकर हँसे
दिल हारकर जीती आज बाज़ी है

जरा सी हवा से हील जाती है
कोमल सी नाजुक परी लाजी है
१४-८-२०२३

माँ भौम तेरा वैभव अमर रहे
सदा आबाद मेरा वतन रहे

कोई नज़र भरके देख न ले
बुरी नजर से दूर सनम रहे

खोल दे पंख मन का नादां
आजादी का जश्न ग़ज़ब रहे

अभी और उड़ान बाकी है
देश वासियों खून ग़रम रहे

मुहब्बत की इन्तहा दिखाना
ताउम्र आबादी की तरस रहे
१५-८-२०२३