जिन्नजादी - भाग 18 M BOSS मुस्ताक अली शायर द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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जिन्नजादी - भाग 18

युसूफ अली हिना से कहता
वह तांत्रिक अमर होने की साधना में लीन है।
उसी इस बात का पता नहीं है
कि तुम्हें सब कुछ याद आ चुका है।
और हमें भी उस तांत्रिक को इस बात की भनक तक नहीं लगने देनी है।

मैंने कुछ सोचा
तुम किसी भी तरीके से
मुझे इस मायाजाल से आजाद कर दो।
मैं उस तांत्रिक के पास से नगीना वापस ले आऊंगा।
लेकिन मैं कैसे आपको इस मायाजाल से आजाद कर सकती हो।
मेरी शक्तियां मेरे पास नहीं है।

युसूफ अली कहता है
अच्छा तुम एक काम करो
मुझ पर सितम करना जारी रखो।
मैं दर्द से चिल्लाने लगूंगा
और शोर शराबा सुनकर वह तांत्रिक
यहां आ जाएगा।
तब मैं मरने का नाटक करूंगा।
मैं अपनी शक्तियों की मदद लूंगा।
ताकि तांत्रिक मुझे मरा हुआ समझकर
यहां से बाहर फेंक दे।
और उसका मायाजाल टूट जाए
और मैं आज़ाद हो जाऊं।

एक बार मैं आजाद हो जाऊं
मैं किसी भी हालत में तुम्हारे उस नगीने को हासिल कर लूंगा।
और तुम्हें भी उस तांत्रिक के चंगुल से आजाद कर लूंगा।
फिर हम दोनों
हम पर हुए सारे सितम का
उस तांत्रिक से गिन गिन कर बदला लेंगे।
और उसे ऐसी मौत मारेंगे
फिर किसी अघोरी तांत्रिक की इतनी हिम्मत ना हो।

हिना युसूफ अली से कहती है
अनजाने में मैंने आप पर सितम किया है।
आप जानबूझकर मैं आप पर कैसे सितम कर सकती हो।
मुझसे नहीं होगा आप पर सितम करना।
हम कोई और रास्ता निकालते हैं।

युसूफ अली कहता है
दूसरा कोई भी रास्ता नहीं है
वक्त बहुत कम है
मैंने जैसे कहा है
तुम जल्दी से वैसे ही करो।
बातों में वक्त जाया मत करो।

हिना दिल पर पत्थर रखकर कहती है
ठीक है जैसे आप कैसे हो मैं वैसे ही करूंगी।
इतना कहकर
हिना युसूफ अली पर सितम करने लगती है
युसूफ अली जोर-जोर से चीखने लगता है।
युसूफ अली के चीखने से
तांत्रिक बंगाल शास्त्री की तपस्या भंग होती है।

वह गुस्से से पागल हो जाता।
वह हिना और युसूफ अली के पास आता है।
तांत्रिक बंगाल शास्त्री की आने की आहट पाते ही।
युसूफ अली अपने तंत्र मंत्र की शक्ति से
मरने का नाटक करता है।
तांत्रिक बंगाल शास्त्री युसूफ अली के
करीब आकर उसकी सांसे और दिल की धड़कन देखता है।

युसूफ अली के दिल की धड़कन और सांसे
बंद हो चुकी होती है।
कानपुरी बंगाली शास्त्री उसे मरा हुआ समझकर
अपने आश्रम के बाहर फेंक देता।
आश्रम के बाहर आते हैं
युसूफ अली उठ खड़ा होता है।
तांत्रिक बंगाली शास्त्री का मायाजाल
अब पूरी तरह से टूट चुका होता है।
युसूफ अली उसके कैद आजाद हो चुका होता है।

युसूफ अली गायब होने की साधना करता है
जो उसने हिना से सीखी थी।
कुछ ही पलों में युसूफ अली पूरी तरह से
गायब हो चुका होता है।
बहुत धीरे से आश्रम में दाखिल हो जाता है।

तांत्रिक बंगाल शास्त्री के शिष्य और उसके सेवक
युसूफ अली को देख नहीं पाती।
तांत्रिक बंगाल शास्त्री के शिष्य और सेवकों के नजरों को धोखा दे देता है
लेकिन तांत्रिक बंगाल शास्त्री की आंखों से
गायब होकर भी बचना नामुमकिन के बराबर था।

युसूफ अली धीरे-धीरे
एक एक कदम फूंक-फूंक कर रखता है।
थोड़ी देर बाद हो तांत्रिक बंगाल शास्त्री के
कक्ष में दाखिल होता है।
तांत्रिक बंगाल शास्त्री फिर से तपस्या में लीन हुआ होता है।
जैसे ही युसूफ अली उसकी एक कक्ष में दाखिल होता है।
तांत्रिक बंगाल शास्त्री को त्रिकाल दोस्ती ध्यान से किसी के आने की आहट महसूस होती है।
वह अपनी आंखें खोल देता।
युसूफ अली जल्दी से दरवाजे के पीछे छुप जाता है।

हिना भी वही होती है।
तांत्रिक बंगाल शास्त्री
अपनी जगह से उठकर
दरवाजे की ओर बढ़ता है।
तांत्रिक बंगाल शास्त्री को दरवाजे की ओर जाते देखकर
हिना उसके आसन पर
पार्क में ही रखे मोमबत्ती से आग लगा दी है।

तांत्रिक बंगाल शास्त्री
दौड़ते हुए अपने आसन के पास आता है।
लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है
आसन पूरी तरह जलकर खाक हो चुका होता है।
यह देखकर तांत्रिक बंगाल शास्त्री बहुत क्रोधित होता।
वह आसन उसके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण था।

वह हिना से कहता है
यह तुमने क्या किया ?
तुम्हारी इतनी हिम्मत तुमने मेरा आसन जला दिया।
हिना कहती है
गुस्ताखी माफ मैंने जानबूझकर नहीं किया।
गलती से मेरा हाथ मोमबत्ती पर लगा
और मोमबत्ती आप के आसन पर गिर गई।
इसमें मेरी कोई गलती नहीं है।

तांत्रिक बंगाल शास्त्री कहता है
तुमने बहुत ही बड़ा अपराध किया है।
इस का दंड तुम्हें अवश्य मिलेगा।
इतना कहकर
तांत्रिक बंगाल शास्त्री
हिना पर कोड़े बरसाने लगता है।
कोड़े हिना पर बरस रहे थे
लेकिन उसका दर्द युसूफ अली को महसूस हो रहा था।

तांत्रिक बंगाल शास्त्री
हिना पर सितम करने में मशगूल हो जाता है।
इसी का फायदा उठाते हुए
युसूफ अली तांत्रिक बंगाल शास्त्री के
अलमारी को तोड़कर
नगीना निकाल देता है।

तांत्रिक बंगाल शास्त्री को इसकी खबर लग जाती है।
उस युसूफ अली पर वार करने लगता है।
उसे फिर से बंदी बना लेता है।
लेकिन वह यह भूल जाता है
अब हिना उसके गुलामी से आजाद हो चुकी थी।

हिना एक बहुत ही शक्तिशाली जिन्नजादी थी।
उसका सामना करना तांत्रिक बंगाल शास्त्री के बस की बात नहीं थी।
हिना अपने असली रूप में आ जाती है।
उसका भयानक रूप देखकर
तांत्रिक बंगाल शास्त्री की रूह कांप उठती है।

हिना एक ही पल में तांत्रिक बंगाल शास्त्री का मायाजाल तोड़कर
युसूफ अली को आजाद कर देती है।
और अपने इंसानी रूप में आ जाती है।
हिना तांत्रिक बंगाल शास्त्री से कहती है
तुमने मुझ से दुश्मनी मोल पर
बहुत बड़ी गलती की है
इसकी कीमत तुम्हें अपनी जान देकर चुकानी होगी।
तुम्हें मैं ऐसी भयानक मौत मारूंगी
अगला जन्म लेने से पहले तुम्हारी रूह कांप उठेगी।

तांत्रिक बंगाल शास्त्री अपनी पूरी शक्ति लगाकर हिना पर वार करने की कोशिश करता है
लेकिन उसके वार का हिना पर कोई असर नहीं होता।

हिना की आंखों में उसे अपनी मौत दिखाई देने लगती है।
वह बहुत डर जाता है
गिड़गिड़ा कर हिना से अपनी जिंदगी की भीख मांगने लगता है।
लेकिन हिना उसकी जान लेकर ही अपना इंतकाम पूरा करने वाली थी।

युसूफ अली हिना के करीब आता
वह पूरी तरह से घायल हो चुका होता है
उसके बदन से खून बहने लगता है।
यह देखकर हिना
उसके बदन पर हाथ फेरती है
और एक ही पल में युसूफ अली के सारे घाव गायब हो जाते हैं।
वह पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
उसके बदन में अब ही दर्द नहीं रहता।

क्रमश: