Wrong Number - 14 Madhu द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

Wrong Number - 14





अब तक आपने पढा सामर्थ्य मैत्री के कमरे आकर उसका सिर सहलाने लगता है किसी के स्पर्श से मैत्री चिहुक उठी अपने बराबर में सामर्थ्य को देख मुहँ फ़ेर दिया l

अब आगे....!
बच्चा कैसे हो आप? मुझे माफ़ कर दो इतने दिन तुमसे दूर रहा l अब नहीं जाऊगा छुटकी प्यार से उसका सिर सहला दिया l पक्का ना भाई अब तो आप नहीं जाओगे ना मासूमियत से मैत्री बोली l जाकर सीधा सामर्थ्य के गले लग बिलख पडी l नहीं नहीं छुटकी रोते नहीं उसका सिर पर थपकी देने लगा l अपनी बहन को ऐसे रोते देख सामर्थ्य कि भी आंखें नम हो गई l दरवाजे पर खडी विशुना जी अपने बच्चों के आपसी प्रेम को देख उनकी भी आँसू बहने लगे l
अब बस कर बच्चा कितना रोयेगी तेरी आंख का काजल बह जायगा तू फिर बन्दरिया सी लगने लगेगी हल्का सा मुस्कुरा कर बोला l आप भी तो रो रहे हो फिर आप भी बन्दर हो गये ना खिलखिला पडी l हा मै बन्दर तू बन्दरिया कहकर दोनों एक दूसरे को देख जोरो से हस पड़े l
इतने दिन बाद अपनी बेटी को ऐसे खिलखिलाते देख विशुना जी भी दोनों को ऐसे देख वो भी नम आंखों से मुस्कुरा पडी l ऊपर कि ओर हाथ जोडकर राम जी मेरे बच्चो कि मुस्कान ऐसी ही बनाय रखना l
मैत्री,सामर्थ्य चलो खाना लग गया आकर खा लो चलकर आपके पापा इंतजार कर रहे हैं l
दोनों एक साथ आते हैं माँ!

--------------------
याचना का मेसेज देख उसकी त्योरिया चढ गई व्हाट द हेल!
तुरन्त हि याचना को फोन मिला दि
एक दो तीन बार रिंग के बाद काल उठा उधर से अलसायी सी आवाज आई हा बोल क्यों फोन किया?
चन्द्रा.. तू शादी कर रही है वो भी इतनी जल्दी भौहो चढाते हुये बोली l
हा सभी करते हैं मै भी कर रही हूँ इसमे नया क्या है जो भडक रही है !
तू और शादी यकीन नहीं हो रहा है?
दो दिन बाद खुद हि देख लियो अब फोन रख मुझे सोना है l
तू पागल वागल हो गई है क्या? क्यों कर रही है शादी वो तेरे चहेते दादा उन्होंने भी इजाजत दे दी वो इतनी जल्दी हैरान होकर बोली l
दादा का जिक्र सुनते हि याचना कि आंखें नम हो गई हा बाबा कर रही हूँ क्यों तुझे क्या प्रोब्लेम है? वैसे तुझे करनी थी क्या मुझसे शादी यू प्रेमियो जैसी सवाल जवाब कर रही है l महौल हल्का करने के लिए याचना बोली l
ओये पागल तू सच में सठिया गई तू पहले कहती सच में कर लेती है मायूस होकर चन्द्रा बोली l
ठीक है आ जईओ दो दिन बाद फिर तेरे संग फ़ेरे पड लेगे महौल भी होगा दस्तूर भी l कहकर खिलखिला पडी आंख से एक कतरा आँसू बह गया l
याचू सच बोल ना तू कुछ मुझसे छिपा रही है सच बोल ना क्या बात है l
सच्ची बिल्कुल मेरी रजामंदी से हि हो रही है कुछ नहीं छिपा रही हूँ अब तू अपना सामान पैक कर बस जल्दी से आ जा तेरे बिना अच्छा नहीं लग रहा है l कहते हुये याचना कि आंखें एक बार फिर भर आई l
ठीक है मै कल शाम तक पहुंच जाउगी l अपना ख्याल रखना अच्छे से किसी और के लिये नहीं मेरे लिए समझी तू जरा सी भी अनफ़िट दिखी तुझे छोडोगी नहीं समझी चल बाय l
ठीक है मेरी जान अपना ख्याल रखुगी l

चन्द्रा खुद से हि कुछ तो मुझसे छिपा रही है अब कल आकर हि पता चलेगा l तेरे दादा कैसे मान गये?



जारी है...!