मेरी दूसरी मोहब्बत - 64 Author Pawan Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मेरी दूसरी मोहब्बत - 64

Part 64: Pawan Returns

पवन और अवनी दोनों साथ में घर वापस जाते हैं, वहां जाकर दोनों देखते हैं कि वहां का माहौल फीका हो चुका होता है । पवन के मां और पापा दोनों भी वही होते हैं।पवन यह देखकर सोचता है कि अब तो उसकी खैर नहीं है।

उन दोनों को देखकर चाचा जी को बहुत गुस्सा आता हैऔर वह कहते हैं अवनी तूने तो हमारी नाक कटा के रख दी एक बार पहले भी तूने यह हरकत की थी तब तो तुझे इस लड़के ने बचा लिया था पर इस बार हम तुझे माफ नहीं करेंगे।

पवन–चाचा जी हम आपके फैसले के खिलाफ बिल्कुल नहीं जाएंगे मैं इसीलिए इसको वापस लाया हूं अगर आप इसकी शादी किसी और लड़के के साथ कराना चाहते हैं तो आप करा सकते हैं।

चाचा जी- चुप कर यार ! काहे की शादी, बरात तो वापस चली गई और हमारी बेइज्जती हुई वह अलग । बरात के साथ-साथ हमारी इज्जत भी चली गई ।

सुरेश जी- अवनी बेटा तुझे शादी नहीं करनी थी तो बता देती इस तरह भागने की क्या जरूरत थी। क्या हमने तुझ पर कभी दबाव डाला है तूने जो भी फैसले लिए हैं हमने हमेशा तेरा साथ दिया है फिर भी इस तू ही सब तरह की हरकतें करती है? क्या हमारे प्यार में कोई कमी रह गई है ?

अवनी- नहीं पापा जी ऐसी कोई बात नहीं है, आपसे ज्यादा तो मुझे इस दुनिया में कोई प्यार नहीं करता । मैं बस बहुत डर गई थी।

मैं सच में शादी से भागना नहीं चाहती थी और आप जहाँ कहते मैं वही शादी कर लेती पर पवन को देखकर मैं अपने इमोशन्स कंट्रोल नहीं कर पाई।

पवन- हाँ अंकल जी ! अवनी ने तो मुझसे शादी करने से मना कर दिया था,ये वजीराबाद पुल पर अकेले बैठकर रो रही थी इसे समझ में नहीं आ रहा था की ये किसे चुनें क्योंकि ये हम दोनों से ही बहुत प्यार करती है ।

पवन के पापा- सुरेश जी मैं जानता हूँ की ये कदम बहुत गलत था पर आप खुद को अवनी की जगह रखकर देखिए फिर शायद आपको एहसास होगा कि अवनी पर क्या बीत रही होगी।

सुरेशी जी- योगेन्द्र जी मैं आपकी बात समझता हूँ मुझे भी पवन बेटा से कोई दिक्कत नहीं है मैं तो खुद चाहता था कि पवन की शादी अवनी से हो पर वो तो इसी की याददाश्त चली गई थी और इसे सिर्फ वंशिका ही याद थी जिसकी वजह से अवनी बहुत परेशान थी ।इसने खाना पीना भी छोड़ दिया था ।

योगेन्द्र जी हम तो लड़की वाले है आप तो समझ सकते हैं की हम पर क्या बीत रही होगी और आप ये भी जानते हैं अगर एक बार किसी लड़की का नाम किसी लड़के के साथ जुड़ जाए तो फिर इसकी शादी में कितनी दिक्कतें आती हैं ।

पवन तो अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुका था इसलिए हमे और कोई चारा नहीं सूझा । हमने सोचा अगर हम अवनी की शादी करा देंगे अवनी की मानसिक हालत थोड़ी बेहतर हो जाएगी । और वो दुबारा पहले जैसी हो जाएगी ।

बताइए क्या हमने कुछ गलत सोचा था ?

योगेन्द्र जी - नहीं सुरेश जी मैं समझ सकता हूँ, अपने बच्चे की भलाई के लिए माँ बाप नजाने क्या क्या करते हैं आप अपनी जगह बिल्कुल सही है ।

पर अब जो होना था वो तो हो गया । अब हमें अपने बच्चों का अच्छा ही सोचना चाहिए पवन की याददाश्त वापस आ गई है और वंशिका का सच भी सामने आ चुका है ।

पवन - अंकल जी ! मैं आपसे हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं, मुझे पता है मेरी वजह से अवनी को कितना दुख पहुंचा है, और साथ में आप सब भी बहुत दुखी हो, पर मैंने कुछ भी जानबूझकर नहीं किया | प्लीज मुझे माफ कर दीजिये |

योगेंद्र - सुरेश जी हम अपने बेटे की तरफ से आपकी लड़की का हाथ मानते हैं, पिछली सारी बातें भूलकर एक नए रिश्ते की शुरुआत करते हैं, इसी में हमारे बच्चो की और हम सब की खुशी है।

सुरेश जी - दिल तो मेरा भी यही कह रहा है कि मैं इन दोनों की शादी करा दू पर, मैं एक बार अपने परिवार से बात करना चाहता हूँ ताकि कल को कोई मुझ पर ऊंगली ना उठा सकें।

फिर सुरेश जी अवनी की माँ और पूरे परिवार से बात करते हैं और उनकी सलाह लेते हैं। अवनी के चाचाजी को छोड़कर पूरा परिवार अवनी की शादी पवन से कराने के लिए तैयार थे ।

चाचा जी - वीर जी मुझे पवन से कोई आपसी दुश्मनी नहीं है, मैं बस यह नहीं चाहता कि अवनी फ्यूचर में दुखी रहे ।

दादा जी - मैं तेरी बात समझता हूं | पर तू अवनी की खुशी के बारे में भी तो सोच ! और अब तो पवन ठीक हो गया है|

सुरेश जी – वीरे ! मैं जानता हूं पवन को वो अवनी को बहुत खुश रखेगा और वैसे भी योगेंद्र जी अवनी को अपनी बेटी मानते हैं और वह उसको किसी चीज की कमी नहीं होने देंगे तो तू बेकार चिंता ना कर | अवनी मेरी बेटी है मैं उसके लिए गलत नहीं सोचूंगा |

सबकी बात सुनकर चाचा जी भी मान जाते हैं |

सुरेश जी योगेन्द्र जी से बोलते हैं की हमे ये रिश्ता मंज़ूर है और फिर ढोल वाले को ढोल बजाने को बोलते हैं | सुरेश जी अपने समधी जी का मुह मीठा करातें है और दोनों गले मिलते हैं | पवन भी सबके पैर छूता है |

दादा जी – पुत्तर हमने शादी के लिए तो हाँ कह दिया पर तेरी शेरवानी किथ्हे है ? जीन्स और शर्ट में शादी हम पहली बार देखेंगे |

योगेन्द्र जी ( हस के ) – अरे नही दादा जी ! जब हम यहाँ आ रहे थे तो हमारी खानदानी शेरवानी साथ में ही ले कर आये थे | हमे पहले से ही पता था की हमारी बहु तो अवनी ही बनेगी |

सुरेश जी – जा पवन पुत्तर तू ready हो जा |

पवन ready होने चला जाता है और अवनी भी अपना लहंगा ठीक करने अपने रूम में चली जाती है |

रूम में जा के अवनी, पवन को कॉल करती है –

अवनी – हेल्लो ! पवन ! कोई हेल्प चाहिए तो मैं आऊ क्या ?

पवन ( मुस्कुराते हुए )– बस थोड़ी देर की बात है जानेमन ! फिर जिन्दगी भर करती रहना मेरी हेल्प |

अवनी – ओह अच्छा ! और नही की तो ?

पवन – तो ? फिर भी चलेगा | अब बीवी से बगावत तो कर नही सकते, तो गुलाम ही बन के रहना पड़ेगा आपका |

दोनों जोर जोर से हस्ते है |

अवनी ( शरमाते हुए ) – अच्छा पवन ! तुम इतना sure कैसे थे कि मैं तुमसे ही शादी करूगी ?

पवन – क्योंकि मुझे मेरे प्यार पे भरोसा है अवनी और दिल्ली आते ही सबसे पहले मैं एक प्राचीन माता के मंदिर गया था | वहां मैंने तुम्हे पाने की प्राथना की थी, इसलिए मुझे अकीन था की तुम सिर्फ मेरी ही होगी |

अवनी – काली माता के प्राचीन मंदिर गये थे क्या तुम ?

पवन – हाँ क्यूँ ? मतलब तुम्हे कैसे पता चला कि मैं काली माँ के मन्दिर गया था |

अवनी – तुम believe नही करोगे | तुम्हारे घर से आने के बाद मैं सबसे पहले वहीँ गयी थी | नादानी में आ के मैंने माँ को पता नही क्या क्या बोल दिया पर माँ को देखो कितनी दयालु है, तुम्हे मुझसे मिला दिया |

हम अपनी शादी के बाद एक बार वहां दर्शन कर आयंगे | ओके जी !

पवन – ओके जी |

तभी दोनों को घर वाले अव्वाज़ लगते है मंडप पे आने के लिए, दोनों मंडप में आते है और तभी नाच गाना शुरू हो जाता है |

अवनी और पवन दोनों एक दुसरे को देखते है और दोनों की आँखों में ख़ुशी के आंसू भर आते है | दोनों की शादी बहुत ही धूम धाम से होती है और तारों की छाओं में अवनी की बिदाई होती है |

अवनी को ऐसे रोते हुए देख कर पवन को भी रोना आ रहा होता है पर सब मजाक बनाते इसलिए वो सीधा कार में जा के बेठ जाता है |

पवन के घर अवनी का जोरो शोरो से स्वागत होता है |

माया जी – कितनी सुन्दर लग रही है मेरी बहु ! लाखों में एक है |

माया जी अवनी की आरती उतारती है और उसका गृह प्रवेश करवाती है | अवनी को उसके कमरे में ले जाया जाता है जहाँ थोड़ी देर में उसकी सासू माँ आ जाती है | वो उसे अपना पुश्तैनी हार देतीं है और उसे संभल के रखने को कहती हैं |

रात में रस्में निभाने के बाद अवनी रूम में जाती है जहाँ थोड़ी देर बाद पवन आता है, उसे देख के अवनी शर्मा जाती है |

पवन – अरे तुम मुझसे क्यूँ शर्मा रही हो ? हम क्या पहली बार मिलें है |

अवनी मुस्कुराती है, फिर दोनों बातें करते करते अपने हनीमून की planning करने लगते है, जिसकी वजह से दोनों लड़ने लगते है क्युकि पवन थाइलैंड़ जाना चाहता था और अवनी इटली |

बाद में अवनी की बात मानी जाती है और इटली जाने की planning शुरू हो जाती है |