मेरी दूसरी मोहब्बत - 62 Author Pawan Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मेरी दूसरी मोहब्बत - 62

Part 62: Vanshika ki sacchai

वंशिका पवन के लिए दवाई और खाना ले कर जाती है |

वंशिका – पवन ! देखो मैं तुम्हारे लिए तुम्हारा favourite पालक पनीर बना के लायी हूँ, और साथ में गुलाब जामुन भी | अब जल्दी से उठो और खालो इसे, मैंने खुद बनाया है अपने हाँथो से !

पवन ( मुस्कुरा के ) – अरे वाह ! तुम्हे तो सब याद है वंशिका ! मेरी पसंद ना पसंद !

वंशिका – हाँ ! क्यूंकि याददाश्त तुम्हारी गयी थी मेरी नही !

दोनों जोर से हस्ते हैं |

पवन – तुम भी ना अवनी ! तुम नही सुधरोगी |

इतना बोल के पवन हकबका जाता है क्यूंकि उसने वंशिका को अवनी बोल के बुलाया था |

वंशिका – अवनी ? तुम ठीक हो ना पवन ? तुम मुझे अवनी कह कर क्यों बुला रहे हो ?

पवन – I am so sorry वंशिका, मुझे समझ नही आ रहा की मैंने अवनी का नाम कैसे ले लिया | i am so sorry वंशिका ! शायद सुबह जो हुआ उसकी वजह से ऐसा हुआ होगा |

वंशिका – no its fine ! तुम sorry मत बोलो, i know तुम्हारी तबियत ठीक नही है, सुबह जो कुछ भी हुआ ठीक नही हुआ, हमने सोचा नही था कि तुम्हे अवनी के बारे में ऐसे पता चलेगा |

पवन – तुम्हे पता था अवनी के बारे में ? तुमने मुझे बताया क्यूँ नही ?

वंशिका – उसके पीछे कई reasons है पवन, तुम नही समझोगे !

पवन – देखो वंशिका, reasons कुछ भी हो, मुझे जान्ने का हक है, और तुम्हे ऐसा क्यूँ लगता है की मैं नही समझूंगा | please बताओ मुझे |

वंशिका – पवन ! पहला reason ये है कि डॉक्टर ने कहा था कि हम तुम्हे तुम्हारे अतीत से दूर रखें क्यूंकि उससे तुम्हारी तबियत और भी जादा ख़राब हो सकती है और हम बिलकुल भी रिस्क नही ले सकते थे |

पवन – और दूसरा reason ?

वंशिका अपनी आँखों में आंसूं भर के पवन के सामने जाती है और कहती है –

i don't know पवन कि ये बात सुन कर तुम क्या सोचोगे पर मैं नहीं चाहती थी की अवनी के बारे में कभी तुम्हे पता चले |

पवन - पर क्यों ?

वंशिका - क्युकि मैं तुम्हे खोना नही चाहती थी | I love you so much pawan ! और वैसे भी वो अवनी बिलकुल अछि लड़की नही है | वो सिर्फ तुम्हारे पैसों के पीछे थी इसलिए उसी मैंने यहाँ से भगा दिया |

पवन को समझ नही आता की वो क्या कहे, उसका दिल नही कहता कि अवनी ऐसी है |

वो कुछ कह पाता इससे पहले ही वंशिका पवन के गले लग जाती है | और कहती है - मुझे पता है, तुम भी मुझसे बहुत प्यार करते हो |

पवन – हां ! पर मैं एक बार अवनी से भी मिल कर सारी बातें clear करना चाहता हूँ |

वंशिका को ये सब सुन के गुस्सा आता है और वो पवन को दवाई खाने को कहती है |

वंशिका medicine kit से दवाई निकालती है और अपनी पॉकेट से नकली दवाई निकालकर उससे बदल देती है |

पवन ये सब शीशे में देख लेता है और जैसे ही वंशिका उसे वो दवाई देने आती है वो उसका हाँथ पकड़ लेता है |

पवन – रुको ! ये कौनसी दवाई दे रही हो तुम मुझे ?

वंशिका ( घबराकर ) – ये ? ये तो डॉक्टर नी दी है ना तुम्हे खिलाने को, ताकि तुम जल्दी से ठीक हो जाओ |

पवन – नही ! मैं kit वाली दवाई के बारे में नही पूछ रहा | मैं उस दवाई के बारे में पूछ रहा हूँ जो तुमने अपनी जेब से निकाल कर मेरी दवाई से बदल दी है |

वंशिका शौक हो जाती है और उसे लगता है कि अब तो वो पकड़ी गयी |

वंशिका – नही नही तुम्हे कुछ गलत फ़हमी हुई है पवन | ये तुम क्या कह रहे हो | मैं क्यूँ भला असली दवाई नकली से बदलूंगी |

पवन – मैंने सब कुछ देख लिया है | अब तुम सब सच सच बताओ की तुम मुझे किस चीज़ की दवाई दे रही थी ?

तभी पीछे से एक आवाज़ आती है – ये क्या बताएगी इसका सच मैं बताता हूँ |

पवन और वंशिका पीछे मुड़ कर देखते हैं तो वहां पवन के पापा और एक आदमी खड़े होते हैं, पवन के पूछने पे उसके पापा बताते हैं कि ये वंशिका का ex-husband है | ये तुम्हे इसकी सारी असलियत बतायेगा |

वंशिका का husband बताता है कि वंशिका एक लालची लड़की है, उसने उसे पहले प्यार में फसाया फिर उसकी सारी प्रॉपर्टी अपने नाम करली और फिर divorce दे दिया | पर इसकी planning flop हो गयी क्योंकि वो पेपर्स नकली थे, और मैं कंगाल होने से बच गया |

वंशिका – पवन ये सब बकवास है | तुम इसकी बात मत सुनो, ये तो चाहता ही है कि मेरा घर न बसे | इसीलिए मैंने इससे divorce ले लिया |

वंशिका का husband – मैं झूट बोल रहा हूँ ? रुको अभी दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा |

वंशिका का husband एक voice रिकॉर्डिंग सुनाता है जिसमे वंशिका अपनी एक फ्रेंड से बात कर रही होती है और उसे बताती है कि वो पवन से शादी इसलिए करना चाहती है ताकि वो उसकी प्रॉपर्टी हड़प सके | ये रिकॉर्डिंग वंशिका की दोस्त ने वंशिका के पति को दी होती है क्योंकि वो उससे मिली होती है |

इससे पहले की वंशिका अपनी सफाई में कुछ कह पाती, पवन बोल पड़ता है – ओह अच्छा ! तो वो लड़की तुम थी ? तुम्हारी बातें मैंने सुन ली थी पर मुझे समझ नही आया था की वो तुम हो | तुम्ही उस दिन गेट के बाहर अँधेरे में बात कर रही थी हैना !

वंशिका – नही ! तुम्हे कोई गलत फ़हमी हुई है |

तभी पवन को चक्कर आ जाता है और उसे सब याद आ जाता है, वो पल भी याद आता है जब वंशिका ने उससे ब्रेकअप करलिया था |

पवन के पापा – पवन तू ठीक तो है ?

पवन – हाँ पापा जी ! मैं ठीक हूँ, बल्कि अब जा के तो मुझे मैं बात याद आई कि इसने तो मुझसे ब्रेकअप करलिया था और अब सिर्फ पैसो के लिए वापस आई है | shame on you !

तभी तुम नही चाहती थी की मेरी याददाश्त वापस आये ताकि मैं कहीं अवनी के पास वापस ना चला जाऊं | इसलिए तुम मुझे अवनी के बारे में भड़का रही थी | wow ! great planning vanshika .

पवन ताली बजाता है |

पवन के पापा – पवन बेटा ! तुम इसकी बातों में मत आना | ये तो अवनी की बराबरी भी नही कर सकती, कहाँ अवनी और कहाँ ये ! huh !

पवन – मैं तो कहता हूँ इसे अभी पुलिस के हवाले करदो | तब इसे अकल आएगी की इसने कितनी बड़ी गलती की है हमे धोखा दे के !

वंशिका – नही पवन मैं तुम्हारे आगे हाँथ जोडती हूँ, प्लीज मुझे माफ़ करदो | मुझे पुलिस के हवाले मत करो | तुम जो बोलोगे जैसा कहोगे, मुझे मंज़ूर है |

पवन – नही वंशिका, तुम ना जाने कितने दिलो के साथ खेल चुकी हो | तुम्हे तुम्हारे कर्मों का हिसाब देना ही पड़ेगा |

पवन फ़ोन उठाता है और पुलिस का नंबर डायल करता है | तभी उसके पापा उसी रोकते है –

रुको पवन ! मुझे पता है कि इसने जो किया है वो माफ़ी के लायक नही है पर इसे पुलिस के हवाले मत करो | इसके हाँथ से वैसे भी दो बार बड़ी मछली फसने से बच गयी, और आगे भी ये किसी को धोखा ना दे इसका ध्यान मैं रखूँगा |

पवन – ठीक है पापा ! पर इस लड़की से कह दीजिये की आइन्दा ये मेरे सामने तो क्या इस शहर में भी कभी दिखाई ना दे | वरना मुझे वक़्त नही लगेगा इसे पुलिस के हवाले करने में |

पवन के पापा – ए लड़की ! सुना नही तूने ! अब जल्दी से अपना बोरिया बिस्तर उठा और निकल यहाँ से |

वंशिका वहां से भाग जाती है और उसका पति भी वहां से चला जाता है |

पवन सोफे पर, अपने सर पर हाँथ रख के बैठ जाता है और बहुत दुखी हो जाता है |

उसके पापा उससे पूछते हैं की क्या हुआ ?

पवन – पापा जी ! मुझे सब याद आ गया है, ना जाने, जाने अनजाने में मैंने अवनी को कितने दुःख दे दिए है | वो कितनी दुखी होगी | मैंने उसे हमेशा के लिए खो दिया है !

पापा – नही बेटा एसा मत सोच ! मैं जानता हूँ अवनी को | वो तुझे कभी नही छोड़ सकती | वो तुझसे सच्चा प्यार करती है, मेरी मान तो तू उसी मनाने के लिये उसके घर जा |

पवन – सच में पापा को ? क्या वो आ जाएगी मेरे पास वापस ?

पापा – हाँ बेटा तू कल ही निकल जा दिल्ली के लिए |

पवन अवनी से मिलने की त्यारी करता है, क्या वो अवनी को मना पायेगा ?