मेरी दूसरी मोहब्बत - 55 Author Pawan Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मेरी दूसरी मोहब्बत - 55

Part 55: Breakup

पवन – Hii…. बेबी कहाँ हो तुम आजकल। रिप्लाई तो करो न प्लीज।

वंशिका – Hii…

पवन – तुम मेरे मैसेज का रिप्लाई भी नहीं करते और न ही मेरा फ़ोन उठाते हो।

वंशिका – बताया तो था न उस दिन कि आजकल मैं बहुत बिजी रहती हूँ।

पवन – अरे मेरे लिए थोड़ा सा तो टाइम निकाल लो बात करने के लिए।

वंशिका – हाँ तो निकाल तो दिया न। अभी कर रहा हूँ न बात।

पवन – तुम इतना रुड बात क्यों कर रहे हो।

वंशिका – (गुस्से से भरे कुछ इमोजी दिए)

पवन – अब गुस्सा क्यों हो रहे हो।

वंशिका – यार मैं बोर हो गया हूँ तुम्हारे इस रोज के नखरो से।

पवन – What?

वंशिका – हाँ।

पवन – लेकिन ऐसा क्या किया मैंने?

वंशिका – क्या नहीं किया????

पवन – बताओ न (रोते हुए इमोजी देकर)

वंशिका – अब फिर शुरू हो गया तुम्हारा रोना-धोना।

पवन – तो तुम मुझसे अच्छे से बात ही नहीं करते।

वंशिका – मैं एक बात बोलू बूरा तो नहीं मानोगे?

पवन – हाँ बोलो न।

वंशिका – Sure न, मैं बताऊँ?

पवन – अरे हाँ बाबा बोलो न क्या बोलना चाहते हो।

वंशिका – I want to breakup……

पवन – What???

वंशिका – Yes

पवन – लेकिन क्यों? क्या मुझसे कोई गलती हुई? है

वंशिका – लेकिन हम हमेशा दोस्त रह सकते हैं। लेकिन ऐसे Gf Bf नहीं।

पवन – लेकिन हुआ क्या यह तो बताओ? तुम ऐसे बात क्यों कर रही हो।

वंशिका – हम मिलेंगे भी लेकिन दोस्त की तरह। बात भी करेंगे।

पवन – What??? लेकिन मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकता ।

वंशिका – क्यों नहीं? मेरे बिना बाकि तो सब कुछ तो करते हो न। तो बस सोच लेना की हमारे बीच कुछ नहीं है।

पवन – नहीं यार मैं सच मैं सच में तुम्हारे बिना रह नहीं सकता । समझते क्यों नहीं। तो फिर ऐसे कैसे सोच लूँ।

वंशिका – देखो मेरा फाइनल डिसिशन है। तुम अपना कल बता देना। मैं अब नहीं रह सकती तुम्हारे साथ।

पवन – सुनो I love you…

वंशिका – Bye…take care

ये सुनकर एकदम से पवन की नींद खुल जाती है। कल ही तो पवन की वंशिका गर्लफ्रैंड बनी है और आज रात इतना बुरा सपना । पवन डर जाता है और तैयार होकर सचिन और विशाल के पास जाता है।

विशाल - देख भाई वो लड़की तेरा काट रही है। इस बात को समझ।

पवन – तू रहने दे तुझे तो कभी किसी से प्यार नही हुआ तो तू अपना ज्ञान मत दें।

विशाल – हुआ है भाई लेकिन वो मुझे छोड़कर चली गई और तू देखियो वंशिका भी तुझे छोड़के चली जायेगी!

पवन – तुझे किसने छोड़ा?

विशाल – उसका नाम नन्दिनी था मैं आज तुझे अपनी कहानी बता ही देता हूँ। ये एक साल पहले की बात है

एक साल पहले...

(फ़ोन पर बात करते हुए)

विशाल – हैल्लो

नंदिनी – आज मेरे साथ थोड़ी देर के लिए मिल सकते हो?

विशाल – क्यों मिलना है तुम्हे?

नंदिनी – बात करनी थी।

विशाल – सब तो ख़तम हो गया, अब मिलकर क्या करोगी?

नंदिनी – आखरी बार तुम्हे देखना चाहता हूँ। आखरी बार तुमसे बात करना चाहता हूँ।

(विशाल नंदिनी से मिलने के लिए जाती है)

विशाल – बोलो, क्यों बुलाया मुझे?

नंदिनी – तुम्हारे लिए ही तो मैंने खाना बनाना सीखा था। पर कभी भी तुम्हे खिला नहीं सकी। इसलिए आज तुम्हारे लिए अपने हाथो से कुछ बनाकर लायी हूँ। इसके बाद तो मौका ही नहीं मिलेगा कभी तुम्हे कुछ बनाकर खिलाने के लिए।

4 साल पहले नंदिनी और विशाल की मुलाकात हुई थी और तबसे दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते है। पर कुछ दिनों पहले नंदिनी की शादी उसके घरवालों ने किसी और के साथ तेइ कर दी। नंदिनी ने अपने घरवालों से विशाल के बारेमे बात भी करि थी लेकिन उसके घरवालों ने उनके इस रिश्ते को मना कर दिया।

नंदिनी विशाल से हमेशा कहती रहती की वह दोनों भाग कर शादी कर ले। लेकिन विशाल मना कर देता था उसके परिवार के लिए। क्युकी एक वही तो था उसके परिबार में जो उसके परिवार को चलाता था। विशाल के परिवार में सिर्फ उसकी माँ और एक बहन थी। इसलिए अपने परिवार के चलते उसमे कभी भी यह हिम्मत नहीं आई की वह नंदिनी से भागकर शादी कर ले।

आज नंदिनी की शादी है। आखरी बार के लिए वह विशाल से मिलने आई है। बहुत देर तक विशाल नंदिनी के सामने सेर झुकाये खड़ा रहा।

विशाल – बहुत देर हो चुकी है। अब हम दोनों को ही यहाँ से चलना चाहिए।

नंदिनी – चले तो जायेंगे। थोड़ी देर के लिए रुक जाओ। वैसे भी अब कहाँ हमारी मुलाकात होगी।

विशाल – अगर तुम ऐसी बातें करोगे तो मेरे लिए यहाँ रहना और भी मुश्किल हो जायेगा।

नंदिनी – अभी भी बहुत समय है विशाल। चलो हम दोनों भाग चलते है। एक बार शादी हो गई तो मेरे घरवाले ठीक मान जायेंगे।

विशाल – क्या पागलों जैसी बातें कर रहे हो। शांत हो जाओ और चुपचाप घर जाओ।

नंदिनी – क्यों ऐसा कर रहे हो तुम। मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता। क्या तुम मुझे छोड़कर रह सकते हो?

विशाल – देखो, वक़्त किसी के लिए भी नहीं रुकता है, थोड़ा तकलीफ होगा, दर्द होगा, पर तुम्हे यह मान लेना होगा। फिर देखना एक समय ऐसा आएगा की तुम मुझे ठीक भूल जोओगे।

नंदिनी – तुम्हे भूल जाऊँगी, यह तो पता नहीं, लेकिन तुम्हारे बिना मैं बिलकुल भी जी नहीं पाऊँगी।

विशाल – तुम्हे अब घर जाना चाहिए। बहुत देर हो गई है,तुम्हारे घरवाले तुम्हारी चिंता कर रहे होंगे।

नंदिनी – हाँ।

(उसके बाद नंदिनी विशाल को एक घड़ी गिफ्ट देती है)

विशाल – मैं तुम्हारे लिए कुछ नहीं ला सका।

नंदिनी – किसने कहा की तुम मेरे लिए कुछ भी नहीं लाये। आज का यह दिन लाये हो तुम मेरे लिए।

(विशाल चुप हो जाता है और नंदिनी कहती है)

नंदिनी – समय से घर पहुंच जाना, ज्यादा रात तक बाहर मत रहना और हाँ, कोई भी नशा मत करना।

विशाल – हाँ।

नंदिनी – क्या आखरी बार मैं तुम्हे गले लगा सकती हूँ?

विशाल – ठीक है।

नंदिनी विशाल को जोर से पकड़कर रोने लगती है। नंदिनी का रोना देखकर विशाल भी खुद को संभल नहीं पा रहा था। बहुत समय तक दोनों बस एक दूसरे को पकड़ कर रक्खे थे और फिर नंदिनी वहां से चली जाती है। विशाल भी अपने आँखों से आंसू पोछकर घर चला जाता है।

विशाल - सुन ली मेरी कहानी

पवन और सचिन एक सोच में डूब जाते हैं।

सचिन – देख पवन वो लड़की तुझे बना रही है बैकअप तो जा और उससे पूछ की अगर उसे तुझे सबके सामने स्वीकार करने में दिक्कत है तो नाही चाहिए ऐसा पयार

विशाल – बिल्कुल |

ये सब सुनकर पवन अपने घर आ जाता है और अगले दिन कॉलेज जाता है। वह पूरे दिन वंशिका को ढूंढता है लेकिन वह नही मिलती । वह थक कर सबसे ऊपर वाली बिल्डिंग की छत पर बैठने जाता है जंहा पर वंशिका एक लड़के को kiss कर रही होती है।

पवन को देखकर वह रुक जाती है।

पवन – जब तुम्हे मुझसे प्यार नही था तो तुमने मेरे साथ ड्रामा क्यो किया?

वंशिका – ओह तो तुम्हे लगता है कि मैं तुम जैसे लूज़र से प्यार करूंगी।

पवन ये सुनकर वहाँ से चला जाता है और फिर कभी वंशिका से नही मिलता।