मेरी दूसरी मोहब्बत - 48 Author Pawan Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मेरी दूसरी मोहब्बत - 48

Part 48: Treatment

अवनी पवन को वहां से बाहर निकाल कर ले तो आती है पर वह इस सोच में डूबी होती है कि आखिर वह पवन को लेकर जाए कहां,

अवनी- मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं पवन को ले कर कहां जाऊं मैं इसे अभी किसी के सामने नहीं ला सकती इससे पवन को जान का खतरा हो सकता है,

मुझे इसे किसी ऐसी जगह पर छुपा कर रखना होगा जहां पर इसे कोई ढूंढ ना सके, और जब तक पवन ठीक नहीं हो जाता मुझे इस राज को राज रखना होगा,

अगर अनुज को खबर भी हो गई तो वह पवन को ढूंढने जरूर आएगा, पर मैं पवन को रखूं कहा?? हां मुझे याद आया पापा ने मुझे मेरे बर्थडे पर flat gift किया था मैं पवन को वही लेकर जाती हूं।

पवन चलने की हालत में नहीं होता तो वह बाहर खड़े security guard से कहती है,कि सर इनकी तबीयत खराब है और यह चल नहीं सकते तो क्या आप इसमें मेरी थोड़ी मदद करेंगे??

Security guard पवन की तरफ़ दिखता है और फिर जाकर एक wheelchair लेकर आता है जिस पर पवन को बिठाकर lift के जरिए कमरे तक अवनी लेकर आती है,

पर वहा कमरे के गेट पर लॉक लगा था और अवनी के पास उसकी चाबी नहीं होती पर वो फिर security guard से कहती है,

क्या आप इस लॉक को खुलवाने में मेरी मदद करेंगे?? मेरा इन्हें कमरे में ले जाना बहुत जरूरी है इनकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब है आप ये लॉक कैसे भी खोल दो??

Security guard अवनी की मदद करता हैं और लॉक तोड़ देता है और पवन को भी कमरे में ले जाने मैं अवनी की मदद करता है वह पवन को bed पर जाकर लिटा देता है

अवनी – security guard को thank you बोलती है और फिर security guard वहां से चला जाता है।

अवनी- अब पवन के लिए medical equipments की जरूरत होगी, अगर मैंने normal डॉक्टर से बात करी तो कहीं व पुलिस को ना बुला ले मैं क्या करूं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।

हाँ याद आया अविनाश मैं उसको फोन करती हूं वह डॉक्टर है वह इसमें मेरी मदद करेगा। (वो अविनाश को फोन लगाती है.)

अवनी अविनाश से (फोन पर)- हेलो मैं अवनी बोल रही हूं क्या मेरी बात अविनाश से हो रही है??

अविनाश- जी मैं अविनाश बोल रहा हूं आप कौन??

अवनी- अविनाश मैं अवनी बात कर रही हूं, तू कैसा है और कहां है??

अविनाश – हाय!!अवनी मैं ठीक हूं, तू बता कैसी है?

मैं बस hospital में ही हूं.

अवनी- यार मुझे तेरी मदद की जरूरत है?? बहुत ज्यादा अर्जेंट है अवनी अविनाश को सारी बात बताती है.

अविनाश- चिंता मत कर अवनी मैं एक nurse के साथ वहां आ रहा हूं और बहुत जल्द वहां पर पवन के लिए medical equipments लग जाएंगे तो टेंशन मत ले मैं बस निकल रहा हूं यहां से?

अवनी अविनाश का wait करती है थोड़ी देर में अविनाश nurse के साथ पहुंचता है, वह पवन को देखता है और उसे चेक करता है,

अविनाश- घबरा मत यह बिल्कुल सही है मैं एक काम करता हूं nurse को यहीं रहने के लिए बोलता हूं और मैं भी इसे बीच-बीच में आकर चेक करता रहूंगा तू बिल्कुल भी टेंशन मत ले.

अवनी- अविनाश तो नहीं जानता तूने मेरी कितनी बड़ी मदद की है मैं तेरा यह एहसान जिंदगी भर नहीं भूलूंगी,

अविनाश- तू कैसी बात कर रही है हम दोस्त हैं हम कॉलेज में कितनी मस्ती किया करते थे,तूने भी तो कॉलेज में मेरी इतनी help कि हैं यार दोस्तों का तो फर्ज होता है एक दूसरे की मदद करना बस मैं वही कर रहा हूं,तू मुझसे एहसान वाली बात मत कर नहीं तो मैं तुमसे गुस्सा हो जाऊंगा?

अवनी- अच्छा चल ठीक है नहीं बोल रही sorry बस ?तू गुस्सा मत होना??

अविनाश- यह हुई ना बात!!अच्छा मुझे hospital दोबारा जाना होगा मैं nurse को यहीं रुकने के लिए बोल दिया है वो पवन का ध्यान रखती रहेगी।

अवनी- ठीक है अविनाश तुम जाओ।

अविनाश वहां से चला जाता है, अवनी को भी वापस जाना था इसीलिए अवनी (nurse से कहती है)-आप इसका ध्यान रखिएगा मुझे अभी वापस जाना होगा पर मैं आती रहूंगी.

अवनी भी अपने घर के लिए निकल जाती है।

अवनी जब घर पहुंचते हैं तो घर पर कोई नहीं होता वह घर के एक (नौकर से पूछती है)- सब कहां गए??

नौकर- अवनी मैडम साहब के दोस्त के यहां पर छोटा सा function है तो सब वही गए हैं उन्होंने आपका काफी इंतजार किया पर आप लेट हो गई तो वो निकल गए।

अवनी- तो कब तक आएंगे कुछ बता कर गए??

नौकर- हां रात हो जाएगी उन्हें आते आते।

अवनी- ठीक हैं, मैं अभी किसी काम से बाहर जा रही हूं अगर मुझे आने में लेट हो जाए तो कह देना कि मैं अपने दोस्त के यहां गई हूं ठीक है?

नौकर- जी अवनी मैडम!!

अवनी- मैं पवन के घर जाती हूं उसकी हरकतों पर नजर रखती हूँ, और मुझे कुछ ऐसा भी करना होगा जिसके कि घर वालों के सामने उसकी असलियत आ जाए और वो खुद ही अपना सारा सच बता दे।

अवनी फिर पवन के घर निकल जाती है।

अवनी घर पहुंचती है तो देखती है कि अनुज और पवन की मां आपस में बैठे बातें कर रह होते हैं पवन कि माँ( अवनी से कहती है,)

अरे बेटा तुम?? आओ- आओ अंदर आओ।

अनुज - यार यह फिर आ गई ये तो ऐसे चिपक गई है जैसे कि गुड के साथ मक्खी इस लड़की ने तो अपुन का जीना हराम कर रखा है।

अनुज अपने मन में कहता है जब वह अवनी को देखता है

पवन की मां- तुम्हें पता है अवनी मैं तुम्हें फोन करने वाली थी वो क्या है ना शादी की तैयारियां करनी है कपड़े खरीदने हैं तो मैं सोच रही थी,

की हम सब तुम्हारे पसंद की कपड़े लेने चलते हैं और पवन के भी, और कुछ jewellery भी देख लेंगे जो तुम्हें पसंद हो, तुम्हारी पसंद भी मायने रखती हैं बेटा।

अवनी- जैसा आप ठीक समझे आंटी मैं घर जा के पापा मम्मी से बात कर लूंगी, और कल फिर हम सब चलते हैं shopping के लिए।

पवन की मां- हां बेटा यह सही रहेगा अब तुम दोनों बैठ कर आराम से बातें करो मैं किचन में कुछ काम देख कर आती हूं।

पवन कि माँ उन दोनों को अकेला छोड़ कर चली जाती है,

अनुज- लगता है आपसे एक महीना काटा नहीं जा रहा तभी तो आप मुझसे मिलने के लिए बहाने पर बहाने बना कर मुझसे मिलने की कोशिश कर रही है,

अवनी- अब क्या करें प्यार कमबख्त है ही ऐसी चीज है कि बेचैन करके रखता है, और वैसे भी सारा दिन तो मैं तुम्हारे बारे में ही सोचती रहती हूँ,पर तुम्हे तो कोई फ़र्क नहीं पड़ता इसलिए तो तुम मुझसे मिलने नहीं आते मैं ही कोशिश करती रहती हूँ,,

अनुज- अच्छा तो मैडम को इस बात की शिकायत है ठीक है मैं भी बहाने बना बना कर तुमसे मिलने आऊंगा,और कल तो पूरे दिन साथ ही रहने वाले हैं साथ में shopping करेंगे और बहुत सारी मस्ती भी।

अनुज अवनी की करीब आने की कोशिश करता है, और अवनी से थोड़ा इग्नोर करती है।

पवन की मां दोनों के लिए चाय लेकर आती है जिस पर( अनुज बोलता )- मां मेरा चाय पीने का मन नहीं है यह बात सुनकर पवन की मां को थोड़ा अजीब लगता है।

पवन की मां – बेटा तुम्हे चाय बहुत पसंद है और तुम मुझसे दिन में तीन बार चाय बनवाते थे और अब कह रहे हो तुम्हें चाय पीने का मन नहीं है? यह चमत्कार कैसे हुआ?

अनुज (घबराकर)-मेरा कहने का मतलब था अभी मेरा चाय पीने का मन नहीं हो रहा जब मेरा मन होगा तो मैं आपको बोल दूंगा.

अवनी- कोई बात नहीं आंटी हो सकता है कि हादसे के बाद पवन की पसंद भी थोड़ी बदल गई हो क्यों पवन??

अवनी को तो सब सच पता ही होता है इसलिए वह अनुज से जानबूझकर ऐसी बातें करती है।

पवन की मां- हां शायद बेटा तुम सही कह रही हो मैं ही ज्यादा सोच रही हूं।

अवनी (खुद से बात करते हुए)-आंटी को तो शक हो ही गया होगा की कुछ तो गड़बड़ है और बाकी कि कसर मैं कल पूरी कर दूंगी जब हम कल साथ में shopping जाएंगे।

अवनी घर के लिए निकल जाती है और घर पर सब अवनी इंतजार कर रहे होते हैं घर जाकर अवनी बताती है कि पवन की मां के साथ में shopping के लिए बोल रही है सब इसके लिए मान जाते हैं

अगली सुबह सब shopping के लिए निकल जाते हैं। वह सब एक कपड़े की shop में जाते है जो दिखने में काफी बड़ी होती है उस shop का owner पवन के पापा को जानता होता है पहले से।

Shop वाला-योगींद्र जी बड़े दोनो बाद दर्शन हुए आप के आए आप अंदर आए।

बस भाई साहब बेटे की शादी हों रही है तो सोचा थोड़े shopping करले बच्चों के साथ।

(फिर सब अंदर जाते हैं)

अवनी अनुज से कहती है- मैं जो तुम्हारे लिए जो पसंद करूंगी वही कपड़े तुम्हें पहनने होंगे और जो तुम मेरे लिए पसंद करोगे वही कपड़े में पहनूंगी बताओ मंजूर है??

अनुज- अरे मैडम अब तो पूरी जिंदगी मुझे आपकी बात मानी है ये तो सिर्फ कपड़े हैं,

चलो तो फिर मैं तुम्हारे लिए कुछ पसंद करता हूँ, यह देखो yellow कलर की साड़ी तुम पर कितनी अच्छी लगेगी??

अवनी- वह थोड़ा जोर से बोलती हैं कि सब को सुनाई दे, मुझे yellow कलर बिल्कुल नहीं पसंद पवन तुम्हें अच्छे से पता है मुझे लाल कलर पसंद है।

अनुज (हकलाते हुए )- ओ sorry मैं तो भूल ही गया था, यह देखो ये लाल साड़ी कितनी अच्छी लग रही है ना, यह तुम पर बहुत अच्छी लगेगी??

अवनी- हां यह साड़ी अच्छी है, अच्छा ये देखो blue कलर की शर्ट तुम पर कितनी अच्छी लगेगी??

अनुज- हां blue कलर तो मेरा favorite हैं मुझे पर ये shirt बहुत अच्छी लगी, पवन के मम्मी पापा अनुज को देखने लगते हैं की पवन को blue कलर पसंद नहीं था?

अवनी- मैं तो मजाक कर रही थी, मुझे लगा तुम शायद मुझसे कहोगे कि तुम्हें blue कलर पसंद ही नहीं है?? क्योंकि तुम्हें भी लाल कलर पसंद है।

सब अनुज को घूरने लगते हैं अनुज को यह सब देख कर चिंता होने लगती है कही उसका भांडा फूट ना जाए।

क्या अवनी अपने मकसद में कामयाब हो जाएगी और अनुज का भांडा फोड़ देगी??