मेरी दूसरी मोहब्बत - 45 Author Pawan Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मेरी दूसरी मोहब्बत - 45

Part - 45 Asli Pawan

अनुज और उसकी मां कमरे में जाते हैं जहां पर पवन कोमा में होता है,

अनुज- अब कैसे पता करें कि यह कैसे रहता था कैसी बाते करता था, यह तो कोमा में है जब तक इसे होश नहीं आ जाता हमें इसके बारे में कुछ पता नहीं चल पाएगा इसके बारे में, अभी फिलहाल मुझे वापस जाना होगा काफी देर हो गई है मैं चलता हूं और इसका ध्यान रखना यह हमारे लिए सोने की मुर्गी है अगर इसे कुछ हुआ तो हम अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सकते,

अनुज के पापा- अरे बेटा तुम बेफिक्र हों के जाओ हम इसका पूरा ध्यान रखेंगे बस तुम वहां पर ध्यान रखना कि किसी को तुम्हारे ऊपर शक ना हो??

अनुज वहां से निकल जाता है और घर की ओर निकल पड़ता है घर में पहुंचता है तो देखता है अवनी और बाकी लोग उसका इंतजार कर रहे होते हैं।

पवन के पापा – लो!!!पवन आ गया आओ बेटा हम तुम्हें ही याद कर रहे थे, कल तुम्हे अवनी के साथ उसके घर जाना है उसके माता-पिता से मिलने और अवनी को उसके घर छोड़ने भी,

उसी बीच पवन की मां बोलती है- पवन क्यों हम सब चलते हैं और वहां जाकर शादी भी पक्की कर देते हैं इतने बुरे दौर से गुजरे हैं अब में शादी में कोई देरी नहीं करना चाहती।

पवन के पापा- यह तुमने बहुत अच्छी बात बोली है तो हम कल सब अवनी के घर जाएंगे अच्छी सी तारीख निकलवा कर दोनों की शादी पक्की कर देंगे!!

अवनी यह सुनकर अनुज की तरफ इशारा करती है पर अनुज उसे देख कर थोड़ा मुस्कुरा देता है और कहता है,

पापा मुझे कुछ अजीब सा फील हो रहा है मैं थोड़ी देर अकेला रहना चाहता हूं क्या मैं अपने कमरे में जा सकता हूं,

पवन के पापा-क्या हुआ बेटा डॉक्टर को बुलाऊं क्या?? वह घबराकर अनुज से पूछते हैं?

अनुज- अरे पापा नहीं डॉक्टर की जरूरत नहीं है बस मुझे थोड़ा आराम करना है मैं बिल्कुल ठीक हूं बस थोड़ी थकान सी महसूस कर रहा हूं!!

पवन की मां- हां बेटा तुम अपने कमरे में जाओ और आराम कर लो मैं तुम्हारा खाना वही भिजवा देती हूं,

अनुज पवन के कमरे में चला जाता है और परेशान होकर खुद से बातें करता है यार यह लोग इतना क्यों बोलते हैं और इतना चिपके हुए रहते हैं अब ये शादी का नया ड्रामा इसे कैसे बचूँ मैं, और ऊपर से मुझे पवन के बारे में कुछ नहीं पता अगर मुझसे कुछ गड़बड़ हो गई तो मैं पकड़ा जाऊंगा क्या करूं कुछ समझ नहीं आ रहा,

फिर वह कमरे में कुछ ढूंढने लगता है वहा उसे एक डायरी मिलती है और वो डायरी पवन कि होती है,

जरूर पवन ने कुछ ना कुछ तो ऐसा इस में लिखा होगा जिससे मुझे पढ़कर यह तो पता चल जाएगा कि वह असल में है कैसा, उसके बारे में मुझे कुछ तो पता चल जाएगा.

फिर वो उसकी डायरी पढ़ने लगता है पूरी रात उस डायरी को पढ़ने में लगा देता है। उसे पवन के बारे में पता चल जाता है उसे क्या क्या पसंद है और वह क्या-क्या करता था,

सब कुछ उस डायरी से जान लेता है। सुबह सब अवनी के घर की ओर निकल पड़ते हैं जब वहां पहुंचते हैं अवनी के पापा और अवनी की मां उन्हें देखकर बहुत खुश होती है

अवनी के पापा- हमें तो लगा था कि अवनी और पवन आएंगे आपने तो हमें यहां आकर सरप्राइज ही दे दिया, हमें बहुत अच्छा लगा कि आप यहां आए??

पवन के पापा- सरप्राइज देने ही तो आए थे भाई साहब,हम अगर आपको बता कर आते तो हमारा सरप्राइज खराब ना हो जाता इस बात पर हंसने लगते हैं

दरअसल हम यहां पर अवनी और पवन की शादी की तारीख पक्की करने आए हैं अगर आप सहमत हैं तो??

सुरेश जी-अरे ये तो आपने मेरी मन की बात करदी मैं आपसे खुद ये बात करना चाहता था,

तभी अनुज और अवनी घर में आते हैं अनुज को देखकर अवनी के पापा उसे गले लगा लेते हैं,

सुरेश जी -बेटा तुम नहीं जानते तुम्हें सही सलामत देखकर मैं कितना खुश हूं जब तुम तकलीफ में थे,तो 1 दिन भी ऐसा नहीं होता था जब तुम्हारे बारे में मैंने ना सोचा हो,भगवान से यही दुआ करता था कि मैं मेरे पवन को बिल्कुल ठीक कर दो अब सही सलामत तुम्हे सबके साथ देख कर मैं बहुत खुश हूं बेटा।

अनुज- आप सब का आशीर्वाद था मेरे साथ अंकल जी तो मुझे कैसे कुछ हो सकता था सब कुछ ठीक तो होना ही था,

सुरेश जी-अब तुम ठीक हो गए हो तुम दोनों की शादी की तारीख पक्की कर देते हैं तो मैं काम करता हूं मैं हमारे पंडित जी को बुला लेता हूं वह अच्छी सी तारीख देखकर हमें बतादेंगे??

पवन के पापा- बिल्कुल भाई साहब अब बिल्कुल भी देर नहीं करनी आप उन्हें बुला लीजिए,

अवनी अपनी मां के साथ किचन में काम कर रही होती है तभी अनुज अपनी को इशारा करके बाहर की तरफ बुलाता है अवनी उस इशारे में कहती है कि वह अभी बिजी है अनुज उसे बार-बार इशारे करता रहता है,

यह सब अवनी की मां देख लेती है- अरे बेटा तुम रहने दो मैं कर लूंगी तुम जाओ पवन के साथ थोड़ा सा टाइम बिताओं,

अवनी बाहर की तरफ निकल जाती हैं और अनुज से कहती हैं, क्या बात है इतने इशारे क्यों कर रहे थे,

अनुज एक्टिंग करते हुए कहता है- तुमसे बात करना चाहता था इसलिए इशारे करके बुला रहा था,अगर मैं अंदर आकर बोलता तो शायद तुम्हारी मां को अच्छा नहीं लगता, वो क्या सोचती अभी शादी भी नहीं हुई और इशारे अभी से शुरू हों गए है फिर भी मैं इतनी मेहनत कर रहा था पर तुम मेरे इशारे समझ नहीं पाई वो तो शुक्र है आंटी जी का जो उन्होंने तुम्हे बाहर भेज दिया तुम्हारा तो बिल्कुल मन नहीं है मुझसे बात करने का,

अवनी- ऐसी बात नहीं है बस मैं थोड़ा बिजी थी तो मैंने ध्यान नहीं दिया, वैसे आज बड़ा रोमांटिक हो रहे हो क्या बात है??

अनुज- अरे रोमांटिक कैसे ना हो जब इतनी सुंदर लड़की सामने हो तो कोई अपने आप को रोक पाएगा भला!!

अनुज बिल्कुल वैसे ही करता है जैसे पवन किया करता था जिससे कि अवनी को पूरा पक्का यकीन जाए कि वह पवन ही है.

अवनी को यह सब सुनकर बहुत अच्छा लगता है वो सोचती हैं कि पवन फिर से पहले जैसा हो गया है जैसे वह हुआ करता था,

रुपेश वहां से गुजर रहा होता है तो वह अवनी अनुज को साथ में देख कर बोलता हैं

रूपेश -,क्या बात है आप दोनों ने तो घर में ही हनीमून point बना दिया सबर करो अभी शादी हुई नहीं है

अवनी- जैसा तू समझ रहा है ना वैसे कुछ है नहीं हैं,हम सिर्फ बात कर रहे थे और तू हम पर ध्यान मत दे अपने काम पर ध्यान दें वहां ध्यान देगा तो तेरे लिए अच्छा होगा समझा,अवनी ने उसे ताना मारते हुए कहा।

अनुज कोई बात नहीं अवनी गुस्सा करने वाली कौन सी बात है इसमे उसे जो लगा उसने बोल दिया।

रुपेश-पवन जी आपको बीच में बोलने की कोई जरूरत नहीं है यह बहन और भाई की बीच का मामला है यह बोल कर वहां से चला जाता है

अनुज - पता नहीं यह मुझसे ऐसे क्यों बात करता है जैसे कि पता नहीं मैं उसको बहुत बड़ा दुश्मन हूं

अवनी- ये बचपन से ही ऐसा है चिड़चिड़ा इसे जब हम नहीं समझ पाए तो तुम कहा से समझ पाओगे और हंसने लगती है, और जरूरी तो नहीं ना कि हर किसी को तुम पसंद आ जाओ थोड़ा वक्त लगे उसे तुम्हे समझने में तो तुम उसकी बातों का बुरा मत मानो??

अनुज-अरे मैं किसी बात का बुरा नहीं मानता मैं तो बस ऐसे ही तुमसे पूछ रहा था।

दूसरी तरफ अवनी के पापा और पवन के पापा पंडित जी के साथ मिलकर तारीख तय करते हैं और फिर दोनों को बुलाते हैं

पवन के पापा- अगले महीने सही रहेगा शादी के लिए ना,तो पंडित जी आप अगले महीने की कोई भी तारीख हमें बता दीजिए जो हमें सही तारीख लगेगी हम उसी के हिसाब से फिर तैयारी शुरू कर देंगे??

पंडित जी-देखिए अगले महीने की आखिरी के 3 दिन बहुत अच्छा मुहूर्त है तो आप एक काम कीजिए अगले महीने की आखिरी की 3 तारीख में से कोई एक तय कर लीजिए??

अवनी के पापा- ठीक है पंडित जी को तो हम आपस में बात करके पक्की कर लेंगे

पंडित जी अच्छा अब मैं चलता हूं??

अवनी के पापा- अरे!!खाना खाकर जाइए ना??

पंडित जी – अरे भाई साहब आज मेरा उपवास है तो हम खाना नहीं खा सकते आपने पूछा वही काफी है यह ये बोल कर सब से विदा लेकर चले जाते हैं

अनुज- पापा फिर आपने कौन सी तारीख पक्की की है शादी की?

पवन के पापा- बेटा अगले महीने की आखिरी तारीख बोला है तो फिर अगले महीने की आखिरी तारीख पक्की कर लेते हैं??

अवनी को यह सुनकर बहुत अच्छा लगता है कि अब फाइनली उसकी शादी पवन से होने वाली है।

क्या अनुज सबको ऐसे ही बेवकूफ बनाता रहेगा या अवनी उसके झूठ को पकड़ लेगी??