मेरी दूसरी मोहब्बत - 43 Author Pawan Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मेरी दूसरी मोहब्बत - 43

Part - 43 Memory

अवनी अनुज के साथ घर के लिए निकल पड़ती है दोनों घर पहुंचते हैं जैसे ही उसके मां-बाप अनुज को देखते हैं, उनकी खुशी का ठिकाना नहीं होता,

(पवन के पापा अनुज को जाकर गले लगा लेते हैं),

पवन के पापा (emotional हो के कहते है -बेटा तू कैसा है? और कहां था इतने दिनों से?

(पवन की मां भी आकर उसे गले लगा लेती है और उनका रो रो कर बुरा हाल हो जाता है)

माया जी -तेरे लिए मैंने कितने व्रत रखें कितने मंदिरों में गई कि तू सलामत रहे और सही सलामत घर आ जाए और भगवान ने मेरी सुन ली मेरा बच्चा बिल्कुल सही सलामत है।

(फिर अवनी उन्हें बताती है)

अवनी -अंकल, आंटी पवन की याददाश्त जा चुकी है उसे कुछ भी याद नहीं है,उसे ये तक याद नहीं कि उसका एक्सीडेंट हुआ था!!

मुंबई में एक husband wife जिन्होंने मुझे बताया कि पवन उन्हें सड़क पर मिला था बुरी हालत में,फिर वह पवन को अपने घर ले गए और इलाज करवाया उन्होंने पवन का खयाल रखा वो तो शुक्र है कि मैं मुंबई चली गई थी तो वहां अचानक मेरी मुलाकात पवन से हो गई,

पर मैंने इसे पवन समझ लिया था जब मैं पवन के पास गई तो उसने मुझे पहचाना नहीं पर मेरा दिल कहता था की ये पवन ही है,

और इसलिए सच्चाई का पता किया तो मुझे पता चला कि यह हमारा पवन है, पर इसकी याददाश्त जा चुकी है मैंने बहुत कोशिश की पर पवन को कुछ भी याद नहीं आया।

माया जी- अब सब कुछ याद आ जाएगा‌ मेरे बच्चे को क्योंकि वह अपनी मां के पास आ गया है।

अनुज-देखिए माता जी मुझे याद नहीं आ रहा है की आप लोग कौन हों? और अपुन यहां सिर्फ अपनी मैडम के कहने पर आया है उनका मन रखने के लिए,

देखिए अवनी मैडम आपने अपुन से कहा था कि जब यहां अपुन आएगा और इन लोगों से मिलेगा तो सब याद आ जाएगा पर अपुन को ऐसा कुछ भी याद नहीं आया जो आपने कहा था इसलिए अब अपुन यहां से जा रेला हैं।

(योगेंद्र जी अनुज को रोकते हैं)

योगेंद्र जी-अरे बेटा कहां जा रहे हो इतने दिनों के बाद तो तुम हमें मिले हो और हमें ऐसे छोड़कर मत जाओ? बस तुम थोड़ा बीमार हो इसलिए तुम्हें कुछ याद नहीं आ रहा ?और यह तुम कैसी भाषा बोल रहे हो अपुन जा रेला है??

अनुज-अपुन ऐसे इच बोलता हैं क्योंकि अपुन मुंबई के एक चाल में रहता है और वहा ऐसी इच भाषा बोली जाती है, तेरे को कोई प्रॉब्लम है क्या अंकल?

अवनी-देखो अनुज तुम्हें कुछ दिनों तक यहां रहना पड़ेगा जब तक तुम ठीक नहीं हो जाते अगर फिर भी कुछ नहीं हुआ तो मैं तुमसे वादा करती हूं की तुम्हें मैं खुद तुम्हारे चाल तक छोड़ कर आऊंगी।

अनुज -हमारी ऐसी कोई deal नहीं हुई थी मैडम ?आपने अपुन से कहा यहां आने को अपुन आपके साथ आया,पर अब आप अपुन को रुकने के लिए कह रही है, मेरे आई बाबा अकेले हैं, वहा अपुन के अलावा उनको कोई नहीं है अपुन उनको अकेला नहीं छोड़ सकता।

अवनी (समझाते हुए)-तुम इस बात की बिल्कुल चिंता मत करो,मैं उनका पूरा ध्यान रखूंगी तुम बस आखिरी बार मेरी बात मान लो और कुछ समय तक यहां रुक जाओ मैं तुम्हारे आई बाबा का खयाल रखूंगी में वादा करती हूं।

अनुज -क्या अवनी‌‌ मैडम बात बात पर अपुन को emotional कर देती है आपको पता है अपुन आपकी बात नहीं डाल सकता, ठीक है अपुन रुक जाएगा यहां।

अवनी-- thank you so much अनुज की तुमने मेरी बात मनाली।

अनुज-अपुन को आप सब से एक बात कहनी हैं?

माया जी-हां बेटा तुम बिल्कुल कह सकते हो?

अनुज-अपुन को ना बहुत देर से से भूख लग रही है अपुन को कुछ खाने के लिए ‌मिलेग?

माया जी-हां बेटा क्यों नहीं मैं अभी तुम्हारे लिए कुछ खाने के लिए लेकर आती हूं?

अवनी-वैसे तुम्हारा कमरा ऊपर है तुम जाकर थोड़ा आराम भी कर सकते हो?

अनुज-हां आप बहुत थक गया है हम जाकर थोड़ा आराम करता है।

(अनुज वहां से चला जाता है)

अवनी अपने पापा फोन पर सब कुछ बताती है यह सब सुनकर सुरेश जी को बहुत खुश होते है वह अवनी से कहते हैं,

सुरेश जी-बहुत अच्छी खबर है बेटा तुम वही रहना हम सब पवन के घर आते हैं।

(अवनी का परिवार पवन के घर पहुंचता है)

सुरेश जी- भाई साहब यह तो बहुत खुशी की बात है कि पवन मिल गया अवनी ने सब सच बता दिया कि पवन को कुछ याद नहीं आ रहा,पर आप चिंता मत कीजिए उसे याद आ जाएगा बस उसे थोड़ा वक्त दीजिए,इन सब चीजों में थोड़ा वक्त लगता है आप परेशान मत होइए सब कुछ ठीक हो जाएगा।

योगेंद्र जी-हां भाई साहब और कर भी क्या सकते हैं,मेरे बेटे को सब कुछ याद आ जाए मैं वादा करता हूं कि मैं उसे कभी कुछ नहीं बोलूंगा उसे जैसी अपनी जिंदगी जीनी है वह जी सकता है और (वह रोने लगते हैं).

यह सब देख कर सुरेश जी की आंखें भर आती हैं और वह उन्हें समझाते हैं,

सुरेश जी- भाई साहब पवन जैसे आपका बेटा है मेरा भी तो बेटा ही है,

मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि सब कुछ उसे याद आ जाएगा, बहुत स्ट्रांग बच्चा है आप ऐसे दिल छोटा करेंगे तो कैसे चलेगा आपको इन हालातों में स्ट्रांग होना पड़ेगा भाई साहब?!!

अवनी की मां-हां भाई साहब यह ठीक कह रहे हैं, पवन को बिल्कुल अच्छा नहीं लगेगा आप उसके सामने खुश रहिए और उसे ज्यादा मजबूर मत कीजिए कि कुछ भी याद करें उसके दिमाग पर बुरा असर हो सकता है।

माया जी-हां आप लोग सही कह रहे हैं थोड़ी देर अकेला रहेगा तो उसे अच्छा लगेगा अगर हम उसे जबरदस्ती याद दिलाने की कोशिश करेंगे तो उसके लिए अच्छा नहीं होगा मैं नहीं चाहती कि मेरे बेटे को अब कुछ भी हों!!

(योगेंद्र जी सुरेश जी की बात को समझते हैं और अपने आप को संभालते हुए अवनी से पूछते हैं),

योगेंद्र जी-अपने बेटा तुमने कुछ सोचा है कि आगे क्या करना है कैसे पवन किया था वापस लानी है?

अवनी-हां जी अंकल मैंने कुछ सोचा हैं,मेरे दिमाग में एक ideaआया है जिससे की पवन को याद आ सकता है सब कुछ?

योगेंद्र जी-अच्छा बताओ क्या करना होगा जिससे कि पवन को सब याद आ जाए??

अवनी-मैं उसे वजीराबाद ले जाना चाहती हूं, जहां पर मैं और पवन पहली बार मिले थे,

वहीं से सब कुछ शुरू हुआ था क्या पता वो‌ जगह देख कर उस सब याद आ जाए??

योगेंद्र जी- अगर तुम्हें लगता है कि यह करना सही रहेगा पवन के लिए तो मैं तुम्हें नहीं रोकूंगा कुछ भी करके मेरा बेटा ठीक हो जाए पहले की तरह!!

अवनी- जब इतनी कोशिश कर ली एक कोशिश और कर लेते हैं, क्या पता‌ इस बार कामयाब हो जाए,और मुझे इसके लिए अब पवन से बात करनी होगी मैं उसके पास जाकर उससे बात करती हूं।

योगेंद्र जी-हां बेटा जाकर उससे बताओ और उसे अपने साथ ले जाओ।

अवनी अनुज के पास जाती है अनुज खिड़की के बाहर का नजारा देख रहा होता है,

अवनी-क्या सोच रहे हो??

अनुज-कुछ नहीं अपुन तो बस बाहर ऐसे ही देख रहा था। वैसे घर एक दम मस्त है एकदम महल के माफिक, पर अपुन के भेजे में एक बात नहीं घुस रेलि हैं, अगर अपने अपन से जो कुछ भी कहा है अगर वह सच निकला पर अपन को कुछ याद ही नहीं आया जो आपका दिल दुख जाएगा अवनी मैडम?

अवनी-नहीं ऐसा कुछ नहीं है तुम मेरे पवन ही हो और यह मैं साबित करके दिखाऊंगी तुम बस अपने ऊपर भरोसा रखो सब ठीक हो जाएगा, अब छोड़ो से सब और कल हम घूमने जायेंगे?

अनुज-घूमने पर कहां??

अवनी- वजीराबाद, तुम चलोगे ना? अवनी अनुज को सच नहीं बताती की वो क्यों उसे वजीराबाद ले जाना चाहती है, क्योंकि वह देखना चाहती थी, की वह उस जगह को देख कर कैसे react करता हैं।

अनुज-वजीराबाद?? नाम तो अपुन को कुछ सुना सुना सा लग रहा?

अवनी को यह सुनकर यकीन हो जाता है कि इस बार सब कुछ ठीक हो जाएगा,तो ठीक है तो ठीक कल सुबह वजीराबाद के लिए निकलेंगे??

अनुज( अवनी के करीब जाकर उससे कहता है),

अनुज-वैसे आप से एक बात कहना चाहता हैं अपुन, पवन बहुत खुशनसीब है की आप जैसी लड़की उसे मिली अपने साबित कर दिया की अभी भी इस दुनिया में प्यार का वजूद है प्यार पर भरोसा किया जा सकता है,

अवनी जब यह सुनती है तो हंसने लगती है, और उससे कहती है,

अवनी-मैंने यह सब पवन से ही सीखा है उसने ही मुझे यह बताया अगर हम गलत इंसान से प्यार कर लेते हैं तो उसमें गलती प्यार की नहीं इंसान की होती हैं। और जिस से भी हम सच्चा प्यार करते हैं ना उसके हर अच्छे बुरे वक्त में हमें उसके साथ होना चाहिए हमेशा एक दूसरे के लिए ढाल बनकर खड़े हो जाना चाहिए, मैं इतनी स्ट्रांग नहीं थी पर पवन ने मुझे इतना स्ट्रांग बनाया।

अनुज-क्या बात है आपका फोन तो बढ़ाई solid है बिल्कुल आप के ही माफिक।

(फिर अवनी थोड़ा मुस्कुराती है)

क्या अवनी पवन को वजीराबाद ले जाकर पवन की याददाश्त लाने में कामयाब होगी?