मेरी दूसरी मोहब्बत - 41 Author Pawan Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

मेरी दूसरी मोहब्बत - 41

Part - 41 Doubts Anuj par

अनुज को जॉब ऑफर कर के अवनी वहां से चली जाती है |

अनुज की माँ – अनुज बेटा लगता है बाप्पा ने अपनी सुन ली | इतने दिनों से तू नौकरी ढूंड रहा था तो नही मिली और मैंने कल ही बप्पा से मन्नत मांगी थी की अगर तुझे नौकरी मिल जाएगी तो मै सिध्ही विनायक में बाप्पा को मोदक का भोग लगाउंगी और देख बाप्पा ने मेरी सुन ली, नौकरी खुद घर तक चल कर आ गयी | तू इसे ऐसे ठुकरा मत |

अनुज – आई ! तू बहुत भोली है इसलिए तुझे अक्खी दुनिया भी भोली लगती है पर जो जैसा दीखता है वैसा होता नही है | आजकल के ज़माने मैं फ़ोकट में कोई किसी की मदद नही करता |

माँ – वो तो तेरी बात ठीक है | पर ऐसे मौके बार बार नही आते | वो लड़की तो बोल के गयी ना की तू उसके बारे में details निकाल के अपना फैसला सुनाये | हो सकता है कि वो सच कह रही हो | तू अपनी तसल्ली के लिए उसके और उसकी कंपनी के बारे में पता करले और फिर जब तुझे सब ठीक लगे तो, करलेना नौकरी |

अनुज – हाँ आई, कह तो तू ठीक रही है | हो सकता है कि मैं ज्यादा ही सोच रहा हूँ |

अगले दो दिन अनुज ने अवनी की कंपनी के बारे में पता करने में निकाल दिए | और दूसरी तरफ अवनी इस सोच में डूबी होती है कि पता नही अनुज आएगा कि नही |

अगले दिन...

अवनी अपने केबिन के अन्दर से ही मेन एंट्री की तरफ देख रही होती है | उसकी निगाहें पवन को देखने के लिए तरस रही होती हैं | जबसे पवन गया था तबसे अवनी खली दो ही दिन नही रोई और वो दो दिन अनुज से मिलने के बाद के थे,तभी वो देखती है कि अनुज वहां आ रहा होता है | अवनी तुरंत पहले खुद को शीशे में देखती है कि वो ठीक लग रही है या नही | अवनी अपनी एक कलीग से पूछती है कि मैं ठीक लग रही हूँ या नही ? उसपर वो बताती है की मैडम आप तो बहुत सुन्दर लग रही हो |

अनुज अवनी की बिल्डिंग में जाता है | पहले तो वो इतनी बड़ी बिल्डिंग देख के हैरान रह जाता है | वो काउंटर पे बताता है कि उसे अवनी ने बुलाया है | वहां उसे एक लड़का अवनी के रूम में ले जाता है |

अनुज अवनी को देखता है तो देखता ही रह जाता है ...

अनुज – गुड मोर्निंग मैडम |

अवनी – आओ अनुज बैठो | बताओ चाय कॉफ़ी कुछ मंगाऊ तुम्हारे लिए ?

अनुज – अरे नही नही मैडम | मुझे कुछ नही चाहिए |

अवनी किसी को कॉल करती है और बोलती है

अवनी – बब्बन पवन सर के लिए कॉफ़ी ले आओ | (फिर खुद को सुधारती है ) मेरा मतलब है की अनुज के लिए एक कप कॉफ़ी ले आओ |

अनुज – ये पवन कौन है ?

अवनी – वो मेरा एक दोस्त है | मैंने गलती से उसका नाम ले लिया |

थोड़ी देर में कॉफ़ी आती है और अनुज कॉफ़ी पीने लगता है |

अवनी – अच्छा बताओ अनुज क्या सोचा तुमने ?

अनुज – काफी जासूसी की मैंने आपकी तब जा के पता चला कि आप कितनी अच्छी हो|

अवनी – अच्छा ? कितनी अच्छी हूँ मैं ?

अनुज – आप सबकी बहुत मैडम करती हो, इतनी अमीर हो के भी सिंपल सी लाइफ जीती हो | समंदर के किनारे बैठ के वड़ापाव खाती हो | मुझे भी आपने नौकरी के लायक समझा | इसलिए मैं ख़ुशी ख़ुशी आपकी कंपनी में नौकरी करने के लिए तय्यार हूँ |

अवनी हस्ती है – अच्छा ! thank you thank you ! वैसे तारीफ के लायक तो तुम भी हो | तुम्हारी भी काफी तारीफ़ सुनी है मैंने | इसलिए तो मैंने तुम्हे इस नौकरी के काबिल समझा |

चलो हम अब तुम्हारी नौकरी के बारे में डिस्कस करलेते है |

अवनी का एक एम्प्लोय वहां आजाता है और अवनी को बताता है की शर्मा जी मीटिंग के लिए उसका वेट कर रहे है |

अवनी – तुम उनको इस रूम में ले आओ | और उन्हें आधा घंटा वेट करने को बोलो, तब तक उनकी सारी खातिरदारी करो | चाय, कॉफ़ी, ठंडा जो भी उन्हें चाहिए वो उनके सम्मने पेश करो | मैं तबतक अनुज को उसकी

नौकरी के बारे बता के आती हूँ |

अवनी – अनुज हम दुसरे रूम में चलते हैं |

अवनी और अनुज दुसरे रूम में जाते हैं और अवनी जैसे ही रूम में जाती है उसका पैर फिसल जाता है |

अनुज, अवनी को अपनी बाँहों में पकड़ लेता है | दोनों एक दूसरे को देखते हैं और खो जाते हैं |

अवनी घबरा के अपने पैरो पे खड़ी हो जाती है और सोचने लगती है कि अनुज का स्पर्श एकदम पवन जैसा कैसे हो सकता है ? पवन के छूने से जो एहसास होता था वो सेम एहसास अनुज के छूने से भी फील हो रहा था | )

अवनी – sorry वो मेरा पैर फिसल गया था |

अनुज – अरे कोई बात नही मैडम हो जाता है |

अवनी – ये क्या मैडम मैडम लगा रखा है तुमने | just call me awani, ओक्के?

अनुज – अरे नही नही, आप इतनी बड़ी कंपनी की मालिक हो | आप कहाँ और में कहाँ ? मैं आपको नाम से कैसे बुला सकता हूँ ?

अवनी – अरे मैं बोल रही हूँ ना तुम्हे | तुम इसे मेरा order समझो |

अनुज – ठीक है अवनी मैडम !

अवनी – अरे ! फिरसे ? मैंने बोला न तुम्हे सिर्फ अवनी |

( फिर दोनों हसने लगते है )

अवनी – देखो हमारी कंपनी में कई तरह के प्रोडक्ट्स बनते है | तुम्हे उनकी क्वालिटी चेक करनी होगी कि वो सही तरीके से बने है या नही | सिंपल सी ड्यूटी है तुम्हारी |

अनुज – ठीक है आप लोग एक बार मुझे पूरा प्रोसीजर बता देना, मैं अपनी ड्यूटी अछे से निभाउंगा |

अवनी – वो तो मुझे तुमपे भरोसा है |

अनुज – अच्छा अवनी मैडम !

( इसपर अवनी आँख दिखाती है )

अनुज – मेरा मतलब है कि अवनी, मेरी सैलरी कितनी होगी ?

अवनी – सैलरी ! अभी तो शुरुआत में कम ही मिलेगी पर आगे चल कर बढ़ जाएगी | फिलहाल तो मैं बस तुम्हे 25,000 ही दे सकती हूँ |

अनुज का मुह खुला रह जाता है

अनुज – 25,000 ! ये तो बहुत जादा है | आई शप्पत इतने पैसे तो मैंने जिंदगी में नही कमाए है |

अवनी जोर से हस्ती है |

अनुज का behavior बिलकुल पवन के behavior जैसा jolly था | वो बहुत हसमुख टाइप का इंसान था |

अवनी – अच्छा अनुज तुमने इतनी तारीफ़ की मेरी, सब दूसरो से ही सुनी है या तुमने खुदने भी कुछ नोटिस किया है ?

अनुज – notice तो बहुत कुछ किया है पर डर लगता है बताने में |

अवनी – डर? क्यूँ मैं क्या तुम्हे खा जाउंगी?

अनुज – अरे नही नही मेरा वो मतलब नही था | आप boss हो ना मेरी तो . . . आई ने बोला था कि boss के आगे जादा नही बोलना चाहिए | चुप ही रहना चाहिए |

अवनी – ओह ! ऐसा कुछ नही है | तुम बेहिचक बताओ | भला तारीफ सुन के किसे बुरा लगता है ? तुम बताओ तुमने

क्या notice किया है ?

अनुज – आज आप के ऊपर ये गुलाबी सूट बहुत अच्छा लग रहा है | आप एकदम मलाई के माफिक गोरी गोरी हो, हमारे तो पूरे इलाके में आपके जैसा कोई नही है, आपके सामने ना हेरोइन भी फेल है |

अवनी – और?

अनुज – और? और आप जितनी खुबसूरत बाहर से हो उससे कई जादा दिल की साफ़ हो | मैं तो जिंदगी में कभी एक साथ इतने पैसे नही कमा सकता था पर आपने मुझे ये मौका दिया | आपकी वजह से मै अपनी आई का सपना पूरा कर पाउँगा, अपने बाबा का ऑपरेशन करुगा | thank you so much ! आप मेरे लिए किसी फ़रिश्ते से कम नही हो |

फिर अनुज वहां से जाने की इजाजत मांगता है और जा ही रहा होता है की अवनी अनुज के कंधे पर निशान देखती है वैसा ही निशान पवन के कंधे पर था | अवनी सोचने लगती है की दो लोगों में इतनी similarity कैसे हो सकती है | अवनी को शख होता और अब वो अनुज की जासूसी करवाने की सोचती है |

तो क्या अनुज ही पवन है ?