मेरी दूसरी मोहब्बत - 12 Author Pawan Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मेरी दूसरी मोहब्बत - 12

Part -12 Ex ka Badla

अवनी जब बार -बार समझाने पर नितेश प्रताप से शादी करने के लिए मना करती है तो तब ये सब बातें चुपके से नितेश प्रताप सुन रहा है।

नितेश प्रताप - इस लड़की ने शादी के मंडप से भागकर मेरी और मेरे परिवार की बहुत बेइज्जती की है। इस बेइज्जती का बदला ‌मैं लेकर रहूगाँ।

अवनी की चाची - अरे! नितेश बेटा तुम यहाँ हो । मैं तुम्हें ही ढूँढ रही थी। बोल कुछ करेगा या खड़ा ही रहेगा। तुम्हें मेरी और मेरे भैया ( तुम्हारे पापा) की insult का बदला लेना है।

नितेश - बुआ जी आप चिंता ना करो ‌। मैंने ‌सब इंतजाम कर लिया है। या तो प्यार से मान ही जाएगी नहीं मैं अपना असली रूप दिखा दूगाँ।

अवनी की चाची - चंगा बेटा । मुझे से यही उम्मीद थी। तुझे नहीं पता मैं अपने मायके की बेइज्जती में दिन रात झुलस रही हूँ।

इस लड़की ने कहीं का नहीं छोड़ा । और कितनी जल्दी इस परिवार ने इसे माफ़ कर दिया। मैं कभी माफ़ नहीं करूँगी इस लड़की को।

अवनी चाची - अरे प्रीति तुम यहाँ हो। मैं सब जगह ढूँढ रहा हूँ। वो मुझे दो लाख रुपए की ज़रूरत है।

प्रीति - हाँ देती हूँ । अभी सुबह पांँच लाख रुपए दिए थे। पानी की तरह पैसे बहा रहे हो।

भान प्रभु - अरे ! सब प्राजी के दिए हुए ही हैं।

प्रीति - हमारी मेधा भी बड़ी हो चुकी है। भूल मत जाना।

भान प्रभु- ओए ! तू‌ चिंता न कर । प्राजी अपने सभी बच्चों का पूरा ख्याल रखते हैं।

प्रीति - हाँ - हाँ अवनी का ख्याल रखा तभी खानदान का नाक कटवा कर भागी।

भान प्रभु (गुस्से में) तू न अपनी जुबान से अंगारे ना बरसाया कर ।

प्रीति - सच तो अंगारे लगते हैं तुम सबको।

भान प्रभु - बस अब चुप!

कहकर झट से पैसे लेकर चला जाता है।

उधर अवनी और पवन की लगातार बहस चल रही है। अवनी ( परेशान होकर) पवन से कहती है कि जो भी हो मैं ‌नितेश प्रताप से शादी ‌नहीं करूँगी।

मेरी शादी होगी तो सिर्फ तुमसे होगी नहीं तो शादी cancel.

पवन - ok ok गुस्सा मत हो‌। मुझे लगा तुम मुझसे सिर्फ मजबूरी में शादी कर रही हो। अरे यारा! दिलदारा तुम्हारे जैसी लड़की से तो हर कोई शादी करना चाहेगा।

मेरी क्या मजाल जो मना कर दूँ।

तुम्हारा यही फैसला है तो बंदा अपनी बलि देने को तैयार है। स्वीकार करो बालिके।

पवन मज़ाक करते हुए झुक जाता है।

अवनी (शरमाते हुए) - तुम तो पूरे नौटंकीबाज हो ।

पवन और अवनी एक-दूसरे की आँखों में खो जाते हैं । यहीं से उनकी मुहब्बत की शुरुआत होती है। यह सब देखकर नितेश दौड़कर आता है।

नितेश प्रताप - (ज़ोर ज़ोर से चिल्लाते हुए) सब सुनो ये दोनों मिलकर पागल बना रहे ‌हैं।

पवन - नितेश प्रताप ये तुम क्या कह रहे हो। मैंने पूरी कोशिश की लेकिन अवनी तुमसे शादी नहीं करना चाहती । बात खत्म। बिना मतलब क्यों चिल्ला रहे हो।

नितेश प्रताप- ओए! अवनी मेरी नहीं तो किसी की नहीं। ये मेरी मंगेतर है। आप सबको ये भी बता दूँ कि ये किसी और लड़के के लिए भागी थी। इससे ये प्यार नहीं करती। मंगनी मुझसे हुई तो‌ शादी भी मुझसे करगी । जिसके लिए भागी वो तो मिला नहीं।

पवन - लेकिन तब उसने डर के मारे मंगनी की । अब वो अपनी खुशी से मँगनी करना चाहती है। हर लड़की को अपना जीवन साथी चुनने का हक है।

नितेश प्रताप - ऐसे थोड़ी ना बच्चों का खेल है । शादी ब्याह।

पवन - (गुस्से में) बस करो अब तुम।

नितेश प्रताप - अवनी को पकड़कर उसकी कनपटी पर बंदूक रख देता है। सब दूर रहो नहीं तो.....

पवन - पागल हो तुम?

तभी यह सब हंगामा सुनकर अवनी के पिताजी सुरेश प्रभु आते हैं।

सुरेश प्रभु - ओए लड़के तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बेटी पर बंदूक तानने की।

नितेश प्रताप - सब एक तरफ हो जाओ नहीं तो गोली चला दूगाँ।

डर के कारण सब रिश्तेदार और सुरक्षाकर्मी एक तरफ हो जाते हैं।

भान प्रभु - ओए प्रीति देख अपने‌ भतीजे की करतूत। अच्छा हुआ अवनी की शादी इससे नहीं हुई। ये इस फूल सी बच्ची के लायक है ही नहीं।

प्रीति - कोई नहीं तुम सब को पता लग जाएगा.....कि कौन किसके लायक है।

भान प्रभु - क्या बोल रही हो समझाओ इसको कि अवनी को छोड़ दे। नहीं तो तुम सबके लिए अच्छा नहीं होगा।

प्रीति - हाँ हाँ जो अच्छा बुरा करना है कर लो। तुम ताकत दिखाओ हम अपनी.....

इतने में ही नितेश प्रताप की पूरी फैमिली एक एक करके बाहर खिसक आते हैं। जल्दी जल्दी सब गाड़ी में सवार हो जाते हैं।

नितेश की माँ- ड्राइवर जल्दी करो चलो घर अपने सोहन गढ़ के फार्म हाउस । अब सुरेश प्रभु के लोग हमें नहीं छोड़ेंगे। नितेश ने अपना वहाँ हम सबका इंतजाम किया है। इसके पापा भी वहीं हैं। नितेश प्रताप के गार्ड भी अपने मालिक की सुरक्षा के लिए खड़े हो जाते हैं।

अब माहौल फंक्शन की जगह दहशत में बदल जाता है।

एक तरफ सुरेश प्रभु के गार्ड तो दूसरी तरफ नितेश प्रताप के गार्ड।

सुरेश प्रभु- अच्छा हुआ तुम्हारे पिताजी यहाँ नहीं है। नहीं तुम्हारी इस करतूत पर वो शर्मिंदा हो जाते। वो मेरा दोस्त जो है।

नितेश प्रताप- ओ ससुर जी। कहाँ हो। इस भुलावे से बाहर निकलो। उन्हें सब पता है। उनको भी आप से ज्यादा अपनी इज्जत ही प्यारी है‌। आपकी इस लाडली ने पूरे शहर में हमारी इज्जत उछाली है। इसका बदला हम लेकर रहेंगे।

बोलते - बोलते नितेश अवनी को घसीटकर गाड़ी तक ले आता है‌ और गाड़ी में बैठाकर तेज़ी से भाग जाता है।

गाड़ी के पीछे - पीछे पवन और गार्ड भी अपनी अपनी गाडी लेकर आते हैं।

सुरेश प्रभु और भान प्रभु सब तरफ पुलिस को फ़ोन करके बोर्डर बंद करवाते हैं । ताकि दिल्ली से बाहर न निकल पाए नितेश।

नितेश की गाड़ी के पीछे पीछे पवन और सुरेश प्रभु के गार्डों की गाडियाँ पूरी रफ्तार से दौड़ रही हैं।

नितेश की गाड़ी में अवनी नितेश प्रताप से हाथापाई कर रही है। तभी नितेश गुस्से में अवनी को जोरदार चाँटा मारता है। अवनी बेहोश हो जाती है।

नितेश ड्राईवर को अपने फार्म हाउस की तरफ गाड़ी मोड़ने को कहता है । इस फार्म हाउस के बारे में किसी को नहीं पता।

पवन - (चिल्लाते हुए) तेज़ और तेज़ गाड़ी चलाओ। नितेश की गाड़ी दिख नहीं रही । ओह ! अब मैं अवनी को कैसे बचाऊँ, क्या करूँ।

नितेश प्रताप की गाड़ी ओझल हो जाती है।

क्या पवन अवनी को ढूँढ पाएगा? या नितेश प्रताप जबरदस्ती अवनी से शादी कर लेगा।