वो बंद दरवाजा - 6 Vaidehi Vaishnav द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वो बंद दरवाजा - 6

भाग- 6

अब तक आपने पढ़ा कि मनाली घूमने निकले दोस्तों की टोली जंगल में भटक जाती है। अब उन्हें जंगल में कही दूर रोशनी दिखाई देती है।

जंगल के बीचों-बीच खड़े हुए लड़के और लड़कियां इसी उधेड़बुन में थे कि क्या करें ? दूर से आती रोशनी की दिशा में कदम बढ़ाए या फिर से गाड़ी की ओर लौट जाए।

तभी तेज़ आवाज़ से बिजली ऐसी कड़की मानो चेतावनी दे रहीं हो कि खुले आसमान तले रहना ख़तरे से खाली नहीं है। कहीं किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाओ। अब तो किसी के पास कोई चारा ही नहीं था ना नुकुर करने का। सभी तेज़ कदमों से उस ओर बढ़ चले जिस ओर से रोशनी दिखाई दे रही थी।

हाँफते हुए सूर्या ने कहा- " कितना औऱ चलना होगा ? ये रोशनी वाली जगह जस की तस नहीं लग रहीं ?"

रश्मि- हां, ये दूरी कम क्यों नहीं हो रही ?

आदि- यार तुम लोग भी कैसी बातें कर रहें हो..? हम लोग नापतौल कर थोड़ी चल रहे हैं।

रौनक़- चलते रहो... मंजिल ज़्यादा दूर नहीं है।

आर्यन एकाएक रुक गया औऱ चिल्लाते हुए बोला- "ओ तेरी ! वो क्या है ?"

सभी रुक गए और आर्यन द्वारा बताई जगह की ओर देखने लगे। वहाँ झाड़ियों के पीछे कुछ था। अंधेरे में भी एक साया साफ़ नज़र आ रहा था।

सबकी हालत ऐसी हो गई कि काटो तो खून न निकलें।

झाड़ियों के पीछे चहलकदमी की आवाज़ ने रूह को अंदर तक कंपा दिया था।

झाड़ियों से उछलता हुआ वह साया पेड़ पर जा पहुंचा तो सब एक साथ चीख़ पड़े। सबकी चीख़ सुनसान जगह होने के कारण देर तक गूँजती रहीं।

रिनी पेड़ की ओर उंगली से इशारा करते हुए- "बन्दर..."

सभी लोग जब पेड़ पर बैठे हुए बन्दर को देखते हैं तो उनकी जान में जान आ जाती है।

माथे से पसीना पोछते हुए आदि बोला- "कभी सोचा नहीं था कि बन्दरो की नाक में दम करने वाला मैं कभी एक बंदर से इस कदर डर जाऊँगा।"

रश्मि अचकचाकर- "आज तो न जाने क्या कुछ नया देखने को मिल रहा। मुझे तो लग रहा जैसे हम मनाली नहीं भानगढ़ घूमने आए हैं।"

सूर्या- दोस्तों, ये ट्रिप तो उस भूतिया बावड़ी से भी ज़्यादा भयानक लग रही है। इतना डर तो उस बावड़ी को देखने में नहीं लगा था।

आदि तंज कसते हुए- "चलों, इसी बहाने तूने स्वीकार तो किया कि तू उस दिन डर गया था।"

सूर्या चेहरे पर दिखावटी आत्मविश्वास लाते हुए- "जैसे तू अभी डरा न उस बन्दर से बस वैसे ही मुझे भी वहम हो गया था उस दिन।"

रौनक़ ख़ुश होकर- "लुक एट देअर.... कोई होटल लग रहा है शायद । अगर होटल ही हुआ तो हमारे रहने का बंदोबस्त हो जाएगा।"

रिनी चहकते हुए- "होटल ही है । वो देखो वहाँ बड़े से बोर्ड पर नाम लिखा हुआ है"

सूर्या गौर से तख़्ती पर लिखे हुए नाम को पढ़ते हुए- "होटल वेटिंग फ़ॉर यू, ये कैसा नाम है..?"

आर्यन हैरान होकर- "हाँ, जैसे हमारे ही इंतज़ार में हो।"

आदि का चेहरा डर से मुरझा गया वह बोला- " न मालूम क्यों, मुझे तो अजीब सा महसूस हो रहा है। जैसे हम कुछ गलत कर रहें हैं।"

रिनी आदि को समझाते हुए- "तू सही और गलत का तराजू फेंक औऱ ग्राहक की तरह सोच। जो मिल रहा उसी में ख़ुशी मनाओ।"

रश्मि बदलते मौसम से आशंकित होकर- " ऐसा लग रहा है जैसे बारिश भी होने वाली है। हम सबके लिए यही बेहतर रहेगा कि हम उस होटल में रात रुक जाए।"

रौनक़ सहमती में सिर हिलाकर- "हम्म, यही सही रहेगा।"

बीच जंगल में किसकी होटल है ? क्या यहाँ कोई रहता होगा...?