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त्रियाची - 18

भाग 18

प्रणिता- क्यों अब तक तक तो हम आपके लिए बहुत खास थे। अब आपका आधा काम हो गया तो अब आपको हमारी जरूरत नहीं है। 

तुषार - हां युद्ध समाप्त हो गया तो अब इन्हें हमारी जरूरत क्यों होगी ? 

सप्तक- मुझे अब भी तुम लोगों की जरूरत है, परंतु अब जैसे तुम हो वैसे नहीं। जैसे पहले थे वैसे ही चाहिए। 

तुषार - अब हम लोगों में क्या बदल गया है ? 

सप्तक- सबसे पहले तो ये जान लो कि जिसे तुम लोग युद्ध कह रहे हो वो युद्ध का एक भाग भी नहीं था। असली युद्ध तो अभी होना बाकि है। उस युद्ध के लिए तुम्हें तैयार होना होगा, उसके लिए सबसे पहले तुम्हें अपने अंदर के इस अहंकार को मारना होगा। अपने अहंकार से युद्ध लड़ो और उससे जीतो तभी तुम उस युद्ध को जीत सकोगे। अगर तुम अपने अहंकार पर जीत हासिल नहीं कर सके तो समझ लेना कि तुम उस युद्ध को भी नहीं जीत पाओगे। 

प्रणिता- अहंकार ? कौन कर रहा है अहंकार ? 

सप्तक- ये जो तुम्हारी बातें हैं उसमें अहंकार साफ नजर आ रहा है। 

रॉनी- ओह अब आपका काम हो गया तो हम अहंकारी हो गए हैं ? 

राधिका- नहीं सप्तक जी बिल्कुल सही कह रहे हैं। मुझे भी तुम्हारी बातों से अहंकार महसूस हो रहा है। प्रणिता तुम तो ऐसी नहीं थी, फिर अचानक ये क्या हुआ है ? 

प्रणिता- दीदी आपको भी लगता है कि मैं घमंडी हो गई हूं ? 

राधिका- हां प्रणिता और सिर्फ तुम ही नहीं यश, तुषार, रॉनी तुम सब भी। पहले सप्तक जी की बात पूरी सुनो। अपनी एक छोटी जीत पर इतना मत इतराओ। 

अनिकेत- सप्तक जी पहले आप बताए। आप युद्ध के बारे में कुछ कह रहे थे। 

सप्तक- सुबाहा और कमाटा को मार देने और मगोरा के भाग जाने से अगर तुम लोग समझ रहे हो कि युद्ध समाप्त हो गया है तो तुम लोग गलत हो। तुम लोगों की जानकारी के लिए बता दूं कि मगोरा अकेला ही तुम पांचों का मुकाबला करने में सक्षम है। अगर वो भागा है तो तुम लोगों की शक्तियों को देखकर। उसे इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि एक साधारण सा दिखने वाला इंसान उसके सामने इस तरह की शक्तियों का प्रयोग कर सकता है। रही बात युद्ध की तो ये जो अब तक था वो युद्ध का एक हिस्सा भी नहीं था। जब युद्ध होगा तो शायद तुम लोगों को सोचने का अवसर भी ना मिले कि आखिर क्या करना है। इसलिए उस युद्ध के लिए तुम्हें ना सिर्फ शारीरिक तौर पर बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत रहना होगा। 

रॉनी- आखिर किससे है वो युद्ध ? आपने अब तक तो बताया ही नहीं।

सप्तक- है तो वो मानव ही, परंतु साधारण मानवों से लाखों गुना और तुम लोगों से हजारों गुना शक्तिशाली है। 

प्रणिता- अगर वो हमसे हजारों गुना शक्तिशाली है तो फिर हम उसका मुकाबला कैसे करेंगे ? वो तो हमें ऐसे ही युद्ध में हरा देंगे। 

सप्तक- इसलिए कह रहा था कि तुम्हारे अंदर जो अहंकार घर कर गया है सबसे पहले उसे बाहर निकाल फेंको। क्योंकि जब तक तुम लोगों के अंदर अहंकार रहेगा तुम लोग एक नहीं हो सकोगे। अगर एक नहीं हो सकोगे तो उस युद्ध में तुम्हारी हार सुनिश्चित है, परंतु यदि एक होकर युद्ध करोगे तो तुम युद्ध में विजय भी प्राप्त कर सकते हो। 

अनिकेत- आखिर युद्ध किससे हैं ? आपने कहा कि वो मानव ही है, अगर वो मानव ही है तो फिर मानवों से लाखों गुना और हम लोगों से हजारों गुना शक्तिशाली कैसे हो सकते हैं ? 

सप्तक- आज से करीब हजारों साल पहले जब धरती पर मानव पूर्ण रूप से विकसित नहीं हुआ था। जंगलों में रहकर अपना जीवन यापन करता था तब धरती के कुछ मानव धरती को छोड़कर दूसरे ग्रह पर चले गए थे। 

रॉनी- क्या ? क्या बकवास है ये। जब मानव खुद विकसित नहीं था तो वो धरती को छोड़कर दूसरे ग्रह पर कैसे जा सकता है ? 

सप्तक- क्योंकि ये जो मानव थे वो उस समय भी आज के मानवों से कहीं ज्यादा विकसित थे। 

तुशार- मैं नहीं मानता। ये सब बकवास है। आज का मानव सबसे अधिक विकसित है जो चांद पर जा चुका है और मंगल पर जाने की तैयारी कर रहा है। 

सप्तक- ये तुम लोगों के लिए नया है, परंतु ये उन लोगों के लिए हजारों साल पुरानी बातें हैं। वे अगर आज चाहे तो पल भर में ही धरती को खत्म कर सकते हैं और आज धरती पर रहने वाला मानव, जिन्हें तुम विकसित कर रहे हो वो देखने के अलावा कुछ नहीं कर सकता। धरती समाप्त हो जाएगी और ये मानव भी। 

अनिकेत- वैसे उन मानवों का इस युद्ध के लिए उद्देश्य क्या है ? 

सप्तक- वहीं बता रहा हूं कि हजारों साल पहले जब वो इस धरती को छोड़कर दूसरे ग्रह पर गए थे तब यहां एक महामारी फैल गई थी, जिसके कारण उनके लोगों की मौत हो रही थी। आज का मानव अब बुढ़े ना होने और कभी बीमार ना पड़ने या मौत पर विजय प्राप्त करने के बारे में सोच रहा है, परंतु वे हजारों साल पहले ही इस कार्य को सफल कर चुके हैं। अब वे ना तो बुढ़े होते हैं, ना बीमार पड़ते हैं और ना ही उनकी मृत्यु होती है। 

यश- पर उनमें से दो लोगों को तो हम मार चुके हैं। 

सप्तक- क्योंकि वो इस धरती से जुड़ चुके थे। इस धरती पर होने के कारण तुम लोग उन्हें मार सके हो, यदि वे धरती से जुड़े नहीं होते तो तुम उनका बाल भी बांका नहीं कर सकते थे। उनका एक सैनिक भी तुम पांचों लोगों से कहीं अधिक शक्तिशाली है। 

रॉनी- तो फिर हम उन्हें कैसे रोकेगे ? 

अनिकेत- और आखिर यह युद्ध हो क्यों रहा है ? 

सप्तक- वो धरती को छोड़कर दूसरे ग्रह पर तो जा बसे है, बुढ़ापे पर, बीमारी पर और मृत्यु पर उन्होंने विजय प्राप्त कर ली है, परंतु वे नया जीवन विकसित नहीं कर पा रहे हैं। हजारों सालों से वे जितने थे उतने ही है। उनकी संख्या नहीं बढ़ी है। इसलिए वे धरती पर आकर उस शक्तिपूंज को हासिल करना चाहते हैं, जिससे वे नया जीवन विकसित कर पाए। 

अनिकेत- धरती पर ये शक्तिपूंज कहां है, हम उसे वहां से हटाकर कहीं और छिपा देते हैं। 

सप्तक- नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकते। तुम तो क्या कोई भी ऐसा नहीं कर सकता, क्योंकि वो शक्तिपूंज धरती की अथाह गहराई में छिपा है। 

प्रणिता- तो फिर वो भी शक्तिपूंज को हासिल नहीं कर सकते। तो फिर ये युद्ध क्यों ? 

सप्तक- ये युद्ध है इस धरती को बचाने के लिए, पूरी मानव जाति को बचाने के लिए, इस धरती पर जो भी कुछ है उसे बचाने के लिए। 

अनिकेत- मतलब उन लोगों से इस धरती को खतरा है ? 

सप्तक- हां, क्योंकि वे शक्तिपूंज को हासिल करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। उन्होंने शक्तिपूंज की तलाश में अंतरिक्ष में कई ग्रहों को नष्ट कर दिया है। 

यश- शक्तिपूंज धरती की गहराई में है तो फिर वो उसे कैसे हासिल कर सकते हैं ? 

सप्तक- वो इस धरती को दो भागों में बांट देंगे। वो इस धरती पर अपनी तकनीक से तब तक खुदाई कर सकते हैं जब तक उन्हें शक्तिपूंज हासिल ना हो जाए। अगर उन्होंने शक्तिपूंज हासिल कर लिया तो यह धरती नष्ट हो जाएगी। क्योंकि धरती दो भागों में बंट जाएगी। 

तुषार - तो क्या उस शक्तिपूंज से वो अपना नया जीवन विकसित कर पाएंगे ? 

सप्तक- हां बिल्कुल। उसके बाद वे और भी शक्तिशाली हो जाएंगे और फिर हो सकता है कि पूरे अंतरिक्ष में उनका ही साम्राज्य हो। 

अनिकेत- तो क्या हमारा सामना अब तक जिनसे हुआ क्या ये वहीं लोग थे ? 

सप्तक- हां, ये वहीं लोग थे, पर ये लोग फिलहाल धरती पर शक्तिपूंज का पता लगाने आए थे। अब उनकी पूरी सेना यहां आएगी और तब तुम लोगों को उन्हें इस धरती को नष्ट करने से रोकना होगा। परंतु याद रहे कि तुम लोगों की एक छोटी गलती इस धरती को हमेशा के लिए नष्ट कर सकती है। इसलिए तुम लोगों को युद्ध को ना सिर्फ जीतना है, बल्कि इस धरती को भी बचाना है। 

अनिकेत- परंतु आपने कहा कि वो हमसे कहीं अधिक शक्तिशाली है तो हम उनका सामना कैसे करेंगे? 

सप्तक- मैं तुम लोगों को उनसे युद्ध के लिए जितना तैयार कर सकता था उतना कर चुका हूं। अब युद्ध तुम्हें लड़ना है और उस युद्ध की रणनीति क्या होगी वो भी तुम लोगों को ही तैयार करना है। एक सुझाव दे सकता हूं कि यदि तुम उन लोगों को खत्म करना चाहते हो तो तुम लोगों को उन्हें धरती से जोड़ना ही होगा, बिना धरती से जोड़े तुम उन लोगों को खत्म नहीं कर सकते हो। 

प्रणिता- मतलब अगर वो धरती पर है तो वे खत्म हो सकते है, परंतु यदि वे हवा में हैं तो उन्हें नहीं मारा जा सकता है। 

सप्तक- हां, इसलिए ही मैंने तुम लोगों पंच तत्वों की शक्तियां प्रदान की है, ताकि तुम उन्हें धरती पर ला सको।

यश- तो जिस युद्ध की बात आप कर रहे हैं वो कब होगा ? 

सप्तक- समय बहुत नजदीक आ चुका है, अब युद्ध कभी भी हो सकता है। इसलिए तुम लोग तैयार रहो। तुम लोगों पर ना सिर्फ धरती को बचाने का बल्कि इस पूरी मानव जाति को बचाने की भी जिम्मेदारी है। जब युद्ध होगा तब मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाउंगा। इसलिए युद्ध में तुम लोगों को अपनी बुद्धिमता के अनुसार ही निर्णय लेना होंगे। कोई निर्णय लो पर इस बात को विशेष ध्यान रखना कि तुम्हारा एक गलत निर्णय इस धरती को हमेशा के लिए नष्ट कर सकता है। 

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