Triyachi - 14 books and stories free download online pdf in Hindi

त्रियाची - 14

भाग 14

त्रियाची... त्रियाची देख ना तेरे बाबा को क्या हुआ है। यह त्रियाची की मां तूरा की आवाज थी। तूरा त्रियाची को आवाज लगा रही थी क्योंकि त्रियाची के पिता दमीरा की तबीयत अचानक खराब हो गई थी और उनकी सांसे भी उखड़ रही थी। मां तूरा की आवाज सुनकर त्रियाची दौड़ता हुआ आता है और अपने पिता की हालत देखकर विचलित हो उठता है। स्वास्थ्य खराब होने के साथ ही वे काफी बूढ़े भी हो गए थे और आखिरकार उन्होंने दम तोड़ दिया था। पति की मृत्यु के शोक में तूरा भी कुछ दिनों में दम तोड़ देती है। त्रियाची के लिए कुछ ही दिनों में माता-पिता को खो देने का गम बहुत अधिक था। दमीरा अपने समूह का सरदार हुआ करता था। दमीरा के समूह में करीब 5 लाख से अधिक लोग शामिल थे। समूह ने दमीरा की मृत्यु के पश्चात त्रियाची को ही अपना सरदार नियुक्त किया था। जिस स्थान पर उनका पूरा समूह रहता था वहां एक महामारी फैली हुई थी, जिसके कारण समूह में कई मौत हो चुकी थी। समूह ने इन मृत्यु को रोकने के लिए चर्चा करना शुरू की। पूरा समूह एक जगह एकत्र होकर इस पर चर्चा कर रहा था। त्रियाची सबसे ऊंचे स्थान पर बैठा था और समूह के शेष लोग नीचे की ओर थे। सभी ने एक स्वर में इन मृत्यु को रोकने के लिए त्रियाची से गुहार लगाई थी। त्रियाची ने अपने समूह के लोगों को शांत होने का इशारा किया और फिर कहा- 

हमें लगता है कि इस स्थान पर कोई महामारी फैल गई है, जिसके कारण हम सभी अपनों से बिछड़ जाने का गम उठाना पड़ रहा है। या तो हम इस स्थान को ही छोड़ दे या फिर कुछ समय सही रूककर इस महामारी के खत्म होने का इंतजार कर सकते हैं। हालांकि हम यह भी जानते हैं कि अचानक ही किसी और स्थान पर चले जाना आसान बात नहीं होगी, परंतु अगर स्थान परिवर्तन करना है तो हमें कुछ परेशानियों का सामना करना ही पड़ेगा। 

त्रियाची ने अपनी बात कही तभी भीड़ में से एक बुजुर्ग ने कहा- हम आपकी बात से सहमत है राजे, परंतु इस बात पर संशय है कि हम जिस स्थान पर जाएंगे वहां पर कोई महामारी नहीं होगी और लोग मृत्यु को प्राप्त नहीं होंगे। त्रियाची ने उस बुजुर्ग की बात से सहमति जताते हुए कहा कि यदि ऐसा है तो हमें कुछ वक्त दीजिए हम इसका स्थाई हल निकालने का प्रयास करेंगे। कुछ दिनों के बाद एक बार समूह एकत्र होता है। इस बार त्रियाची कहता है कि महामारी और आप सभी के बारे में हमने बहुत सोचा है और हम एक निर्णय पर पहुंचें हैं। हमें लगता है कि इस ग्रह पर ही कुछ कमी है। हमने विचार किया तो पाया कि हम यहां बीमारी होते हैं, बुढ़े होते हैं, फिर मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। इस ग्रह पर रहते हुए हमें सुबह और शाम दोनों समय भोजन चाहिए होता है, भोजन के लिए जमीन और पानी की आवश्यकता होती है। कभी आकाश से बहुत अधिक बारिश होती है और कभी बिल्कुल ही नहीं होती है। इसलिए हमने एक नए ग्रह की तलाश की है, जहां इस प्रकार की कोई परेशानी नहीं है। हम इतने सक्षम है कि हम सभी उस ग्रह पर जाकर फिर से जीवन शुरू कर सकते हैं। वहां हम ना बीमार होंगे ना ही बुढ़े होंगे और ना ही मृत्यु को प्राप्त होंगे। अगर आप सभी सहमत है तो हम उस ग्रह पर जा सकते हैं। सभी एक स्वर में त्रियाची की बात पर सहमति जता देते हैं। 

समूह के सभी लोग अपने राजे त्रियाची के कहे अनुसार दूसरे ग्रह पर जाने के लिए तैयारियां शुरू कर देते हैं। इस बीच महामारी अपना विकराल रूप धारण कर लेती है और उन सभी कुछ समय तक धरती पर ही रूकना पड़ता है क्योंकि कई ऐसे लोग थे समूह में जो सफर करने की स्थिति में नहीं थे। ऐसे में समूह के लोग ना उन लोगों को अपने साथ लेकर जा सकते थे और ना ही वे उन्हें छोड़कर जा सकते थे। इस तरह से काफी समय बीत जाता है। बीमार हुए लोगों में से कुछ लोग मृत्यु को प्राप्त होते हैं, कुछ की हालत और खराब हो जाती है इसके अलावा कुछ और नए लोग महामारी की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में समूह के बीच हड़बड़ाहट शुरू हो जाती है। इस बात की भनक त्रियाची को भी लगती है कि समूह के लोग अब महामारी से काफी परेशान हो चुके हैं। वो एक बहुत सख्त फैसला लेता है और समूह के सभी लोगों को बुलाता है। जब समूह के सभी को लोग एकत्र हो जाते हैं तो वो कहता है- 

हालांकि एक राजा होने के नाते हम जो बात कह रहे हैं वो कहना बिल्कुल भी उचित नहीं है। राजा का कर्तव्य होता है कि अपनी प्रजा की रक्षा करें, परंतु यहां हमारे लिए असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि क्योंकि यदि हम प्रजा की रक्षा करने के लिए कोई कदम उठाते हैं तो शेष प्रजा का जीवन संकट में पड़ सकता है। फिलहाल महामारी का संकट दूर होता नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में हमें कुछ सख्त निर्णय लेने की आवश्यकता महसूस हो रही है, परंतु हम इस निर्णय के पूर्व आप सभी की राय लेना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि आप अपने मत हमारे सामने रखे ताकि हम उचित निर्णय ले सके। हमने बहुत सोचा है और यह तय किया है कि हमारे समूह के जो लोग महामारी की चपेट में हैं, बूढ़े हो गए हैं उन सभी को यही छोड़ दिया जाए और समूह के बाकि लोग दूसरे ग्रह के लिए निकल जाए, क्योंकि अधिक समय तक यहां रूकने से खतरा और भी अधिक बढ़ता जाएगा और हमारे समूह के अन्य लोग भी महामारी की चपेट में आ सकते हैं। अगर आप सभी लोग हमारे इस निर्णय से सहमत हैं तो हम अगले 15 दिनों में ही इस ग्रह को छोड़कर दूसरे ग्रह के लिए प्रस्थान करेंगे। त्रियाची के इस निर्णय ने समूह में खलबली मचा दी थी, क्योंकि यह ऐसा निर्णय था जिसमें समूह के लोगों को अपने ही लोगों को मरने के लिए छोड़कर जाना था। 

हालांकि यह निर्णय लेना बहुत अधिक कठिन था, परंतु फिर भी समूह के लोगों ने अपने भविष्य के लिए त्रियाची के इस निर्णय में उसका साथ दिया और 15 दिन बाद ही बूढ़े और बीमार लोगों को पृथ्वी पर छोड़कर बाकि लोग दूसरे ग्रह के लिए प्रस्थान कर गए थे। यहां छोड़े गए लोगों के लिए त्रियाची के आदेश से समूचित व्यवस्था की गई थी, इसके साथ यह भी बता दिया गया था कि यदि महामारी का प्रकोप कम हो जाता है और यदि वे लोग पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं तो वे उन तक संदेश पहुंचा दें तो उन्हें भी दूसरे ग्रह पर लाया जा सकता है। त्रियाची और उसका समूह उस वक्त भी आज के मानवों से अधिक विकसित था और तकनीकी रूप में कहीं आगे था। इस कारण ही उन्होंने पृथ्वी को छोड़कर दूसरे ग्रह पर बसने का निर्णय कर लिया था। 

2 माह के सफर के बाद सभी एक दूसरे ग्रह पर पहुंच गए थे। यहां राजा त्रियाची ने एक बार फिर समूह के लोगों से कहा कि जो जहां बसना चाहते हैं वे वहां बस सकते हैं। ग्रह बहुत बड़ा है और उन्हें पूरी आजादी भी है। राजा त्रियाची का आदेश मिलने के बाद समूह के लोगों ने अपने रहने के लिए अपने घर बना लिए थे और बीचों बीच राजा त्रियाची के लिए एक विशाल महल बना दिया था। राजा के महल के पास ही राजा त्रियाची के करीबी और खास लोगों के घर भी बना दिए गए थे। दूसरी ओर पृथ्वी पर रहने वाले समूह के बुजुर्ग भी जैसे तैसे अपना वक्त काट रहे थे हालांकि महामारी का प्रकोप कम जरूर हुआ था परंतु पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ था। जिस ग्रह पर राजा त्रियाची और समूह के लोग पहुंचे थे उसे उन्होंने त्राचा नाम दिया था। बीमारी, बूढ़ापा और भूख के कारण उस पूरे समूह ने पृथ्वी को छोड़ा था, इसलिए राजा त्रियाची के आदेश पर समूह के लोग एक ऐसी तकनीक विकसित करने लगे जैसे कि या तो उन्हें भूख लगे ही नहीं या फिर कुछ ऐसा किया जाए कि वर्ष में एक बार वे भोजन करें और वर्ष भर कार्य करते रहे। 

इसके अलावा तकनीक के माध्यम से कभी बूढ़ा ना होने और कभी बीमार ना होने को लेकर कार्य किया जा रहा था। समूह के लोगों को कुछ समय बाद ही इन तीनों ही कार्यों में सफलता प्राप्त हो गई थी। उन्होंने एक ऐसी दवा का निर्माण कर लिया था, जिसे वर्ष में एक बार खाने के बाद ना तो उन्हें भूख लगती थी और ना ही वे कभी बीमार होते थे और ना ही वे कभी बूढ़े होते थे। कुछ और समय के बाद उन्होंने मृत्यु पर भी विजय प्राप्त कर ली थी। जब तक वे त्राचा ग्रह पर रहते थे उनकी मृत्यु नहीं हो सकती थी। नए ग्रह पर समूह के लोगों का जीवन अब बहुत अच्छे से चलने लगा था। कुछ वर्ष बीत गए थे परंतु अब समूह में पहले की तरह खुशियां नजर नहीं आ रही थी। यह बात त्रियाची ने भी महसूस की थी कि नए ग्रह पर आकर उन्होंने बीमारी, बुढ़ापा और मृत्यु पर तो विजय प्राप्त कर ली है परंतु समूह में जो पहले खुशियां थी वो अब नजर नहीं आ रही थी। त्रियाची इस बात से अब चिंतित नजर आ रहा था। उसने एक बार अपने समूह से बात करना चाही। उसने एक बार समूह के सभी लोगों को अपने महल में एकत्र होने के लिए कहा।

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