साथ जिंदगी भर का - भाग 11 Khushbu Pal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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साथ जिंदगी भर का - भाग 11

आस्था के दिन को शुरुवात आज थोड़ी जल्दी ही हुयी ..... और हो क्यु ना .... आज महाशिवरात्रि जो थी ....

आस्था नहाकर तयार हो गयी .... उसने आज लिम्बु कलर की प्लेन साडी पहनी हुयी थी .....

फुल स्लिव का ब्लाउज़ .... सर पर आचल ..... आखों में काजल ....

गले मे एकांश के नाम का मंगलसूत्र जो रोज उसकी ओढनी से छुप जाता था लेकिन आज दिखाई दे रहा था ....

मांग मे सिंदूर .... मैचिंग चुडियाँ .... पैरो मे पायल .....

अपने काले रंग के बावजूद भी वो बेहद attractive लग रही थी .

अच्छे से तयार हो कर वो गार्डन में बने मंदिर चली गयी .....

घर के बाकी लोग भी सब उठ चुके थे और तयार होकर हॉल मे आ गये .. आस्था बहू कहा है ....

महागुरू सब एक दुसरे की और देखने लग गये ..

दाईमाँ .... आपने आस्था को बताया था ना की सुबह ही पूजा होने वाली है .. ****

दादासा नही .... वो सो रही थी .... इसिलिए नही बता पायी .. लेकिन ....

दाईमाँ आगे कुछ बोल पाती तब तक ही बड़ी दादीसा ने कहा लेकिन क्या दाईमाँ .....

कैसे भुल सकती है स्वयं महागुरूजी आज पूजा करने वाले आप . हे ..... और घर की बड़ी बहू ..... कुँवराणीसा सो रही है

दादीसा गुस्से मे कही जा रही थी

बडी दादीसा ... सिर्फ पूजा है .... इसिलिए आपको याद आया की आस्था इस घर की बड़ी बहू हे ....

वरना आज तक तो मैने आपको ठीक से उनसे बात करते हुये नही देखा ....

एकांश कुँवरसा आप .... बडी दादीसा आगे बोल पाती तब तक ही दादासा गरजे खामोश हो जाईये सब ....

त्यौहार वाले दिन सुबह सुबह कडवाहट मत फैलाइये .. क्षमा किजीये महागुरू .... दादासा

हम्म्म .... महागुरू ने इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा .... कही ना कही वो नाराज थे . चलते हे पूजा के लिये ... *****

हम सब वो घर से बाहर निकल पाते तभी तक एक बहोत ही मीठी आवाज पुरे महल मे पुँजी ......

वो आवाज आस्था की थी ...... बेहद मीठी आवाज मे मंत्र जाप कर रही थी जो वो हर रोज करती ....

लेकिन मंदिर गार्डन में होने की वजह से किसी को सुनायी नही देती थी ....

आज पूजा होने की वजह से मंदिर में माइक लगाया गया था .... जिसके साउंड पुरे पैलेस मे फिट थे ..

पूजा में होने वाले मंत्रोच्चार से महल का हर एक कोना पवित्र हो सके ......

आस्था की आवाज इतनी मीठी थी की हर कोई उस आवाज से attract होकर अपने आप मंदिर की और चला गया . अपने सर को आचल से ढके .....

एक पाव घुटनो पर रखे . उपर की और हाथ जोड़े , शिव जी के सामने आखें बंद करे मंत्रो मे लिन थी .

किसी मोह से बंधे सब मंदिर में आकर हाथ जुड़ाये खड़े हो गये .. स्वयं महागुरु भी आस्था की आवाज से मोहित हो चुके थे ..

आस्था का जाप खत्म हुआ . . उसने अपने घुटनो के बल बैठकर

अपना सर शिव जी के चरणों मे रख कर उन्हें प्रणाम किया ..... और अपनी बंध आखें खोल कर शिव जी को देखा .....

नजरे झुकाये वो वहा से मूडी और जब उसने अपनी नजरे उठायी तो उसके सामने एकांश था .

उसके चेहरे पर उसके ही नासमज स्माइल आ गयी ....

और आस्था की स्माइल देख एकांश की स्माइल और बढ गयी ..... वो एक दुसरे को देखने लगे ......

अदभुत ..

महागुरु के आवाज से उनकी तंद्रा टूटी आस्था बेटा ....

इतने स्पष्ठ .... और मीठी आवाज मे मंत्र सुनकर आज दिल को परम सुख का अनुभव प्राप्त हुआ महागुरू ने आस्था की तारीफ मे कहा .....

सुखी रहो .. आशीर्वाद दिया आस्था ने मुस्कुराकर महागुरु के चरन स्पर्श किये ...

सदा सुहागन रखो ....

• महागुरू ने आस्था ने एक एक कर सभी बड़ो के पैर छू लिये .....

अनजाने मे ही सभी मे उसे बहोत सारा आशीर्वाद दे दिया .. उनको भी आस्था की मीठी आवाज भा गयी .....

और दिल को इतना सुकून मिला की अनजाने में ही उन्होंने आस्था के सर पर आस्था ने मुस्कुराकर महागुरु के चरन स्पर्श किये ..

सुखी रहो .. सदा सुहागन रखो ....

महागुरू ने आशीर्वाद दिया आस्था ने एक एक कर सभी बड़ो के पैर छू लिये .....

अनजाने मे ही सभी में उसे बहोत सारा आशीर्वाद दे दिया ..... उनको भी आस्था की मीठी आवाज भा गयी ....

और दिल को इतना सुकून मिला की अनजाने में ही उन्होंने आस्था के सर पर प्यार भरा हाथ रख दिया आस्था एकांश के सामने आकर खड़ी हुयी और उसने अपने हाथों से उसके चरण स्पर्श किये .

ये क्या कर रही है आप आस्था ....

एकांश को उसका इस तरह पैर छूना अच्छा नहीं लगा अपने आराध्य से आशीर्वाद ले रही हु ....

आस्था ने बिना झिझक कहा पाया आस्था आप ....

एकांश आगे कुछ बोल ही नहीं क्यु की महागुरू ने बिच मे कहा **** कुँवरसा ..

आशीर्वाद दे दिजीये आपके अर्धांगनी को महागुरु एकांश को आस्था का यू उसके पैर छूना बिल्कुल भी पसंद नहीं आया था .

फिर भी उसने उसके सर पर हाथ रख दिया हमेशा खुश रहिये ..... और बहोत तरक्की किजीये . ....

सफलता आपके कदम चूमे .. एकांश ने पुरे दिल से उसे ब्लेसींग दी .... और आस्था की स्माइल और बढ़ गयी ....

कही ना कही वो थोड़ी निराश भी थी की किसी ने उसे जन्मदिन की बधाई नहीं दी .

लेकिन किसी को पता नही होगा ये सोचकर उसने अपने आप को समझा लिया घर के सभी छोटो ने अपने बड़ो का आशीर्वाद लिया ....

महागुरु के कहने पर एकांश और आस्था ने भी जोड़ी से सबके फिर एक बार पैर छू लिये ......

सब घर के अंदर चले गये और आस्था किचन मे . अपने हाथो से सबके लिये चाय और कॉफी बनायी और दी ..

अब मिलते हे अगले पार्ट मे .....

Hey guys ......

आपके लिये न्यू स्टोरी लिख रही हु

...... लेकिन इसे कब पोस्ट करना हे ये आपके कमेंट पर डिपेंड हे

........ अगर आपको ये स्टोरी रीड करने के लिये पसंद आयी तो बहोत सारे

COMMENT किजीये

ताकी इसका पार्ट जल्दी जल्दी पोस्ट कर सकू

Thankyuuuu

" और डेस्टिनी का पाठ कल तक आ जाएगा "

Plzz guys support my first story

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To be continued .......... .......... .......

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