साथ जिंदगी भर का - भाग 10 Khushbu Pal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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साथ जिंदगी भर का - भाग 10

अब देखिए इस episode में क्या हुआ

Plzz पूरा episode पढे

आस्था .... बेटा ये कुँवरसा ने आपको दिये हे ना .. खर्च करने के लिये .... तो रखिये अपने पास ..

दाईमाँ लेकिन इतने सारे .... आस्था आपको जितने पैसो की जरुरत हे उतने ही खर्च किजीये ....

बाकी सब रहने दिजीये अपने पास .. आपको बाद में जब भी लगे उसे खर्च कर लीजियेगा .... दाईमाँ

आस्था फिर भी सोच रही थी .. अब सोचना बंद किजीये .... और जल्दी जल्दी तयार हो जाईये ..

एडमीशन लेने जाना है .....

दाईमाँ हा ....

आस्था तयार होने चली गयी .... उसने अपने सारे documents ले लिये ..

🤩🤩🤩🤩

एकांश अपनी केबिन में लैपटॉप खोले बैठा हुआ किसी सोच मे गुम था .... ऐसा पहली बार हुआ था ....

जब एकांश काम ना करके कई और ही खोया हुआ था ......

कुँवराणीसा की याद आ रही है क्या आपको कुँवरसा .... अजय ने उसे चिढाते हुये कहा

आपको क्या लगता है .... एकांश

बात तो उन्ही से जुड़ी हुयी हे .... सिर्फ ये प्यार मोहब्बत से रिलेटेड़ ना होकर कुछ और ही है ..

अजय काफी अच्छे से जानते हे ना हमे ....

एकांश अजय . हम्म .... बहोत अच्छे से ....

अब बताईये क्या बात हे ... आकाश आकाश . एकांश ने सिर्फ इतना ही कहा और चुप हो गया कुँवरसा ....

कोई परेशानी वाली बात हे क्या .. आकाश हम्म .. आस्था का बिहेवियर हमारी समज से बाहर हे ....

कल तो खुद आकर हमसे बात की थी . और आज हमारी तरफ देखा भी नही ....

फिर से वही डर .... क्या करे हम .... की उनका डर खत्म हो जाये .... समझ नहीं आ रहा है ....

why she is so complicated .... एकांश

Kunwarsa .... give her some time . शायद वक़्त ही आपकी प्रोब्लेम का सॉल्यूशन हो ....

और वैसे भी उनका बिहेवियर सबके लिये सेम ही है ....

वो किसी से भी बात नहीं करती ..... अजय हमे किसी में भी शामिल नहीं होना हे ....

i want special to her .... !

एकांश Do you love her ..... आकाश

No .... it was just ..... एकांश खामोश हो गया .... आस्था के लिये उसके दिल में क्या है वो खुद नही जानता था ....

Just what ..... अजय मे मस्ती के मूड में कहा You know what one thing Aakaash .....

ये कुछ देर पहले इतनी समझदारी की बात कर रहे थे तो हमे लगा सुधर गये हे .....

but i was wrong . ***** वाले .... एकांश अजय कभी नहीं सुधरने वाले

और आप भी नही . बात बदलना तो कोई आप से सिखे कुँवरसा ..... वैसे हमारी बातों पर सोचना जरुर .....

आप जो आपकी कुँवराणीसा के लिये सोचते हे वो कुछ और हे या प्या ss र .. अजय एकांश मुस्कुरा दिया ....

आकाश और अजय दोनो समज गये की वो अब शांत हो चुका है .... उसके चेहरे पर हमेशा वाली स्माइल देखकर उन्हें अच्छा लगा

तीनो भी अपने अपने काम में बिजी हो गये .... आस्थाने कॉलेज जाकर सारी फोर्मलिटी पुरी कर दी ....

डर तो उसे अभी भी लग रहा था .....

उसके गाव का माहौल और यहा का माहौल पुरी तरह से लेकिन अपनी माँ को याद करके अलग था .....

उसने अपना कदम आगे की और बढ़ा दिया ....

दो दिन बाद वो और दाईमाँ ने मिलकर शॉपिंग की .... उसने सिर्फ अपनी जरुरत की ही चीजे ली ....

बिना वजह का खर्च करना उसकी आदत नही थी ..... एकांश बहोत कम ही उसके सामने आया ....

वो अपनी वजह से आस्था के पढाई मे कोई भी डिसटरबंस नही चाहता था ...

कॉलेज के पहले दिन एकांश ने उसे मोबाइल और लैपटॉप गिफ्ट किया ....

और बिना कुछ बोले ही वहा से चला गया ...

एकांश का उससे बात नहीं करना .... कही ना कही आस्था के दिल मे हलचल मचा रहा था .....

लेकिन वो इस बात से ही बहोत खुश थी की अब उसकी पढाई शुरू होंगी ..

उसके कॉलेज मे रंग की वजह से उसे ट्रौल किया जाता था .... लेकिन आस्था को उसकी आदत थी ....

उसे ज्यादा कुछ फर्क ही नही पढता था ...... कॉलेज में वो सभी प्रोफेसर और टीचर की फेवरेट बना चुकी थी .

afterall she is topper in all subject ...

उसके हर सवाल के जवाब देने की टेकनीक .... मैथ के प्रोब्लेम सॉल्व करने की स्पीड mindblowing थी ...

कॉलेज के प्रिंसीपल ने भी एकांश से आस्था की तारीफ की थी .. एकांश को भी खुशी थी की कम से कम वो बाहर तो किसी से घबराती नही हे ....

वो भी दो चार दिन मे उससे पढ़ाई के बारे मे पुछ ही लेता .....

आस्था धीरे धीरे घर में सबसे मिलने जुलने लगी थी ....

उसके हाथ के चाय और नाश्ते के बिना किसी के भी दिन की शुरुवात नही होती थी ... बडी दादीसा , दादीसा , बडी माँ , और दोनो काकीसा उससे अच्छे से बात करते थे .... जेन्ट्स के सामने तो मैडम अब भी जाती ही नहीं थे ...... आनंदि उनकी बेटी परी , हर्षीका भी उससे अच्छे से बात करते थे ..... हर्ष , उत्तरा , ऐश्वर्या , स्वप्न उससे इतनी बात नहीं करते थे ....

लेकिन पहले की तरह इन्सल्ट भी नहीं करते थे .... हा लेकिन दाईमाँ और रुद्र के साथ उसका रिश्ता और भी गहरा हो चुका था .... रुद्र हमेशा एक भाई की तरह उसे सपोर्ट करता और अपने मजाकिया अंदाज से उसे हसाता ...

8 महिने कैसे बित गये किसी को पता भी नही चला .... सेमिस्टर एग्ज़ाम में आस्था ने टॉप किया था .... एकांश तो उसके लिये बहोत खुश हुआ ....

वो आस्था के बिना नजरो मे आये उसकी हर छोटी बडी चीजो का खयाल रखता .

लेकिन आस्था को ये सब पता था .... इसीलिय वो भी एकांश के छोटे बड़े चीजो का ध्यान रखती .....

उसके लिये सुबह की कॉफी बनाना .... उसके नहाने जाने के बाद कपड़े निकालना ...

एकांश के लिये ऑफ़िस से आने के बाद की लंच बनाकर देना ..

कॉफी या फिर देर रात तक वो स्टडी में काम करते वक्त की कॉफी .. अगर इन सब मे कमी थी तो सिर्फ एक .

उन दोनो की बातें ना की बराबर होती .... दोनो भी एक दुसरे के लिये सब कुछ करते ....

एक दुसरे के जरूरतो का खयाल रखते . लेकिन उनके बिच कनवरसेशन बिल्कुल भी नही था ...

😍😍😍😍

कल महाशिवरात्रि का त्योहार था .. पुरा पैलेस रोशनी से जगमगा रहा था .....

सुबह घर के शिव मंदिर में पूजा होनी थी और उसके बाद सभी कुलदेवता के मंदिर में जाने वाले थे .....

वहा भी बहोत बडी पूजा रखवाई थी ....

आस्था और एकांश दोनो एक साथ इस पूजा में बैठने वाले थे ....

स्वयं महागुरू स्वामिनंद जी यह पूजा करवाने वाले थे ....

आस्था के लिये कल का दिन बहोत स्पैशल था ..

और क्यु ना हो .... एक तो वो शिव जी की परम भक्त और उपर से उसका जन्मदिन भी तो था ..

सुबह जल्दी पूजा होने की वजह से आज ही उसने कल की सारी तयारीयाँ कर रखी थी .....

इसमे वो इतना थक गयी की 8 बजे ही सो गयी ..

. दाईमाँ .... आस्था ....

एकांश कुँवरसा वो .... वो सो रही हे .... दाईमाँ

क्या हुआ .... वो ठीक हे ....

एकांश ने परेशान होते . हुये कहा जी हा कुँवरसा .... बस वो थक गयी थी .... इस वजह से सो गयी ...

तभी एक नौकर वहा आ गया और उसने सबको की महागुरू . आये हे ....

सभी घरवाले उनसे मिलने हॉल मे आ गये ....

सबने एक एक करके उनके चरण स्पर्श किया ...

आप अचानक ... आप कल आने वाले . महागुरू .. थे ना .. दादासा हा आने वाले ओ कल ही थे ....

लेकिन हमे आप लोगो से बात करनी थी .... और सोचा घर मे होने वाली पूजा भी क्यु ना हम ही करे ....

महागुरू जी गुरुजी .... ये तो हमारा सौभाग्य हे ... दादीसा ने कहा और

एक बात .. कल पूजा सुबह 5 बजे ही होंगी ....

तो सब वक़्त पर हो जाना चाहिये ..

महागुरु ने कहा **** जी .... जैसा आप चाहे .... दादासा ने कहा और उन्हे कमरे में ले गये .....

बाकी सब भी अपने अपने कमरे मे चले गये ... आस्था इन सब बातों से अंजान अपने मीठे सपनो मे गुम थी .....

आस्था .... हमे आपसे ये उम्मीद नहीं थी .... कैसा कर सकती हे ये आप ..... आपको कुछ समझ है । या नही .... एकांश जैसे जैसे उसे डांट रहा था वैसे वैसे उसकी आखों से आंसू बह रहे थे .....

😘😘😘😘

अब मिलते हे अगले पार्ट मे .....

Hey guys ......

आपके लिये न्यू स्टोरी लिख रही हु

...... लेकिन इसे कब पोस्ट करना हे ये आपके कमेंट पर डिपेंड हे

........ अगर आपको ये स्टोरी रीड करने के लिये पसंद आयी तो बहोत सारे

COMMENT किजीये

ताकी इसका पार्ट जल्दी जल्दी पोस्ट कर सकू

Thankyuuuu

" और इस डेस्टिनी का पाठ कल तक आ जाएगा "

Plzz guys support my first story

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To be continued .......... .......... .......

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