इस जन्म के उस पार - 12 Jaimini Brahmbhatt द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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इस जन्म के उस पार - 12

(कहानी को समझने के लिए आगे के भाग जरूर पढ़े 🙏)


अयंशिका का बहुत मन था धर्म को अपने हाथ की खीर खिलाने का.!!उसने रात को भी थोड़ी सी खीर बनाई और फिर वो वरदान वाले खेमे मे घुस गई. वहा शान. संजय और वरदान भी धर्म के साथ थे.

धर्म ख़ुश हो के :- अंशी आप.!!

अयंशिका सबको अनदेखा कर :- हा हमने कितने प्यार से सुबह खीर बनाई थी.😊. आप नहीं थे 😔 हमारा मन था इसलिए हमने फिर से खीर बनाई है आपके लिए.!!आइय वो बड़े हक से धर्म का हाथ पकड़ उसे बैठा देती है और प्यार से उनको खीर खिलाने लगती है।

वरदान को ना जाने क्यों जलन सी हो गई थी। वही शान और संजय बड़े गौर से उन्हें देख रहे थे।

संजय :- अच्छा हमें नहीं मिलेगी.. क्युकी हमने सुबह नहीं खाई थी.!!क्यों शान.??

शान :- हा यार सही कहा तूने.!!

अयंशिका :- जरूर हम अपने भाइयो को खिला ही सकते है..,आइये हम खिला देते है.. अयंशिका बड़े ही भोलेपन से उन दोनों को अपने हाथो से खिला देती है..शान की आंखे नम हो गई.!

अयंशिका उसके आंसू देख, "अरे आपको अच्छी नहीं लगी.. अब अच्छी नहीं बनी तो आप रो क्यों रहे है आप बोल दीजिए ना.!!"

शान ' अरे नहीं बहुत अच्छी बनी है., पर इतने प्यार से किसीने नहीं खिलाई ना.. इसलिए.!!"

अयंशिका :- तो क्या हुआ.?? हमने आपको भाई कहा है ना. तो हम आपको ऐसे खिलाएंगे.!!ये बोलते हुए उसने फिर से उसे खिला दिया.!!

वरदान वही दूर हाथ बंधे उसे प्यार से देख रहा था मन मे "ये लड़की ना कितनी अजीब है सबके लिए प्यार है ना इसके दिल मे.".. की संजय आवाज से ध्यान टुटा "तुझे नहीं खानी है.?"

वरदान के कुछ कहने से पहले ही अयंशिका उसे घूर के, "नहीं उन्हें कोई जरूरत नहीं है.!!"

सब खीर खा के उठ जाते है की धर्म अयंशिका के सर पर हाथ फेर, "अब ख़ुश अंशि.!"

अयंशिका :- बहुत खुश..भईया.!!अब आप आराम करें हम जाते है।वो चली जाती है.

शान :- ये थी कौन प्यारी सी.??

संजय :- हा बहुत प्यारी थी..

धर्म :- अरे ये अयंशिका है.. बहुत प्यारी है.. अंशी.!!

वरदान :- प्यारी नहीं पागल है .!!

शान 🤨:- अच्छा.., तुझे कैसे पता.?

वरदान :- ये वही है जो मुझे जंगल मे मिली थी। वो शेर वाली.!!

तीनो एकसाथ "क्या.?"वरदान तीनो के ऐसे जोर से बोलने से गिर जाता है.. और खुद को संभाल,"हा तो इसमें क्या कहने के जरुरत है.??"

धर्म :- हम्म.!!वैसे😒 एक बात राजकुमार वरदान वो मेरी बहन है उसे आप पागल नहीं कह सकते.!!

शान :-😏 हा मेरी भी.!!

वरदान 😲😲फिर खुद मे ही बड़बड़ता है, "पागल कही की.. अजीब है ये लड़की भी मुझसे मेरे दोस्तो को ही छीन लिया.!!"

सब सो जाते है। अगली सुबह यात्रा फिर चल पड़ी थी.. वही कोई था जो अयंशिका के पीछे लगा था और कोई वरदान पर नज़र रखे था। यहां चलते हुए अयंशिका थक गई वो बैठ जाती है..!!

अयंशिका😓 :- बस अब और नहीं चला जायेगा हमसे.!!

धर्म वहा आके :- अरे क्या हुआ अंशी.??

माधवी उसके पेरो को देख रही थी जहाँ बड़े छाले पड़ गए थे.। धर्म निचे बैठ, "😲अरे अंशी.. आप इससे पहले इतना नहीं चली क्या.? देखिए पैर कैसे छील गए है.!"

वरदान मन मे "अगर ये सेविका है तो इसे तो चलने की आदत होने चाहिए थी. ये खुद इतनी नजूक सी है.!"

धर्म :- अच्छा ठीक है मे पंडितजी से कह आता हु की हम उन्हें अगले पड़ाव पर मिलेंगे.!!

वरदान :- अरे क्यों इनको रुकना हो तो रुके हम क्यों.?

धर्म :- जी वरदान आप जा रहे है.. सिर्फ मे रुक रहा हु.!!

शान :- मे भी यही रुकता हु धर्म..!!

वरदान और संजय,नीलाक्षी आगे चले जाते है वही शान, माधवी, अयंशिका , चपला और धर्म वही रुकते है.। सब आगे बढ़ गए वही अयंशिका पेड़ से सर लगाए सो चुकी थी की धर्म वहा बैठ गया की उसकी नज़र अयंशिका के पेरो पर गई जहा उसके ज़ख्म अपने आप भर रहे थे जिसे देख धर्म हैरान हो गए थे। धर्म अपनी कुछ शक्तियों से अयंशिका के ऊपर एक छत्र बनता है वो आंखे बंद कर कुछ जानने की कोशिश कर रहा था की चपला की नज़र उस पर चली गई उसने अपनी शक्तियो से उसे रोका.!झटके से अयंशिका की भी आंख खुल गई !

धर्म उसके प्रहार से दो कदम पीछे ले गया.चपला, "दूर रहो इनसे.!!"

धर्म :- क्यों क्युकी ये राजकुमारी अयंशिका है.!!

अयंशिका :- धर्म भईया.!!

धर्म :- आप राजकुमारी अयंशिका है.. हें ना.!!

अयंशिका :- हमारी बात.!!

धर्म उसे रोकते हुए :- मे नहीं जानता की अपने क्यों झूठ बोला बस इतना कहूंगा की मे एक सधारण सा अइयार हु और एक राजकुमारी को अपनी बहन बनाने की मेरी ओकात नहीं है.!!

अयंशिका की आंख मे आंसू आ गए.:- क्यों क्युकी हम राजकुमारी है.. सिर्फ इसलिए आप हमें बहन नहीं मानते.!!जाइये हमें आपसे कोई बात नहीं करनी.!!वो वहा से उलटी दिशा मे जंगल मे भाग गई.!!

चपला का गुस्सा अब फुट चूका था😠😤, "क्यों हन.. क्यों आपने उनका दिल दुखाया. आप जानते है वो महल मे खुद को बंधा हुआ महसूस कर रही थी ज़ब महाराज ने यहां आने की रज़ामंदी दी तो वो साधारण इंसान की तरह इस यात्रा मे जीना चाहती थी., आप नहीं जानते कितना ख़ुश थी वो ज़ब आपने उन्हें बहन कहा था.. इसमें उनकी गलती ही क्या है यही की उन्होंने सच छुपाया.😔. या ये की वो बहुत मासूम है.!!"

धर्म को अब अपना बर्ताब बुरा लग रहा था.. 😔वो, "माफ करना वो शायद कुछ ज्यादा ही जल्दबाजी मे बोल गया.!!पर राजकुमारी सिर्फ राजकुमारी नहीं है वो एक आद्रोना भी है.!!"

चपला😔 :- जानती हु मे पर वो खुद नहीं जानती.. वो अनजान है खुद के अस्तित्व से.!!

धर्म😲 :- क्या...?

माधवी जो अभी आई थी पानी लेकर, "अयंशिका कहा है.?"

तब जाके धर्म और चपला को ध्यान आया की वहा अयंशिका नहीं है.. इधर वरदान का दिल ना जाने क्यों बेचैन हो गया... वो कुछ देर ने चलते चलते रुक जाता है। वरदान को ऐसे देख संजय, "क्या हुआ.?"

वरदान :- वो.. हमें लगता है की. हमें वापस जाना चाहिए.!!मन मे, "आज अजीब सा क्यों है.. क्यों लग रहा है की..!!"चलो ये बोल वो संजय के साथ वापस चले जाता है।

यहां अयंशिका को कुछ लोग जबरदस्ती पकड़ के कही ले जा रहे थे।और यहां धर्म, चपला, माधवी, शान सब उसे ही ढूंढ रही है।

धर्म :- सब मेरी गलती है. मुझे ध्यान देना चाहिए था.!!

अयंशिका मौका पाते ही एक के पैर पर वार कर देती है.. जिससे उसकी पकड़ ढीली पड़ जाती है तो अयंशिका उसे धक्का दे उसके पेट के पास से खंजर निकाल के दूसरे आदमी पर वार करती है..!!धर्म उसे ढूंढ़ते हुए वही आ पहुंचा था.. उसने ज़ब अयंशिका को लड़ते देखा तो वो भी वहा चला गया.. उसके पीछे शान. माधवी और चपला भी पहुंच गए इतने लोगो के देखते हुए वो लोग डर के भाग गए.!शान उनके पीछे भागता है.!!वहा धर्म बहुत ज्यादा डर गया था।वो तुरंत अयंशिका के पास जाके उसे देख,"लगी तो नहीं ना अंशी.!!"

अयंशिका😏 :- आप के लिए तो हम राजकुमारी थे ना.!!

चपला का ध्यान उसकी बाह पे लगी हुई चोट पर चली गई.., "राजकुमारी ये कैसे लगी.?"

अयंशिका :- बस ऐसे ही.!!

धर्म अपने कान पकड़ खड़ा हो जाता है, "अब क्या अंशी अपने भाई को माफ़ भी नहीं करेंगी.!!"

अयंशिका उसके कान से हाथ हटाते हुए, "एक शर्त पे.!"

धर्म 🤨:- कौन सी.?

अयंशिका :- यही की. आप हमेशा हमसे राखी बंधवायंगे और कभी ये नहीं बोलोगे की हम् आपकी बहन नहीं है.!!और.. और हमारे लिए खीर भी बनाएंगे.!!

धर्म उसकी नाक को खिंचकर, "अच्छा मेरी अंशी माँ समझ गया और कुछ.!!"

अयंशिका उसके गले लगते हुए, "और कुछ नहीं.!"

फिर शान आते हुए, "वो भाग गए.!!पता नहीं कौन थे.?"

फिर चपला और धर्म उसे बैठा कर उसके घाव के पर मरहम लगा रहे थे. की वहा वरदान और संजय वहा आते है.. वरदान अयंशिका का घाव देख डर जाता है।

वरदान आते हुए :- ये क्या हुआ.? कैसे लगी आपको.? धर्म यहां क्या हुआ.?

धर्म :- शांत हो जाओ, वरदान.!

अयंशिका 😏:- आपको क्या.?

वरदान उसकी चोट को देख गुस्से से 😠😠, "आपको पता है आप पागल है.. बेवकूफ है निहायती बेवकूफ.!!"

अयंशिका बहुत ज्यादा गुस्से से 😤😤:- बस बहुत हुआ.. हमने कहा आपको हमरी फ़िक्र करने के लिए.. आ गए बड़े.!!हुंह.!!




......::********बाकि अगले भाग मे....!!!*****-----