इस जन्म के उस पार - 2 Jaimini Brahmbhatt द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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इस जन्म के उस पार - 2

(कहानी को समझने के लिए आगे के भाग जरूर पढ़े 🙏🙏)







सूर्यांश और वीर सो जाते है..




सूर्यांश को सपने मे दो धुंदली परछाई दिखती है एक लड़का और एक लड़की की.. लड़की, "बोलो ना वरदान तुम मुझसे वादा करो की तुम मुझे ढूंढोगे.. अपनी अयंशिका को खोज लोगे. हमेशा वादा करो.!!"

अयंशिका........!!!!!सूर्यांश चिल्लाते हुए उठा जाता है.. वीर जत से उसे सम्भल के, "सूर्य क्या हुआ.. ठीक है तू.!!"

सूर्यांश पूरा पसीने से भीग गया था.धड़कन उसकी काफ़ी तेज़ थी.. वीर उसे पानी पिलाता है.!!

वीर :- शांत हो जा फिर वही सपना देखा क्या.??

सूर्यांश :- नहीं इसबार कोई लड़की थी जो कह रही थी किसी वरदान का नाम ले रही थी..!!

वीर :- देख सूर्या ये जो भी है ना इन सबके जवाब हमें इंडिया मे ही मिलेगा.!!

सूर्यांश :- हम्म तू सही कह रहा है.!!

वीर और सूर्यांश कुछ दिनों बाद बाद इंडिया चले जाते है... मुंबई. ओबेरॉय विला.!!!

वहा दोनों को देख सूर्यांश के दादू यानि की विसंभर ओबेरॉय और उसकी दादी यानि की सुलोचना ओबेरॉय दोनों ख़ुश हो जाते है..

दादू :- बच्चे अब तो यहां रुक जाओ.. तुम्हारे बिना अच्छा नहीं लगता है..

वीर दादी की गोद मे सर रख :-मेंभी यही समझा रहा था इसे.!!

सूर्यांश :- हम्म सोचेंगे फिलहाल आप दोनों पेकिंग कीजिए कल हम उदयपुर जा रहे है.!!

वीर चहक़ के :- हें. सच्ची.!!किस ख़ुशी मे.??

सूर्यांश :- अरे दादा दादी की 50 वी सालगिरह है.. तो वही मनाई जाएगी.!!

सुलोचनाजी :- क्या अब उस की क्या जरुरत है.??

वीर :- है ना मेरी क्यूट दादी.. अब शादी की इतने स्केस्स येर का सेलेब्रेसन तो बनता है.!!

दादू :- हां तो हम ज़ब जवान थे तब वही गए थे हनीमून पर याद है सुलोचनाजी.!!

वीर :- हाय मेरे दादू रोमांटिक हो रहे है.!!

दादी उसके कान खिंच के :- बदमाश दादू है वो तेरे.!!

वीर कान छुड़ाते हुए :- अरे दादी.. मे बस मजाक कर रहा था..!!आप तो शर्मा गई वैसे आप शर्माते हये.. बड़ी शर्मिला लगती हो.!!

दादी फिर से उसके कान पकड़ :- बदमासी बंद नहीं होंगी आपकी वीर.!!

वीर :- अरे दादी कान छोड़ो ना. लम्बे हो गए तो.. कोई लड़की पसंद नहीं करेंगी ..!!

सूर्यांश हस के :- नौटंकी साला.!!

सब उदयपुर निकल जाते है जहाँ सूर्यांश ने गुलमोहर नामक बड़े फाइव स्तर होटल को बुक कराया था.. वो जैसे ही अंदर दाखिल हुआ उसे एक अजनबी सा एहसास हुआ.!!वो पीछे मूड देखने लगा की वीर, "क्या हुआ.?"सूर्यांश ना मे सर हिला के आगे बढ़ गया.।

वहा अगले दिन दादी उसे और वीर को अपने साथ मंदिर ले गई वहा सीढ़िया चढ़ते ही उनके कानो मे मधुर सी आवाज सुनाई दी.!!!

जय जय जय गिरिराज किशोरी जय

महेशमुख चदराचकोरि

जय गौरी माँ तेरी

जय हो गौरि माँ

अमर सुहागन जय देवी माँ

ये आवाज सूर्यांश के दिल को धड़का रही थी उसे अनजान सा एहसास हो रहा था वो मंदिर मे जाता है जहाँ बहुत सारी औरते थी उसे समझ नहीं आ रहा था की कौन गा रहा है.. वो दूसरी तरफ से देखने की कोशिस करता है..

माँ मैया श्रृंगार तेरा लाल है

माँ मैया श्रृंगार तेरा लाल है

लाल महावर लाल लाल मेहंदी

लाल सिन्दूर तो लाल लाल चुनरी

मृगमदा का तिलक तेरे भाल है

दर्शन करके ये

मनवा निहाल है

वो गौरी श्रृंगार तेरा लाल है

उसे बहुत कोशिसो के बाद एक लड़की दिखी जो मातारानी की मूर्ति के सामने आरती करते हुए गा रही थी.. सूर्यांश अब भी उसे पीछे से ही देख पा रहा था.. मैरून रंग की कुर्ती और वाइट लेगिस पहन रखी थी. उसके बाल कमर तक के थे काले और लम्बे जो की हाफ पोनी मे बंद थे.. उसका सफ़ेद दुपट्टा उसके सर पे था..।

मन वांछित वर देनेवाली

रखियो अमर सुहाग की लाली

जय गौरी माँ तेरी जय हो गौरि माँ

अमर सुहागन जय देवी माँ

जय गौरी माँ तेरी जय हो गौरि माँ

अमर सुहागन जय देवी माँ

आरती खत्म होने के बाद सब इधर उधर हो गए.. सूर्यांश अब भी उस लड़की को खोज रहा था पर वो उसे नहीं दिखी..

दादी :- सूर्य लो प्रसाद.!!

सूर्यांश :- है. हह. हां जी दादी.!!

वीर धीरे से :- क्या हुआ हड़बड़ा क्यों रहा है.??

सूर्यांश :- कुछ नहीं.!!!चले दादी.!!

सूर्यांश ने पार्टी के लिए पूरा होटल सजा रखा था.. उसने अपने दादू और दादी के बहुत सारे पुराने दोस्तों को भी इन्वाइट किया था.. सब मिलकर केक कट करते है.. दादू अपने दोस्तों से मिलकर बहुत ख़ुश थे...

एक बड़ी उम्र के आदमी से सूर्यांश को मिलवाते हुए :- आनंद यही है मेरा पोता.. सूर्यांश.!!और सूर्या बेटे ये मेरे बहुत ही खास दोस्त का बेटा है अक्सर मुझसे मिलने आते रहता है.तेरा बाप और ये अच्छे दोस्त थे..!!

सूर्यांश उनके पैर छूता है तो आनंदजी उसे गले लगाते हुए, "अरे बरखुरदार.. तुम तो यहां हो मेरे दिल मे बेटे जीते रहो.!!"

वीर बीच मे कुद :- हाय अंकल मे भी हु आप मुझे दूसरा बेटा समझ सकते हो.!!वो ये बोलते हुए उनके गले लग गया.!!

आंनदजी उसकी पीठ थपाक :- तुम वीर हो ना.!!

वीर :- जी हां.!!

आनंदजी :- अरे तुम्हे कैसे भूल सकता हु.. तुम बचपन मे भी शरारती थे अब भी हो.!!

सुलोचनाजी ( दादी ):- वैसे हमारी गुड़िया कहा है आनंद.??

आनंदजी इधर उधर नज़रे घुमा के :- यही थी पता नहीं कहा चली गई.?

तभी सूर्यांश को एक कॉल आई जिसे अटेंड करने वो सबसे दूर कोरिडोर के तरफ चली जाती है.!जहाँ सारे परदे हवा से उड़ रहे थे.. पर्दों की वजह से ही सूर्यांश को सामने से आती हुई लड़की नहीं दिखी जो अपने ब्रेसलेट मे उलझी थी की दोनों टकरा जाते है..सूर्यांश ने उसे थाम ने की कोशिस की पर उस लड़की के पैर के मुड़ने की वजह से दोनों गिर गए सूर्यांश ने उस लड़की के सर की निचे हाथ रख दिया.और पर्दा उस लड़की के चेहरे पर गिर गया.वो निचे थी और सूर्यांश उसके ऊपर.!!सूर्यांश का दिल जोरो से धड़क रहा था ये वही एहसास था जो सुबह और यहां आने पर उसने महसूस किया था.ठीक वैसे ही उस लड़की की धड़कन 💞भी बढ़ी हुई थी। उसका हाथ पर्दे की और बढ़ गया. जैसे ही उसने पर्दा हटाया काजलभरी आँखे, गहरी घनी पलकें, ब्राउन आखे, सुन्दर गोरा चेहरा, पतले गुलाबी होंठ.. सूर्यांश उसे एकतक देखता ही रह गया.. वो लड़की भी सूर्यांश की आँखों मे खो गई.. सूर्यांश के चेहरे पर हलकी मुस्कान 😍आ गई और आँखों मे नमी.. वही हाल कुछ उस लड़की का भी था.. उसे सूर्यांश जाना पहचना ही लगा दोनों खोये ही थे।

की तभी वीर वहा आ गया।वहा का नज़ारा देख वो ख़ुश भी था और हैरान भी..😲 वो नकली खासते हये :- आ. है.. अहं..!सूर्या.!!

दोनों झेप जाते है..सूर्यांश होश मे आ जाता है..वो जत से खड़ा हो अपना हाथ बढ़ाकर 😊 "सॉरी वो मेने देखा नहीं.!!"

लड़की हाथ देते हुए☺️ :- शायद मेने भी.!!वो ख़डी होने जाती है पर उसके पैर मे तेज़ दर्द😣 होता है.. वो गिरने होती है. तो सूर्यांश उसे संभाल लेता है.!!

सूर्यांश 😮:- are u fine.??

लड़की😣 :- नहीं शायद मोच आ गई हो.!!

वीर तो हैरानी से इस वक़्त सूर्यांश को देख रहा था..जो किसी लड़की से हज़ारो फुट दूर रहता 😒है वो आज एक अजनबी लड़की की कमर मे हाथ डाले खड़ा था।

सूर्यांश उस लड़की को बड़े हक से गोद मे उठा लेता है.।

लड़की, "नहीं. मे देखिए.. चल लुंगी..!"

सूर्यांश आराम से उसे देख, 🙂"अभी दर्द है ना पैर मे तो चुप रहो.!!"

लड़की पता नहीं क्यों मान जाती है.।वीर का तो सर चकरा जाता है.वो भी पीछे चल देता है.

सूर्यांश ज़ब हॉल मे आता है तो आनंदजी उसकी और आते हुए, "नंदू क्या हुआ आपको.?"

लड़की :- कुछ नहीं पापा बस मोच आई है शायद.!!




सूर्यांश उसे बैठता है की तबतक वहा दादी भी आ जाती है.। सूर्यांश निचे बैठ उस लड़की के पैर को अपने घुटने पर रख देता है..

दादी :- नंदिनी बेटे क्या हुआ.??

सूर्यांश :- कुछ नहीं दादी बस हल्की मोच है.!!वीर पेन रिलीफ स्प्रे मगवा.!!

वीर :- हा.!!

सूर्यांश हलके से नंदिनी का पैर ट्विस्ट करता है जिससे उसकी पकड़ सूर्यांश के कंधे पर कस जाती है और मुँह से हल्की आह निकल जाती है। जो ना जाने क्यों सूर्यांश के दिल को चीर गई..

सूर्यांश :- अब उठ के देखो.!!

वो नदिनी को आहिस्ते से खड़ा करता है.. नंदिनी का दर्द तो कम हो गया था पर अब भी हल्का हल्का दर्द था.. नंदिनी मुस्कुराते हुए :- अब थोड़ा ठीक है.!!

वीर स्प्रे देता है जो सूर्यांश नदिनी के पैर मे लगा देता है.. दादी :- सूर्यांश ये आनंद की बेटी है.. और मेरी प्यारी गुड़िया.. नंदिनी मलिक.!!और नंदिनी ये मेरा पोता सूर्यांश.!!

नंदिनी अबतक उसे गौर से नहीं देखा था.. ब्लेक शर्ट और थ्री पीश शूट, स्लिके से सेट किया हुए बाल.. सच मे हेंडसम लग रहा था.।

नंदिनी मुस्कुरा के :- हाय दादी बहुत बाते करती है आपकी.!!थैंक यू.!!

सूर्यांश :- हम्म. थैंक यू की जरुरत नहीं है.!!सूर्यांश ने अब भी नंदिनी का हाथ पकड़ रखा था. जिसे देख वीर, "सूर्या हाथ तो छोड़ दे.!"

सूर्यांश झेप जाता है और जत से हाथ छोड़ देता है. जिससे वीर अपना हाथ आगे बढ़ :- हाय मिस नंदिनी.. वैसे u aare looking so beutiful..!!

नंदिनी :- जी..!!थैंक यू.!!