इस जन्म के उस पार - 11 Jaimini Brahmbhatt द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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इस जन्म के उस पार - 11

(कहानी को समझने के लिए आगे के भाग जरूर पढ़े 🙏🙏)


अयंशिका पीछे हट रही थी.. पर उसकी पायल की आवज से सेर उसकी तरफ बढ़ रहा था.. की अचनाक किसी ने उसे खिंच लिया वो चिल्लाने वाली थी की जिसने उसे खिंचा था उसने उसके मुँह पर हाथ रख दिया.!!!
"शशष.!!!आवाज मत करना.!"अयंशिका ने चाँद की रौशनी मे अयंशिका ने देखा उस नौजवान को वो और कोई नहीं बल्कि वरदान था वही वरदान की नज़र भी अयंशिका पर पड़ गई..!!!दोनों एकदूसरे की आँखों फिर से वरदान की ग्रे आँखों मे अयंशिका की ब्राउन आँखे डूब गई थी की शेर उनके करीब पहुंच गया तो वरदान ने अयंशिका को एकदम अपने करीब कर लिया..!!शेर के कुछ दूर जाते ही वरदान ने चेन की सास ली..!!तभी अयंशिका ने उसके हाथ को जोर से काट लिया.!!
वरदान😠 :-आह.!!
अयंशिका लम्बी सांसे ले 😤:- हमें मारना चाहते थे क्या जो कबसे हमारे मुँह पर हाथ रख खडे थे..!!
वरदान 😠:- पागल लड़की हम आपकी मदद कर रहे थे.!!
अयंशिका 😏:- हमने मांगी थी क्या.?

वरदान 😠:- अजीब पागल है आप शुक्रिया अदा करने की जागह हमसे लड़ रही है.!!

अयंशिका कुछ कहती तभी वो शेर की वापस आवाज आई..!!वरदान 😏:- अब डराना मत.!!

अयंशिका कुछ सोच के उसी आवाज की और चल पड़ी. वरदान हैरानी से,"अरे ओ पागल!!वहा कहा जा रही हो.?? वहा शेर है मरने का शोक है क्या.?"

अयंशिका नहीं रूकती तो वरदान उसे रोकते हुए :- सुनाई नहीं देता वहा क्यों जा रही हो.??
अयंशिका :- वो दर्द मे है शायद.!!
वरदान :- वो शेर है.!!

अयंशिका :- हां तो., शेर को भी दर्द होता है।ये बोल वो वापस जाने लगी.!!

वरदान अपना सर पिट के 🤦‍♂️, "केसी मुसीबत से पाला पड़ गया आपका राजकुमार वरदान.!फिर देखते हये, अरे कहा गई.?"वो भी अयंशिका को खोजता हुआ उसके पीछे जाता है.
अयंशिका देखती है की उस शेर का पैर काँटों का जाल मे फ़स गया था।उसे देख शेर दहड़ता है तभी वरदान भी वहा आ पहुंचता है.. अयंशिका शेर की तरफ बढ़ते हुए,"देखो हम कुछ नहीं कर रहे. हम बस तुम्हारी मदद करना चाहते है.. शांत हो जाओ.!!"ये बोलते हुए वो शेर के पास पहुंच गई और आहिस्ते से शेर के माथे पर हाथ फेरते हुए उसके पैर से जाल निकाल ने लगी.!!वरदान ये देख ही रहा था.. अयंशिका को खुदके हाथ मे भी लग रहा था पर फिर भी उसने वो जाल निकाल ही दिया.

अयंशिका ख़डी हो उस जाल को दूर फेक देती है फिर वही से कुछ पत्तों को पिसके शेर के पैर पर लगा के अपना दुपट्टा फाड़ के एक पट्टी बांध देती है। फिर शेर के सर पर हाथ फेर प्यारसे,"अब देखना तुम ठीक हो जाओगे इस जडिबूती से तुम्हारा घाव जल्द भरेगा और हा माफ़ करना आज तुम्हे भूखा रहना पड़ा.!!"वो ये बोल उठ जाती है की शेर भी उठकर दूसरी और चला जाता है।

अयंशिका वरदान के पास आती है.. वरदान ' एक बात पुछु.?'
अयंशिका 😊 :- यही ना की हमने उस शेर की मदद क्यों की.?
वरदान :- हां.!!
अयंशिका :- क्युकी वो हमारा दुश्मन नहीं है वो बस अपना कर्तव्य निभा रहा था जो प्रकुती के तहत उसे मिला था।

वरदान :-आपको कैसे पता की वो आपको नुकसान नहीं पहुंचाएगा.!!

अयंशिका :- वैसे प्रकुती का एक और नियम है वो ये की जब तक तुम्हारे दिल मे किसी को नुकसान पहुंचा ने की भावना ना हो तबतक कोई तुम्हे नुकसान नहीं पहुंचता.!!
वरदान उसे देख रहा था की अयंशिका वहा से अपने रास्ते चली गई.. तभी किसी ने वरदान के कंधो पर हाथ रखा जिससे वरदान का ध्यान टुटा.!!

धर्म :- राजकुमार इतनी देर पानी के लिए लगती है क्या.?
वरदान :- नहीं.. हा. वी.!!फिर इधर उधर देख अरे वो लड़की कहा गई.??

धर्म :- लड़की कोनसी? कबसे आप यहां अकेले ही तो थे।
शान :- जरूर भूतनी होंगी 😄😄!!

संजय :- हां जंगलो मे अक्ससर मिल जाया करती है.

वरदान दोनों को घूरके :- मुँह बंद करो अपना वो सच मे लड़की थी बड़ी ही सुन्दर और अजीब.!!

शान :- हां आजकल सुन्दर चीजें अजीब ही लगती है। 😄

वरदान उसके सर पर तपली मार के :- अरे अजीब इसलिए क्युकी जिस शेर से मेने उसका पीछा छुड़वाया उसके लिए ही फ़िक्र कर रही थी.. और तो और ये जानते हुए भी की शेर अपनी फ़ितरत नहीं भूलता वो उसे नुकसान पहुंचा सकता है फिर भी उसकी मदद कर रही थी..!!

धर्म :- हम्म. हो सकता है यात्रा की कोई यात्रिक हो जो रुकी हो. वैसे भी जंगल के आसपास बहुत ही पड़ाव डाले है।

वरदान :- हम्म.!

सब चले जाते है. वही दो आंखे और थी जो सारा मंजर देख रही थी वो, "मिल गई..!मिल गई.. यही लड़की है इसके दिल मे गुस्से मे भी प्यार है.. और दर्द मे भी ममता. इसकी ही बली देंगे.!!मे अघोरा को बताता हु."

यहां चपला अयंशिका को देख :- कहा चली गई थी आप राजकुमारी.??

अयंशिका :- अरे कुछ नहीं बस युही टहलते आगे तक चले गए थे।

चपला का ध्यान उसके हाथ पर जाता है :- राजकुमारी.!!ये चोट कैसे लगी.?

अयंशिका :- बस किसीकी मदद करते वक़्त लग गई.!!

चपला उसके घाव पर मरहम लगा रही थी वही अयंशिका को वरदान का चेहरा याद आया जो उसने बहुत नजदीक से देखा था।
इस तरफ वरदान के हाथ पर निशन देख शान, "अब किसने काटा.?"

वरदान के हाथ पर अयंशिका के दांतो के निशान थे.. इसे देखते हि वरदान को अयंशिका की याद आ गई और चेहरे पर मुस्कान बिखर गई। धीरे से उस निशान को चूमते हुए उसके मुँह से निकला, "पागल.!"

यहां अचानक अयंशिका के दिल की धड़कन बढ़ गई.. उसके चेहरे पर भी मुस्कुराहट तेर गई।वरदान चाँद को देख रहा था।वही अयंशिका भी चाँद को निहार रही थी।यात्रा मे पहला पड़ाव था माँ उमिया मंदिर.!!वहा सारी यात्रा के लोग दर्शन करने लगे.!!पंडितजी :- आप सभी भक्तजनों का हार्दिक स्वागत है.. इस पंद्रह दिनों की भुवनेश्वर की यात्रा मे.!मे उम्मीद करता हु आप सबके मनोरथ पूर्ण हो..। आज इस यात्रा का आंनद ले.!!

वहा मंदिर मे अयंशिका और वरदान एक साथ दर्शन करते है..। दोनों निकल रहे थे की अयंशिका का दुपट्टा वरदान के हाथ के कड़े मे फ़स जाता है। वरदान इस बात से अनजान वो दुपट्टा खिंचता है तो अयंशिका जोर से उसके पास आके टकरा जाती है जिससे वरदान खुदको संभाल नहीं पता और उसके साथ गिर जाता है।

यात्रा मे पहला पड़ाव था माँ उमिया मंदिर.!!वहा सारी यात्रा के लोग दर्शन करने लगे.!!पंडितजी :- आप सभी भक्तजनों का हार्दिक स्वागत है.. इस पंद्रह दिनों की भुवनेश्वर की यात्रा मे.!मे उम्मीद करता हु आप सबके मनोरथ पूर्ण हो..। आज इस यात्रा का आंनद ले.!!

वहा मंदिर मे अयंशिका और वरदान एक साथ दर्शन करते है..। दोनों निकल रहे थे की अयंशिका का दुपट्टा वरदान के हाथ के कड़े मे फ़स जाता है। वरदान इस बात से अनजान वो दुपट्टा खिंचता है तो अयंशिका जोर से उसके पास आके टकरा जाती है जिससे वरदान खुदको संभाल नहीं पता और उसके साथ गिर जाता है।

( वीर ये हुई फ़िल्मी टककर.!!😄यस्वी उसका मुँह पे अपना हाथ रख देती है.. सूर्यांश सर झटका के आगे देखने लगता है की नंदिनी को कुछ याद आता है और वो जोर से हस देती है.. सबके उसको देखने से लगते है वो झेप जाती है और सब आगे देखने लगते है.)

जैसे ही दोनों एकदूसरे को देखते है तो एकसाथ, "आप..!!"

अयंशिका ख़डी हो जाती है और वरदान भी.!!अयंशिका 😠😠, "ईश्वर ने आंखे दी है तो इस्तेमाल भी किया कीजिए.!!"

वरदान😠 :- आप भी.!!

अयंशिका 😠:- आपको क्या हम ही मिले टकरा ने को.!!हमारा दुपट्टा भी फट गया आपकी वजह से.!!

वरदान :- तो आप अपने दुपत्ते को संभाल के रखिये ना.!!

अयंशिका😤 :- तुम हमें जानते नहीं हो हम राजकुमारी.!!( वो रुक जाती है फिर बात संभाल के ) हम राजकुमारी चपला की खास है.. आई बात समझ.अगर हमारी राजकुमारी को पता चला ना तो तुम्हे सजा मिलेगी. हुंह.😏!!

वरदान :- आह. ना.. राजकुमारी की खास हो कोई राजकुमारी थोड़ी हो. तेवर तो देखो.. हम तो खुद..!

"वरदान..!!"पीछे से शान की आवाज आती है। जिससे वरदान मन मे :- ये हम क्या कर रहे थे अभी अपनी पहचान बता देते इसको.!!

शान वरदान के पास आ जता है और 'चलो कुछ बात करनी है.!!'वरदान चला जाता है वही अयंशिका मुँह फुला के,"इसकी तो.. अगर हम इसे बताते ना की हम राजकुमारी अयंशिका तो इसकी जुबान नहीं खुलती हमारे सामने.. अकड़ू सांड कही का.!"

(नंदिनी अपनी हसीं दबाये हुई थी की वीर भी यस्वी के हाथ को काट लेता है। यस्वी 😤😤:- बढदिमाग़ इंसान.!!

सूर्यांश नंदिनी को देख😒 :- अकड़ू सांड... रियली.!!

वीर :- तभी नंदिनी को हसीं आ रही थी.. यस्वी, "अब मुँह बंद करो और आगे देखो ..!)

वरदान :- क्या हुआ शान कुछ पता चला.?

संजय :- हा, एक गुप्तेचर ने बताया की कोई शेरा नामक व्यक्ति है जो उस क्रूर सिंह का चेला है और वो क्रूर सिंह यात्रा के आख़री पड़ाव मे आएगा.!!

वरदान :- हम्म.!!अब इस शेरा को खोजने का काम करते है.।

यहां अयंशिका गुस्सा कर रही थी.शाम को आरती होती है जिसमे सभी भाग लेते है. फिर आरती अयंशिका सबको देती है.सबके जाने के बाद.. वो दिया रखती है की दूसरे दिए से उसके दुपट्टे मे आग लग जाती है जिसे धर्म देख लेता है और झट से अपने हाथो से उसे भुझा देता है.. अयंशिका के पास चपला आ जाती है।

चपला,"आप ठीक तो है राज... मतलब अयंशिका.!!"

अयंशिका :- जी !!वो धर्म की तरफ देख उसके हाथो को देखते हुए," आपके हाथ. हमारी वजह से 🥺माफ कीजिए गा.!"

धर्म :- इसे छोड़िये आप ये बताइये की आप ठीक है ना.!!

अयंशिका :- आप आइये इधर.!!वो धर्म को बैठा देती है की चपला भाग के औशधि ले आती है.।

अयंशिका उसे ओशादी लगाकर पट्टी करते उसकी आंख से आंसू निकल जाते है, "हमारी वजह से आप इतनी दर्द मे है.!"

धर्म पट्टी वाला हाथ उसके सर पर रखते हुए, "अरे अगर मेरी जगह आपके भाई होते तो.. आप ऐसे ही करती.!!"

अयंशिका उसकी तरफ दर्द भारी आँखों से देख, "हमारा कोई भाई नहीं है.!!"

धर्म उसके आंसू पोछते हुए, "तो क्या हुआ.. मे हु ना आज से और अभी से माँ उमिया की साक्षी मे आपको अपनी बहन मानता हु. और देखिए आपने राखी भी बांध ली.. अब हस दीजिए.!!"

अयंशिका मुस्कुरा देती है., धर्म, "अरे वाह मेरी बहन की मुस्कान कितनी प्यारी है.. आपका नाम क्या है.?"

चपला "राजकुमार.. मेरा मतलब था की हम राजकुमारी ये हमारी खास है अयंशिका.!!"

धर्म :- अयंशिका.!!आपका नाम तो बहुत खूबसूरत है आपकी तरह पर.. थोड़ा लम्बा है.!!मे आपको.. अंशी.. हा अंशी बुलाऊ.!!

अयंशिका :- जी. भैया.!!आपका नाम.!

धर्म :- धर्म.!!!

अयंशिक😊:- धर्म भईया.!!

धर्म उसके सर पर हाथ फेर चला जाता है.. वही अयंशिका ख़ुश हो के, "चपला देखा हमारा भाई है.. हमें भाई मिला गया चपला.!"

चपला, "हां राजकुमारी अब चले विश्राम कीजिए कल यात्रा फिर चल पड़ेगी.!"

यहां धर्म आता है तो वरदान उसके हाथो को देख, "ये क्या हुआ धर्म.?"

धर्म :- कुछ नहीं राजकुमार वो ऐसे ही लग गई.!!

शान उसके हाथ को पकड़, "पर पट्टी तो गीली है. लाओ इसे बदल देते है.!"

धर्म को याद आया की कैसे अयंशिका के आंसू की वजह से पट्टी गीली हो गई.!शान हाथ को देख, "कहा लगी है.?"

धर्म अपने हाथो को देख हैरान था क्युकी उसके हाथ बिलकुल ठीक थे। "ये कैसे हो सकता है.. मेरे हाथ तो बुरी तरह से जले थे.. पर.!"

वरदान :- अगर जले थे तो घाव कहा गए धर्म.?

धर्म बिचारा खुद परेशान था वो क्या जवाब देता.!!सब उसे गलत समझ सो गए थे.!!वही धर्म सोच मे डूबा था की आखिर हुआ क्या.??

अगले दिन यात्रा चल पडती है। जहाँ अयंशिका अपनी सहेलियों के साथ थी वही उनसे कुछ कदमो की दुरी पर वरदान और उसके दोस्त चल रहे थे।

यहां महाराज मल्लिकार्जुन परेशान थे.. वो अपने महागुरु के पास आये थे.. ( ये वही महागुरु है जो यशश्वी से मिला करते है )

महाराज :- अयंशिका की शक्तिया उनके इस जन्मदिन से बढ़ेगी.. महागुरु हमें डर है की बुरी ताकतें उनका पीछा ना करने लगे.!और इन सबसे वो बेखबर यात्रा पर गई हुई है.!

महागुरु :- डरिये मत महाराज.. राजकुमारी अयंशिका एक "आद्रोना "है। जिसका रक्षक उनके आसपास है.. और वो उनसे मिल चुकी है.!!

महाराज ख़ुश हो के :- सच महागुरु.!!

महागुरु :- जी हां महाराज.!!और आप बेफिक्र रहे वो भले ही एकदूसरे को नहीं जानते है पर फिर भी रक्षक उनकी रक्षा कर ही लेंगे.!!महाराज ख़ुश हो जाते है।

इधर यात्रा खाने के लिए रूकती है.!!वहा अयंशिका ने खुद खीर बनाई थी.!!सबको ये खीर बहुत अच्छी लगी थी.

अयंशिका धर्म को ढूंढ रही थी.. वो उसे ढूंढ़ते हुए वरदान के खेमे मे आ गई जहाँ वो वरदान बाहर निकल रहा था. और अयंशिका अंदर आ रही थी. दोनों टकरा गए और सारी खीर वरदान के कपड़ो पर गिर गई.!!

अयंशिका 😛:-वो.. हु.. हम.. वो.!!

वरदान गुस्से से उसे देह रहा था 😠:- क्या वो हम.?? अब बताओ कौन अंधा है.?? पागल कही की.!!हमारे सारे कपड़े खराब कर दिए.!!

अयंशिका😤:- आप आपकी हिम्मत कैसे हुई हमें पागल कहने की.!आप होंगे पागल.!

वरदान :- ऐसे 😜पागल को सब पागल ही दीखते है.!

अयंशिका 😤 :- आप ना बेवकूफ है.. एक तो आप देख कर नहीं चलते और ऊपर से हमारी खीर गिरा दी.!!

वरदान :- ओ पागल.. हमने आपकी खीर नहीं गिराई आप ही अंदर आ रही थी.. तूफान की तरह.!!एक बात बताओ.. क्या हमेशा गिरती पडती रहती हो.!!दिमाग़ नाम की चीज है भी या नहीं.!!

अयंशिका 😤😤:- आप बदतमीज है.. आपको लड़कियों से बात करने की तमीज नहीं है.!!

वरदान😄 :- बिलकुल सही.. हमें पागलो से बात करने की तमीज नहीं है.!!

अयंशिका पैर पटकते हुए वहा से चली जाती है वरदान 😄, "पागल..!"

अयंशिका अपने खेमे मे गुस्से से इधर उधर चक्कर काट के बोल रही थी. "😠😠समझते क्या है वो खुदको खुद पागल है और हमें पागल कहते है.. अकड़ और गुरुर तो कूट कूट के भरा है उनमे 😤अकड़ू सांड कही के.!!हुंह.. अगली बार ना उनकी बोलती ही बंद कर देंगे हम.!!"



**************बाकि अगले भाग मे.!!!****