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जीत का दिन

रोहित अच्छा खासा हैण्डसम, लम्बा गोरा चिट्टा एकदम अंग्रेज सा लगता था। अच्छा खासा जॉब, एक मल्टी नेशनल कम्पनी में सॉफ्टवेयर डेवलपर्स का मैनेजर और रोहिणी वो भी तो कम सुन्दर नहीं है ना रोहित से किसी भी तरह से उन्नीस नहीं बल्कि यूं कहो इक्कीस ही है। वा दोनो की अच्छी गृहस्थी बस यूं कहिए एकदम मुक्कमल। एक दिन रोहित ने वीक एण्ड पर कहा "यार रोहिणी चल एक फिल्म आई है “विक्की डॉनर” देख आते हैं मैने टिकट ऑनलाइन बुक कर दिए हैं।" रोहिणी बोली "अरे यार ये डॉली है ना कुछ नहीं देखने देगी, तुम चले जाओ ना।" और रोहित किसी दोस्त के साथ “विक्की डॉनर” देखने चला गया। वापस आते टाइम वो कबाब एण्ड करी से दोनो का खाना भी पैक करवा लाया था। गृहस्थी की गाड़ी अच्छी चल रही थी दोनो ने अलग अलग शिफ्ट ले रखी थी ताकि डॉली को ध्यान रखने के लिए एक जना घर में ज़रूर रहे। कभी कोई किसी तरह का विवाद नहीं और ना ही कभी किसी ने कोई बात सुनी उनके बारे में । यूं कह सकते हैं कि एकदम आइडल कपल थे रोहित और रोहिणी ।

इन दिनों रोहित कुछ खोया खोया सा रहने लगा था। कुछ भी नहीं बोलता था तो रोहिणी को लगा कि ज़रूर इसके विंग की कोई प्राबलम है जिसे लेकर ये परेशान रहता है। सो उसने पूछ ही लिया।

"रोहित क्या बात है आजकल तुम बहुत परेशान से लगते हो, मे आई हेल्प यू डार्लिंग।"

"नो बेबी, एम आलराइट, नथिंग स्पेशियल।"

वो बात को रूख बदलते हुए कहने लगा "आजकल ना डॉली बहुत नटखट हो गई है। तोड़ फोड़ भी करने लगी है ये। कल पता है मेरा केल्क्यूलेटर तोड़ दिया था।'

"हाँ ये तो सही है मुझे भी बहुत परेशान करती है आजकल, टिकती ही नहीं है। चलना सीख गई है ना पूरे घर में धमा चौकड़ी मचा के रखती है लेकिन इसकी इस प्रकार की धमा चौकड़ी अच्छी भी लगती है रोहित। है ना डार्लिग।"

"यस यू आर राइट"

"ओ के कम आन रोहित डांट चेंज द टापिक। वाट्स द प्राबल्म विद यू। टैल मी बेबी।"

"नथिंग यार रोहिणी बस वो मैं सोच रहा था कि देश के हर शहर मे मेरे बच्चे हों सब का जेनेटिक फादर मैं बन जाऊँ।"

"वॉट, आर यू मैड"

"रियली, रोहिणी मैने “विक्की डॉनर” देखी तो लगा कि यार डॉनेट करना तो एक पुण्य का काम है जिनके बच्चे नहीं हो रहे हैं वो आर्टिफीशियल इनसेमिनेशन या टेस्ट ट्यूब बेबी टेक्नीक से मेरे बच्चों को पैदा कर सकते हैं।"

"रोहित हाऊ यू केन थिंक दिस। दिस इज टोटली फूलिशनेस।"

और उस रात वे दोनो पहली बार एक दूसरे से झगड़े थे। पूरी रात तनाव में गुजरी विशेष कर रोहिणी की। उसे लग रहा था कि ये अचानक ही रोहित को क्या जुनून चढ़ा है आज स्पर्म डोनेशन की बात कर रहा है कल किसी भी औरत को खुले आम घर ले आयेगा और कह देगा सी इज ओनली स्पर्म रिसिप्टर।

नहीं मैं ऐसा नहीं होने दूंगी। और वो सोचती रही, लगातर सोचते सोचते सर फटने लगा था। उसे लगा आज तो ये दर्द उसकी जान ही ले लेगा। जैसे तैसे उठी सरदर्द की एक गोली खाई और बिस्तर पर लेट गयी। उधर रोहित ख़र्राटे ले रहा था। डॉली भी सो रही थी। नींद अगर नहीं थी तो वो रोहिणी की आँखों में। और आये भी कैसे कोई भी औरत यह कैसे बर्दाश्त कर सकती है कि उसका पति किसी दूसरी औरत को अपना स्पर्म दे। कब नींद आयी मालूम नहीं। जब उठी तो रोहित आँफिस जा चुका था। आमतौर पर वो ब्रेसफास्ट आँफिस में ही करता था सुबह छः से दो बजे तक उसकी शिफ्ट होती थी। लंच रोहिणी बनाकर तैयार रखती थी सो उसके आते ही लंच किया और वो आँफिस को रवाना हो जाती थी। यही क्रम रोज़ाना का होता था लेकिन आज रोहित का इस तरह से आँफिस जाना पता नहीं क्यों उसे अच्छा नहीं लग रहा था, वो सोचने लगी ये किसके लिए स्पर्म डोनेट करना चाह रहा है ये तो पता लगाना ही पड़ेगा । उधर रोहित ने निर्णय किया था कि वो सपर्म डोनेट ज़रूर करेगा सो उसने अस्पताल में अपना रजिस्ट्रेशन स्पर्म डानर के रूप मे करवाने का निर्णय लिया । वो हाफ डे लेकर अस्पताल गया और उसने नाम वहां पर पंजीकृत करवा दिया। वापस घर आकर उसे पंजीकरण की बात भी रोहिणी से कह दी कि वो जो सोच चुका है वो ज़रूर करेगा। उसका कहना था कि वो उसका व्यक्तिगत अधिकार है चाहे ब्लड डोनेशन की बात हो या स्पर्म डोनेशन।

 


रोहिणी को अपने नीचे ज़मीन खिसकती सी महसूस हुई। उस वक्त उसे कुछ नहीं सुझा वो बिना खाना खाये ही अपना पर्स उठाकर घर से बाहर निकल गई थी। वो निकली तो थी लेकिन दफ्तर जाने को उसको बिल्कुल भी मन नहीं था। अपनी गाड़ी को उसने अचानक ही मद्रास हाइकोर्ट की तरफ घूमा दिया हाइकोर्ट मे एक महिला वकील की तलाश करने लगी। उसे पता चला कि जेटलीना अय्यर बहुत बड़ा नाम है, वो सीधे ही एडवोकेट अय्यर के केबीन मे घुस गयी। तकदीर से उस वक़्त एडवोकेट जेटलीना अय्यर फ्री ही बैठी थी। रोहिणी ने अपनी बात एडवोकेट को बताई तो एडवोकेट ने पहले तो उसे एक ग्लास पानी पिलवाया फिर उसे तसल्ली देते हुए कहा 

"डान्टवरी मिसेज "

"जी आइ एम रोहिणी"

ओ के रोहिणी, इट्स ओ के, आइ विल फाइल ए केस इन हाइकोर्ट एण्ड डान्ट वरी, ही कान्ट डू दिस।

हाईकोर्ट में केस चला और तब तक रोहित को कोर्ट ने ऐसा करने के लिए मना कर दिया जब तक कोर्ट का फैसला न आ जाए।

फैसला आया लेकिन वो रोहित के हक़ में गया। उस रात रोहित के लिए जश्न की रात थी सो उसने खूब पी। उधर रोहिणी पूरी रात रोती रही लेकिन कोई चार बजे के लगभग उसने निर्णय किया कि वो अपने हक़ के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाएगी। सो अगले ही दिन हाइकोर्ट के निर्णय की कॉपी लेकर एडवोकेट जेटलीना के साथ सीधी दिल्ली गई और सर्वोच्च न्यायालय में एस.एल.पी. दायर कर दी । इस बार वकीलों की जिरह कुछ अलग ही तरह की थी। पत्नी के व्यक्तिगत अधिकारों को लेकर बहस थी पति के स्पर्म पर पत्नी का ही अधिकारी है इस बार पर बहस थी।

पूरे आठ महीने बाद सर्वोच्च न्यायालय में आज इस केस का फैसला होने वाला है कि पति अपनी पत्नी की मर्ज़ी के खिलाफ स्पर्म डोनेट कर सकता है या ही। पुरूष मानसिकता के हिसाब से तो वो सब कुछ कर सकता है। ख़ैर तीन न्यायाधीशों की खण्ड पीठ ने फैसला सुनाया

"कोई भी पति अपने अकेला इच्छा से स्पर्म या स्पर्म डानेट नहीं कर सकता है। क्योंकि एक औरत से उसने विवाह किया है और विवाह में यौन सम्बन्ध दोनो की सहमति से होता है जिस पर पत्नी का उतना ही अधिकार बनता है इसलिए अपनी पत्नी की बिना सहमति के कोई भी पति स्पर्म डोनेट नहीं कर सकता है। और यह जीत का दिन था रोहिणी के लिए, एक भारतीय पत्नी के लिए ,एक औरत के लिए बल्कि यूँ कहें कि हिन्दुस्तान की तमाम औरतों के अस्तित्व की जीत का दिन । 

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