मधुरिका Yogesh Kanava द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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मधुरिका

मधुरिका जी आज ज़ोर-ज़ोर से बोले जा रही थी और निलय उन्हें चुप करवाने की कोशिश कर हरे थे वो लगातर कहे जा रही थी मेरी किसी को परवाह नही है, कोई भी मेरे साथ नही है और तुम --- तुम तो पूरी ज़िन्दगी मेरे पास केवल अपने मतलब से ही आते रहे हो अब तुम्हे मुझसे क्या ? ना जाने वो बिना सोचे समझे क्या-क्या बोले जा रही थी। उनको खुद भी मालुम न था। बस वो बोले जा रही थी। निलय उनके व्यवहार से परेशान तो था लेकिन वो जानता था कि यह व्यवहार थोड़े समय तक रहेगा। फिर सब कुछ सामान्य होने वाला था हां इसमे साल भी लग सकता है छः महिने भी लेकिन सामान्य ज़रूर हो जाएंगी।

उनके इस व्यवहार पर मैने निलय से कहा यार भाभी को किसी साइकेट्रिस्ट को दिखवा लाते हैं। निलय मुस्कुराते हुए बोला नहीं भाई ऐसा कुछ नहीं है मधुरिका को वो बस थोड़ी सी चिड़चिड़ी को गयी है। दिनभर अकेली रहती है ना इसलिए, अब मैं तो दफ्तर चला जाता हूँ, बेटा नौकरी के लिए चला गया, बेटी ससुराल चली गयी अब वो किसके साथ समय गुज़ारे, बस इसी लिए वो ऐसा करती है।

मधुरिका भी अपने इस बदलाव पर कई बार सोचती थी कि आखिर मैं ऐसा व्यवहार क्यों करती हूँ लेकिन फिर तत्काल उसे दूसरा ख़याल आ जाता था। बेटे को पाला पोसा और आज बहु ने उसे अपने चंगुल में ले लिया वो भी उसी की तूती बजाता है। कई बार वो सोचती अब क्या होगा। मैं पचास के लगभग हो गयी हूँ वो कालोनी वाली और मैं कह रही थी कि पचास के आसपास पीरियड्स बन्द हो जाते हैं वो क्या कहते हैं उसको --- ना जाने क्या बोल रही थी वो ---- हाँ याद आया मीनापॉज। --- हाँ यही बोला था मिसेज रावत ने। अब मीनापॉज के बाद तो मुक्कमल औरत नह ही नहीं पाऊँगी, तब --- तग भी निजय मुझे इसी तरह से थोड़े ही ना चाहेगें। आदमी को हमेशा एक सजी धजी औरत जो उसकी हर इच्छा पूरी कर सके वो चाहिए लेकिन इसके बाद तो मैं निलय को कैसे पसन्द आऊँगी या फिर वो सुख कैसे दे पाऊँगी। और इतना सोचते ही वो फिर उग्र रूप धर लेती चिड़चिड़ाने लगती। उसे लगता अब सब बेकार है। ये जीवन अब किसी काम का नहीं। औरत की ज़िदंगी भी क्या ज़िदंगी है पहले पति को खुश रखे उसकी यौन इच्छाओं की पूर्ति करो और अब मीनापॉज हो जाए तो फिर किसी काम की नहीं। हालांकि वो कई बार सोचती थी कि यह केवल मुझे ही थोड़े हो रहा है सभी को होता है ना मीनोपॉज तो, फिर मैं क्यों इतना सोच रही हूँ लेकिन इतना सोचकर वो बस थेड़ी ही देर तसल्ली दे पाती थी अपने आपको कभी अपने जवानी के दिनों की रोमान्टिक यादों को याद करके वो दुखी होती थी अब कौन करेगा मुझसे रोमांस, अब तो निलय नहीं कोई और ठिकाना देखेगा।

ना जाने कितने तरह के ख़याल उसके मन में आते थे और उन्ही ख्यालों में वो और अधिक उग्र होती जाती थी। इब उसकी समस्या यह थी कि वो ये सब बातें किसी से कहना भी नहीं चाहती थी क्योंकि वो सोचती थी कि फिर ये औरतें क्या कहेंगी। देखो इस उमर में भी मधुरिका को जवानी की भूख है। ना --- ना मैं किसी से नहीं कहुँगी अपनी यह बात। कैसे बताऊँगी मैं यह सब, अब निलय को अगर पता लग गया कि मेरा तो मीनापॉज हो गया है तो फिर तो वो गया हाथ से। ---- नहीं ---- मैं निलय को हाथ से नहीं जाने दूंगी चाहे मुझे कितनी लड़ाई करनी पड़े। इस प्रकार के ख़याल के आते ही वो फिर से उग्र हो जाती थी। उसको याद आया किस प्रकार निलय उसके साथी महिला कर्मचारी से नजदीकीयाँ जोड़ने लगा था जब विपुल का जन्म हुआ था वो तो मेरी आंखे खुली थी जो समय से चेत गयी थी और निलय को उस औरत के चंगुल में नहीं जाने दिया था। हालांकि निलय तो कह रहा था कि ऐसा कोई संबंध नहीं था लेकिन मुई मरद जात का कोई भरोसा नहीं है कब कहां मुँह मार ले।

आज भी मधुरिका यही पुरानी बातों को याद करके बहुत ही उग्र हो गई थी और निलय को न जाने क्या-क्या कह गयी थी वो लेकिन निलय ने कुछ भी न कहा था बस एक फोन अपने दफ्तर में कर दिया कि वो आज नही आ पाएगा एक दिन की सी.एल. के lलिए व्हाट्स एप् के मार्फत संदेश कर दिया। मधुरिका के सहज होने का इन्त़जार करने लगा तथा घर का काम करने लगा। वैसे तो घर के ज्यादातर काम बाई करती थी बस खाना बनाने का काम मधुरिका को करना होता था लेकिन आज सुबह सुबह ही उसके इस प्रकार उग्र व्यवहार के कारण वो छुट्टी लेकर उसके साथ ही रहना चाहता था। सो सबसे पहले रसोई मे जाकर नाश्ता तैयार करने लगा। आज कई दिनो के बाद उसने खुद नाश्ता बनाया था। पहले सोचा था कि आमलेट ब्रेड से काल चला लेंगे लेकिन बाद मे उसने इरादा बदल दिया और ब्रेड सेण्डविच बनाने मे जुट गया था। सेण्डविच बनाकर उसके बड़े ही प्यार से मधुरिका को नाश्ता दिया तो पहले तो वो नाराजगी जताती रही लेकिन मान मनुहार के बाद उसने नाश्ता किया। उसे आज नाश्ता वाकई बहुत अच्छा लगा था। वो बड़ी अदा से निलय को देखने लगी थी। वो भूल गई थी कि उसे किसी प्रकार की प्राबलम है। वेसे प्राबलम थी भी कहां, वो तो मधुरिका ने खुद ओढ रखी थी मौका देखकर निलय ने भी थोड़ी सी चुहल की और फिर समझाने लगा -

देखो मधु तुम्हे कोई ऐसी बीमारी नही है अभी देखो ना तुम कैसी शोख हसीना लग रही हो कैसी निगाहों से देखा था अभी अरे मैं तो बस क्लीन बोल्ड हो गया।

वो तपाक से बोली --- रहने दो मसका लगाने लगे।

अरे नही मधु मै कोई मस्का नहीं लगा रहा हूँ बल्कि मैं तो कह रहा था कि आज थोड़ा कहीं घूम आएं। इसी बहाने से हम लोग बाहर भी निकल लेंगे कितने दिन हो गए साथ घूमने गए निलय चाहता था कि इसी प्रकार उसे प्यार से मनाकर डॉक्टर मालती जैन को दिखा लाए। वो जानता था कि प्रिमीनोपॉजल सिण्ड्राम से ग्रसित है वो लेकिन खुद कुछ भी नही कहना चाहता था। वो चाहता था कि डॉक्टर उसे कहे। उसने ऐसा ही किया और डॉक्टर के पास लेकर चला गया। एक बार तो वो बिदक गयी थी कि मुझ क्यों लोकर आए हो। निलय ने बड़े ही प्यास से उसे समझाया कि एक बार डॉक्टर से कंसल्ट करने में क्या जाता है। दवा मत खाना। मिल तो लेते हैं। मधुरिका मान गई थी।

डॉक्टर के कमरे से निकलने के बाद मधुरिका ने निलय से कहा तुम्हे मालुम था कि मेरे यह सब मीनोपॉज के कारण हो रहा था।

हां मधु, तो फिर तुमने मुझे क्यों नहीं बताया

इसलिए कि मेरे बताने से तुम मानती नही ना

और दोनो हंसते हुए घर चल दिए।