इस जन्म के उस पार - 4 Jaimini Brahmbhatt द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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इस जन्म के उस पार - 4

(कहानी को समझने के लिए आगे के भाग जरूर पढ़े 🙏🙏)


वही वीर वहा आ गया जिसे देख यशवी ने अपना सर पिट लिया 🤦‍♀️, "ये कबाब मे हड्डी क्यों बन रहा है.!!"कुछ करना पड़ेगा ये सोच वो वीर की तरफ बढ़ के उससे टकरा गई.!!

वीर ने उसे गिरने से पहले संभाल लिया. वो यस्वी को देख ही रहा था की यस्वी गुस्से से 😠,"अगर मुझे ताड़ लिए हो तो छोड़ो..!!"

वीर 😲:- हें क्या ताड़.??

यशवी उसके बाजु पर😠 मर के :- छोड़ो भी चिलगोजे.!!

वीर उसे घूर के 😒:- सच मे छोड़ दू.?

यस्वी :- हा

वीर उसे छोड़ देता है वो गिर पडती है, "हाय मार दिया.. मेरी कमर.!!"वो अपनी कमर पर हाथ रख कराह उठी.!!

वीर 😄उसके सामने बैठ के :- छोड़ दिया केसा लगा.??

यस्वी :- गधा.!!ऐसे कोई छोड़ता है.. लग गई मुझे.!!

वीर :- हा तो तुम ही ऑर्डर दे रही थी छोड़ो.. छोड़ो.!!तो छोड़ दिया. 😄😄

यस्वी उठ जाती है.. वीर🙂 'वैसे अगर चलना ना आता हो तो घर पर रहना चाहिए.!!"

यस्वी :😤- अगर किसी को संभालना ना आता हो तो गिराना भी नहीं चाहिए.!!

वीर 😏:- ओह हेलो तुम मुझसे टकराई थी..

यशवी :- तुम क्या कोई हीरो हो जो तुमसे मे टकराऊंगी. हुंह. वो तो जल्दी मे देख नहीं पाई.!!

वीर :- एक्सक्यूज़ मी हीरो ना सही हीरो से कम भी नहीं हु.!!

यस्वी ऊपर से निचे तक उसे घूर के :- हा हीरो नहीं पर हीरो के साइड हेल्पर जरूर लग रहे हो 😄😄😄

वीर यशवी की हसीं मे खो गया. वो मासूम जो लग रही थी हस्ते हुए.!!मासूम गोरा चेहरा. काली आंखे. पतले गुलाबी होंठ मापसर के चहरे पर सजाये गए. और एक गाल पे पड़ने वाला डिम्पल जो बहुत क्यूट लग रहा था...!!

वीर उसे देख रहा था की उसने उस लड़की की ड्रेस नोटिस की जो लेहंगा चोली थी..

वीर :- वैसे तुम क्या भगोड़ी दुल्हन हो जो ऐसे सज स्वर के भाग रही हो.!!

यशवी को याद आया की यहां आने से पहले अपना लुक चेंज करना तो भूल ही गई थी उसने दांतो तले जीभ काट ली और कुछ सोच के :- और इस बात का जवाब मे तुम्हे क्यों दू.??

वीर :- मत दो ऐसे ही पूछ रहा था.।अच्छा अपना नाम तो बतादो मिस भागेश्री.!!

यस्वी :- भागेश्री....???

वीर :- हा इतनी रात को भाग ने वाली 😄😄

यशवी गुस्से से :- तुम.??


"यशु.."पीछे से नंदिनी उसे आवाज देती है.. वो भाग के आके यस्वी के गले मिलती है यशवी का सारा गुस्सा छू हो जाता है.. वो भी नंदिनी को गले मिल जाती है। (अब यस्वीको नंदिनी कैसे जानती है ये आगे पता चल जायेगा..!!)


सूर्यांश और वीर दोनों को देख रहे थे..

नदिनी :- यशु आप कब आई.??

यशवी :- दी अभी आई.. तेरी बहुत याद आ रही थी...



यशवी सूर्यांश को अपनी नम आँखों से देख कुछ याद करती है..

(फलेशबैक........... यशू रुकिए आज मे आपको बहुत पीटूंगा कब से मेरी नकल कर रही है आप.??

यशवी भागके :- वरदान भईया आप हमें नहीं मरेंगे वरना हम अयंशिका भाभी को बताएँगे.!!वरदान उसके कान खिंच," आई बड़ी भाभी वाली.!!"यस्वी :- आने दो भाभी को हम आपको डांट खिलवायंग.!!वरदान कान छोड़ते हुए, "पागल आप कब अपनी शैतानीय बंद करेंगी.!!"यस्वी उसके गले लग,"कभी नहीं.!!"वरदान उसके सर को चुम के,"मेरी पगली बहन..!!")

सूर्यांश :- क्या हुआ.??

यस्वी मुस्कुराते हुए :- कुछ नहीं.. आप को देख भाई की याद आ गई.!!

सूर्यांश उसे गले लगाते हुए :- तो मे आजसे आपका भाई ही हु..हम्म. वैसे मेरी बहन का नाम.??

यशवी :- मेरा नाम यशवी है। वर..... मेरा मतलब सूर्यांश भईया.!!

नंदिनी :- तुम जानती हो इन्हे.!!

यस्वी :- हा दी इनकी फोटो देखि थी मैगक्सिं मे.!!

वीर बीच मे :- मे वीर हु सूर्यांश का दोस्त.!!वैसे नंदिनी जी आप अपनी दोस्त से पूछिए इतनी रात को कहा से भाग के आ रही थी.??

यस्वी उसे घूर :- दी इसे बोल की मुझे इस चीरोते को कोई जवाब नहीं देना.!!

वीर :- कौन चिरोटे...??

यशवी :- हा बेहिसाब बक बक करने वाले चिरोटे हो तुम.!!अपने रास्ते निकलो वरना ता मे तुम्हारी टांय टांय फिश कर दूंगी समझे.!!

वीर :- 🤔इस लड़की की लेंग्वेज कुछ अजीब है ना.!!देखो तुम मुझसे हिंदी मे बात करो समझी.!!😒

नंदिनी 😄 :- ये हिंदी ही है..।

वीर 😮:- बड़ी वियार्ड सी हिंदी है.ऐसी मैने सुनी नहीं.!!

सूर्यांश :- अच्छा चलो कही बैठकर बाते करते है..।

नंदिनी 😲:- अब भी बैठना है.. रात बहुत हो गई है..!!और यशु भी थक गई होंगी.!!


वीर 😄:- हा भागेश्री जी भागकर जो आई है.!!

यस्वी 😤:- मेरा नाम यशवी है.. समझ आई बात. और मे कोई भाग के नहीं आई वो तो यहां आते वक़्त मेरे कपडे चोरी हो गए ☹️मज़बूरी मे जो मिला वही पहन लिया.!(यस्वी अपने मन मे 🤦‍♀️क्या बकवास की मेने.. 😤 हद्द है इस टट्टू की वजह से कुछ भी बोल दिया.😣.)

नंदिनी :- अच्छा चलो.!!सूर्यांश🤨😒 का मुँह फूल जाता है ये सुनकर नंदिनी मासूम ☺️सा मुँह बनाकर उससे जाने को कहती है।यस्वी समझ गई थी की उन्हें थोड़ा वक़्त चाहिए..

वो जादू से वीर को गिरा देती है।खुद वीर के पास जा के",ये लो ये तो बिन बादल बरसात की तरह गिर गए 😄😄!आइये मे मदद कर दू.!!"ये बोल वो वीर को उठा के कमरे तक ले जाने लगती है। वीर बेचारा अब भी समझने की कोशिश कर रहा था की हुआ क्या.??

वही सूर्यांश नंदिनी का हाथ पकड़ उसे अपनी तरफ खिंच के अपनी पकड़ उसके कमर पर कर देता है.और उसके सर से सर को लगा के ., "जाना जरुरी है क्या. रुको ना अभी कुछ देर.!!"

नंदिनी- 'अभी इतनी खास वजह नहीं है हमारे पास जिससे मे तुम्हारे पास रुक जाऊ.!'

सूर्यांश उसकी आँखों मे देख :- शादी करोगी मुझसे.??

नंदिनी :- वज़ह..???

सूर्यांश को समझ नहीं आया उसने कैसे ये बात बोल दी.. पता नहीं था उसे की क्यों वो नंदिनी को रोकना चाहता था अपने पास हमेशा हमेशा के लिए.!!!वो अपनी सोच से बाहर आके, "बस अपने पास रखना है तुम्हे!!"

नंदिनी :- क्यों.?? ( मन मे --प्लीज वो बोलो जो सुनना है मुझे.. जानती हु की शायद ये प्यार की डोरी है हमारे बीच.!!)

सूर्यांश का दिल जोर से धड़क जाता है वो नंदिनी को छोड़ चला जाता है.. नदिनी बस देखती रह जाती है। वो भी अपने कमरे मे चली जाती है...

वही यस्वी कुछ आगे चल वीर को जोर से गिरा देती है और अपने हाथ झटक के, "इसे कहते है बदला.!!बाय मिस्टर चिरोटे.!!"वो भाग जाती है।

वीर बेचारा खुद ही उठकर अपने रूम मे चला गया.. उसके साथ क्या हुआ वो समझने की कोशिश करने लगा. 😄😄




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