दिल की कलम से लिखो l
शायर की जुबां से कहो ll
हरएक पल जीभर जियो l
रोज लम्हों के साथ बहो ll
आसां नहीं है जिंदगी जीना l
अब खुदा की मरज़ी सहो ll
क़ायनात में खुशियाँ हैं छिपी l
जहां भी रहो बस खुश रहो ll
जिंदगी को जिंदादिली से लो l
खुद को खुदा के दिल में रखो ll
प्रिये महफिलों में ना घुमा करो l
पीना है तो जाम नजरों से पियो ll
१६-३-२०२३
अपनी बर्बादी का जश्न मना रहा हूँ l
तेरी बेवफाई तुझे ही दिखा रहा हूँ ll
जज्बात कुछ इस तरह बहके है l
तेरी जुदाई में घर सजा रहा हूँ ll
वादा किया है तो निभाएंगे ही l
दिलासा दे दिल बहला रहा हूँ ll
तेरी पाती बार बार पढ़कर सखी l
सोये हुए अरमाँ बहका रहा हूँ ll
आज नहीं तो कल आएंगे सब्र कर l
य़ह कहकर खुद को समझा रहा हूँ ll
१७-३-२०२३
अजनबी सी दास्ताँ है मुहब्बत की l
न पूछ दास्तान सखी मुलाकात की ll
जुदाई में जो काटी है लंबी चौड़ी l
कहानी न सुना सकेंगे उस रात की ll
ताजुब हो रहा है कैसे है लोग यहाँ l
कहानी बना दी जरा सी बात की ll
बड़ी मुश्किल से साथ निभा रहे हैं l
जरा तो क़दर कर ज़ज्बात की ll
जो है वहीं दिखा रहे हैं बाहर भी l
इल्म होनी चाहिए असलियत की ll
१७-३-२०२३
शाम ही तो है ढल जायेगी l
दाल ही तो है गल जायेगी ll
गुलिस्तां में फूल के साथ l
कली ही तो है पल जायेगी ll
जुदाई की लंबी ही सही l
रात ही तो है कट जायेगी ll
बेमौसम वो छाई हुई है l
बदली ही है हट जायेगी ll
सब कर सखी प्रेम पाती l
आज नहीं तो कल जायेगी ll
१८-३-२०२३
दिल में ला इलाज दर्द पाल रखा है l
हाकिमों ने बिछाएं जाल रखा है ll
ग़ज़ल की नजाकत को बनाए रखने l
धा धीं धा धा धीं धा ताल रखा है ll
बेस्वाद हो गई है जिंदगी तो आज l
बिरयानी में मिर्ची को डाल रखा है ll
न जाने कब मिलने आ जाए सजना l
सजना संवरना पूरे साल रखा है ll
गुस्ताखी तो देखो, भरी महफिल में l
दिल बहका ने खुले बाल रखा है ll
१९-३-२०२३
मानो नारी शक्ति का रूप है l
चाहे दिखती वो चुप चुप है ll
कभी पीछे नहीं हटती चाहे l
कितनी भी घायल चकचुर है ll
ममता की छांव है साथ साथ l
आशिक के जन्नत की हुर है ll
फूल की तरह सम्भाले रखो l
माता पिता के बाग़ का गुल है ll
बूरी नज़र वालो खबरदार l
दुश्मनों के गले का शुल है ll
१९-३-२०२३
दिल नहीं भरा अभी जरा और मना ले होली |
प्यार भरा गीत कोई सुना और मना ले होली ||
और भी ग़म है ज़माने में, तो वक्त न गवा तू l
दिलसे गिले सिकवा मिटा और मना ले होली ll
झूमने और झूमाने के लिए आते हैं त्योहार l
खुशियो का समंदर बहा और मना ले होली ll
साल में एक बार तो आती हैं खुशियां लेकर l
रंगों से आँगन को सजा और मना ले होली ll
जानते हैं दिन राधा तू न खेलेगा आज होली l
ले सगुन का लगा टिका और मना ले होली ll
६-३-२०२३
बातों बातों में हाले दिल सुनाया होगा l
दस्ताने दर्द को सुनाकर रुलाया होगा ll
रूबरू मिलन की गुंजाईश कम है तो l
वॉट्स आप मेसेज में बुलाया होगा ll
आज नहीं तो कल मिलने जरूर आएंगे l
दिलासा बारहा देकर सुलाया होगा ll
बेपन्हा मुहब्बत के हाथों मजबूर होकर l
हुश्न के सजदे में सर को झुकाया होगा ll
वो नादानी कर सकते पर हम नहीं सखी l
दिल पे पत्थर रखकर भुलाया होगा ll
२०-३-२०२३
खुशियो का सैलाब लेके आई है पाती l
सजना के आने की ख़बर लाई है पाती ll
बड़ा चैन और सुकून मिला है प्यार से l
आशिक के दिल की शनाशाई है पाती ll
२१-३-२०२३
पाती-प्रेम पत्र
जिंदगी की सच्चाई जान ली है l
बंदगी की सच्चाई जान ली है ll
दिल में ग़म होंठों पे मुस्कान रखी l
सादगी की सच्चाई जान ली है ll
जन्म मरण के बीच के सफ़र में l
सादड़ी की सच्चाई जान ली है ll
न छूटने वाली बंधन में बाँधती l
राखडी की सच्चाई जान ली है ll
पिता से पति के घर ले जाती हुई l
पालखी की सच्चाई जान ली है ll
२२-३-२०२३
दिल की क़लम से जज्बात लिखे है l
आज प्रेम पाती में दिन रात लिखे है ll
बेपन्हा और बेइंतिहा मुहब्बत की l
याद में काटे हुए लम्हात लिखे है ll
सखी देर तक किसीसे दूर रहकर l
आज खामोशी से इशारात लिखे है ll
कोई चोट पहुंचाना नहीं चाहते बस l
ज़हन में आए हुए ख़यालात लिखे ll
पैरों में बेड़ियाँ डाल दी रिवाजों की l
प्यार के दुश्मनों के ज़ुल्मात लिखे ll
२२-३-२०२३
साँवरी सूरत ने मन मोह लिया l
सुकूं लूटके दिल को बैचेन किया ll
दो दिन की मुहब्बत में नादाँ ने l
सखी उम्रभर का रोग दे दिया ll
उठकर जा बैठे हैं नजरों से दूर l
साँवरे की याद में तड़पे है जिया ll
दिन तो जैसे तैसे गुज़र जाते है l
जुदाई की रात कैसे काटे पिया ll
तड़प का अंदाजा तो जरूर होगा l
दिलासा देकर जिगर को सिया ll
२३-३-२०२३
वक्त के इशारे की नजाकत को समझो जरा l
मुकम्मल जिंदगी इनायत को समझो जरा ll
रात के दूसरे प्रहर के वक्त होने वाली आज l
संदेश वाहक छुपी इबादत को समझो जरा ll
रात की रोशनी में होने वाली महफिल में l
हुश्न के पर्दे की हकीकत को समझो जरा ll
बेवफाई चुपचाप सहते रहे उफ़ किये बिना l
बंध होठों की फ़रियाद को समझो जरा ll
खुले आम चर्चा करते रहते हो इश्क़ की l
सखी चाहत की नुमाइश को समझो जरा ll
२४-३-२०२३
बादलों के पीछे चाँद छिप न जाये कहीं l
उसे डर रहता है दाग दिख न जाये कहीं ll
बार बार यही दुआ करते रहते है हर पल l
मुरादों वाले सुहाने दिन बित न जाये कहीं ll
बड़ी मुश्किलों से संजोये है किताबों में l
यादों के नामों निशान मिट न जाये कहीं ll
जरा काबू में रखा करो अपनी नजरों को l
मजनू दुनिया के हाथों पिट न जाये कहीं ll
बाद मुदत्तों के मिले हैं प्यार भरे ये लम्हे l
सखी लम्हा लौटकर फिर न जाये कहीं ll
२७-४-२०२३
अँधेरे राज आने लगे हैं l
बादल गमके जाने लगे हैं ll
करीबसे जान जिंदगी को l
चैन सुकूं पाने लगे हैं ll
बिनमौसमी पवन आज l
प्रेम संदेश लाने लगे हैं ll
आने वाले के स्वागत में l
गीत ग़ज़ल गाने लगे हैं ll
छोटी छोटी यादों को सखी l
भूलने को ज़माने लगे हैं ll
जरा सा छू क्या लिया l
अंग मुस्कराने लगे हैं ll
२८-३-२०२३
जाम पर जाम छलकने लगे हैं l
होशों हवास बहकने लगे हैं ll
लगातार मुलाक़ातों से आजकल l
रात और दिन संवरने लगे हैं ll
बेपन्हा बेइंतिहा मुहब्बत की असर l
हर लम्हा हर पल महकने लगे हैं ll
ज्यादातर वक्त के साथ साथ ही l
सखी रंगो रूप को बदलने लगे हैं ll
आज इश्क़ की गुस्ताखी तो देखो l
रूह को प्यार से पकड़ने लगे हैं ll
२९-३-२०२३
किसी के आगमन की आहट सुनाईं दे रहीं हैं l
आज खुशी से फिजाएं भी बधाई दे रहीं हैं ll
इंतजार में न दिन गुजरते हैं ना ही लंबी रातें l
सखी बारहा मुलाक़ातों की दुहाई दे रहीं हैं ll
उम्र के आखरी दिनों में चैन सुकूं से जीने को l
किताबों में रखी यादों को रिहाई दे रहीं हैं ll
मिलन के वक़्त खुशियाँ दिखाने के वास्ते l
अब निगाहों से अश्कों को बिदाई दे रहीं हैं ll
हमसफ़र हमराज़ हमनवाज रहनुमा मिला तो l
अकेलेपन के साथियों को जुदाई दे रहीं हैं ll
३०-३-२०२३
साँझी छत
साँझी छत में एकता और शांति है l
अपनों से बंटवारा केवल भ्रांति है ll
घड़ी, केलकुलेटर, किताब सब साथ l
स्मार्ट मोबाईल तकनीकल क्रांति है ll
कहीं इडली, कहीं पांव भाजी खाए l
खाने पीने की विविधता प्रांति है ll
३१-३-२०२३
ग़ज़ल
उनसे मुहब्बत हो गई है ये कोई नई बात तो नहीं है l
फ़िर मुलाकात हो गई है ये कोई नई बात नहीं है ll
जुदाई में किस तरह गुजारे है दिन यह मत पूछो l
नाम कृष्णा का कितना पुकारे है दिल यह मत पूछो ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह