विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 39 सीमा बी. द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 39

विश्वास (भाग --39)

टीना और बाकी सब शांता जी की मदद कर रहै थे सामान समेटने में और जब पता चला कि टीना आज नहीं कल जा रही हा तो सब खुश हो गए,खासतौर पर नरेन। अंदर से दोनों ही परेशान है कि उनके पापा मानेंगे या नही। दूसरे ही पल ना माानने की कोई वजह भी ऐसी नही दिखती अगर जात - बिरादरी को ना देखा जाए। किंतु भुवन और रवि की शादी में बिरादरी नहीं देखी गयी तो अब नरेन की बारी में भी ये जात- बिरादरी आड़े नही आएगी।

जब टीना पहली बार भुवन के साथ घूमने आई थी, तभी से वो टीना को पसंद करता है। जब ये लोग टीना के साथ शापिंग करने गए तो उसके बाद से टीना की हर बात अच्छी लगने लगी थी। टीना को भी नरेन का साथ पसंद आता था। नरेन का मस्तमौला अदांज़ और जरूरत पड़ने पर सीरियस होना टीना के मन को भा गया।

राजेश--- नरेन भैया रवि भैया ने डॉ. से शादी की है तो आप भी किसी I.A.S या I.P.S
से शादी करोगे??
नरेन --- नहीं यार, मैं तो किसी टीचर या घरेलू लड़की से शादी करूँगा।
श्याम--- ऐसा क्यों भैया??
नरेन ----- क्यों का क्या मतलब, मेरी पसंद है।
राजेश --- ठीक है भैया। गुस्सा मत हो , मैंने तो ऐसे ही पूछा।
टीना उनकी बातें सुन रही थी और मुस्करा रही थी।

संध्या बेटे को बाहर ले कर आती है, नरेन भैया जाओ अब थोड़ा भतीजे का मन बहलाओ। मैं रसोई में थोडा काम देख लूँ।
राजेश -- भाभी लाओ भतीजे को मैं घूमा लाता हूँ। नरेन भैया को रहने दो।
संध्या-- ठीक है राजेश भैया, बस आस पास ही रहना, कई बार अचानक से रो देता है, फिर तुम्हें परेशान करेगा।
राजेश -- ठीक है भाभी। मैं यहीं हूँ।

संध्या, टीना और नरेन को शांता जी की मदद करते हुए देखती है तो बोलती है, "टीना तुम नहीं गयी भुवि और सबके साथ कॉलेज के लिए जगह देखने"??
टीना --- "नहीं दी, अभी तो जगह डिसाइड करनी है, फिर पापा, अँकल और रवि भी हैं भुवन के साथ"।भुवन ने कहा कि," माँ की हेल्प करो"।
संध्या--- यह भी ठीक है," टीना चाय बना रही हूँ पिओगी न"?
नरेन ---- भाभी सिर्फ ये ही नही हम सब के लिए बना लो चाय, अब थक गए काम कर के।
संध्या--- ठीक है भैया, कह कर संध्या चाय बनाने चली गयी।

टीना को नरेन की ये बात अच्छी लगती है कि वो सबके सामने आँख उठा कर भी उसे नहीं देखता, उसको इसमें टीना को उसका डर नही बल्कि अपने लिए इज्जत महसूस होती है। उसने अपने मन की बात सिर्फ अपने बड़े भाई को बताई।

नरैन खुश है क्योंकि उसके भैया जैसे टीना के बारे मैं बातें करते थै वो उससे कई गुणा समझदार और भोली है, जिससे सबको अपना बना लेती है। हमारे पापा को संध्या से इतना लगाव हो गया है कि बेटों से ज्यादा टीना को मिस करते हैं मिलने के लिए।

चाय बन कर आ गयी थी। सब एक जगह बैठ गए।फिर से चर्चा शुरू हो गयी नरेन की शादी की। क्योंकि अब रवि के बाद उसका ही नंबर है तो सब चाहते हैं कि कम से कम उसकी शादी तो बैंड बाजे और पूरे शानौ शौकत से हो।
नरेन ---- ना जी शादी तो सादा तरीके से करूँगा। रिसेप्शन करूँगा दिल्ली ।
श्याम --- क्या बात है भैया , सब तय करे बैठे हो तो लड़की भी देख रखी होगी, बताओ कौन है?
नरेन --- नहीं भाई मैंने नहीं देख रखी।हाँ किसी ने मुझे देख रखा हो तो कह नहीं सकता। बोल तक तेज तेज हँसने लगा।

उधर जगह देखने के बाद वापिस आते हुए भुवन उमेश जी और अपने पापा, दोनो से पूछता है--- उमेश अँकल और पापा मैं आप दोनो से टीना और नरेन के रिश्ते की बात करना चाहता हूँ। नैं चाहता हूँ कि चीना हमेशा हमारी आँखो के सामने रहे। पापा आपको और माँ को भी उससे बहुत लगाव है। इसलिए मैं अपनी दोस्त की शादी नरेन से करवाना चाहता हूँ। अँकल जी आपने भी हमारा सब कुछ देखा हुआ है, माना हमारी जात - बिरादरी की कोई बात करे तो उसमें फर्क है, पर हमारा परिवार इस फर्क को नहीं मानता।आप अपनी राय घर पर बात करके बता दीजिएगा, हमें इंतजार रहेगा।

महावीर जी--- मुझे रिश्ता मंजूर है भुवन बेटा, तुमने आज मेरे मुँह की बात छीन ली।

उमेश जी --भुवन बेटा मेरे लिए इससे बड़ी खुशी की बात क्या हो सकती है कि मेरी गुडिया को आपका परिवार मिलेगा, फिर भी एक बार माँ से बात करके बताना चाहूँगा।

भुवन --- बिल्कुल अँकल आप दादी जी, आँटी और चाचा लोगों से बात कर लीजिएगा और मुझे या पापा को बता देना।

भुवन --- रवि तुम भी बोलो कुछ, तुम्हारी क्या राय है?
रवि -- बहुत अच्छा सोचा है भैया। टीना बेस्ट गर्ल है हमारे भाई और फैमिली के लिए।
ठीक है फिर घर पर अभी कोई बात नही करेंगे, पहले अँकल जी अपने घर में बात कर लें।
महावीर जी-- भुवन ठीक कह रहा है, उमेश भाई मैं सिर्फ इस बात का यकीन दिलाना चाहता हूँ कि टीना बिटिया हमारे दिलों में पहले से ही राज कर रही है।

उमेश जी -- मुझे यकीन है भाई साहब वो आप लोगों के बीच खुश रहेगी, पर माफ कीजिएगा मैं अपनी माँ और भाईयों से बात किए बिना जवाब नहीं दे पा रहा। इसलिए कल मैं जाते ही पूछ कर आप को फोन करता हूँ।
महावीर जी -- उमेश भाई कोई परेशानी नही हौ, आप माँ जी और भाइयों से बात कर लीजिए। मैंने तो अपने दिल की बात की है। हमारी तरफ से सबकी हाँ है।

उमेश जी--- एक बार नरेन से बात कर लेते भुवन, शायद उसको कोई पसंद हो?
भुवन --- अँकल मैं उससे पूछ और बता कर आया हूँ।
उमेश जी --- फिर ठीक है बेटा। टीना से भी तुम ही पूछ कर देखना।
भुवन --- जी ठीक है, पूछ लूँगा।

घर के बाहर पहुँच कर सब चुप हो गए। अंदर आए तो देखा कुछ घंटे पहले अस्त व्यस्त घर फिर से समेटा हुआ था। संभव और टीना की मस्ती चल रही थी। नरेन को तो बहुत बैचेनी हो रही थी, इसलिए सब को वापिस आया देख अपने कमरे में जाने लगा। भुवन ने उसे रोक लिया।
" कहाँ जा रहे हो नरेन"? कल सब चले जाँएगें यहीं बैठो सबके साथ"।
"जी भैया अभी आता हूँ फ्रेश हो कर"।

रवि और भुवन मन ही मन नरेन की बैचेनी का मजा ले कर मुस्करा रहे थे। कमरे में गया तो उसने अपना फोन देखा। रवि का मैसेज था।
" टीना के पापा ने घर पर बात करके बताने को कहा है, शायद कल ही बता दें। मुझे पता है कि तू टीना को पसंद करता है इसलिए भुवन भैया ने बात की है"।

पढ कर वो कुछ पल के लिए मुस्कुराया फिर गंभीर हो गया क्योंकि हाँ होना तो बाकी है। टीना ने तो पहले से ही कह दिया है कि घर वाले मानेंगे तभी होगी शादी। बस इंतजार ही कर सकता है।

अगले दिन टीना और उसके पापा के साथ भुवन भी दिल्ली आ गया। कॉलेज छोडने की तैयारी कर ही चुका है बस थोड़ा बचा हुआ काम जल्दी निपटाना है। नरेन शालिनी को लेने सब के साथ जाना चाहता था तो वो अगले दिन वापिस जाएगा। रास्ते में उमेश जी अपने काम से संबंधित बात करते रहे। भुवन ने टीना को बता ही दिया था कि पापा घर जा कर बात करेंगे।