विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 38 सीमा बी. द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 38

विश्वास (भाग-38)

"अँकल जी आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं और ऐसा हो जाए तो बहुत अच्छा हो जाएगा।अभी पापा फ्री हो जाते हैं तो उनसे बात कर लेते हैं"। उत्साहित भुवन बोला।

"अरे बेटा इतनी जल्दी नहीं है, आराम से फ्री हो कर बात करके बताना। फिर आगे की बात कर लेेंगे पापा के साथ बैठ कर"। उमेश जी ने कहा।

टीना इन सब बातों से बेखबर अकेली छत पर खड़ी थी। उसको अकेला देख नरेन भी वहाँ पहुँच गया।
"यहाँ अकेली क्यों खड़ी हो? "
टीना -- कुछ नहीं ऐसे ही देख रही हूँ सबको।
नरेन --- ठीक है।
टीना -- अब तुम कब कर रहे हो शादी? तुमने कोई पसंद कर रखी हो तो बताओ।
नरेन --- शादी जब तुम कहोगी तभी कर लूँगा। हाँ पसंद तो है, आज बात करने जाना है उसके पापा से!
टीना --- अच्छा कौन है वो लड़की ?? कभी बताया नहीं?
नरेन--- तुम ही तो हो।
टीना--- मजाक मत किया करो।
नरेन--- मैं मजाक नहीं कर रहा हूँ। मैं तो कई बार बातों में बोल चुका हुँ। तुम ही मजाक में लेती हो। मुझे पता है कि तुम भी मुझे पसंद करती हो,बस कहती नहीं। तुम्हे शरम आती होगी। इसलिए सोच रहा हूँ, यहाँ हम दोनों के पापा हैं,आज ही बीत कर लेता हुँ।
टीना-- नहीं नरेन, पहले मुझे अपने दोस्त भुवन से बात करनी है।
नरेन---- "ठीक है, तुम कर लो बात भैया से। मैंने तो बहुत पहले ही पूछ लिया था उनसे तब उन्होंने यही शर्त रखी थी कि I.A.S बनो, फिर टीना से शादी लायक लगोगे"।

टीना-- अच्छा जी!!! मुझे तो भुवन ने कुछ बताया नहीं।
नरेन -- उन्होने कहा था कि मैं खुद ही सबसे बात करूँ तो ठीक रहेगा। नहीं तो टीना को तुम पसंद नही होंगे तो भी वो मुझे न नही कहेगी।
टीना -- जो भी हो, भुवन से बात किए बिना अभी आगे कोई बात नहीं।
नरेन -- ठीक है, तुम यहीं रूको भैया को भेजता हूँ।
कह कर नरेन नीचे चला गया।

भुवन कुछ ही देर में टीना के पास आता है।
भुवन --- क्या हुआ शेरनी ? मुझे बुलाया!!!
टीना --- आज मैं बहुत गुस्सा हुँ,आप पर।।
भुवन ---- क्यों शेरनी मैंने क्या किया?
टीना --- आपको नरेन ने सब बताया, आपने मुझसे इस बारे में क्यों नहीं बात की?
भुवन ---- वो इसलिए नहीं बताया क्योंकि नरेन को तुम जानती हो, वो रवि के जैसा पढाई में या किसी भी काम में सीरियस नहीं रहता था! मुझे लगा तुम्हारे बारे में भी ऐसे ही हल्के में बात कर रही है।तो मैंने कहा कि पहले पढो और उसके लायक बनो। उससे पहले कोई बात नहीं होगी।

टीना --- ठीक है। वो आज पापा से बात करना चीहता है, और अँकल से भी।
भुवन --- हाँ पता है, मुझे। पर तुमने मुझे क्यों नही बताया शेरनी?
टीना--- क्योंकि मुझे भी नरेन सीरियस नहीं लगा। मुझे लगा वो मजाक करता है।
भुवन--- अच्छा वो सब छोड़ो, अब बोलो।
शादी करोगी नरेन से?
टीना --- हाँ जी, पर मेरी शर्त है।
भुवन --- अच्छा!!! क्या है वो शर्त महारानी??
टीना--- भुवन इस नए रिश्ते से हमारा पुराना रिश्ता नहीं बदलेगा। हम दोस्त रहेंगे और मैं भाई या भैया वहीं बोलूँगी। त्योंकि रिसपेक्ट वाली फील आएगी तो दोस्ती की फील खत्म हो जाएगी और मुझे दोस्त की जरूरत ज्यादा है।

भुवन--- वाह शेरनी तुमने तो मेरे मन की बात कह दी। मैं भी यही कहने वाला था। मुझे तुम्हारी शर्त मंजूर है।
टीना-- फिर ठीक है।
नरेन भी आ जाता है.....
भैया कौन सी शर्त आपने इसकी मान ली मुझे बताए बिना।
भुवन --- मैं चाहता था कि मैं और टीना तुम्हारी शादी के बाद भी अपनी दोस्ती निभाएँ, इसलिए इसको कोई भी फोर्स नही करेगा तेरा बड़ा भाई बोने के नाते भैया वगैरह बोलने और व्यवहार करने पर। तुझे कोई एतकाज तो नहीं नरेन??

नरेन --- ये भी कोई शर्त है टीना ? ये तो हम सबकी आपसी समझदारी की बात है। मुझे कोई दिक्कत नही भैया। आप हमेशा दोस्ती वाला रिश्ता रखो। मेरे लिए भी अच्छा है।
भुवन और टीना एक साथ--- तुम्हारे लिए क्यों अच्छा है?
नरेन -- भैया मुझसे कभी कोई गलती होगी तो पहले आपको ही बताएगी, आप मुझे सुधार देना। मुझसे औरतों की तहर लडेगी भी नही।

टीना --- अच्छा अभी बताती हूँ।
नरेन -- रुको अभी। भैया आपको हम दोनो के पापा ने बुलाया है। मैं भी आ रहा हूँ, ससुर जी से उनकी बेटी का हाथ माँगने।कह कर हँसने लगा।
भुवन-- मैं नीचे जा रहा हूँ। तुम लोग कुछ मत कहना, मैं बात करता हूँ। शायद अँकल जी को तेरा ऐसे बात करना पसंद न आए। उनको ऐसा नहीं लगना चाहिए कि टीना तुमसे मिलने ही आती थी।
टीना --- बिल्कुल ठीक कहा भुवन, आप अपनी तरफ से कहना।

नरेन --- ठीक है भैया, जैसा आप कहो।
टीना -- हाँ,मन में तो खुश हो रहे हो कि तुम बात करने से बच गए। दिखा ऐसे रहे हो कि भैया का कहना मानता हूँ। टीना ने चिढाते हुए कहा।
नरेन --- रूक जा बताता हूँ।
टीना -- मैं नहीं रूक रही, शालिनी भाभी पगफेरे को लिए जा रही हैं। मिलना जा रही हूँ।
नरेन --- मैं भी आ रहा हूँ उनको मिलने।
टीना -- ठीक है तो आ जाओ।

शालिनी सबसे मिल कर अपने परिवार के साथ पगफेरे के लिए चली गयी। अब कल भुवन का परिवार अपनी बहु को घर लेने आएँगे।
भुवन, उमेश जी और महावीर जी सब कॉलेज और इंस्टिटयूट बनाने के लिए आगे की तैयारियों की बातें कर टीना से तैयार होने को कहते हैं वापिस घर जाने को लिए।

भुवन --- अँकल जी आज रुक जाइए। शाम हो गयी है, घर पहुँचने तक लेट हो जाओगे। आज ड्राइवर भी नहीं लाए। टीना भी साथ है, कल चलते हैं, मुझे भी जाना ही है, आपकी कार से चल दूँगा।
महावीर जी-- भुवन ठीक कह रहा है, अगर कल आपको जरूरी काम नहीं है तो रूक जाइए।
उमेश जी-- कुछ सोच कर, हाँ जी ठीक है, फिर हम लोग जगह देख आते हैं ठीक है न भुवन?

भुवन --- ठीक है अँकल चल कर देख आते हैं। पापा आप भी चलो। मुझे कुछ और भी बात करनी है आप दोनो से।
महावीर जी -- ठीक है जी चलिए। टीना बिटिया को भी ले चलो।
भुवन --- नहीं पापा, रवि भी चल रहा है, वो राजेश और श्याम से बात कर रही है।
उमेश जी--- ठीक है, हम सब चलते हैं।