विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 32 सीमा बी. द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 32

विश्वास (भाग -32)

टीना बहुत थकी हुई थी। "मुझे बहुत नींद आ रही है दोस्त मैं सोने जा रही हूँ, कल सुबह कॉल करूँगी", लिख कर टीना ने भुवन को मैसेज कर दिया।

सुबह के 9 बजे थे ,जब भुवन का विडियो कॉल आया।
"सब जा रहे है वापिस पढाई जो करनी है। तुम बॉय बोल दो सबको, फिर कहोगी कि बताया नहीं"।
सबको बॉय बोल कर फोन करते रहना बोल टीना ने फोन काट दिया।
टीना को कॉलेज तो जाना नहीं था , सो नाश्ता करके कुछ देर पढने बैठ गयी। 2-3 घंटे लगातार टीना से कभी पढा नही जाता था।
पर जब से भुवन ने उस पर अपना विश्वास जाहिर किया है, वो लगातार पढने की कोशिश करने लगी है।
मीनल को लगा दुबारा सो गयी होगी, देखने कमरे में आयी तो पढ रही थी।
"वैरी गुड टीना", बस मन लगा कर पढा कर। कह कर जाने लगी तो उसने रोक लिया। "मॉम आपको और पापा को मेरा भुवन की फैमिली से क्लोज होना गलत तो नहीं लगता"?
"नहीं बेटा हमें बहुत अच्छा लगता है कि हमारी टीना को सही गलत की पहचान होने लगी है"।
दादी कह रही हैं कि सब अच्छे लोग हैं वो हमसे बेहतर जानती हैं। तुम टेंशन मत लो।
"क्या हुआ मेरी गुडिया को, आज किस बात से परेशान है"? दादी कमरे में आते हुए बोली।
"दादी आपकी गुडिया परेशान नही है, बस सोच रही थी कि भुवन और उसकी फैमिली से मेरी दोस्ती आप सब को पसंद तो है न"?
"बेटा तेरा दोस्त और उसका परिवार हीरा है। ऐसे दोस्त किस्मत से मिलते हैं, हमेशा दोस्ती बनाए रखना और कभी लड़ो तो मनाने में संकोच मत करना"।
मैं भी यही समझा रही हूँ कि हम को कोई दिक्कत नहीं है।मीनल ने कहा।
आप दोनो ने तो मेरी टेंशन खत्म कर दी। "मुझे लग रहा था कि अँकल के लिए बिना आप से पूछे शॉपिंग करके आयी तो आपको गुस्सा आया होगा"।
"नहीं टीना , बेटा ऐसी कोई भी बात नहीं है, भुवन ने भी तो तुझे इतनी मँहगी ड्रैस ले कर दी है, अगर लेने पर नही डाँटा तो देने पर गुस्सा क्यों करते"?
"हाँ जी मॉम सही कहा। मैं बहुत लकी हूँ कि मुझे 2 इतनी अच्छी फैमिली मिली हैं"। थोड़ी देर पहली वाली उदास टीना अब फिर से मुस्कुरा रही थी।
शाम को भुवन से इधर उधर की बातें करने के बाद टीना ने हनीमून के लिए कहाँ जा रहे हो पूछा।
हम ने इस बारे में बात नहीं की और कहीं जाने की क्या जरूरत है? फिजूल खर्ची नहीं करनी संध्या भी यही कहेगी, पूछना चाहो पूछ लेना।।
भुवन आप लोग इतने बोरिंग तो नही हो!! मैं दीदी से बात करती हूँ।
"शेरनी इन सब दिखावों से क्या फर्क पड़ता है"?? भुवन आप को मैं समझाऊँ ये अच्छा नही लगता।
अच्छा मुझे समझा कि क्यों जाना चाहिए!! "क्योंकि अकेले कुछ दिन साथ रहोगे तो एक दूसरे को जानने का मौका मिलेगा"।टीना ने तर्क दिया।
"बुद्धू लड़की जब वो 7 की और मैॆ 12 का था, तब से जानते हैं एक दूसरे को"।भुवन ने अपना पक्ष रखा।
"यही तो गलतफहमी है, आप दोनो को जो दूर करने का सही समय हनीमून है"। टीना ने बातों का चौका मारा।
भुवन को टीना की बातों का चौका आहत कर गया, "क्या मतलब है , इस बात का। ठीक से समझाएगी"!
"आपकी संधु को आपकी पसंद का पता नहीं है।
आपको भी नही पता उनकी पसंद, ठीक कह रही हूँ न"??
भुवन बोला कि हाँ, "मुझे वाकई नहीं पता"।

"ऐसे ही आपकी बीवी को भी लगता है कि वो आपको जानती हैं"। टीना ने बोला तो भुवन बोला, "हाँ तुझे तो सब पता है न , चल मुझे भी सीखा दे"। सीखा दूँगी बेटा, बस फीस देते रहना।
"लालची हो गयी है मेरी शेरनी, पर कोई नही ले लेना फीस"। कह कर भुवन हँस दिया।
"दीदी आप फ्री हो कर मुझे फोन या मैसेज करना, आप से बात करनी है", अगले दिन सुबह टीना ने संध्या को मैसेज किया। संध्या ने दोपहर बाद उसको फोन किया तो टीना ने रात को जो भुवन से पूछा लगभग उसके भी वही जवाब थे।
टीना भले ही दोनो से उम्र में छोटी थी, पर वो इतना समझ रही थी कि दोनो लोग शादी भी सिर्फ वादा निभाने या काम निपटाने के ढँग से कर रहे हैं।
जब कुछ समझ नही आया तो उसने रात को दादी को सारी बातें बताई।
उमा जी ने टीना को भुवन और संध्या की शादी का कारण बताया। अब टीना सच जानती थी तो कुछ खुराफात करने के चक्कर में थी।
अपने मिशन में भुवन संध्या को छोड कर सब को शामिल करती चली गयी।
शादी में सिर्फ एक हफ्ता ही बचा था भुवन घर आकर सबको शादी में आने के लिए इंनवाइट कर गया था।
संडे को सुबह सब लोग घर पर ही थे, भुवन अपनी मम्मी पापा को ले कर आया।
टीना भी हैरान थी, क्योंकि भुवन ने जिक्र ही नहीं किया था।
दादी उनको देख कर बहुत खुश हुई। उन्होने अपने पूरे परिवार का परिचय करवाया। टीना को उस दिन भुवन के माँ पापा का नाम पता चला था। शांता और महावीर।
उन्होने दादी को सब रस्मों के बारे में बताृा और मंदिर में शादी के बाद लंच की कार्ड दिया।
वो लोग संयुक्त परिवार को देखकर खुश हुए। टीना के पापा और दोनो चाचा भुवन और उसके पापा से बातें करते रहे और भुवन की माँ टीना और घर की औरतो और बच्चो के साथ बिजी हो गयी।
"अच्छा उमेश भाई और माँजी आप सबने जरूर आना है"। कह महावीर जी उठ खड़े हुए।
जरूर आँएगें भाई साहब। उमेश जी ने जवाब में गर्मजोशी से हाथ मिलाते हुए कहा।
भाई साहब भुवन 27 को आएगा अगर हो सके तो टीना बिटिया को साथ भेज देना। हमारे घर में थोडी रौनक हो जाएगी।
"हाँ जी जरूर, वो भुवन के साथ आ जाएगी"। उमेश जी ने कहा
"आपका बहुत बहुत शुक्रिया उमेश भाई टीना बिटिया का पूरा ध्यान रखा जाएगा"।
"भाई साहब आप लोगो के होते हुए हमें कोई चिंता नही है"।
बस यही सब बातें करते हुए उन्होने विदा ली।