विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 33 सीमा बी. द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 33

विश्वास (भाग -33)

उन लोगो के जाने के बाद भी कुछ देर उनकी ही बातें होती रही।
सब प्रभावित हुए बिना नही रह सके भुवन के परिवार के आचार- व्यवहार से।
कार्ड के साथ एक बड़ा सा बॉक्स भी था जो लाल रंग के वेलवट जैसे कपडे से लिपटा था।
उमा जी ने खोल कर देखा तो उसमें छ: चाँदी के गिलास थे जिनमें ड्राई फ्रूट भरा हुआ था।
"माँ हम को शादी में क्या देना चाहिए"?उमेश ने पूछा।
"बेटा मैं सोच रही हूँ कि संध्या के लिए पेंडेट
सेट या कुछ और गोल्ड में देना सही रहेगा।
कैश देना ठीक नहीं लगेगा"।
"ठीक है माँ फिर आप लोग देख कर ले आना"। उमेश जवाब दिया।
"दादी मैं कुछ अलग से दे सकती हूँ अपने दोस्त को"? टीना ने पूछा
"हाँ क्यों नहीं, जो देने का मन हो, ले आना"।
पापा की हाँ से वो खुश हो गयी।
अगले दिन उमा जी मीनल और टीना के साथ ज्वैलर्स को दुकान जा पहुँची। कीफी सोच विचार के बाद सोने की चेन के साथ एक सोने का सेट ले लिया।
वो क्या होता है न जब दोस्ती बच्चों से होते हुए परिवारों तक पहुँचती है तो दोनो परिवार लेन देन अपने स्टेटस के हिसाब से करने लगते हैं।
यही तो यहाँ भी हो रहा था। पहले टीना की चूडिया फिर चाँदी के गिलास और भी गिफ्टस जो भुवन के परिवार से मिले थे।
उन सबको देख कर ही मीनल और उमा जी ने सेट चुना था।
जो स्वाभाविक भी है, फिर उमा जी के भी ठाट बाट कम तो थे नहीं।
सेट घर में सबको बहुत पसंद आया। टीना ने भुवन के साथ उसके लिए गिफ्ट लेने का प्रोग्राम बनाया, क्योंकि वो चाहती थी कि जो भी ले वो भुवन के पसंद की होगी तो वो यूज भी करेगा।
अगले दिन कॉलेज खत्म होने के बाद भुवन के कॉलेज पहुँच गयी। वहाँ से वो लोग मॉल चले गए। भुवन को बस किसी को गिफ्ट देने के लिए स्लेक्ट करने को कहा था टीना ने।
भुवन के लिए गॉग्लस, एक पॉवर बैंक जो डायरी कीे साथ तो था ही साथ में फोन और लैपटॉप भी चार्ज करने की सुविधा थी। डायरी में पासपोर्ट जैसै जरूरी डाक्यूमेंटस रखे जा सकते थे। भुवन को ये बहुत पसंद आयी।
अपने लिए बोल कर भुवन से संध्या के लिए कुछ वेस्टर्न ड्रैसेज खरीदी।
"अब आप सोचेंगे कि वेस्टर्न तो संध्या पहनती नही, फिर क्यो खरीदी"?
उसका जवाब मैं आगे दूँगी। भुवन के लिए एक ब्लेजर खरीद कर टीना की शॉपिंग पूरी हो गयी।
"शेरनी तूने अपने लिए नहीं लिया कुछ"?
"नही भुवन मुझे कुछ नहीं चाहिए, आप को कुछ लेना है तो बताओ"।
"मैं तो तुझे चेक कर रहा था कि इतनी सारी शॉपिंग करने के बाद मन भरा या नहीं" ? कह कर भुवन हँस दिया।
26 नंवबर दोपहर को भुवन, मोहन और टीना गाँव के लिए निकले।
10 बजे रात को घर पहुँच गए। भुवन के भाई अगले दिन सुबह आने वाले थे।
टीना का स्वागत बहुत गर्म जोशी से हुआ।
सफर की थकान तो थी ही इसलिए खाना खा कर सोने चले गए।
टीना को अकेले सोने की आदत नही हैं, इस बारे में तो उसने सोचा ही नही था।
उसने भुवन को अपनी परेशानी बताई तो वो पहले तो खूब हँसा।
"इतनी बड़ी हो गई है शेरनी, तुझे अकेले सोने में डर लगता है"? फिर अपनी मम्मी को बुला लाया।
"मम्मी आप आज इसके पास सो जाओ, इसको अकेले डर लगता है, कल सरला चाची या संध्या के पास चली जाएगी"।
भुवन टीना कहीं और सोने क्यों जाएगी? तेरी माँ के पास सो जाएगी। भुवन के पापा ने कहा।
"हाँ बेटा मैं टीना के पास सो जाऊँगी"।
"आँटी जी आप को परेशानी होगी"।
"मुझे कोई परेशानी नहीं, ये जो तेरा दोस्त है न आज बहादुर बन रहा है, ये भी अकेले सोने से डरता था"। भुवन की माँ की बात सुन कर टीना भुवन तरफ देख कर हँसने लगी।
दोनो को हँसता देख भुवन भी मुस्कराता हुआ चला गया।