विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 28 सीमा बी. द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 28

विश्वास (भाग- 28)

भुवन और टीना ने आ कर उनकी बातों पर विराम लगाया। खाने की तैयारी मोहन कर ही रहा था। टीना और भुवन भी हाथ मुँह धो कर आँगन में सबके साथ बैठ गए। भुवन के पापा टीना से उसकी पढाई और आगे क्या करना चाहती है, पूछ रहे थे। जिनके जवाब टीना आराम से दे रही थी। हालंकि फिल्मोॆ से गाँव के मुखिया या सरपंच की जो इमेज यहाँ आने से पहली बनी हुई थी वो भुवन के पापा से मिल कर टूट गयी थी।

पढाई की बातें, उसके बाद पापा, चाचा की बातें उनके काम के बारे में , अपने सब भाई बहनो के बारे में सब बता दिया था उसने। अब टीना ने उनसे पूछना शुरू किया तो वो भी हर बात का जवाब दे रहे थे।खाना खाने के बाद तक बातों का सिलसिला चलता रहा।

"माँ जी टीना बिटिया तो बहुत होशियार और समझदार है, हर बात पर ध्यान देती है जो भी काम करेगी बहुत अच्छे से करेगी"। भुवन के पापा ने कहा तो भुवन बोला," हाँ जी पापा, बी़. एड. करने के बाद M.A करवाना है इसको मनोविज्ञान में"। "अच्छा टीना को तो यह पता ही नहीं था कि उसके दोस्त ने उसके फ्यूचर को अच्छे से प्लान कर लिया है"। टीना ने हँसते हुए कहा।

"शेरनी तुझे अपनी खासियत पता नहीं है, तुम बहुत अच्छा करोगी ऐसा मेरा विश्वास है"। "ठीक है मेरे प्यारे दोस्त मैं पूरी कोशिश करूँगी कि आपके विश्वास पर खरी उतर पाऊँ"। टीना ने बिल्कुल फिल्मी अँदाज में कहा तो सब हँस दिए।

सुबह जल्दी उठना था तो सब सोने चले गए। टीना थकी हुई थी, सो जल्दी ही सो गयी। सुबह जल्दी उठ कर टाइम से पहले ही दादी पोती तैयार हो गए। नाश्ता मोहन ने पैक कर लिया और एक थरमस में चाय भी।भुवन की माँ ने कई तरीके की मिठाई उमा जी को दी।

"सब ध्यान से रख लिया आप सब ने," हाँ जी पापा सब रख लिया है। टीना तुम एक मिनट अंदर आओ, भुवन के पापा ने बुलाया तो टीना उनके पीछे उनके कमरे में चली गयी। उन्होंने अपनी अलमारी से एक सुंदर सा बॉक्स निकाला। अब तक भुवन की माँ भी आ गयी थी। भुवन के पापा ने बॉक्स खोल कर उसमें से 2 सोने की बिल्कुल प्लेन चूड़ी निकाल कर टीना के हाथ में दी।

"यह पहन लो बिटिया, मैंने अपनी बहन के लिए बनवायी थी, पर उसको दे नही पाया। वो इस घर में तुम्हारी तरह ही चहचहाती रहती थी, असमय छोटी सी उम्र में ही भगवान ने अपने घर बुला लिया। तुम्हे सब बच्चों के साथ खुश देख कर उसकी याद आ गयी। तुम इन्हे पहनोगी तो मुझे खुशी होगी"।

टीना ने अँकल की आँखो में आँसू देख कर तुरंत चूडियाँ पहन ली।। "अरे वाह !!अंकल बिल्कुल फिट आयी हैं मेरे हाथ में, जैसे मेरे लिए ही बनी हैं, पर अँकल जी दो बात का प्रॉमिस करना पड़ेगा आपको तभी लूँगी मैं ये गिफ्ट"। "एक नहीं दस बातें बोलो सब मंजूर है बिटिया",अँकल ने कहा।
टीना -- पहली बात, आप कभी बुआ जी को याद करके नहीं रोना, जब याद आए मुझे फोन करोगे आप।
वो -- "मंजूर है बिटिया"।
टीना -- "दूसरी बात यही कि आप यह बात किसी और को मत बताना, नहीि तो भुवन और बीकी सब लोग मुझे बुआ जू बुला कर चिढाने न लगें"। कह कर टीना हँस दी।
वो --- "ये बात हम दोनो में ही रहेगी , चिंता मत कर बिटिया "।
अपना नं उन्हें देकर उनका नं पूछ कर सेव कर के बाहर आ गयी।

"पापा अब चलते हैं देर हो रही है", भुवन ने अपने माँ पापा के चरण स्पर्श करते हुए कहा।
"माँ जी सरसों का तेल का टिन, चावल, बाजरा और गुड सब अपने घर का ही है, आप उतरवा लेना , भुवन को याद नहीं रहता। आप सब लोग कहीं रूक कर नाश्ता जरूर कर लेना"। बेटा यह तोबहुत कुछ दे दिया आप लोगो ने, आप लोगों से मिल कर अच्छा लगा। आप लोग जब भी दिलली आओ घर जरूर आना।

"हाँ माँजी जल्दी ही मिलेंगे"। गाड़ी स्टार्ट हो चुकी थी, दोनो तरफ से हाथ हिला कर विदा ले रहे थे। "क्या हुआ शेरनी, इतनी चुप क्यों है", भुवन ने टीना को चुप देख कर पूछा। "कुछ नहीं हुआ, इतना मन लग गया यहाँ कि टाइम का पता ही नहीं चला"।

टीना की बात सुन कर भुवन बोला," अभी गाँव से बाहर नहीं निकले हैं कहो तो वापिस छोड़ दूँ तुम्हें ?? बाकी हम सब चले जाते हैं, क्यों दादी "? "हाँ बेटा घूमा लो गाड़ी, इसको छोड़ कर हम चलते हैं", दादी ने हँसते हुए कहा।

"अरे भई मैं भी चल रही हूँ , बस थोड़ा उदास हूँ", टीना ने चिढते हुए कहा। "अरे शेरनी नाराज मत हो हम दोनो तोआते ही हैं, जब मन हो आ जाना,"। भुवन ने मनाते हुए कहा तो वो भी मुस्कुरा कर बोली, "हाँ ये ठीक है"।

अभी गाँव से निकले ही थे कि संध्या अपने पापा के साथ खडी़ थी। भुवन ने गाड़ी रोक दी। "सॉरी टीना कल दिन भर बिजी रही तो आप लोगों से मिलना नही हो पाया, उमा जी को नमस्ते करने के बाद बोली"। "हमें पता है आप बिजी हो कोई बात नहीं बेटा, अब आप आना दिल्ली तब खूब बातें करेंगे"।

जी दादी जी जरूर आँएगे। उमा जी संध्या के पिता जी से बात करने लग गयी।
संध्या --- "टीना अपना नं मुझे दो, मैं तुम्हे स्कूल की डेवलमेंट के बारे में बताती रहूँगी"।
टीना -- जी जरूर, कह कर दोनो ने नं एक दूसरे के नं ले लिए।
संध्या -- मुझे भुवन से पता चला कि तुम्हें बुक्स पढना पसंद है, तो मैं तुम्हारे लिए ये बुक लायी हूँ।
टीना --- " बुक का नाम लॉ ऑफ सक्सेस", थैंक्स मैं जरूर पढूँगी और कैसी है ये भी बताऊँगी।
संध्या -- -- जरूर बताना और फोन करती रहना। तुम से मिलकर बहुत अच्छा लगा।
टीना --- हमें भी आप से मिल कर अच्छा लगा। बॉय टेक केयर।।
संध्या -- बॉय यू टू टेक केयर।।