दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 28 VARUN S. PATEL द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 28

 दुःख पत्र 

    नमस्कार दोस्तों। आशा करता हु की आप सब ठीक ही होंगे। आज मे लेखक वरुण पटेल फिरसे हाजिर हु आप के बिच हमारी बहुत ही मजेदार कहानी दो पागल के एक और अंक के साथ लेकिन मेरी बिनती है आप सब लोगो से कि अगर आपने आगे के २७ अंको को नहीं पढा है तो सबसे पहले उन अंको को पढले ताकी आपको यह अंक अच्छे से समझ आए। 

    आगे आपने देखा की कैसे सभी दोस्त अनाथ बच्चीयो के साथ अपना दिन सुकुन के साथ बिताते है और इस तरफ संजयसिह भी अपना दिन अपनी अंहकार भरी हसी के साथ बिताता है और उसको इस बात की ज्यादा खुशी थी की मे यह बात जल्दी से जीज्ञा और रुहान को बता दुं और उनके रोते हुए चहरे देखु और उसका मजा लुं। सभी का वो दिन कुछ इस तरह से गुजरता है। 

     अब आगे। दुसरे दिन सुबह। आज की सुबह तो दोनो के लिए सायराना ही थी लेकिन शाम होते होते दोनो की जिंदगी कुछ और मोड लेनेवाली थी। लगभग १०:०० बजे का समय हो रहा था और सभी दोस्तो ने कोफी वेड्स चा नाम के बरोडा के सबसे फेमस कोफी शोप मे सुबह की चाई-कोफी और नास्ते की प्लानिंग था। सभी दोस्त उस कोफी शोप मे इकठ्ठा होते हैं और सभी के बिच चाई और कोफी के साथ संवाद की शरुआत होती है। 

     बे यहा पे कितनी अच्छी चाई मिलती है... जीज्ञाने चाई की चुस्की लगाते हुए कहा। 

     हा वो तो है लेकिन तुने अभी तक मेरे हाथो की बनाई हुई चाई नहीं पी है अगर तु एक बार पी लेगी तो बरोडा क्या दुनिया की सारी जगह की चाई पीना तु भुल जाएगी... रुहानने अपनी कोफी की चुस्की लगाते हुए कहा। 

     ओहो अभी भी मुझे इम्मप्रेश करने की कोशिश करने मे लगे हो रहेने दो कोई फायदा नहीं... अंत के तीन-चार शब्द जीज्ञाने भावुक होते हुए कहे। 

     पता है लेकिन चाई पीलाने का तो हक है मुझे अभी अंदर सेटिंग करके बनाके आता हु अपनी स्पेशियल चाई... अपनी कोफी एक झटके मे पुरी करके अपनी जगह से खडे होकर अंदर चाई बनाने के लिए मेनेजर के साथ सेटिंग करके रुहान जाता है। 

     अबे यह तो सच मे गया... जीज्ञाने वहा बेठे अपने सारे दोस्तों से कहा। 

      वो सही बोल रहा है जीज्ञा उसके हाथ की चाई एक दम झकास और टेस्टी होती है तुम दोनो पीकर देखो सही मे अब तक पी हुई सारी चाईओ का स्वाद भुल जाओगी तुम लोग... रवीने जीज्ञा और पुर्वी से कहा। 

      थोडा समय बितता है। रुहान अंदर से सभी के लिए एक ट्रे मे चाई लाता है। 

      पहले आप लोग पी लो फिर मेनेजर को पीलाता हु...रुहानने अपने दोस्तों को अपने हाथ से बनाई हुई चाई देते हुए कहा। 

      सभी दोस्त रुहान के हाथो से बनाई हुई चाई पीते है और साथ ही साथ रुहान वहा के मेनेजर और वेइटरो को भी अपनी बनाई हुई चाई पीलाता है। 

      वाव यह तो सच मे जबरदस्त चाई बनाता है भाई... लंबे समय के बाद पुर्वीने कुछ बोलते हुए कहा। 

      पुर्वी अभी भी जीज्ञा के शादी वाले कार्ड को लेकर नाखुश, हताश और चिंतित थी।

      सच मे रुहान एसी चाई मेने आज तक कही नहीं पी है वाकई मे चाई तो तुम्हारे हाथ की लेकिन आज तुमने क्यु कोफी मंगवाई... जीज्ञाने रुहान से सवाल और उसकी प्रशंसा करते हुए कहा। 

      बस अपने अपने उसुल है जेसे पानीपुरी बनाने वाले को हर दिन पानीपुरी नहीं खाना अच्छा लगता... रुहानने कहा। 

      मान गए रुहान तुम्हें चाई तो तुम्हारे हाथ की... केफे के मेनेजरने रुहान के पास आते हुए कहा। 

      जी सुखरीया इस तारीफ के लिए और मुझे यह बनाने का आपके केफे मे मोका देने के लिए... रुहानने मेनेजर को कहा। 

      अगर आप चाहो तो हमारे केफे में अपनी चाई बनाकर बेच सकते हो ५०% पार्टनरशिप पे... मेनेजरने रुहान को ओफर देते हुए कहा। 

      सोरी सर लेकिन अभी मेरी मंजिल कही और है सुखरीया... रुहानने उस मेनेजर की ओफर को ठुकराते हुए कहा। 

      केसी लगी चाई मेरे वेइटर भाइओ... महावीरने अपनी जगह से खडे होकर सभी वेइटरो को पुछते हुए कहा। 

      हा मोज(बहुत अच्छा) हा... सभी ने एक ही लाइन मे महावीर को जवाब देते हुए कहा। 

      तो कुछ एसे शुरु होती हैं इनलोगो की सुबह। केफे के बाद सभी दोस्त अपने कोलेज के थियेटर होल पे पहुचते हैं अपने फाईनल मुकाबले की तैयारी के लिए। सभी दोस्त अपनी प्रेक्टिस की शुरुआत करते हैं। सभी दोस्त अपनी इच्छा अनुसार काम कर रहे थे इसलिए बहुत खुश थे। फाइनल के मुकाबले मे जीज्ञा हर लडकी पर रीतरीवाजो और इज्जत आबरु के लिए किए जानेवाले अत्याचारो की बात करनेवाली थी और सभी दोस्त और कोलेज के दुसरे दोस्त मिलकर उसी नाटक की रीहसल कर रहे थे। 

      पापा मुझे अभी अपनी जींदगी जीनी है मे अभी शादी नहीं कर शक्ति... पुर्वीने नाटक की प्रेक्टिस के लिए अपनी जगह लेकर अपनी लाइन बोलते हुए कहा। 

      पुर्वी जेसे अपनी लाईन बोलना पुरी करती है तभी संजयसिह अपने दोस्तों के साथ जीज्ञा की शादी के कार्डवाल पोस्टकवर लेकर आता है और पुर्वी की लाईन को सुनकर उसे ही कन्टीन्यु करता है। 

      लेकीन बेटा तुझे शादी करनी होगी क्योकी अब कार्ड छप चुके हैं और इसका बहुत खर्चा हो चुका है... नाटक की प्रेक्टिस मे भंग डालते हुए संजयसिहने कहा। 

      संजयसिह को देखकर रुहान, जीज्ञा और उसके दोस्त संजयसिह के सामने आकर खडे रहजाते हैं। 

      अरे भाई एसे इक्कठे मत हो जाइए मे कोई झगडा करने नही आया हुं और हा मुझे अब तुम लोगो से झगडा अभी तो करना भी नहीं है क्योकी अभी तो तुम वेसे भी मर रहे हो और एक दुसरे के लिए तरस रहे हो और उसमे भी अब यह पोस्ट ओफिस से आए हुए समाचार। भाई मुझे तो तुम लोगो पर दया आ रही है और हा जय माताजी मिलेंगे जब तुम्हारे जीवन मे तुम कुछ सुधार लाने के लिए कोशीश करो तब क्योकी बिगाडनेवाला तो चाहिए ही। जय माताजी...अपने दोनो हाथ जोडकर इतना बोलकर जीज्ञा का कवर रुहान को देकर संजयसिह वहा से चला जाता है। 

      सभी दोस्त सोच मे पड जाते हैं कि अब क्या मुसीबत आनेवाली है लेकिन उनमे से एक पुर्वी ही एसी थी जो सोचमे नहीं पडी थी लेकिन गभरा जरुर गई थी जीज्ञा की होनेवाली हालत को सोचकर। 

      रुहान संजयसिह का दिया हुआ कवर खोलता हैं और उसमे से जीज्ञा की शादी का कार्ड निकालकर पढता है और चौक जाता है और अंदर से बहुत दुःखी हो जाता है और अपने आप में खो जाता है। 

      रुहान क्या हुआ तु एसे चुपसा क्यु हो गया... रवीने रुहान का अचानक ही मुरझाया हुआ चहेरा देखकर कहा। 

      जीज्ञा रुहान के हाथ से कार्ड छिन लेती है और देखने लगती है की उस कार्ड मे क्या है। कार्ड देखने के बाद जीज्ञा एकदम से चुप हो जाती है जैसे जाने उस कार्डने जीज्ञा की  जींदगी ही छिन ली हो एसा माहोल सा हो गया था। 

      रुहान मे आती हुं... इतना बोलकर जीज्ञा थियेटर के बहार जानेवाले दरवाजे की तरफ चलने लगती है। 

      सभी दोस्त को पता चल चुका था की अब सबकुछ ख़त्म हो गया था। हाथ मे अपनी शादी का कार्ड लेकर बहार जा रही जीज्ञा के पीछे थोडा चलकर रुहान पीछे से आवाज लगाता है। 

      रुको जीज्ञा मे भी तुम्हारे साथ चलुंगा... पीछे से रुहानने कहा। 

      नहीं रुहान प्लीज़ मुझे कुछ देर अकेले रहेना है और मे ठीक हुं मेरी चिंता मत करो यह तो एक दिन होने ही वाला था... थोडा बोलकर अपनी आखो मे बहुत से आसु छुपाकर जीज्ञा बहार चली जाती है। 

      वहा खडे सभी दोस्त भावुक हो उठते है। पुर्वी की आखो मे आसु आ जाते हैं। रुहान को अपनी लुट रही दुनिया साफ साफ दिख रही थी। 

      कॉलेज के बहार आते आते जीज्ञा की आखो से आसु निकल आते हैं और गुस्से से वो अपनी शादी का कार्ड फाड देती है और तभी पीछे से अपनी ओपन जीप मे संजयसिह आता है और एक और अपनी ओपनजीप पुरी तरह से बिखरी हुई जीज्ञा के पास खडी करता है और जीज्ञा के साथ संवाद करता है। 

      अरे जीज्ञाजी। अरे आप तो रो रही ना ना बच्चा रोया नहीं करते एसा तो चलता रहेता है। यह लो वो तुम्हारे कार्ड के साथ यह पत्र भी था मे देना भुल गया था... वो पत्र संजयसिह जीज्ञा के मु पर फेकता है और जीज्ञा की हालत पे हसते हसते अपनी जीप से चला जाता है और जीज्ञा रोती ही रहती है। ना तो वो संजयसिह को कोई उत्तर देने की हालत मे थी या ना तो अपने आप को संभालने की हालत मे। अपने आसुओ को निचे गीराते हुए निचे पडे पत्र को जीज्ञा उठाती है और कोलेज के बहार चली जाती है। 

      थोडा समय पसार होता है। सभी दोस्त थीयेटर मे नाराज होकर बेठे हुए थे सिवाय रुहान के। रुहान कॉलेज के एक कोने में जाकर अपनी शराब की बोटल के साथ बेठा हुआ था। रुहान आज दुःखी था लेकिन उसने अभी तक शराब को मु नहीं लगाया था। कुछ देर शांति से बेठा हुआ था। रुहान और जीज्ञा दोनो शांत जरुर बेठे हुए थे लेकिन दोनो के अंदर बहुत शोर था। रुहान कुछ देर बाद गुस्सा होता है और अपनी शराब की बोटल हाथ में लेता है लेकिन उसे पीने की बजाय बेंच के उपर फेक कर तोड देता है और सारी शराब वेस्ट हो जाती है। 

      साला मे अब तेरे बिना रह सकता हुं और मुझे अब एसे सस्ते नशे की जरुरत नहीं है मुझ पे अब गम का नशा ही अच्छा लगता है और मे उसी नशे मे रहना चाहता हु...( रुहान अपनी सारी भड़ास जोर से चिल्लाकर निकालता है)रुहानने अपने आप से बाते करते हुए कहा। 

      अंत में वो परिस्थितियों से थककर निचे ज़मीन बेठजाता है और रोने लगता है। इधर कही गार्डन में एक कोनेवाली बेंच पर बेठकर जीज्ञा रो रही थी और उस तरफ अपनी कोलेज के कीसी कोने में बेठकर रुहान रो रहा था दोनो एक दुसरे के बहुत करीब आ चुके थे लेकिन अब दुर जाने का समय आ चुका था। बेंच पर से गीरी हुई शराब की बुंदे टपक रही थी और इधर रुहान की आखो से आसु लेकिन अभी मुसीबतो का सिलसिला रुका नहीं था। जीज्ञा के हाथ में संजयसिह का दिया हुआ पत्र पढना अभी बाकी था। बारीश शुरु होती हैं। दोनो के आसुओ पर बारीश की बुंदो का परदा लग जाता है। देखनेवालो को कभी नहीं पता चलेगा की दोनो की आखो पर से पानी नहीं बल्की आसु बहे रहे हैं। जीज्ञा अपने पापा की तरफ से मिला हुआ पत्र खोलती है। पुरा पत्र भीग गया था। 

      कैसी हो बेटा। अच्छी ही होगी क्योकी वहा का तुम्हारा हालचाल मुझे मिला अभी भी तुम्हारा उस लडके के साथ घुमना फिरना चालु ही है और अब तो तुम्हारे उपर कीसी पुलीसवाले का भी हाथ है। अगर अपने बाप की आबरु को उछालने का इतना ही शोख है तो वो कार्य तुम अपनी शादी के बाद करना। हम तुम्हारी शादी तय कर चुके हैं। इस १५-१६ तारीख को तुम्हारा विवाह रखा गया है तो तुम और पुर्वी जल्दी से अहमदाबाद चलीआना और हा तुम्हारे खाते मे मेने कुछ पैसे डाल दिए हैं अपनी शादी का सारा सामान वही से लेते आना और हा मेहरबानी करके एसा कुछ भी मत करना जीससे हमे निचा देखना पडे। जय भोलेनाथ तुम्हारे पिता... कुछ एसा गीरधनभाईने अपने पत्र मे लिखा था। 

      अब परिस्थिति उस हद तक बिगड चुकी थी की रुहान और जीज्ञा को कुछ समझ मे नहीं आ रहा था की क्या करे और क्या ना करे। दोनो बस सहेन किए जा रहे थे। अब दोनो को अपने प्यार का आसमान जैसे तुटकर आखो से बरस रहा दिख रहा था। 

      इतना पढके आपको अंदाजा लग ही गया होगा की हमारी कहानी अब और भी गंभीर और मनोरंजक होनेवाली है जीसे पढकर आपको और भी मजा आनेवाला है जेसे की आपको आगे रुहान और जीज्ञा के बिच के भावुक पल देखने को मिलेंगे जीससे आपको आपका प्यार जरुर याद आ जाएंगा। 

      आगे आपको दोस्ती के लिए कुछ भी करजाने वाले दोस्तो की दास्तान, पिता को मनाती हुई और पिता की इज्ज़त को संभालती हुई बेटी ? अपने प्यार के लिए लडता हुआ आशीक और सबकुछ बिगाडता हुआ घमंडी विलेन देखने को मिलेगा तो जरुर पढना ना भुले दो पागल के आनेवाले महत्वपुर्ण अंक। 

TO BE CONTINUED NEXT PART ...

|| जय श्री कृष्णा || || जय कष्टभंजन दादा || A VARUN S PATEL STORY