में और मेरे अहसास - 71 Darshita Babubhai Shah द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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में और मेरे अहसास - 71

बेवफा के प्यार में आज तक में पागल हूँ l

ख़ुद ही बंदी हूँ अब तलक में पागल हूँ ll

 

आखें बंधकर बेपनाह इश्क़ किया है l

इसमे सूबा नहीं बिना शक में पागल हूँ ll

 

वक्त के साथ सब आके निकल गये l

जहा थी वहीं ही गई रुक में पागल हूँ ll

 

हर बार समझोता किया गया है l

हालत के आगे गई झुक में पागल हूँ ll

 

नादां मुहब्बत पे एतबार कर बैठी l

सखी सुनो अब बकबक में पागल हूँ ll

१-१-२०२३ 

 

शौख तो देखो नवाबी है l

बस यही एक ख़राबी है ll

 

पुरानी शय है ना छूटेगी l

मुहब्बत का शराबी है ll

 

जिंदगी में वहीं करना l

जिसमें ख़ुदा राज़ी है ll

 

हर हाल में जीत नी है l

ये जो आखरी बाजी है ll

 

आज सितम ढाये जा l

दर्द सहने के आदी है ll

 

इश्क़ क्यूँ ना हो जाए l

खूबसूरत शहज़ादी है ll

 

फिझाओ मे बहार आई l

सखी महकती वादी है ll

२-१-२०२३ 

 

खुदा बस थोड़ी रहमत चाहिये l

क़ायनात में अब जन्नत चाहिये ll

 

बहुत जी लिया तेरे बंदों के साथ l

बाकी जिंदगी तेरी सोहबत चाहिये ll

 

दर्दो-ग़मों के साथ नाता है पुराना l

खुशियो में मेरी शिरकत चाहिये ll

 

खुशिया बटोरते वक्त याद करना l

अब ना कोई भी ग़फ़लत चाहिये ll

 

कोई नहीं दे सकता है उपवन l

सखी खुदा की तबियत चाहिये ll

 

इन्साफ में बेपरवाह न बन जाना l

कयामत के वक्त शहादत चाहिये ll

शिरकत- भागीदारी 

शहादत - गवाही 

तबियत - पालन पोषण 

३-१-२०२३ 

 

यादें आंखों में पानी भर लाती है l

सखी झील सी आँखें सुखाती है ll

 

साजन को रिझाने के लिए आज l

फ़ूलों से घर आँगन सजाती है ll

 

पागल बेपरवाह और नादांनी में l

रोज प्यार का दरिया बहाती है ll

 

कई युगों से बंध है जो दरवाजे l

उसे आज भी दस्तक लगाती है ll

 

मंजिल पर नहीं पहुचाने वाली l

उस डगर पर बारहा जाती है ll

 

जहां पिया के साथ साथ हो l

चैन और सुकून वहाँ पाती है ll

४-१-२०२३ 

 

जीने का सहारा चाहिये l

बस एक इशारा चाहिये ll

 

प्यार से लिखे हुए हर l

गीत को तराना चाहिये ll

 

तबस्सुम की बारिस से l

रूठो को मनाना चाहिये ll 

 

ख़्वाबों की तामीर करके l

आशिया बनाना चाहिये ll

५-१-२०२३

 

ख़्वाबों के परिन्दे का सफ़र ख़त्म नहीं होता l

पुराने नासूर जख्मों का मरहम नहीं होता ll

 

कुछ तो हुआ है कि दिल खट्टा किया है l

कोई बात तो है हर बार भरम नहीं होता ll

 

 

सुनो बहुत बड़ी खता हुई है कई जन्मों की l 

इतबार कर खुदा इतना बेरहम नहीं होता ll

 

दिलों दिमाग जरा ठंडा रखा कर बन्दे l

रात से ज्यादातर दिन ग़रम नहीं होता ll

६-१-२०२३ 

 

दर्द ने परेशान कर रखा है l

दिल यादों से भर रखा है ll

 

खुद की पहचान के लिए l

जीवन को सँवर रखा है ll

 

कहीं कोई गलती न हो जाएl

सदा खुदा का डर रखा है ll

 

खुदा की पनाह में रहकर l

आत्मा को ज़फ़र रखा है ll

 

चैन औ सुकून पाने के लिए l

आज कन्धे पे सर रखा है ll

 

तौफ़ीक़ देख जलाकर आग l

सखी निगाहों को तर रखा है ll

 

दोस्तों की रहनुमाई तो देखो l

सुबह शाम को सिहर रखा है ll

७-१-२०२३ 

 

सब से खूबसूरत होता है प्यार l

बात करने का था तेरा इसरार ll

 

पल दो पल ठहर के चल देना तेरा l

ख्वाइशों को कर दिया तार तार ll

 

वो छुप छुप के प्यार निभाना l

हर अदा दिखाती तेरा इक़रार ll

 

दिलों जान से बेपनाह प्यार में l

किया घंटों तक तेरा इंतजार ll

 

जानते हैं कि बड़े जिद्दी हो तुम l

सोच समझकर किया स्वीकार ll

 

हमसफ़र, हमसाया, हमनवा हो l

जुदाई में तेरी रोयेंगे ज़ार-ज़ार ll

 

तेरी दुनिया से दिल भर गया l

सखी छोड़ेंगे अब ये संसार ll

८-१-२०२३

 

फिझाओ में घूमती है रूह किसीकी l

वो भी तलाश में हैं जरूर किसीकी ll

९-१-२०२३

 

रूठ गये साजना ऐसा क्या हुआ l

दिल करे गर्जना ऐसा क्या हुआ ll

 

माली ने उपवन में जान डाली थी l

फूल गये कुम्हला ऐसा क्या हुआ ll

 

सुनो कहीं नहीं जाने वाले यहां से l

उदास हो खामखां ऐसा क्या हुआ ll

 

अभी तो कड़ी धूप निकली हुईं थीं l

कोहरा छाया घना ऐसा क्या हुआ ll

 

तुमने तो बात करना ही छोड़ दिया l

मजाक किया ज़रा ऐसा क्या हुआ ll

 

वक़्त पर मिलने तो आया करते हैं l

किस बात पे ख़फ़ा ऐसा क्या हुआ ll

 

अपनी ही मस्ती में जीए जा एसे ही l

छोड़ दो सब जफ़ा ऐसा क्या हुआ ll 

१०-१-२०२३

 

खुशनुमा है के अहम है l

बड़ा खूबसूरत वहम है ll

 

उपवन सजा फूलों से l

आज खुदा का रहम है ll

 

कोई इंतज़ार कर रहा है l

सखी खुशनसीब हम है ll

 

नामा सजना का आया है l

जख्मी दिल का मरहम है ll

 

प्यार की शाही से लिखा l

उनका नामा ही फ़रहम है ll

११-१-२०२३

 

जिंदगी में ठहराव चाहिये l

सखी मनचाही छाँव चाहिये ll

 

मिट्टी की खुशबु प्यारी सूँघ l

उपवन से सजा गाँव चाहिये ll

 

मंजिल की ओर बढ़ते हुए l

होसलों से भरे पाँव चाहिये ll

 

बेह्तरीन जिंदगी जीने के लिए l

जीवन नैया को राव चाहिये ll

 

नादां शर्मीली हसीन चंचल सी l

रूह तक पहुचने चाव चाहिये ll

१२-१-२०२३

 

लोहरी का दिन है आया l

प्यार की आग जलाई l

फ़िजा में शांति है छाई l

भाईचारे से मनाई ll

 

आहट आई है बसंत की l

फूली फली सरसों की खेती l

मन में उठी खुशी की उमंगी l

तरह तरह की लकडियों से सजाई ll

 

रेवड़ी, चिक्की साथ मूँगफली अर्पित l

हर्ष और उल्लास से तन मन समर्पित l

चलो मिलकर आज लोहरी संग मनाये l

सभी को लोहरी की बहोत सारी बधाई ll

१३-१-२०२३

 

दूर से ही दीदार किया l

घंटों तक इंतज़ार किया ll

 

बेह्तरीन मुलाकात को l

खुद को तैयार किया ll

 

सखी बेशुमार सौगंदे दे l

जानबूझ बेक़रार किया ll

 

दिलों दिमाग की सुनकर l

दिल ने इज़हार किया ll

 

आज दुनियादारी छोड़कर l

फकीर को दिलदार किया ll

१४-१-२०२३

 

रूह से कर नहीं सकते हैं वजूद जुदा l

कोई नहीं देता रहता लगातर सदा ll

 

गोरे गोरे मासूमियत से मुखड़े पे l

बहोत जजती है तबस्सूमी अदा ll

 

जी भरके देखने की ख्वाहिश थी l

इंतज़ार करके बन गएँ आबिदा ll

 

जो कहना है अभी ही कह दो l

जाते समय पीछे से मत निदा ll

 

कभी आंसू कभी ग़म मिलता है l

प्यार का अलग ही है कायदा ll

 

आ सको तो ही कहना आएंगे l

जूठा न करना कभी वायदा ll

 

नर्म दिल होते हैं इश्क़ वाले l

प्यार को ही मानते हैं खुदा ll

१५-१-२०२३