कहानी प्यार कि - 58 Dr Mehta Mansi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कहानी प्यार कि - 58

आज मीरा की सुबह बहुत ही सुंदर हुई थी... वो बहुत खुश और फ्रेश नजर आ रही थी..

" पहला नशा.. पहला खुमार..
नया प्यार है.. नया इंतज़ार

कर लू मैं क्या अपना हाल
ऐ दिल-ए-बेकरार
मेरे दिल-ए-बेकरार, तू ही बता
पहला नशा.. पहला खुमार..

उड़ती ही फिरूँ इन हवाओं में कहीं
या मैं झूल जाऊँ इन घटाओं में कहीं

एक कर दूँ आसमान और ज़मीं
कहो यारों क्या करूँ, क्या नहीं

पहला नशा.. पहला खुमार..
नया प्यार है.. नया इंतज़ार"

मीरा तैयार होती हुई ये गाना जोर जोर से गा रही थी....

" मम्मी पापा रेडी ? "

" हा बेटा हम रेडी है चलो चलते है और उन लोगो के सामने इतना उछलना मत... अच्छा नही लगता..." मीरा की मोम प्रतिक्षा जी ने कहा..

" हा हा मम्मा मुझे याद है सब आप बस सब संभाल लेना ..."

" या बेटा ये भी कोई कहने की बात है लेट्स गो..."

प्रतिक्षा जी ने कहा और वो तीनो साथ में गाड़ी में बैठकर निकल गए...

इस तरफ ओब्रोय मेंशन में सब तरफ खुशियां छाई हुई थी..रक्षाबंधन सेलिब्रेट करने संजना का परिवार , अंजली , किंजल और करन सब वही मौजूद थे... संजना और किंजल ने मोहित को राखी बांधी और उसके बदले में मोहित ने दोनो को बढ़िया सी ड्रेस गिफ्ट की... संजना ने करन और सौरभ को भी राखी बांधी , अंजली ने भी अनिरुद्ध , सौरभ और करन को राखी बांधी , आज सब मिलकर बहुत ज्यादा एंजॉय कर रहे थे... उनसे खुशियां चाहकर भी समेटे नही जा रही थी...

सब बैठकर एकदुजे के साथ मस्ती कर रहे थे तभी घर की डोर बेल बजी....
" में जाता हु..." बोलते हुए सौरभ दरवाजा खोलने चला गया....

दरवाजा खोलते ही वो हैरान रह गया...
सामने मीरा पिंक कलर के शरारा में एक बड़ी सी मुस्कुराहट के साथ खड़ी थी और साथ में उसके मम्मी और पापा भी थे...

" मीरा ... अंकल आंटी... आइए ना...."

" नमस्ते आइए आइए...." अखिल जी ने आते हुए कहा...

प्रतिक्षा जी और रागिनी जी भी एक दूसरे के गले मिले.. मीरा भी संजना के गले लग गई...

" मीरा व्हाट ए सर्प्राइज... ! " संजना ने खुशी के साथ कहा..

" सरप्राइस तो तुझे अब मिलेगा...." मीरा ने धीरे से संजना के कान में कहा...

" क्या मतलब...? "

" तुझे सब समझ आएगा थोड़ा सब्र कर मेरी जान..."

" संजना मीरा को तुमने इनवाइट किया है ? " सौरभ ने संजना के पास आकर कहा..

" नही ..तो ..."

" तो फिर ये यहां क्यों आई है ...? "

" सौरभ क्या तुम उससे अब भी नाराज हो क्या ? उसने माफी तो मांगी तुमसे...! "

" माफी से सब ठीक नही हो जाता ..." बोलकर सौरभ वहा से चला गया और अनिरुद्ध के पास खड़ा हो गया..

अनिरूद्ध सौरभ के बिगड़े भाव देख रहा था...

" अबे नाटक क्यों कर रहा है नाराज होने का... में जानता हु तेरे तो मन में लड्डू फूट रहे होगे..." अनिरूद्ध ने सौरभ को टोंट मारते हुए कहा..

" यार तू भी.." मुंह बिगाड़कर सौरभ अखिलजी के पास जाकर खड़ा हो गया..

" ये मीरा यहां क्या कर रही है.. इतनी नर्वस नेस तो मुझे कभी एग्जाम्स में भी नही हुई फिर आज क्यों ?" सौरभ मन ही मन सोचे जा रहा था..

"आप के घर बिना बताए आने के लिए हमे माफ कीजिएगा ...पर बात ही कुछ ऐसी थी की हम रोक ही नही पाए और सीधा यहा आ गए..." मीरा के पापा आशीष जी ने कहा...

" कोई बात नही आशीष आप सब कभी भी आ सकते है जैसे हमारी बेटियां दोस्त है वैसे हम भी तो दोस्त ही है पुराने..."
अखिल जी ने मुस्कुराते हुए कहा..

" हा हा आप सब को शायद पता नही होगा पर में और अखिल स्कूल में एक ही साथ पढ़ते थे.. "

" इसीलिए आप इतने ज्यादा एक्साइटेड थे ? " प्रतिक्षा जी ने धीरे से आशीष जी के कान फुसफुसाया..

" हा तो..."

" बता ना ऐसी कौन सी बात थी .. ? "

" वो बात यह थी की हम तुम्हारे बेटे सौरभ के लिए मेरी बेटी मीरा का रिश्ता लेके आए है... "
यह सुनते ही अखिल जी अपनी जगह से खड़े हो गए...
सौरभ को तो जैसे अपने कानो पर यकीन ही नहीं हुआ ...
अखिल जी को खड़े देखकर सब खड़े हो गए...

" क्या हुआ मैने कुछ गलत कह दिया ? "
आशीष जी ने गलती के भाव के साथ कहा..

तभी अखिल जी आशीष जी के गले लग गए...
" नही तुमसे कोई गलती नही हुई है बल्कि आज तूने जिंदगी में पहली बार इतनी सही बात की है... "

सभी लोगो को समझ नही आ रहा था की अखिल जी ऐसी बाते क्यों कर रहे थे...

" दरअसल मेरे मन में भी कई दिनों से ये खयालात चल रहे थे और मैने सोचा भी था की में इस बारे में संजना से बात करूंगा ..."
अखिल जी के लब्जो को सुनकर संजना और बाकी सब के चहरे पर मुस्कुराहट आ गई थी सिवाय की सौरभ वो तो बस हैरानी से यह सब सुन रहा था...

" भाई हमे तो ये रिश्ता मंजूर है...क्यों अनुराधा जी" अखिल जी हस्ते हुए बोले...

" हा हा बिल्कुल हमे तो आपकी मीरा बहुत अच्छी लगती है और हमारी संजना को भी अच्छा रहेगा मीरा के आने से... क्यों संजू ? "

" हा आंटी मेरा तो बचपन से सपना था की मेरी और मेरी बेस्टी की शादी एक घर में हो... आई एम सो हैप्पी...." संजना तो खुशी से उछलने लगी थी...

" या संजू... अब हमारा सपना पूरा होगा..." मीरा ने भी हस्ते हुए कहा...

" एक मिनिट रुको... यार मेरी शादी की बात हो रही है तो कोई मुझसे तो पूछो की में ये शादी करना चाहता भी हु या नही..." सौरभ ने थोड़ा इरिटेट होकर कहा..

" ओह सोरी सोरी.. एक्साइटमेंट में आकर तुमसे तो पूछना भूल ही गए....बताओ तुम क्या चाहते हो ? "

" पापा आप सब मेरा रिश्ता पक्का करदे उससे पहले में मीरा से कुछ अकेले में बात करना चाहता हु..." सौरभ ने थोड़ा गंभीर होकर कहा..

" ये लोलीपॉप ऐसे क्यों बोल रहा है वो तो मीरा से प्यार करता है ना ? " किंजल ने हैरानी के भाव से संजना से कहा..

" हा किंजु पर वो मीरा से अब भी नाराज है .. इसीलिए ऐसा बोल रहा है पर में जानती हु मीरा उसे फट से मना लेगी..." संजना ने कॉन्फिडेंस के साथ कहा..

" अपनी शादी की बात सुनकर ये पगला गया है क्या ?" करन ने हस्ते हुए अनिरुद्ध से कहा..

" हा ऐसा ही लग रहा है .. उसकी हरकते देखी तूने नाराज होने का दिखावा कर रहा है .. मैने कल देखा था उसे .. फोन में मीरा का फोटो देखकर मुस्कुरा रहा था.. और यहां देखो कैसे भाव खा रहा है.. " अनिरूद्ध भी हस्ते हुए बोला..

" हा अभी अंदर मीरा से बात करने जायेगा और बाहर दोनो साथ में हस्ते हुए निकलेंगे.." करन ने कहा और फिर दोनो हसने लगे...

मीरा और सौरभ अब टेरेस पर खड़े थे... सौरभ थोड़ा नाराजगी के साथ पीछे मुड़े खड़ा था..

" क्या बात करनी है सौरभ तुम्हे ? "

" यार मीरा तुम अपने मम्मी पापा को लेकर शादी की बात करने आ गई ? शादी का फैसला तुम अकेले कैसे ले सकती हो ? "

" क्या तुम मुझसे शादी नही करना चाहते ? " मीरा ने मासूम फेस बनाते हुए कहा..

" में क्यों शादी करू तुमसे ? "

" क्या तुम प्यार नही करते मुझसे "

" मीरा पहले तो ऐसा फेस बनाना बंध करो यार.. और तुम जानती हो में तुमसे प्यार करता हु "

" तो फिर क्या प्रोब्लम है...?"

" क्या तुम्हे नही पता की प्रोब्लम क्या है ? "

" सौरभ तुम अगर उस दिन की बात कर रहे हो तो मैने उसके लिए ऑलरेडी माफी मांग ली है और फिर से कह देती हु की आई एम वेरी सॉरी .. मैने जो कहा उसके लिए में बहुत शर्मिंदा हु.."

" मीरा क्या सोरी फिल करने से तुम जो सोचती थी वो बदल जायेगा ? में वैसा नही हु जैसा तुम चाहती हो ..
"

" जानती हु तुम इंटेलिजेंट नही हो, स्मार्ट नही हो , गंदे जोक्स मारते हो , हर बात में मस्ती करते हो , चैट्स में शायरी लिख कर भेजते हो , इमोजी की बारिश कर देते हो , पर तुम यह सब मेरे लिए करते हो , सबको खुश रखने के लिए करते हो...में जानती हु की तुम मुझे हमेशा प्रोटेक्ट करोगे , मेरा ख्याल रखोगे.. और में तुम्हारे साथ बहुत खुश रहूंगी समझे...."
मीरा इतना कुछ बोल गई और सौरभ बस आंखे फाड़े सुनता रहा...

" ओ मि सौरभ सिंघानिया... " मीरा ने उसके सामने चपटी बजाते कहा..
" हा बोलो.."
मीरा ने सौरभ का कोलर पकड़ा और उसे अपने करीब खींचा...
" आई लव यू... " मीरा ने धीरे से कहा..
सौरभ को एक पल के लिए लगा की उसकी धड़कन थम सी गई है.. उसे यह एक सपने जैसा लग रहा था..

मीरा ने कहा और वो अपने घुटनो पर बैठ गई..
" सौरभ क्या तुम मुझसे शादी करोगे...? "

सौरभ मुस्कुराया और उसने मीरा का हाथ पकड़ लिया..
" हा "
सौरभ ने कहा और दोनो एक दूसरे के सीने से लग गए..
" आई लव यू सो मच मीरा...." सौरभ ने मीरा का माथा चूम लिया..

दोनो एक दूसरे का हाथ थामे हस्ते हुए नीचे आए...
" आ गए दोनो.. देखा मैने कहा था ना..? " करन हसता हुआ बोला...

" पापा में और मीरा तैयार है शादी के लिए.." सौरभ मुस्कुराता हुआ बोला..

" क्या बात है...!! बहुत बढ़िया..." अखिल जी ने कहा और वो खुशी से सौरभ के गले लग गए..

"Congratulations मेरे शेर..." मनीष चाचू ने सौरभ को गले लगाते हुए कहा..

सब ने एक दूसरे को बधाई दी और मुंह मीठा किया..

सौरभ अब हसकर आशीष जी से बात कर रहा था...

और एक तरफ किंजल , संजना , अनिरूद्ध और करन बैठकर हसी मजाक कर रहे थे..

" इसे देखो कैसे ससुर मिलते ही चहक चहक कर बाते करने लगा.. "
करन हस्ते हुए बोला..

" ये सब तो ठीक है पर ये बदलाव आया कैसे.. ? गया तब तो कैसे मुंह फुलाया हुआ था..! " किंजल ने सोचते हुए कहा..

" अभी उसे ही पूछते है रुक.." अनिरूद्ध ने कहा. और सौरभ को आवाज लगाई..

" सौरभ.. एक मिनिट आ तो..."

" हा आया.."

" हा बोलो क्या काम है ? " सौरभ ने उन सब के पास आते हुए कहा..

" टेरेस पर बात क्या हुई ये तो बता .." अनिरूद्ध ने आंख विंग करते हुए शरारती अंदाज में पूछा..

" में क्यों बताऊं.. ? अपने काम से काम रखो.." सौरभ ने एटीट्यूड के साथ कहा और जाने लगा..

" रुक रुक कहा जा रहा है " अनिरूद्ध ने उसे अपने पास खींचते हुए कहा..

" बेटा चुपचाप बोल दे नही तो तेरी सारी गर्लफ्रेंड के बारे में मीरा को बता दूंगा.." करन ने हस्ते हुए कहा और फिर अनिरुद्ध को ताली दे दी..

" नही नही यार ऐसे मत करना ...बड़ी मुश्किल से यह सब ठीक हुआ है.."

" तो बैठ और बता क्या बात हुई ..."

सौरभ उनके पास बैठ गया..
" कुछ खास नही मीरा ने मुझसे माफी मांगी फिर उसने मुझे आई लव यू कहा और फिर शादी के लिए मुझे प्रपोज किया.. और मैने हा करदी बस..."
सौरभ की बात सुनकर सब उसे गुस्से से घूर रहे थे..

" क्या ? ऐसे क्यों घूर रहे हो।? सच में ऐसा ही हुआ था..."

" मतलब मीरा ने तुझे प्रपोज किया तुमने मीरा को नही ? " अनिरूद्ध ने थोडा सीरियस होकर पूछा..

" नही ..."

" अरे यार ..! छोड़ो इसे चलो हम जाते है..." बोलकर अनिरुद्ध और करन खड़े हुए और वहा से जाने लगे..
" लोलीपॉप ..." बोलते हुए अनिरुद्ध और करन सौरभ को तपली मारकर चले गए..

" सच में यार मैंने ये एक्सपेक्ट नही किया था सौरभ.. मतलब प्रपोज में भी तुम पीछे.. तू लोलीपॉप ही रहेगा..." किंजल भी यह बोलते हुए चली गई..

" कोई बात नही सौरभ यह सब सिर्फ तुम्हारी टांग खींच रहे है .. वैसे में तुम दोनो के लिए बहुत खुश हु.. में अभी आई..." बोलकर संजना भी चली गई..

सौरभ अकेला बैठा मुस्कुराने लगा..
" ये लोग मेरी टांगे खींचना नही बंध करेंगे.. संभाल कर रख अपनी टांग सौरभ नही तो शादी में फेरे कैसे लेगा...? " बोलकर सौरभ फिर से मुस्कुराने लगा..

( चार महीने बाद )

दिल्ली की जेल के बाहर एक गाड़ी किसीका इंतजार कर रही थी..
कुछ ही देर में जगदीशचंद्र और हरदेव जेल से बाहर आए..
" फाइनली अब हम आजाद है... तुम हमारा कुछ नही बिगाड़ पाए अनिरुद्ध ओब्राय..." जगदीशचंद्र ने शैतानी हसी के साथ कहा ... हरदेव भी साथ में हसने लगा..

" चलो बेटा.. अब तुम्हे पागल बनाने वाले उन लोगो को उनके किए की सजा देने जाना है..."

" हा पापा.. सुना है कल संजना की गोदभराई है... अब बच्चे के होने वाले पापा को तो उसके पास होना चाहिए ना ! " हरदेव ने शैतानी मुस्कुराहट के साथ कहा ..और दोनो गाड़ी में बैठकर चले गए....

क्रमश: