विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 16 सीमा बी. द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 16

विश्वास (भाग 16)

"गेट वेल सून टीना", कह कर नर्स डॉली ने उससे हाथ मिलाया। टीना मुस्करा दी। 2 महीने से ज्यादा वक्त टीना यहाँ बिता कर दादी के साथ हॉस्पिटल से बाहर निकल रही थी। दोनो ही खुले आसमान को देख कर मुस्करा दी, ऐसा लग रहा है कि आधी से ज्यादा लड़ाई वो जीत चुके हैं जो थोडी सी बाकी है, वो जीतने के लिए कमर कस कर तैयार हैं।

कुछ दिन पहले की टीना और इस पल की टीना में काफी फर्क है। उमेश ने भी इस बदलाव को महसूस किया और खुश भी हैं कि उनकी टीना अब वापिस अपनी दुनिया में लौट रही है। गाड़ी में बैठते ही टीना खुश हो गयी क्योंकि उसमें एक बहुत सुंदर सा कुशन रखा था, जिस पर उसकी "तस्वीर" थी। टीना कुछ पूछती उससे पहले ही उमेश ने कहा," ये तेरे सब भाई बहन का कमाल है"। टीना मुस्करा दी।

टीना यह भी हैं, बच्चों ने दिए हैं। आगे की सीट पर बैठने के बाद डैश बोर्ड से एक लिफाफा देते हुए उमेश ने कहा। टीना ने दादी की तरफ देखा तो दादी ने हँसते हुए कहा," देख उमेश तेरी बेटी मुझे ऐसे देख रही है। जैसे मैं मना करूँगी तो ये मान जाएगी"।टीना मुँह बना कर लिफाफा रखने लगी तो उमा जी ने कहा," अब नाटक मत कर। जल्दी खोल मुझे भी देखा इसमें क्या है"।

माँ की बात सुन कर उमेश," क्या माँ आप भी मेरी गुडिया को तंग करने लगी" कह कर हँसते हुए टीना से बोले," अब जल्दी से खोल ,मैं भी एक्साइटेड हूँ कि शैतानों ने क्या भेजा है"!!! उसने लिफाफा खोला तो उसमेॆ दो ग्रीटिंग कार्ड थे। एक दादी के लिए और एक उसके लिए। "आप लोग जब घर आओगे तो हम आपका वेलकम नहीं कर पाँएगें। इसलिए वेलकम होम पहले से ही बोल रहे हैं क्योंकि हम सबसे पहले आपको बोलना चाहते थे। स्कूल से आकर मिलते हैं आप दोनो से"। दादी पोती दोनों की आँखों में आँसू झिलमिला गए थे।

"देखा टीना सब बच्चे तुझसे कितना प्यार करते हैं, अब उनको कम डाँटा करना और जो उनको तू शैतानों की सेना कहती है न वो भी कहना बंद कर देगी न "। दादी ने थोडडा हँसते और चिढ़ाते हुए कहा तो टीना ने दादी के कंधे पर अपना सिर टिका दिया।

यूँ ही बातें करते करते घर आ गया। वैसे तो उमा जी के बेटों ने कुछ साल पहले ही पुराना घर को तुड़वा कर नए सिरे से आजकल के ढंग से बनवाया है, जो चार माला है और लिफ्ट की फैसिलटी भी है। उमा जी सोच रही थी कि टीना को लिफ्ट तक बिना व्हील चेयर के मुश्किल होगी, ये तो शायद हम में से किसी ने सोचा ही नहीं होगा।

गाडी़ पार्किंग में आ गयी। उमा जी गाड़ी से निकली तो देखा ड्राईवर व्हील चेयर ले कर आ रहा था जो शायद मीनल नें लिफ्ट से नीचे भेजी थी। उमेश ने टीना को गोद में उठा कर चेयर पर बिठाया तो माँ को मुस्कराते हुए अपनी तरफ देख कर पूछा, "क्या हुआ माँ, क्या देख रही हो"? कुछ नहीं सोच रही हूँ कि अब मैं बुढिया हो गयी हूँ। मुझे याद ही नही रहा कि टीना को अभी चेयर की जरूरत हैं पर तूने ध्यान रखा"।

"माँ ऐसा कुछ नहीं है मुझे और मीनल को भी कहाँ ध्यान रहा, इसका ख्याल सबसे पहले आकाश को आया। कल स्कूल से आया तो उसने मीनल को कहा हम,"दीदी के लिए व्हील चेयर तो ले कर नहीं आए। दीदी को घर में घूमने में दिक्कत होगी"। मीनल ने फोन करके बताया तो कल ही ले आया था।

उमा जी और टीना का स्वागत करने के लिए
बच्चों को छोड़ कर सब थे। मीनल की छोटी चाची ने उसकी आरती उतारी। पूरा घर दोनो के स्वागत में सजा हुआ था। टीना ये सब देख कर बहुत खुश थी। जब बच्चे स्कूल से आए तो सब टीना को चिपक ही गए। दादी भी खुश थी, सब बच्चो को इतने दिनों बाद देख कर।

"अच्छा बच्चो अब दादी और दीदी को रेस्ट करने दो, बाकी बातें शाम को करना"। बड़ी चाची बच्चों को बुला कर ले गयी। टीना को वाकई थकान महसूस हो रही थी। टीना जल्दी ही गहरी नींद में सो गयी।
क्रमश: