विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 17 सीमा बी. द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 17

विश्वास (भाग -17)

"टीना बेटा अब उठ जा, नही तो रात को नींद नही आएगी", दादी के उठाने पर वो उठी तो उसके पैरों की तरफ आकाश खड़ा था। आकाश टीना से 5 साल छोटा है। 11वीं में पढ़ता है, पर वो आदतों से छोटा है। मम्मी के बिना वो बस स्कूल ही जाता है। घर आने के बाद तो जो माँ कहेगी बस वही करेगा। पापा से वो बहुत डरता है, और टीना को अपनी मम्मी से डर लगता है।

टीना हमेशा आकाश को परेशान करती और मम्मा बॉय कहकर चिढ़ाती। आकाश माँ को उसकी शिकायत करता तो मीनल टीना को खूब डाँटती। वैसे वक्त पढ़ने पर उसके प्रोजेक्टस और डेकोरेशन का काम टीना ही करती। दोनो किसी भी बात पर एकमत नहीं होते थे, पर पापा के डर से वो अपनी दीदी का विरोध भी नही करता और खीज कर सब्र कर लेता।

"दीदू चलो मैं आपको हेल्प करता हूँ बेड से उठ कर चेयर पर बैठने की"। वो टीना के सिरहाने आ कर बोला। "शाबाश आकाश बेटा हम दोनो मिल कर तेरी दीदू को बिठाते हैं"। दादी आप बस चेयर को पकडो। टीना आकाश में आए बदलाव को महसूस कर मुस्करा दी।

टीना को चेयर पर बिठा आकाश उसके फीचर्स समझाने लगा। ऑटोमैटिक चेयर थी तो कोई उसको ले लेकर घूमें ऐसा नहीं था। "दीदू आप को किसी पर डिपेंडेंट नही होना पडेगा। आप खुद से इसको हैंडिल कर लोगी, पर अभी मैं आप को कुछ दिखाने के लिए ड्राँइग रूम में ले कर जा रहा हूँ"।

ड्राँइग रूम में तीनों पहुँचे तो मामा -मामी, मासी, सब कजंस आए हुए थे। सब को देख कर टीना बहुत खुश हो गयी। आकाश को इशारे से अपने पास बुलाया तो वो बोला नहीं दीदू ये नहीं कुछ और है। अब टीना से सस्पेंस खुलने का और इंतजार नहीं हो रहा था।

इतने दिनों के बाद सब को एक साथ देख कर टीना खुश तो थी, पर जल्दी ही उसको सबकी बातों के शोर से बेचैनी होने लगी। उसने मम्मी पापा की तरफ देखा, तो वो लोग समझ गए। "आकाश दीदू को उनके रूम में ले जाओ, काफी दिनों के बाद इतने लोगों को देख घबरा रही है"।

"हाँजी पापा बस दो मिनट, दीदू इधर देखो" कह उसने इशारा किया तो मीनल ने ड्राँइग रूम का बॉल्कनी में खुलने वाला गेट खोल दिया। बाहर एक रंग बिरंगा बड़ा सा पिॆजरा रखा था, जिसमेॆ रंग बिरंगी चिडियाएँ थी। उनको देख कर टीना छोटे बच्चोॆ जैसे तालियाँ बजाने लगी। उसको इतना खुश देख पूरा परिवार खुश हो गया।

अब वो छोटे बच्चों जैसे वहाँ से हटना ही नही चाह रही थी। उनके लिए दाना पानी सब खुद ही रखने की जिद करने लगी।आज उसे अपने मम्मा बॉय वाले भाई पर खूब प्यार आ रहा था।

सब बच्चे टीना को देख कर खुश तो थे पर उसके ना बोलने की वजह से मायूस भी थे। तभी छोटे चाचा की बेटियाँ अपने रूम से ब्लैक बोर्ड और चॉक ला कर टीना को दे दिया। अचानक से ब्लैक बोर्ड देख टीना हैरान हो गयी।

दादी समझ गयी शैतान पोतियों की समझदारी। उमा जी ने एक कुर्सी पर ब्लैक बोर्ड रख दिया और चॉक टीना के हाथों में दे कर कहा, "अब बच्चों से बात कर"। "थैंक्स टू ऑल", सबसे पहले टीना ने लिखा। फिर तो बच्चे तो बच्चे बड़े भी सवाल पूछते जा रहे थे और टीना लिख कर बोलती जा रही थी।

टीना के मम्मी पापा और दादी उसे खुश देख कर अच्छा महसूस कर रहे थे। सब मेहमान चले गए थे। बच्चे भी सोने चले गए। टीना और उमा जी भी अपने कमरे में आ गए। टीना की आँखों में नींद नही थी, वो खुश ही बहुत थी। उसने अपना फोन ऑन किया तो
भुवन का मैसेज था, कैसी हो शेरनी ? घर में अच्छा लगेगा तुम्हें, अपना और दादी का ध्यान रखो। जब तुम्हारा मन करे मैसेज या कॉल करना, गुडनाइट"। टीना "गुडनाइट" लिख कर भेज सोने की कोशिश करने लगी।
क्रमश: