में और मेरे अहसास - 69 Darshita Babubhai Shah द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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में और मेरे अहसास - 69

1.


आज निशा याद ले आई l
कैसे भूलेंगे वो है हरजाई ll

बेवफा को आवाज न देगे l
न बुलाएंगे कसम है खाई ll
१-१२-२०२२


2.
चांद बादलों से निकल आया l
जगमगाती रोशनी साथ लाया ll

निशा को भर दिया सितारों से l
आँखों ही में सारी रात जगाया ll
२-१२-२०२२


3.
बेपन्हा मुहब्बत की है l
जिंदगी इनायत की है ll

गुस्ताखी भी कह सकते हो l
इश्क़ की इबादत की है ll

दिल क्यूँ न फिदा हो जाए l
बात तो नफ़ासत की है ll

लिखावट की तहज़ीब देख l
लिखाई सराफत की है ll

एतबार रख खुद पे सखी l
जीत सदा सदाकत की है ll
३-१२-२०२२
नफ़ासत - सुंदरता
सदाकत - सच्चाई


4.
मेहनत से कभी नहीं डरना चाहिये l
कठिनाईयों में नहीं झुकना चाहिये l

दुनिया की बेतुकी बातों से कभी l
मन को खट्टा नहीं करना चाहिये ll

कितनी ही कठिनाइया क्यूँ न आए l
अश्क आंखो मे नहीं भरना चाहिये ll

मुसीबत का पहाड़ भी टूट पड़े l
चैन दिल का नहीं हरना चाहिये ll

सामने सुनामी भले आ जाए सखी l
कोई भी फर्क़ नहीं पड़ना चाहिये ll

एक मरने का मज़ा ले लिया फ़िर l
इश्क़ में बारहा नहीं मरना चाहिये ll

छोड़ के जाने वालो के लिए तो l
एक अश्क भी नहीं सरना चाहिये l
४-१२-२०२२


5.
जी भर के जीने का सपना है l
दिल भरोसा कर सब अपना है ll

साथ जीएगे साथ ही मरेंगे l
मुहब्बत की राह पर चलना है ll

प्यारी यादो को सहलाते हुए l
संग सितारों के जगना है ll

जो अंदर है वही बाहिर है l
जूठी नुमाइश से टलना है ll

सुर, ताल, लय के साथ l
छंद से गीतों को भरना है ll
५-१२-२०२२


6.
गुरूर है अपने हौसलों पर l
भरोसा है अपनी चाहतों पर ll

हैरत है कि कैसे जिंदा है l
हेरा है अपनी आदतों पर ll

बिना चलता जा राही आज l
मंजिल मिलेगी साहिलों पर ll

कोई ताज्जुब वाली बात नहीं l
प्यारों से हुए फासलो पर ll

जब जहाँ से रुख़सत होगे तो l
बसेरा होगा तब बादलों पर ll
६-११-२०२२

 

7.

बातेँ ग़मगीन थीं चंद रोज़ पहले तक l
यादें रंगीन थीं चंद रोज़ पहले तक ll

महफिल में चहल पहल मची हुई थी l
अदा संगीन थीं चंद रोज़ पहले तक ll

ख़्वाहिशें हद से ज्यादा बढ़ गई तब l
साँसे दीन थीं चंद रोज़ पहले तक ll

जवानी अंगड़ाई लेकर बहका रहीं हैं l
नादां मीन थीं चंद रोज़ पहले तक ll

बेपन्हा, बेइंतिहा, मदहोश होकर l
वो तल्लीन थीं चंद रोज़ पहले तक ll
७-१२-२०२२


8.
आंखों में मैख़ाना है l
हाथों में पैमाना है l l

महफिल में सखी l
रूठा तराना है ll

आँखें चुराना तो l
जूठा बहाना है ll
८-१२-२०२२


9.
जिंदगी की तलाश है l
प्यार का आग़ाज़ है ll

भले ही दूर जा बैठे l
वो दिल के पास है ll

ऐसे तो नहीं रूठते l
बात कोई खास है ll
७-१२-२०२२


10.
जिंदगी की और बढ़ाये क़दम l
जुनून के साथ जीते रहे हैं हम ll

थाम लिया है दिल को फ़िर भी l
किसकी यादों में आँखें है नम ll

जाम पे जाम छलकता था कल l
अब बरसती है आँखें छम छम ll

जुनून की हद तक प्यार किया l
रोक सके इतना ही नहीं दम ll

आज बैठे है अजनबी बनकर l
सखी हुआ करते थे हमदम ll

किस्मत में लिखा ही नहीं तो l
बिछड़ने का नहीं करेगे गम ll

चरागों को साथ लेकर चलना l
देख चारों ओर छाया है तम ll
१०-१२-२०२२


11.
ख़ुदा का दिल ख़ूबसूरत आशियां है l
सब के लिए आशिर्वाद से भरा है ll

जिन्दाली से जी रहे हैं सर उठाके l
उनके भरोसे बरक़रार हौसला है ll
११-१२-२०२२


12. 
ख़ुशियाँ  से भरा आँगन है l
किसी के आने की आहट है ll

प्यार के बदले प्यार मिला l
सखी खुदा की इनायत है ll
१२-१२-२०२२

13.

नादां से मुहब्बत है l
जी का जंजाल है ll

तकदीर का खेल l
गहरा संसार है ll

जिद छोड़ दो चलो l
पुकारता गंधार है ll

बेपन्हा इश्क़ का l
सखी ये अंजाम है ll

रूह के भीतर से l
बारहा इंकार है ll
१३-१२-२०२२


14. 
नया संसार बसाने चले है l
यहां सब अपने ही छले है ll

बसाएगे आशियाना दिल में l
सुकूं प्यार की छाँव तले है ll

ख्वाईशो को मुकम्मल करेगे l
दिल में कई अरमान पले है ll

रश्क़ है 'सखी ' ज़माने को l
लोगोँ की आँखों को खले है ll

जश्न मनाएँगे हर लम्हा बस l
मुक़म्मली इश्क की गले है ll
१४-१२-२०२२


15.
पर्दे में मुस्कुराने रहे हैं l
रूठे को मनाने लगे हैं ll

माजी को भूलकर आज l
उदासों को हँसाने लगे ll

दोस्ती का मान रखने l
महफिल से जाने लगे ll

नुमाइश प्यार की करी l
लोग तिलमिलाने लगे ll

तोहफ़े में अंगुठी देख l
आंखें झिलमिलाने लगे l
१५-१२-२०२२