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कहानी प्यार कि - 53

रात को करन और किंजल दोनो होटल के एक कमरे में बैठे थे... बहुत रात हो चुकी थी पर उनकी आंखों में नींद का नामोनिशान नहीं था...

" फाइनली इतनी ज्यादा दौड़ धाम के बाद हमने कर दिखाया... अब ये ऐप लॉन्च होने के लिए रेडी है..."
किंजल खुशी के साथ बोली...

" तो अब क्या तय किया है सब को इस बारे में बताना है या नही ? "

" नही करन संजू अनिरुद्ध और सौरभ सब को में लॉन्चिंग पार्टी के वक्त सरप्राइज देना चाहती हू...मजा आयेगा बहुत..."
किंजल की एक्साइटमेंट का ठिकाना नहीं था...

" ठीक है तो कल हमे कब निकालना है ? "

" कहा ? "

" दिल्ली और कहा ? "

" सीरियसली करन !! "

" क्या ? मैने ऐसा क्या कहा की तुम इतनी हैरान हो रही हो ? "

" यार हम बैंगलोर आए है और बिना यहां घूमे हम दिल्ली चले जाए ? "

" आज पूरा दिन तो हम घूमे है ..."

" वो तो काम के सिलसिले में... उसमे हमे एंजॉय करने का वक्त ही कहा मिला है ? "

" तुम जानती हो यहां तुम्हारे साथ आने से वहा मेरी दो मीटिंग ऑलरेडी पेंडिंग हो चुकी है .. अब कल भी नही जायेंगे तो ..."

" फाइन तुमसे तो कुछ कहना ही बेकार है.. ठीक है कल सुबह चले जाते है हम दिल्ली... खुश ! " किंजल करन की बात काटते हुए चिड़ती हुई बोली...

किंजल खड़ी हुई और अपने बेड पर जाकर कंबल ओढ़कर सो गई... करन तो किंजल को बस देखते ही रह गया...

" तुम्हे दिख नही रहा है मुझे अब सोना है .. तुम अपने कमरे में जाओ..." किंजल गुस्से में बोली...

" हा हा मुझे कोई शौक नही है यहां रुकने का.."
बोलकर करन बाहर चला गया..

" अजीब लड़की है... छोटी छोटी बात में मुंह फैलाकर बैठ जाती है बच्चो की तरह..." करन बड़बड़ाते हुए अपने कमरे में चला गया...

सुबह किंजल उठकर अपने सामान के साथ तैयार हो चुकी थी... वो कब से करन का इंतजार कर रही थी पर करन अभी तक आया नही था...तो वो उसे बुलाने उसके कमरे तक चली गई...

किंजल ने दरवाजा खटखटाया पर करन ने कोई जवाब नही दिया... किंजल ने देखा तो दरवाजा खुला हुआ था.. उसने धीरे से दरवाजा खोला ... सामने का नजारा देखकर किंजल का खून खौल उठा था... करन अभी तक सोया हुआ था...

" कल जाना है जाना है बोलकर मेरा घूमने का पूरा प्लान फ्लॉप कर दिया और अभी ये महाशय घोड़े बेचकर सो रहे है ! "

किंजल ने गुस्से से करन का ओढ़ा हुआ कंबल खींच लिया...
और इस वजह से करन की नींद खुल गई..

कंबल खींचने के बाद किंजल का पूरा गुस्सा कही गायब हो चुका था और गुस्से की जगह शर्म ने ले ली थी.. करन बिना अपनी टीशर्ट के सोया हुआ था..
करन की बॉडी किंजल को अट्रैक्ट कर रही थी... वो बस बिना कुछ बोले करन को घूर रही थी... तभी उसकी नजर करन पर पड़ी जो उसे ही गुस्से से देख रहा था ।।

" ये क्या हरकत है तुम्हारी ? " किंजल ने तुरंत अपने आंखो पर हाथ रखते हुए कहा...

तभी करन की नजर अपने पर गई ...
करन ने तुरंत अपना कम्बल ओढ़ लिया..

" तुम...तुम .. यहां कैसे आई....? "
करन ने शर्म के मारे लड़खड़ाते हुए पूछा...

" में तुम्हे बुलाने आई थी... जाने के लिए.. पर तुमने दरवाजा नही खोला... फिर मैंने देखा की दरवाजा खुला है तो में अंदर आ गई..."

" ऐसे किसी भी लड़के के कमरे में बिना पूछे नही आते इतना समझ नही आता क्या तुम्हे ? "

" मुझे क्या पता था की तुम बिना कपड़ो के सोते होंगे ? "

" मेरा कमरा मुझे जैसे भी सोना है में सोऊंगा तुमसे मतलब ? "

" ठीक है ...! पर अब तुम्हारी वजह से हमारी फ्लाइट मिस हो जायेगी उसका क्या ? "

" पर आज तो हम बैंगलोर घूमने जाने वाले थे ना ! "
किंजल यह सुनकर हैरानी से करन को देखने लगी...

" तुमने तो कहा था की हम कल दिल्ली वापस चले जायेंगे..."

"हा फिर मैंने सोचा की तुम्हारा बहुत मन है तो रुक जाते है वरना फिर तुम मुझे उसके लिए भी ताने मारते फिरोगी..." करन ने मुंह बिगाड़ते हुए कहा

" हा तो तुम्हे मुझे बताना तो चाहिए था...! अब में कोई देवी तो हु नही की मुझे पता चल जाता की मि करन ने क्या सोचा है ! तुम्हे पता है में सुबह छे बजे से सब सामान के साथ तैयार होकर तुम्हारा वैट कर रही थी..! "

" पर मुझे एक बार फोन कर लेती ! "

" तुम्हे क्या लगता है मैने नही किया ? "

" नही "

" तो देखो फिर अपने मोबाईल में ... कितने मिसकॉल है मेरे ? "

करन ने अपने फोन को देखा तो किंजल के बीस मिसकॉल थे...

" ओह शीट..! सोरी फोन साइलेंट पर था..."

" तो अब क्या करना है ये आप जरा मुझे बताएंगे ..? "

" तुम जाओ में अभी तैयार होकर आता हु.. और हा प्लीज हो सके तो ये गुस्सा कंट्रोल कर लेना तब तक ..."

करन बोलकर बाथरूम में जाने लगा.. किंजल उसे गुस्से से घूर रही थी...

" नकचड़ी ..." करन ने जोर से कहा और बाथरूम का दरवाजा बंध कर लिया...

" क्या कहा.. तुमने ..! बाहर आओ फिर में तुम्हे बताती हु..." बोलकर किंजल अपने रूम में चली आई..

करन शावर लेते हुए मुस्कुराने लगा...

अपने रूम में आते ही किंजल की भी हसी निकल गई...
उसे बार बार करन का बिना टीशर्ट वाला लुक और करन का शर्म से भरा चहेरा याद आ रहा था.. किंजल ने अपनी आंखे बंध कर ली और फिर मुस्कुराने लगी.. उसने अपने सिर पर हाथ मारा ...
" पागल लड़की..."

फिर दोनो बैंगलोर घूमने के लिए निकल गए..
शाम तक दोनो ने बैंगलोर के बहुत से सारे प्लेसिस की विजिट ली.. दोनों एक दूसरे की कंपनी को बखूबी एंजॉय कर रहे थे...

" किंजल अब बस .. में बहुत थक चुका हु और मेरे पैर भी दर्द कर रहे है..." करन ने एक जगह बैठते हुए कहा..

" ठीक है.. पैर तो मेरे भी दर्द कर रहे है... अभी तो सात ही बजे है .. तो अब हम कहा जायेंगे....! "

किंजल सोच ही रही थी की उसे सामने स्पा की शॉप दिखाई दी..

" आइडिया...! हम वहा चलते है.." किंजल ने करन को उस शॉप की और उंगली दिखाते हुए कहा..

" ये तो स्पा सलून है हम वहा जाकर क्या करेंगे...? "

" तुम आओ तो सही तुम्हारी सारी थकान में दूर करती हु..."
किंजल करन को खींचकर वहा ले गई और बिचारे करन को ना चाहते हुए भी उसके साथ जाना पड़ा..

किंजल ने वहा जाकर एक लड़की से कुछ बात की और फिर वो करन के पास आ गई..

" चलो..."

" पर कहा जाना है ? "

" चलो ना मेरे साथ..."

करन किंजल के साथ सलून के अंदर के कमरे में गया..

" हमे ये करना है..."

करन ने एक नजर सामने की और की...

" नही नही में ये नही करने वाला हु ..."

" अब तो हमे करना ही होगा करन मैने बिल भी पे कर दिया है..."

" वो तुम जानो .. में ये मछली वाले डिब्बे में पैर नही डालने वाला..."

" ये फिश पेडीक्योर है करन .. लाखो लोग करवाते है..."

" हा तो तुम करवाओ मुझे नही करना है..."

" प्लीज करन ... मेरे पैसे वेस्ट हो जायेंगे ...प्लीज..."
किंजल की बहुत रिक्वेस्ट करने पर करन मान गया..

" ठीक है चलो..."

करन और किंजल दोनो पास पास की चेयर में बैठ गए .. और फिर अपने पैर मछली से भरे एक पानी के टब में डाले...

कुछ मिनिट तक तो करन शांत था पर अचानक वो हसने लगा...

" यार मुझे गुदगुदी हो रही है... आऊ.... " करन बोलते हुए जोर जोर से हंसे जा रहा था...

किंजल को भी करन को देखकर हसी आ गई...
" करन इतना हिलो मत ..."

" आऊ ये मछलियां तो काट रही है मुझे.. आऊ..."

" करन कुछ नही होगा.. तुम हिलो मत ... "

" आ... ये सब काट क्यों रही है... मुझे अब और ये नही करना..."

" करन अभी कुछ टाइम बाकी है..."

" शीट... ब्लडी फिशेस... अब और नही हो रहा है मुझसे..."

करन का यह डर देखकर किंजल को और भी हसी आ रही थी...

" करन तुम हिल रहे हो इसीलिए वो काट रही है..." किंजल हस्ती हुई बोली...

" विल यू स्टॉप लाफिंग...! कहा फसा दिया तुमने मुझे..."

" सर आप खड़े हो सकते है... थेरापी कंप्लीट हो चुकी है..." स्टाफ की एक लड़की ने आते हुए कहा..

करन और किंजल फिश पेडीक्योर करवा के बाहर आए .. किंजल अभी तक हसी जा रही थी... और करन मुंह बिगाड़े किंजल को देख रहा था...

" इतनी भी हसने वाली कोई बात नही थी किंजल ! "

" आई एम सोरी... पर तुम... कैसे बच्चो की तरह नखरे कर रहे थे.. " किंजल हस्ती हुई बोली..

" वो नखरे नही थे वो मछलियां सच में मुझे काट रही थी..."

" हा पर फिर भी ऐसे तो बड़े सख्त बने फिरते हो .. और वहा इतनी छोटी छोटी मछलियों से डर रहे थे ...! "

" ठीक है ठीक है अब ज्यादा मजाक उड़ाने की कोई जरूरत नहीं है .. अब होटल वापस जाना है या फिर तुम्हे और कही कोकरोच पेडीक्योर और छिपकली पेडीक्योर करवाने जाना है ? "

यह सुनकर फिर से किंजल की हसी छूट गई..

" क्या तुम भी करन ... ऐसा कोई पेडीक्योर आया ही नहीं अभी तक... "

" नही आया है तो में शुरू करवाऊंगा.. और खास तुम्हे फोर्स करके वो पेडीक्योर करवाऊंगा... "

" में नही करने वाली..."

" नही तुमने जैसे जबरदस्ती मुझे ये करवाया ना मैं भी वैसे ही करूंगा..तब में देखता हु की कैसे तुम्हारी चीखे वहा निकलती है और तब में ऐसे ही तुम्हारे मजे लूंगा.. "

दोनो अपने खट्टे मीठे झगड़े के साथ होटल चले गए..

तभी करन के मोबाइल में किसिका फोन आया...
करन उसके साथ बात करने के बाद कुछ सोचने लगा..

" क्या हुआ करन ? "

" किंजल मुझे कल सुबह तक दिल्ली पहुंचना बहुत जरूरी है..."

" तो फिर अब हम क्या करे ? "

" हमे अभी निकलना होगा..."

" पर इस वक्त तो कोई फ्लाइट नही है..."

" में चेक करता हु..."

करन ने फोन में फ्लाइट चेक की..

" अभी दो घंटे के बाद आगरा तक की फ्लाइट है हम उसमे चले जाते है वहा से कोई कैब कर लेंगे..."

" पर करन हम इस वक्त जायेंगे तो आधी रात को आगरा पहुचेंगे..."

" किंजल हमारे पास दूसरा कोई ऑप्शन नहीं है कल उस मीटिंग का होना बहुत ज्यादा जरूरी है..."

" ठीक है में पेकिंग कर लेती हु..."

बोलकर किंजल और करन दोनो अपनी पेकिंग करने लगे . करीब आधे घंटे में दोनो एयरपोर्ट पर जा पहुंचे...

आधी रात के करीब दो बजे उनका प्लेन आगरा लैंड हो गया...
उनकी कैब पहले ही एयरपोर्ट पहुंच चुकी थी...

किंजल और करन दोनो कैब से दिल्ली जाने के लिए निकल चुके...

दोनो की आंख लग चुकी थी करीब एक घंटे के बाद कुछ आवाज से करन की आंख खुली... देखा तो ड्राइवर गाड़ी में नही था और गाड़ी जंगल जैसे एरिया के बीचोबीच खड़ी हुई थी...

करन तुरंत गाड़ी में से बाहर आया...

उसने देखा की ड्राइवर गाड़ी में कुछ ठीक करने की कोशिश कर रहा था...

" अरे भैया क्या हुआ गाड़ी को ? "

" सोरी सर.. वो गाड़ी खराब हो गई है... कुछ पता नही चल रहा है की क्या प्रोब्लम है..."

" लाओ मुझे देखने दो...."

करन ने अपने हिसाब से भी गाड़ी चेक की पर उसे भी कुछ पता नही चला... उतनी देर में किंजल भी जागकर बाहर आ चुकी थी...

" तुम गाड़ी ठीक करने की कोशिश करो में आगे तक देख कर आता हु शायद कोई मदद मिल जाए ...! "

" पर सर इस अंधेरे में अकेले जाना ठीक नही होगा..."

" कुछ नही होगा में अभी आता हु..."

" रुको करन में भी आती हु..." किंजल ने करन के पास आते हुए कहा..

करन को इस वक्त किंजल को ड्राइवर के साथ अकेले छोड़ना ठीक नही लगा तो उसने किंजल को अपने साथ आने के लिए हा कर दिया...

किंजल और करन दोनो हाथ में मोबाईल की फ्लैश लाइट लेकर आगे रास्ते पर चले जा रहे थे पर दूर दूर तक उनको कोई आता जाता या गैरेज जैसा कुछ दिख नही रहा था...

तभी करन के फोन की फ्लैश लाइट बंध हो गई...

" ओह शीट फोन स्विच ऑफ हो गया..."

" कोई बात नही मेरा फोन है तुम मेरे साथ ही चलो..."

करन ने अपना सिर हिलाया और आगे जाने लगे...

आगे कुछ ना देखकर दोनो वही खड़े रह गए... चारो तरफ अंधेरा होने की वजह से दोनो को नही पता था की वो रास्ते के बाहर साइड पर आ गए थे...

रास्ते की उस साइड खुदाई की वजह से गहरा गड्ढा सा बन गया था... करन उसके बहुत करीब खड़ा था .. करन ने जैसे ही अपना पैर कुछ पीछे किया उसका पैर फिसल गया..

और करन खड्डे में जा गिरा...

" आ....."
करन की आवाज से जैसे ही किंजल ने लाइट उस तरफ की तो उसने देखा की करन उसके सामने नही था बल्कि आगे गड्ढे में जा गिरा था...

" करन तुम ठीक हो ? "

" हा में ठीक हु ... " करन ने खड़े होते हुए कहा..

" एक काम करो किंजल ड्राइवर को बुलाकर लाओ...हमारी मदद के लिए..."

" नही करन में तुम्हे छोड़कर कही नहीं जाने वाली हु..."

" किंजल तुम समझने की कोशिश करो में यहां से अकेले बाहर नही निकल पाऊंगा..."

" तुम रुको में कुछ करती हु..."

किंजल ने अपना दुप्पटा निकाला और गड्ढे में फेंका...

करन ने दुपट्टा पकड़ लिया...
किंजल ने दुपट्टा पकड़ने की वजह से फोन साइड में रख दिया था जिस वजह से करन और किंजल को अंधेरे में कुछ दिखाई नहीं दे रहा था..

" हा पकड़ लिया मैंने..." करन नीचे से चिल्लाया...

" करन ऊपर आने की कोशिश करो...."

" हा " करन ऊपर आने के लिए बहुत जोर लगा रहा था.. पर किंजल को खींचने में बहुत दिक्कत हो रही थी.. करन थोड़ा ऊपर आया ही था की उन दोनो को कुत्तों के भौंकने की आवाज सुनाई दी...तभी एक कुत्ता भागता हुआ किंजल की और आ रहा था... किंजल की नजर उस दो चमकती आंखों पर गई जो उसके ही तरफ आ रही थी... कुत्ते के डर से किंजल के हाथ से दुपट्टा छूट गया और करन जमीन पर जा गिरा...

उस कुत्ते ने किंजल के ऊपर छलांग लगाई...

" आ....." किंजल जोर से चिल्लाई....

🥰 क्रमश : 🥰

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