अब आगे...
"सुनो मान्या शादी के बाद मैं सोच रहा था हम अपने बंगलों में शिफ्ट हो जाएंगे"
क्यों यहां रहने में क्या है??
"यहां नहीं यार बहुत से लोग हैं, जॉइंट फैमिली में रोमांस का सत्यानाश हो जाता है" इसने टेबल के ऊपर बैठते हुए बोला।मान्या चूल्हे पर दूध उबाल रही थी, दोनों किचन में ही थे।
"जॉइंट फैमिली है तो क्या हुआ कोई किसी के रूम में घुस थोड़ी ना जाता है"
"किचन में तो बहुत से लोग होते हैं" पार्थ मान्या का हाथ पकड़ते हुए बोला।
"वैसे भी तुम्हें कौन सा ड्राइंग टेबल पर रोमांस करना है, जो फैमिली वालों की टेंशन हो रही है, वैसे-तो तुम अभी भी नहीं सुधर रहे, इतने सारे लोगों के होते हुए भी मेरा हाथ पकड़ लेते हो शर्म नहीं आती है तुम्हें मान्या ने अपना हाथ छुड़ाया और दूध चूल्हे से उतारकर बाहर की ओर चल दी जाते-जाते उसने पार्थ तरफ मुस्कुराते हुए देखा जो इसे देख कर मुस्कुरा रहा था।
समीरा हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर घर वापस आ गई थी, लेकिन वह बुझी बुझी सी थी हर वक्त बस उदास सी रहती थी घंटों बेटे की सोच में फिक्र में वक्त गुजार देती थी। इसे इस तरह से देखकर विराट और सपना भी अक्सर मुरझाए से हुआ करते थे, वह दोनों मां को खुश रखने की हर मुमकिन कोशिश करते थे लेकिन नतीजा ना पाते और मायूस हो जाते हैं।
"मम्मा आप क्यों कर रही है ऐसा?? क्यों खुद को बीमार कर रखा है?? मुझे कोई गलती हो गई है तो मुझे माफ कर दीजिए, बच्चा हूं लेकिन प्लीज इस तरह उदास मत रहिए आपको हर तरह की खुश करने की कोशिश कर रहा हूं, लेकिन आप और भी खामोशी होती जा रही हैं, आप मेरे पहले जैसी मम्मा नहीं रही, जो हर रोज आकर मुझे मेरे काम की डिटेल पूछा करती थी मेरे घर से ऑफिस जाते तक वहां से वापसी तक फिर रात को देर तक मेरी जरूरत पूछना, मुझे काम करता देखकर मेरे सर पर हाथ रखना रात को जल्दी सोने का कहना, मैं नही मानता था तो मुझे डांट कर सुला देना, कितना मिस कर रहा हूं मैं इन सब बातों को क्यों मम्मा क्यों सजा दे रही हैं आप मुझे" विराट अपने मां का दोनों हाथ पकड़ते हुए एक बच्चे की तरह सवाल पूछ रहा था।
"तुम मेरे पहले वाले विराट बन जाओ मुझे भी तुम वैसा ही पाओगे जैसा खोया है" इसने विराट के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए बोली।
"मेरी खुशी तुम बच्चों की खुशी में है अगर तुम लोग खुश नहीं हो तो मैं कैसे खुश रह पाऊंगी भला"
"मैं खुश हूं मामा मुझे कोई दुख नहीं है और अब तो मैंने भी पहले जैसा काम शुरू कर दी है और खुश भी रहता हूं" विराट ने फीकी सी मुस्कुराहट लाते हुए बोला।
"शादी कर लो" समीरा ने तुरंत अपने दिल की बात कह दी।विराट ने चौकते हुए एक नजर उठाई और सर झुकाकर खामोश हो गया
"कर लूंगा कभी ना कभी, देखिए मामा फिलहाल क्या जल्दी है इस बात की इसने सर झुकाए हुए बोला था।अब सपना भी कमरे में आ चुकी थी और वह धीरे से समीरा के पास लेट गई।
"अब नहीं तो कब करोगे तुम्हारी उम्र हो चुकी है बेटा तुमने पढ़ाई पूरी कर ली है, तुम्हारा बिजनेस भी खूब तरक्की पर हर तरह से तुम तुम रिश्ते के लिए तैयार हो फिर किस बात से इंतजार कर रहे हो"
"हां भाई शादी कर लीजिए ना, वैसे वैसे दादी बता रही थी कि पार्थ भाई भी शादी के लिए राजी हो गए हैं कितनी रौनक आ जाएगी ना आप लोगों की शादी में कितना मजा आएगा ना मम्मा" सपना खुश होते हुए बोली।
"पार्थ की शादी करा दीजिए इससे भी रौनक आ जाएगी, इंजॉय कर लेना मैं नहीं कर रहा अभी जब वक्त आएगा तो कर लूंगा" इसने एक दम खड़े होते हुए कहा।
"यह वक्त कब आ जाएगा जब मैं शायद जिंदा नहीं रहूंगी भी फिर कर लेना शौक से, किसी अनजान के लिए अपनी पूरी जिंदगी गुजार दो । तुम्हे तो हमारी परवाह ही नहीं है हम तुम्हारी परवाह करते-करते मर जाएंगे, लेकिन बेटा तुम शौक से और सितम करो मुझ पर, मेरी परवाह मत करना इसका इंतजार करते रहो" समीरा गुस्से में बोले जा रही थी।
"सना लाइट्स ऑफ कर दो मुझे नींद आ रही है" इससे पहले विराट कुछ बोल पाता इस ने करवट बदली और लाइट्स ऑफ करने को बोल दिया। कुछ लम्हे वहीं रुकने के बाद वह अपने कमरे की तरफ चल दिया।
"अगर आपको कुछ हो जाता है तो मेरा क्या होगा, आपकी यह हालत देख कर तो मेरी जान निकल गई थी अब आप कोई भी टेंशन नहीं लेंगी" वह अब इसे दूध देते हुए डांट रही थी। मिसेज खुराना का बीपी हाई होने की वजह से से उसे चक्कर आने लगा था डॉक्टर ने दिमाग पर जोर डालने और परेशानी से दूर रखने को बोला था।
"अगर मुझे डांटने से पहले खुद अमल कर लो तो यह नौबत ही ना आए" इसने दूध का घूंट पीने के बाद निशा से दवा लेते हुए कहा।
"तो मतलब आप को बीमार करने में मेरा हाथ है वह भी इतनी केयर करने के बाद और बदले में यह सुनना पड़ा क्या इंसाफ है निशा मजाक करते हुए बोली। वह खुद जानती थी कि उसकी मां इससे क्या कहना चाहती है।
"देखो निशा मुझे आज कल तुम्हारी बहुत फ़िक्र रहती है बेटा कहीं टेंशन से मेरी नस फट ना जाए मैं मर ना जाऊं इसलिए"
"मम्मा यह क्या बोले जा रही हैं आप कुछ नहीं होगा आपको ठीक है" निशा की आंखों से आंसू छलक पड़े थे इसने मां के मुंह पर अपना हाथ रखते हुए बोलने से रोक लिया था। इस तरह की बात इसके लिए बहुत तकलीफ देती थी।
"तो फिर मेरी बात मानो"
"कौन सी बात"
"मुझे फिर से जी कर दिखाओ पहले वाली निशा बनकर दिखाओ, जिस का चेहरा देखकर मैं खिल जाती थी जो कभी परेशान कभी गुमसुम ना रहती थी हर वक्त अपनी मम्मा से इधर उधर की बातें करती रहती थी हंसती मुस्कुराती रहती थी" वह खामोशी से इस की गोद में लेटी सारी बातें सुन रही थी।
"तुम मेरी हर बात मानती हो ना, अब अब यह बात भी मान लो बेटा मैं चाहती हूं तुम्हारा रिश्ता तय हो जाए शादी तुम अपनी मर्जी के टाइम पर कर लेना"
"अगर हां बोल दूं तो किससे करवा देंगे आप मेरी शादी"
"जिसे तुम कहोगी, जहां बोलोगी जिसके साथ खुश रह सकोगी, क्या तुम्हारी कोई पसंद है??
"नहीं मेरी कोई पसंद नहीं है, आपको जहां ठीक लगे वहां रिश्ता कर दीजिए मुझे आपकी पसंद से कोई एतराज नहीं होगा, लेकिन फिलहाल सिर्फ रिश्ते की बात करेंगे आप, मुझे अभी शादी नहीं करनी" इसने एक पल को अपनी मां को देखा फिर से उसकी गोद में लेट गई, इसने ना चाहते हुए फिर भी सिर्फ अपनी मां को खुश रखने के लिए शादी के लिए हां बोल दी थी।
"मेरी प्यारी बच्ची तुम जैसा कहोगी वैसा ही होगा" अब मिसेज खुराना की आंखों में चमक सी आ गई थी।
कहानी आगे जारी है....