"जाने की तैयारी कर ली बेटा" नानी मां ने मान्या को बैग पैक करते देख कर पूछा।
"जी नानी मां" इसने पैकिंग इसने बैग की चेन बंद करते हुए बोला।
"इतना सारा सामान लेकर जा रही हो"
"नहीं नानी मां यह बस जरूरत का सामान है पता नहीं कितने दिन लग जाए वहां।
"कुछ दिन बाद वापस आ जाना तुम जानती हो ना मुझे तुम्हारे बिना कुछ करने की आदत नहीं है मुझे" नानी ने मान्या से कहा।
"आपके बिना तो यहां मेरा मन नहीं लगने वाला लेकिन पापा की तबीयत बहुत दिनों से खराब है इनके लिए बहुत फिक्र हो रही है वैसे काफी दिन भी हो गए हैं और इस बार तो मम्मी बहुत जिद करके बुला रही है।
"अरे हां भाई खुशी-खुशी जाओ आखिर अपने घर की भी तो कुछ जिम्मेदारियां बनती है तुम पर, वह तो इतने दिन से मेरे साथ ही रही हो अब मन उदास सा हो गया है तुम्हें जाते देखकर नानी मां की आंख में उदासी छा गई।
"अरे नानी मां बोला ना आप बस अपना ख्याल रखिएगा, अच्छा मैं चलती हूं" मान्या की आंखों में आंसू आ गए थे लेकिन उसने छुपा लिए। पार्थ दरवाजे पर खड़े दोनों को देख रहा था।
"अरे पार्थ बेटा मान्या का सामान जरा गाड़ी में रखवा दो" नानी ने इसे मान्या की तरफ इशारा करते बोली।
"जल्दी आना" पार्थ ने इसके पास आकर कान में धीरे से कहा।
"मेरी नानी मां का ख्याल रखना मान्या ने इसकी तरफ मुस्कुराते बोली।
"नानी की चमची" पार्थ बैग उठाते हुए शरारती अंदाज में बोला और आगे की तरफ चल दिया।
मान्या को नानी मां ने गोद ले रखा था लेकिन मान्या की मां बहुत दिनों से मान्या को आने का कह रही थी इस बार मान्या के पिता की तबियत ज्यादा खराब होने के कारण मान्या अपने घर जा रही थी।
शाम का वक्त था वह अकेली बैठी थी। तभी पार्थ कमरे में दाखिल हो गया।
"क्या बात है दादी आप बहुत चुप-चुप सी लग रही हैं आज तो" पार्थ ने दादी को उदास देखकर पूछा।
"हां बेटा बस.... वह बोलते बोलते एकदम रुक सी गई।
"दादी आप मान्या को मिस कर रही हैं न"
" हां बेटा बड़ी प्यारी बच्ची है, जब से गई है घर सुना सुना सा हो गया।
"फिर से जाने मत दीजिए ना दादी" पार्थ जल्दी से बोला।
"कब तक इसे अपने पास रखेंगे एक न एक दिन तो इसे अपने घर को जाना ही है ना, यह तो तुम्हारी मां है जो इसे यहां रहने और पढ़ने के लिए छूट दे देती है जब इसकी शादी हो जाएगी तब ससुराल और पति को छोड़कर यहां थोड़ी ना रहने के लिए आएगी" दादी ने चश्मा ठीक करते हुए गहरी सांस लेते हुए बोली।
"और अगर इसका पति भी यही पर रह ले तो" पार्थ ने दादी को देखते हुए पूछा।
"इसके पति को क्या पड़ी है जो अपना घर और काम धंधा छोड़ कर यहां इसकी बूढ़ी नानी के साथ रहने आ जाएगा" दादी ने इसकी तरफ हाथ हिलाते हुए बोली।
"और अगर यही घर इसका ससुराल बन जाए तो" पार्थ ने दादी का हाथ अपने हाथों में लेकर कहा
"क्या कहना चाहते हो पार्थ?? मिसेज कौशिक का दिल जैसे जोर से धड़कने लगा वह हैरत से पूछ रही थी।
दादी मैं मान्या से शादी करना चाहता हु। बस आप इसका हाथ मेरे हाथ में दे दीजिए" पार्थ के चेहरे पर खुशी और आंखों में चमक थी
"ठीक है बेटा मैं सब को बुलाकर बात करूंगी तुम्हारे रिश्ते के बारे में" दादी ने भी खुश होते हुए कहा।
कहानी आगे जारी है.......