तुम बिन जिया जाए ना - 7 Gulshan Parween द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तुम बिन जिया जाए ना - 7

हेलो दोस्तों अभी तक आपने पढ़ा निशा अंजली के पास से वापस अपने घर आ गई थी और बार बार विराट के बारे में ही सोचे जा रही थी, की पता नही उसका क्या हुआ होगा उसका वहा से आने के बाद निशा ने अपनी मां को भी कुछ नही बताया था उसकी मां उसे परेशान देखकर बार बार सोच रही थी की जरूर कुछ हुआ है जो निशा मुझ से छुपा रही है।अब आगे..........

निशा सुबह के नाश्ते की टेबल पर बैठी अंजलि को फोन पर अपनी प्रॉब्लम बता रही थी।

"अगर वह मर गया होगा तो, इसके घरवाले मुझे कभी नहीं छोड़ेंगे और अगर वह जिंदा होगा तो वह मुझे नहीं छोड़ेगा"

"तुम इतना बुरा ख्याल अपने मन में कियू ला रही हो" अंजलि ने नाराज होते हुए कहा

"अगर वह सच में तुमसे प्यार करता होगा तो, तुम्हारे खिलाफ कोई रिपोर्ट नहीं लिखा पाएगा।

"लेकिन अगर इसने रिपोर्ट लिखवा दी, तो तुम्हारे लिए प्रॉब्लम हो जाएगी, पुलिस ढूंढने आएगी और मैं नहीं मिलूंगी तो वह तुम से पूछताछ करेगी या फिर वह लड़का.......

"अरे निशा तुम परेशान मत हो सब ठीक हो जाएगा, वैसे एक बात बताऊं मैंने जो कनाडा में फॉर्म फिल किया था, उसमें उसमें मेरा सिलेक्शन हो गया है" अंजलि ने खुशी जाहिर की।

"सच में यह तो बहुत खुशी की बात है, भगवान तुम्हें और तरक्की दे" बात करते-करते इसने चाय खत्म कर ली थी और अब उठ कर बाहर की तरफ चलते हुए वह बातें किए जा रही थी।

"खैर मेरे सपने शायद ही पूरे हो पाए" इसके चेहरे पर जहां अंजली के लिए खुशी था, वही अपने लिए गमी था।

"अरे ऐसी बात क्यों कर रही हो??? मैं तो जा रही हूं लेकिन तुम यहां आ जाओ ना, इस बार तुम आंटी के साथ यहां पर शिफ्ट हो जाओ, फिर तो कोई प्रॉब्लम नहीं होगा, और तुम अपनी पढ़ाई पूरी कर पाओगी" अंजलि ने चाय पीते हुए कहा।

"नहीं अंजलि अब मैं वहां नहीं आना चाहती, मैं जानती हूं मामा मेरे लिए बहुत ही हिम्मत और एक मजबूत ढाल है, लेकिन यहां लड़कियां अकेले सेफ नहीं है, भले ही दौलत ऐशो आराम सब कुछ है मेरे पास लेकिन, फिर भी मैं अपने आप को बहुत कमजोर महसूस कर रही हूं, काश पापा जिंदा होते तो, आज या फ़िर मेरा कोई भाई होता जिसका हाथ मेरे सर पर होता, तो मैं कभी इस तरह डर से छुप के घर में नहीं बैठ जाती" निशा अंजलि को अपनी सारी बातें बता रही थी और इसकी आंखों से आंसू बह जा रहे थे, लेकिन अचानक वह चुप हो गई और जल्दी से अपनी आंखें पोंछ ली सामने इसकी मामा खड़ी थी जो इसे घूर कर देख रही थी, इसलिए इसने फोन बंद कर दिया।

"सिंपल सी बात है आप मुझे पसंद है"

"प्लीज मेरा तमाशा मत बनाइए इसने रास्ते से जाते हुए कहा"

"लेकिन मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं"

क्या???? वह अचानक से एकदम रुक गई और इसे घूरते हुए बोली।

"मैं नहीं जानता कैसे, लेकिन सच में आपको देखते ही मुझे आपसे प्यार हो गया था शायद यह आपको फिल्मी लगे, लेकिन मेरा यकीन करो मैं सच में आपसे बहुत प्यार करता हूं, आप मेरा यकीन करो मैं बहुत ही शिद्दत से आपसे प्यार करता हूं।

"हे भगवान किस मुसीबत में पड़ गई हूं, जान छोड़ो मेरी देखो, तुम जिस टाइप के लड़के हो वह पता लग रहा है मुझे लेकिन, मैं आपके टाइप की नहीं हूं, जाकर किसी और को बताओ मेरा टाइम खराब मत करो" इसने यूनिवर्सिटी के अंदर जाते हुए कहा और अंदर चली गई।

वह बेड के पास किसी पागल मजनू की तरह सर झुकाए बैठा था। ऑफिस की फाइल टेबल पर रखी हुई थी जिस को उसने हाथ भी नहीं लगाया था। इसका मोबाइल लैपटॉप दूर पड़ा हुआ था। कमरे की लाइट बंद कर दी थी जैसे वह वहां होते हुए भी वहां नहीं था। मोबाइल की रिंग बहुत देर से बज रही थी, लेकिन वह हिले बिना वहीं बैठा निशा को याद कर रहा था।

"विराट बेटा फोन क्यों नहीं उठा रहे हो??? अंकल का वह बोलते हुए कमरे में आई, लेकिन अंधेरा देख कर कुछ देर चुप रही और फिर, बल्ब का बटन दबाया रोशनी के होते ही वह चौंक सी गई।

"यह सब क्या है विराट तुम बेड के नीचे क्या कर रहे हो, अब वह उसके पास आकर खड़ी हो गई।

"जी कुछ नहीं बस.... विराट वहां से उठकर बेड पर बैठ गया जैसे किसी नशे की हालत में हो हालांकि उसने कोई नशा नहीं किया था, लेकिन प्यार का नशा जरूर इस पर चढ़ा हुआ था। इसके समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले क्योंकि विराट की ऐसी हालत उसने कभी नहीं देखी थी।

"क्या??? बात है, तबीयत तो ठीक है ना तुम्हारी"

"हां मैं ठीक हूं" विराट ने कहा

"विराट क्या छुपा रहे हो मुझसे, तुम क्यों नहीं बता रहे हो, हर टाइम इतने उजड़े उजड़े से रहते हो आखिर क्या बात है????

"आप बेकार में परेशान मत होइए और और मैं चाचू से बात कर लूंगा अभी नींद आ रही है" इसने लेटते हुए कहा।

"तुम भले ही नहीं बताओ मुझे, लेकिन मैं मां हूं तुम्हारी तुम्हें इस तरह परेशान नहीं देख सकती" वह ईसे देखती रही और मन ही मन सोचती रही। अब समीरा की परेशानी और भी बढ़ती जा रही थी। अब मैं क्या करूं कैसे पता करूं तुम्हारी परेशानी??? इस वक्त उसे याद आया विराट के दोस्त का जो विराट को बेस्ट फ्रेंड था।

"लीजिए नानी मां शाम के ठंडी ठंडी हवा और मेरे हाथ के बने गरम गरम समोसे" मान्या ने समोसे के प्लेट रखते हुए कहा

नानी मां कुछ देर हवा लेने के लिए बाहर बैठी थी। मान्या को वहां जाते देखकर पार्थ भी वहीं बैठ गया।

"वैसे दादी शादी के लिए उम्र कितनी होनी चाहिए" पार्थ ने समोसा उठाते हुए पूछा

"भई जब लड़का लड़की जवान हो जाए तो शादी कर लेनी देनी चाहिए यह पढ़ाई के चक्कर में पड़ने से तो उम्र ही निकल जाती है, अभी जो तुम्हारी और विराट की उम्र है, मेरे ख्याल से तुम दोनों की शादी हो जानी चाहिए।

"हाय दादी मन की बात बोल दी कर दो ना शादी मना किसने किया है" इसमें दादी का हाथ पकड़ कर बोला।

"अच्छा हां हां कर देंगे शादी लेकिन इसके लिए कोई लड़की है दिमाग में या फिर ऐसे ही हवा में उड़ रहे हो" दादी ने इसकी तरह मुस्कुराते हुए कहा।

"क्या बात है आज तक आज सब खुश नजर आ रहे हैं??? आकाश कुर्सी पर बैठे हुए बोला, माया ने प्लेट आगे कर दी और उसने भी समोसा उठा लिया।

"बस बेटे हम बूढ़े हो गए हैं, और बच्चे जवान हो गए हैं और अपने पैरों पर भी खड़े हैं, उनकी शादी के दिन आ चुके हैं"

"जी मम्मी आप ठीक कह रहे हैं, दोनों बच्चे जवान हो गए हैं अपने पैरों पर भी खड़े हैं आकाश ने पार्थ की पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा।

"तुम्हारी नजर में कोई है तो बता दो नहीं तो यह जिम्मेदारी भी हम ही दे दे रहे हो" आकाश ने मिसेज कौशिक की तरफ देखते हुए पूछा।

"लड़की मेरे नजर में है पापा इसे ढूंढने की जरूरत नहीं पड़ेगी बस आप लोग रेडी हो जाइए" मान्या वहीं खड़ी मुस्कुराए जा रही थी।

"ऐसे कैसे तैयार हो जाएं तुम लोगों को पता है कि, तुम लोग ने लड़की पसंद कर ली है लेकिन फिर भी तुम्हारे बड़े ही जवाब देंगे, कोई भी फैसला करने से पहले यह बात जरूर ध्यान में रख लेना" आकाश पार्थ की तरफ देखकर बोले जा रहा था और पार्थ सर झुका है सारी बातें सुन रहा था।अकाश की बात खत्म होते ही पार्थ ने बोलना शुरू किया।

"जी पापा मैं जानता हूं, जिस फैसले में बड़ों की मर्जी न हो खुशी शामिल ना हो वो खुशी ज्यादा दिन नहीं रहती है, मैं आप सबका दिल से इज्जत करता हूं, और मेरी पसंद आप लोगों की मर्जी के बिल्कुल भी खिलाफ नहीं है, इतना मैं भी यकीन के साथ कह रहा हूं, मैं आप लोगों को नाराज नहीं करूंगा" पार्थ ने अपनी दादी का हाथ अपने हाथ में लेते हुए पापा की तरफ देखा। आकाश के चेहरे पर सकुनियत छलक रही थी।

" मैं जानता हूं हमारे बच्चे कितने भी क्यों ना बड़े हो जाएं, लेकिन अपने बड़ों की बात कभी नहीं टालेंगे"आकाश ने अपनी मां की तरफ देखा जो किसी गहरी सोच में गुम थी।

"अरे मम्मी आप कीस सोच में गुम हो गई"

"मैं आलिया के बारे में सोच रही हूं, अब तक तो जवान हो गई होगी, पता नहीं वह कैसे हालात में बड़ी हुई होगी वह हमारे बारे में क्या जानती होगी" मिसेज कौशिक की आंखों में।आंसू आ गए।सब लोग इसकी तरफ खामोशी से देख रहे थे।

"आकाश मैं जानती हूं बेटा, तुम लोग मेरी बात कभी नहीं टालते मेरी हर खुशी हर चाहत का ख्याल रखते हो, ऐसी औलाद नसीब वालों को मिलती है, क्या तुम मेरी यह ख्वाहिश पूरी नहीं कर सकते??? मुझे मेरी आलिया से नहीं मिला सकते??? पता नहीं अब मैं कितने दिन और जिंदा रहूं लेकिन, मैं मरने से पहले अपने पोती को देखना चाहती हूं, इसे बहुत सारा प्यार और अपनापन देना चाहती हूं, जो बाकी सब बच्चे को मिला, वह मेरे अंकित की निशानी है, आकाश!!! आकाश!!! मिसेज कौशिक जोर जोर से रो रही थी और गिर गिरा रही थी, बिल्कुल किसी बच्चे की तरह।

"मम्मी क्या कह रही हैं ये सब, सभालिये अपने आप को और चलिए जल्दी से अंदर, आपकी तबीयत ठीक नहीं लग रही है"अब इसे अब खांसी होने लगी थी और तेजी से सांस फूलने लगा था, तभी आकाश और मान्या उसे कमरे में ले गए और पार्थ ने डॉक्टर को फोन किया।

( मिसेज कौशिक के पास बहुत सारे दौलत थे जो इसे विरासत में मिली थी, तीन बेटे और एक बेटी थी और मान्या को इसमें अनाथ आश्रम से गोद ले लिया था जो इसे हमेशा नानी मां नानी मां कहती थी रही थी, मिसेज कौशिक के तीन बेटे अकाश, अंकित और अजय तीनों भाई थे जिसमें अंकित और अजय की मृत्यु हो चुकी थी। आकाश के दो बेटे है पार्थ और समीर।अजय का बेटा विराट है और बेटी सपना जो पढ़ाई कर रही है, और विराट बिजनेस संभाल रहा है। अंकित की एक बेटी है आलिया। आलिया की मां का मिसेज कौशिक के साथ कुछ बात के कारण एक दूसरे से बात बंद हो गया जिसके कारण आलिया की मां उसे लेकर कहीं दूर चली गई जिसके बारे में किसी को कुछ भी नहीं पता है)

क्या अकाश अपनी मां को उसकी पोती आलिया से मिला पाएगा जानने के लिए पढ़िए अगले पार्ट में.....

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