तुम बिन जिया जाए ना - 8 Gulshan Parween द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तुम बिन जिया जाए ना - 8

मिसेस खुराना अपने कमरे में बैठी हुई थी निशा भी उदास थी। पर निशा इस परेशानी में थे कि ना जाने मम्मा ने कौन सी बातें सुन ली थी। आखिर हिम्मत करके अपनी मम्मा के रूम में गई थी।

"मामा आपको पता है अंजलि कनाडा जा रही है" निशा ने कमरे में आते ही बहुत आसानी से बात करने लगी। मिसेस पुराना जो इस टाइम टेंशन में थी बड़े तकिए पर टेक लगाए बैठी थी।

"अच्छी बात है हर कोई आगे की सोचता है, सभी को अपने फ्यूचर बनाने होते हैं" मिसेज खुराना ने कहा उनके चेहरे पर नाराजगी जाहिर हो रही थी।

"नाराज है क्या आप मुझसे, ऐसा क्यों बात कर रही हैं मामा" कभी-कभी हम जैसा सोचते हैं वैसा नहीं होता, कब हालात बिगड़ जाते हैं, पता ही नहीं चलता मैं भी बिल्कुल पागल हूं ना जाने कौन-कौन सी उम्मीदें लगा लेती हूं, मुझे लगा था मैं अपनी बेटी को हर खुशी इस की झोली में रख दूंगी, इसे इतना प्यार दूंगी की उसे किसी चीज की कमी नहीं महसूस होगी, लेकिन मुझे नहीं पता था कि मैं इतना बेबस हूं आज" अब मिसेज खुराना मायूसी से बोले जा रही थी।

"मामा आप मेरी बेस्ट मामा है" आप जैसी मामा तो सबको मिले मैंने जितना कुछ पाया है, जितना कुछ सीखा है सब आपसे , आप तो मेरी दुनिया हो, मेरा यकीन कीजिए मुझे आप से कोई शिकायत नहीं है, आज आप ऐसी बातें क्यों कर रही है"

"मैं जानती हूं बेटा लेकिन मैं चाह कर भी तुम्हारे पापा की कमी पूरी नहीं कर पाई, लेकिन आज अचानक तुमने कैसी एहसास कर लिया एक अकेली लड़की हो" मिसेज खुराना लगातार बोले जा रही थी।

"तुम अंजलि से ऐसा क्यों बोल रही थी कि तुम्हारी पढ़ाई छोड़ने के पीछे यह कारण है, वह मुरझाकर बोल रही थी और वह खामोशी से सुन रही थी।

"क्या कोई परेशान करता है यूनिवर्सिटी जाते समय"

"मामा मेरी दोस्त के साथ एक हादसा हुआ था, इसे किसी लड़के ने किडनैप कर लिया था,

"कौन से दोस्त और वह अब तो ठीक है ना क्या हुआ फिर उसका" मिसेज खुराना ने बीच में बात करते हुए पूछा

"वह वही पर रहती है, आप नहीं मिले हैं इससे और, हां अब बिल्कुल ठीक है, बस इसके साथ यह सब होने के बाद मेरा दिल बहुत घबरा गया क्योंकि मैं भी वहां अकेली थी, और तभी पापा की कमी महसूस होने लगी निशा ने अपनी मामा को कुछ बताते हुए बता दी थी, लेकिन उसने अपनी दोस्त का नाम लिया था।

"यह मर्द ऐसा क्यों होते हैं मामा??? क्यों हम इसकी वजह से कहीं अकेले नहीं जा सकते, कही अपनी मर्जी से नहीं रह सकते???? उसने अपनी मां की तरफ देखकर शिकायत भरे अंदाज में कहा।

"सबकी अपनी अपनी सोच होती है कभी-कभी किसी के साथ हुए हादसे को अपने दिल से नहीं लगाना चाहिए, जरूरी नहीं कि इसके साथ जो हुआ वह तुम्हारे साथ भी हो, अगर हमारा कैरेक्टर ठीक है तो कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता और बेटा मुझे तुम पर पूरा भरोसा है तुम मेरी बहादुर बच्ची हो तुमहे किसी से भी डरने की जरूरत नहीं है, और रही बात तुम्हारे अकेले और डरने की तो मैं तुम्हारे साथ सिक्योरिटी गार्ड रख दूंगी, वह हर पल तुम्हारी रक्षा के लिए तुम्हारे साथ होगा"

"लेकिन मामा वह भी तो एक आदमी ही होगा" उसने अपनी मां की तरफ देखते हुए कहा।

"और मामा मेरी दोस्त की कोई गलती नहीं थी सारी गलती इस लड़के की थी इसने जबरदस्ती करनी चाहिए थी" बात करते-करते अब उसकी आंखों में आंसू आ गए थे।

"लेकिन मैं अब इस सदमे से निकलने में नाकाम हो चुकी मम्मा आप प्लीज मुझे दोबारा वहां जाने की बात मत कीजिएगा" यह कहते हुए अपनी मां की गोद में लेट गई और मिसेज खुराना किसी सोच में डूबी हुई थी उसे नहीं पता था कि वक्त के किसी मोड़ पर इसे इस तरह से गुजरना होगा सब कुछ होते हुए भी से अपने हाथ खाली नजर आने लगे थे दौलत पैसा नौकर चाकर होने के बावजूद उसकी बेटी खुद को अकेला समझती थी और अब यह अकेलेपन का एहसास उसे भी होने लगा था

"साहिल मैं जानती हूं तुम्हें सब पता है तुम दोनों एक दूसरे से कोई बात नहीं छुपाते"

"इन दिनों वह जिस हालात से गुजर रहा है आप अच्छी तरह से जानती है फिर भी आप मुझसे क्या पूछने आए हैं, आंटी!! आजकल विराट वो नहीं रहा जो पहले हुआ करता था, हर टाइम किसी सोच में घूमता रहता है उस घटना को काफी दिन हो गए हैं, लेकिन वह दिन प्रतिदिन जैसे बीमार होता जा रहा है मुझे इसके अंदर एक बेचैनी और बेशक उन्हें साफ दिखाई पड़ रहा है और यह मायूसी यह परेशानी इस जख्म की वजह से तो नहीं है"

समीरा ने साहिल को घर पर बुलाया था, अब दोनों लोंग रूम में बैठे थे।

"आंटी आप खुद विराट से क्यों नहीं पूछ लेती कि वह आजकल इतना उदास क्यों है"

"वह कुछ कहा बता रहा है, मैं पूछ पूछ कर थक चुकी हूं"

"आपको जब नहीं बता रहा है, तो मुझे क्या बताएगा भला" साहिल नजरे चुराता हुआ बोला

"तुम मुझे अपनी मां की तरह मानते हो ना साहिल फिर भी तुम मेरी मदद नहीं कर सकते" यह बोलते बोलते समीरा की आंखों में आंसू छलक उठे थे

"आंटी प्लीज मैं विराट को समझा लूंगा, इस समय कहां है??? वह"

"अपने रूम में" समीरा ने अपने आंसू पोंछे हुए कहा और साहिल उठकर विराट के रूम में चला गया।

"हां भाई क्या हाल-चाल है आजकल और यह भूत कब उतरेगा इश्क मोहब्बत का क्यों परेशान कर रखा है, घर वाले को" साहिल टोकते हुए उसके पास बैठ गया, विराट इस समय कोई फाइल चेक करा था।

"वह लड़की नहीं कोई मुसीबत ही शुक्र है कि कर बेटा वह तुम्हारी पत्नी नहीं बनी वरना पता नहीं क्या हाल करती तुम्हारा, और कुछ ना सही तो खाने में जहर मिलाकर तो मार ही डालती शायद" फिर से इसे टोक रहा था।

"वह कोई मुसीबत नहीं थी" विराट ने फाइल बंद की और गुस्से साहिल को घूरने लगा।

"इसे कैसे भुला दूं यार, मेरे दिलो दिमाग में वही छाई हुई है, पता नहीं वह मुझे जितनी नफरत करती है, मेरी मोहब्बत उसके लिए इतनी बढ़ती जा रही है, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई जो इसे पाने के लिए मैंने इस तरह का रास्ता चुना" कहते हुए विराट अब फिर से गुम होता जा रहा था। वह बोल ही रहा था तभी साहिल का फोन बजा और इसे लगा कि फोन उसके पास नहीं है शायद वह बाहर ही भूल आया था, वह विराट के रूम से निकला और जब बाहर आकर देखा तो हैरान रह गया। फोन समीरा के हाथों में था जो गेट के बाहर खड़ी थी। समीरा ने साहिल को फोन दिया और बह बात करने लगा कुछ ही मिनट के बाद उसने मूर कर देखा तो समीरा बिल्कुल उसके सामने खड़ी हुई थी।

"मैं तुम दोनों की बातें सुनने नहीं आई थी बस तुम्हें तुम्हारा फोन देने आई थी" अब साहिल इससे आंखें नहीं मिला पा रहा था।

"कौन है, वह इसका नाम क्या है, कहां रहती है?????? इसने एक साथ कई सारे सवाल कर डाले।

"आंटी निशा!! नाम है इसका यही रहती है" साहिल को एहसास हो चुका था कि समीरा ने इसकी बातें सुन ली थी इसलिए वह अब झूठ नहीं बोल पाया।

"मुझे इसके पास ले चलो साहिल"

"अरे नहीं आंटी यह क्या बोल रही हैं आप??? यह ठीक नहीं है"

"मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूं, समीरा ने इसके सामने हाथ जोड़ लिए और यह वह रो रही थी।

"आंटी संभालिए खुद को प्लीज आप चुप हो जाइए, मैं कुछ करता हूं"

वह अपने कमरे में किताबों को समेट रही थी और पार्ट्थ चुपके से रूम में आ गया और उसने मान्या का हाथ पकड़ लिया।

"पार्थ तुम इस समय यहां क्या कर रहे हो?? छोड़ो मेरा हाथ और जाओ या कहीं कोई आ ना जाए" वो एकदम से चौकते हुए जहां छुड़ाते हुए बोली।

पार्थ ने उसे अपनी तरफ खींच लिया था और मुस्कुराए जा रहा था।

"देखो पार्थ नानी किसी समय में कमरे में आ सकती है और क्या पता आकाश अंकल ही आ जाए" इसने अपना हाथ छूड़ाते हुए कहा लेकिन पार्थ इसके दोनों हाथों को मजबूती से पकड़े हुए था और उसकी तरफ देख कर मुस्कुराये जा रहा था।

"अब बोलो भी क्या काम है इतनी सुबह सुबह" मान्या ने उसे घूरते हुए नाराजगी से कहां।

"मैंने रात में एक सपना देखा था वही बताने आया हूं"

"अच्छा कैसा सपना" मान्या ने पार्थ की तरफ देखते हूए पुछा

"हाय बहुत रोमांटिक सपना था, सपने में हम दोनों की शादी हो चुकी थी, मैं कमरे में बैठा बहुत टाइम से तुम्हारा इंतजार कर रहा था, तुम काम से फ्री होकर हमारे रूम में आई और तुम्हारे आते मैंने जल्दी से दरवाजा बंद कर लिया और तुम्हें जोर से पकड़ लेता हूं फिर.....

" फिर" उसने नजर झुका लिया और शर्माते हुए पूछा।

"तुम्हे और अपने करीब ले आया और तुम मचल कर भाग गई, मैंने तुम्हारा हाथ पकड़ कर तुम्हें अपनी तरफ खींचा और तुम बहुत नजदीक आ गई मेरे और इसके बाद....

"और क्या" इससे नजरें उठाकर बेचैनी के हालत में पूछा"

"बड़ी बेशर्म हो कैसे मजे ले ले कर पूछे जा रही हो, वैसे बाकी का हिस्सा बाद में बताऊंगा रात को आना बाहर" पार्थ ने शरारत भरे अंदाज में बोला।

"अभी बताओ रात को मैं बाहर नहीं आ सकती आंटी आ जाएगी और वह कुछ ना कुछ सुना देगी, तुम्हें बताना है तो अभी बताओ या फिर जाओ यहां से मुझे देर हो रही है" मान्या ने अपना हाथ छुड़ाया और किताब उठाकर बाहर की तरफ चल दी

"वैसे तुम्हें आना तो पड़ेगा देखता हूं तुम कैसे नहीं आती हो" पार्थ वही खड़ा-खड़ा बोल रहा था।

क्या मान्या पार्थ से मिलने रात में आएगी जानने के लिए पढ़िए अगले पार्ट में......